Monday 12 August 2019

शिशु मृत्यु दर

भारत में शिशु मृत्यु दर में आई गिरावट, चिंता अभी भी बरकरार

भारत ने अपनी शिशु मृत्यु दर को घटाने में बड़ी सफलता हासिल की है। 2012 की तुलना में इसकी मृत्यु दर 2017 में 42 से घटकर 33 पर पहुंच गई।

रीमा नागराजन, नई दिल्ली 
एक वक्त था जब घर में गूंजी किलकारियां चंद मिनटों में मातम में बदल जाती थीं, लेकिन बीते कई सालों में अब यह काफी कम हो गया है क्योंकि भारत की शिशु मृत्यु दर में गिरावट आई है। भारत ने इस मामले में बड़ी सफलता पाई है। 2012 में यह मृत्यु दर 42 थी लेकिन 2017 में यह गिरकर 33 पर पहुंच गई है। लेकिन 2012 से पहले के पांच सालों से तुलना की जाए तो परिवर्तन की यह गति बेहद धीमी है। उस वक्त शिशु मृत्यु दर का आंकड़ा 55 से 42 तक गिर गया था। 
यह देखते हुए कि भारत की शिशु मृत्यु दर आज भी दक्षिण एशियाई देशों श्री लंका, बांग्लादेश और नेपाल की तुलना में काफी बदतर है, इसलिए यह धीमी गति चिंता का विषय है। आईएमआर का मतलब होता है प्रति 1000 जीवित जन्मे शिशुओं मे से एक वर्ष या इससे कम उम्र में मर गये शिशुओं की संख्या और इस दर में सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर के कई हिस्सों में गिरावट देखी जा रही है। 


मध्य प्रदेश और असम में सबसे खराब शिशु मृत्यु दर दर्द की गई। जहां मध्य प्रदेश में शिशु मृत्यु दर 47 थी, वहीं असम में यह 44 देखी गई। अगर छोटे राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भी शामिल कर लिया जाए तो सबसे कम शिशु मृत्यु दर नागालैंड और गोवा में दर्ज की गई। वहीं 2012 में उच्चतम शिशु मृत्यु दर वाले राज्यों में, ओडिशा और उत्तर प्रदेश ने 2012 से 2017 के बीच शिशु मृत्यु दर के मामले में काफी सुधार दिखाया। 2012 से 2017 के बीच इन दो राज्यों की शिशु मृत्यु दर 53 से 41 तक गिरी। हालांकि, सभी राज्यों के बीच जम्मू-कश्मीर ने आईएमआर यानी शिशु मृत्यु दर के रूप में सबसे अधिक सुधार दिखाया। जम्मू-कश्मीर में आईएमआर 39 से 23 तक की गिरावट देखी गई।

33 की शिशु मृत्यु दर के साथ अब भारत कजाकिस्तान (33), बोत्सवाना (34), रवांडा (32), दक्षिण अफ्रीका (32) और चीन (9) की फेहरिस्त में शामिल हो गया है। बात करें पड़ोसी मुल्कों की, तो जिन देशों की शिशु मृत्यु दर भारत से भी बदतर है वे हैं पाकिस्तान और म्यांमार। जहां पाकिस्तान की शिशु मृत्यु दर 66 है तो वहीं म्यांमार की 43 है। 

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