Monday 12 August 2019

मातृ-मृत्यु

देश में मातृ-मृत्यु दर घटा, केरल अव्वल

भारत में मातृ-मृत्यु दर के आंकड़ों में पहले के मुकाबले कमी आई है। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने 2014-16 के आंकड़े जारी किए हैं

तिरुवनंतपुरम 
भारत में मातृ-मृत्यु दर के आंकड़ों में पहले के मुकाबले कमी आई है। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने 2014-16 के आंकड़े जारी किए हैं जिनके मुताबिक साल 2011-13 में (1,00,000 जिंदा डिलिवरी पर) 167 मामलों के मुकाबले 2014-16 में 130 मामले सामने आए। गिरावट के मामले में केरल फेहरिस्त में सबसे ऊपर है। 
मातृ-मृत्यु दर से सुरक्षित डिलिवरी और मैटरनल केयर के बारे में पता चलता है। भारत इस मानक में चीन, श्री लंका और मालदीव जैसे देशों से काफी पीछे रहता है। जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा सुधार असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में देखा गया जहां संख्या 246 से गिरकर 188 पहुंच गई। हालांकि, बाकी राज्यों की तुलना में मामले यहां फिर भी अधिक दर्ज किए गए। असम में सबसे ज्यादा 237, यूपी में 201 और उत्तराखंड में 285 मामले तीन साल में देखने को मिले। 

वहीं दक्षिण भारतीय राज्यों में 93 से घटकर 77 जबकि बाकी राज्यों में 115 से घटकर 93 मामले दर्ज किए गए। इन आंकड़ों से सुधरती व्यवस्था का पता चलता है। मातृ-मृत्यु दर से महिलाओं के स्वास्थ्य की स्थिति पता चलती है। केरल ने सबसे अच्छा प्रदर्शन करते हुए 61 से घटकर 46 मामले दर्ज किए। 

देश में मातृ-मृत्यु दर घटा, केरल अव्वल

भारत में मातृ-मृत्यु दर के आंकड़ों में पहले के मुकाबले कमी आई है। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने 2014-16 के आंकड़े जारी किए हैं

सांकेतिक तस्वीरसांकेतिक तस्वीर
तिरुवनंतपुरम
भारत में मातृ-मृत्यु दर के आंकड़ों में पहले के मुकाबले कमी आई है। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने 2014-16 के आंकड़े जारी किए हैं जिनके मुताबिक साल 2011-13 में (1,00,000 जिंदा डिलिवरी पर) 167 मामलों के मुकाबले 2014-16 में 130 मामले सामने आए। गिरावट के मामले में केरल फेहरिस्त में सबसे ऊपर है।
मातृ-मृत्यु दर से सुरक्षित डिलिवरी और मैटरनल केयर के बारे में पता चलता है। भारत इस मानक में चीन, श्री लंका और मालदीव जैसे देशों से काफी पीछे रहता है। जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा सुधार असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में देखा गया जहां संख्या 246 से गिरकर 188 पहुंच गई। हालांकि, बाकी राज्यों की तुलना में मामले यहां फिर भी अधिक दर्ज किए गए। असम में सबसे ज्यादा 237, यूपी में 201 और उत्तराखंड में 285 मामले तीन साल में देखने को मिले।

वहीं दक्षिण भारतीय राज्यों में 93 से घटकर 77 जबकि बाकी राज्यों में 115 से घटकर 93 मामले दर्ज किए गए। इन आंकड़ों से सुधरती व्यवस्था का पता चलता है। मातृ-मृत्यु दर से महिलाओं के स्वास्थ्य की स्थिति पता चलती है। केरल ने सबसे अच्छा प्रदर्शन करते हुए 61 से घटकर 46 मामले दर्ज किए।

NBT
क्या कहते हैं आंकड़े

गौरतलब है कि भारत मातृ-मृत्यु के मामले में 184 देशों में से 129वें स्थान पर आता है। शिशु-मृत्यु के मामले में 193 में से 145वें स्थान पर है। शहरी और ग्रामीण इलाकों में काफी अंतर देखा जाता है। स्वास्थ्य विभाग ने कई योजनाएं चलाई हैं और दूरदराज के इलाकों तक उनका लाभ पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि 2005 में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, जननी सुरक्षा योजना, राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम आदि लान्च होने से स्वास्थ्य इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार हुआ है। 

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