Saturday 20 July 2019

भारत में मधुमेह संबंधी शिक्षाः


समय की मांग------रिचा सक्सेना(साभार ड्रीम 2047 मई 2018 )

मधुमेह के रोगी को न केवल उपचार ओर अपनी इंसुलिन की मात्रा के समायोजन के लिए मधुमेह विशेषज्ञ के पास जाना होता है, बल्कि उसे अन्य विशेषज्ञों के पास भी जाना पड़ता है, जैसे कि हृदयरोग विशेषज्ञ (अगर वह हृदयरोग का रोगी है), मधुमेह नेत्र रोग या रेटिनोपैथी के लिए नेत्र विशेषज्ञ, गुर्दे के रोग के लिए गुर्दारोग विशेषज्ञ और मधुमेह फुट रोग के लिए पोडियाट्रिस्ट आदि। एक ही स्थान पर मधुमेह शिक्षा कार्यक्रमों को लागू करने और मेडिकल सेवाएं मिलने से बहुत से रोगियों को रोग का बेहतर प्रबंधन करने में सहायता मिलेगी। हमारे देश में मधुमेह के बढ़ते रोगियों के साथ, मधुमेह शिक्षा कार्यक्रमों की शुरूआत समय की महती आवश्यकता है।

               चिकित्सक द्वारा प्रस्तावित मधुमेह की दवाइयां और इंसुलिन के इंजेक्शन लेने के बावजूद, अब
भी मधुमेह से पीड़ित लोग कमजोर स्वास्थ्य और तेजी से बढ़ती जीवन के लिए घातक मधुमेह जनित बीमारियों के चलते रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मधुमेह मेलिटस, जुकाम और फ्लु जैसा रोग नहीं है जिसे केवल गोलियां खाकर ठीक किया जा सके। यह ऐसा रोग है जो जीवन भर रहता है और इसके
लिए सही शिक्षा और क्षमता विकास की आवश्यकता होती है। देश भर में मधुमेह शिक्षा कार्यक्रम आरंभ करके
इस बढ़ती स्वास्थ्य समस्या का सामना करने के लिए सरकार और नीति निर्माताओं को संवेदनशील बनाने की जरूरत है। मधुमेह शिक्षा के महत्व को बहुत से चिकित्सकों और सरकार ने अभी भी नहीं समझा है। 
                भारत के अधिकतर भागों में अच्छी गुणवत्ता की चिकित्सा सेवाओं तक लोगों पहुंच न होने के कारण मधुमेह के रोगी अपने रोग की देखभालठीक से नहीं कर पाते, जो केवल बड़े मेट्रों शहरों में रहने वालों को उपलब्ध होती हैं। मधुमेह शिक्षा कार्यक्रम का कार्यान्वयन और चिकित्सा सेवाएं एक ही जगह घर प्रदान किए जाने की जरूरत है क्योंकि मधुमेह के रोगियों को मधुमेह से संबंधित बीमारियों के लिए एक से अधिक विशेषज्ञों के पास जाना होता है। उदाहरण के लिए, मधुमेह के रोगी को न केवल उपचार और इंसुलिन की मात्रा के समायोजन के लिए मधुमेह विशेषज्ञ के पास जाना होता है बल्कि उसे अन्य विशेषज्ञों के पास भी जाना पड़ता है, जैसे कि हृदयरोग विशेषज्ञ, अगर वह हृदयरोग का रोगी है, मधुमेह नेत्र रोग या रेटिनोपैथी के लिए नेत्र विशेषज्ञ, गुर्दे के रोग के लिए गुर्दारोग विशेषज्ञ और मधुमेह फुट रोग के लिए पोडियाट्रिस्ट आदि। 
                  प्रतिवर्ष मधुमेह के रोगियों में अक्षतिज फुट विच्छेदन की बढ़ती संख्या  को देखते हुए मधुमेह फुट क्लीनिक के महत्व को अनदेखा नहीं किया जा सकता। मधुमेह फुट की समस्याओं की जागरूकता न होने के कारण या उस क्षेत्र में पोडियाट्रिस्ट या फुट चिकित्सा विशेषज्ञ उपलब्ध न होने के कारण, मधुमेह के रोगी अकसर पैरों की गंभीर बीमारियों से पीड़ित होते हैं जो एक छोटे से जख्म से शुरू होती हैं और कभी न भरने वाले फुट अल्सर/घाव में बदल जाती हैं, जिसे अगर अनुपचारित छोड़ दिया जाए तो विच्छेदन भी करना पड़ता  है। विभिन्न विशेषज्ञों के पास जाने की भाग दौड़ मधुमेह के रोगियों को काफी परेशान करती है क्योंकि विभिन्न बीमारियों के लिए अनेक विशेषज्ञों के पास जाने में उन्हें काफी समय और पैसा लगाना पड़ता है। अगर ये सभी सेवाएं एक ही जगह पर मिलेंगी, तो इससे निश्चित रूप से उपचार के अनुपालन में सहायता मिलेगी और चिकित्सकों को भी नियमित रूप से दिखाना सुनिश्चित होगा।
          इसके अतिरिक्त, मधुमेह के रोगी अपनी अवस्था को संभवतः अधिक गंभीरता से लेंगे, अगर उन्हें डॉक्टर के पास जाने के दौरान मधुमेह और इसकी जटिलताओं के बारे में बताया जाएगा। इससे समय और अन्य संसाधनों की काफी बचत होगी क्योंकि उसे चिकित्सक से मिलने के दौरान मधुमेह की काफी जानकारी मिल चुकी होगी। मधुमेह प्रबंधन के खर्च से रोगी पर काफी वित्तीय बोझ पड़ता है। फलस्वरूप यह रोगी को अपनी अवस्था को गंभीरता से न लेने के लिए निरुत्साहित करता है, विशेष रूप से उन्हें जो निम्न सामाजिक.आर्थिक वर्ग के होते हैं क्योंकि वे महंगी दवाइयां, इंसुलिन के इंजेक्शन और रक्त.ग्लूकोज मॉनीटरिंग स्ट्रिप्स खरीदना वहन नहीं कर सकते। सरकार द्वारा बेहतर वहनीयता सुनिश्चित करने के लिए सस्ती दरों पर मधुमेह की दवाइयां और अन्य आपूर्तियां प्रदान करने के लिए कदम उठाना जरूरी है।

