Monday 12 April 2021

apni baat

 स्वस्थ और खुश रहना सर्वोपरि है। व्यक्तिगत स्वच्छता, सही खान.पान और नियमित व्यायाम करके खुद कोफिट रखने पर इन दिनों पहले से कहीं ज्यादा जोर है। नियमित रूप से हाथ धोने, सामाजिक दूरी बरतने और अपने परिवेश को साफ सुथरा रखने की जरूरत को आज पूरी दुनिया अच्छी तरह समझ चुकी है। हालांकि ये सीख और इससे जुड़ी बातें देर से समझ आईं और इसकी कीमत भी चुकानी पड़ी। हम सभी जानते हैं कि यह उस महामारी के कारण हुआ जिसने वैश्विक अर्थव्यवस्था को 2020 में बड़े पैमाने पर चोट पहुंचायी है। यह एक ऐसा साल है जिसे कोई भी आम तौर पर अच्छे कारण के लिए याद नहीं करना चाहेगा। व्यवसाय प्रभावित हुए, अनुसंधान और विकास की गति धीमी हो गई, और सबसे बढ़कर आमनेसामने की मुलाकात लगभग खत्म हो गयी। इसलि पूरी मानवता को बेसब्री से कोविड.19 के खिलाफ एक वैक्सीन के आने का इंतजार था। आखिरकार 2020 के अंत में, कुछ टीकों के अंतिम चरणों के बारे में खबरें आनी शुरू हो गईं। अच्छी खबर यह है कि अब तक इसके ज्यादा दुष्प्रभाव सामने नहीं आए हैं। अभी तो यह शुरुआत है। यह पहले भी समय के साथ दौड़ लगाने जैसा था और आज भी है, विशेष रूप से एक ऐसे युग में जब हमारे पास काफी स्वचालित और कृत्रिम तकनीकें हैं। इस शोध में शामिल वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को बेहद कठिन परिश्रम करना पड़ा, ढेरों प्रकाशित शोध पत्रों को पढ़ना पड़ा। इतने बड़े भंडार से आवश्य  और प्रासंगिक जानकारी छांट कर निकालना वास्तव में एक कठिन कार्य है। यहीं विषय वस्तु निष्कर्षण,संक्षेपण और वर्गीकरण काम में आते हैं। इसके लिए, आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के सबसे रोमांचक क्षेत्रों में से एक प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (एनएलपी), उभरकर सामने आती है। इस्तेमाल बढ़ने के साथ, एनएलपी तकनीक वास्तविक जीवन के बदले कार्यक्षेत्र में अधिकाधिक उपयोगी साबित हो रही है। नए.नए उपयोग सामने आ रहे हैं। रियल एस्टेट, कानून, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे कार्यक्षेत्रों की सूची तेजी से बढ़ रही है, जहां एनएलपी तकनीक का बखूबी इस्तेमाल किया जा   रहा है। हालांकि बढ़ते उपयोग के साथ इससे जुड़ी चुनौतियाँ भी बढ़ रही हैं।

          चुनौतियाँ हमें शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों की अदम्य भावनाओं की याद दिलाती हैं जिन्होंने इंसानियत की

बेहतरी के लिए निरंतर बदलाव का झंडा बुलंद रखा है। एक प्रयोगशाला की चारदीवारी में क्या हो रहा है,

इसके बारे में समाज को विधिवत और समयबद्ध रूप से अवगत कराने के लिए हमारे जैसे संगठन अपनीे

स्थापना से ही जिम्मेदारी निभाते आ रहे हैं। बीते तीस साल से ज्यादा वक्त में हम लगातार एक के बाद एक

नयी उपलब्धि जोड़ते चले आये हैं। आने वाले दिनों में समाज के लिए ऐसा ही एक बड़ा कदम होगा ‘इंडिया

साइंस‘ नामक विज्ञान आधारित ओटीटी चैनल का प्रोग्राम ‘एंगेज‘। जैसा कि नाम से ही पता चलता है, यह स्कूली छात्रों में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लक्ष्य से शुरू किया जाएगा। विभिन्न स्कूलों में इस कार्यक्रम पर शुरुआती प्रतिक्रियाएं बहुत ही शानदार रही हैं। खैर, महामारी से बिना विचलित हुए, विज्ञान प्रसार के वैज्ञानिकों और कर्मचारियों ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के संचार, लोकप्रियकरण और विस्तार के क्षेत्र में लगातार काम करना जारी रखा है। कोविड.19 के खिलाफ भारत के वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिक प्रयासों पर कई साप्ताहिक, पाक्षिक और मासिक रिपोर्ट समय पर जन.जन तक पहुंचती रहीं। इसी तरह, इंडिया साइंस‘ के लिए रेकॉर्ड संख्या में वृत्तचित्र बनाए गए जो पहले के वर्षों में बनाये गए वृत्तचित्रों की तुलना में कहीं अधिक थे। जब हम इन पंक्तियों को लिख रहे हैं, उसी वक्त ‘इंडिया साइंस‘ का एक लोकप्रिय धारावाहिक ‘लाइफ इन साइंस विद पल्लव बागला’ हिमालय की ऊपरी चोटियों में वास्तुशिल्प के चमत्कार.अटल सुरंग.को फिल्माया जा रहा है। आशा है कि आप हमारी तरफ से नए साल के इस दिलचस्प उपहार का आनंद लेंगे। आप सभी को एक बार फिर नव वर्ष की हार्दिक

शुभकामनाएँ

NAKUL PARASHAR