                              समय की कमी और आने जाने की समस्या से बढ़ता तनाव, रोगियों को डाक्टर से नियमित रूप से मिलने से निरुत्साहित करता है। मधुमेह के स्वप्रबंधन के बारे में जागरूकता की कमी के कारण, डॉक्टर के नुस्खे का अनुसरण करने के बावजूद, मधुमेह का नियंत्रण नहीं हो पाता। इससे डॉक्टर की रोग का उपचार करने की क्षमता पर रोगी का विश्वास कम हो जाता है और हताशा बढ़ने के साथ रोग के प्रबंधन की अभिप्रेरणा में भी कमी आ जाती है।
            दूसरी ओर, मधुमेह से पीड़ित कुछ लोग अपने रोग की अवस्था के प्रबंधन के लिए चिंतित तो होते हैं, लेकिन ज्ञान की कमी के कारण असहाय और अनभिज्ञ रह जाते हैं और ऐसे किसी व्यक्ति की ओर देखते हैं जो मधुमेह के रोजाना के जटिल निर्णय लेने में उनकी सहायता कर सके। यहां, मधुमेह के रोगियों के व्यवहार को बदलने और दैनिक आधार पर मधुमेह के प्रबंधन की आवश्यक क्षमता विकसित कर उन्हें सशक्त बनाने में मधुमेह शिक्षक की प्रमुख भूमिका होती है। मधुमेह शिक्षक न केवल रोगी को बेहतर मधुमेह नियंत्रण के लिए मार्ग दर्शन करता है बल्कि भावनात्मक सहयोग भी प्रदान करता है क्योंकि मधुमेह के रोगी अकसर अवसाद और मनोवैज्ञानिक समस्याओं से ग्रस्त रहते हैं जो चिकित्सक की व्यस्तता के कारण अनसुलझी ही रह जाती हैं।
            मधुमेह के रोगियों की मनोवैज्ञानिक काउंसिलिंग एक महत्वपूर्ण पक्ष है क्योंकि इससे बेहतर अनुपालन
होता है और रोगी के स्वास्थ्य में सुधार होता है। मधुमेह के रोगियों में अवसाद की स्क्रीनिंग, समय से अवसाद
के उपचार में सहायक होती है जो मधुमेह के प्रबंधन को बहुत ज्यादा प्रभावित कर सकती है। जिस रोगी को मधुमेह का पूरा ज्ञान होता है, मधुमेह के कारण उत्पन्न होने वाली घातक स्थितियों को संभालने में बेहतर सक्षम होता है। उदाहरण के लिए, इंसुलिन द्वारा उपचार किए जाने वाले रोगियों में अकसर हाइपोग्लीसीमिया या रक्त शर्करा में कमी देखी जाती है। अगर रोगी को पता होगा कि हाइपोग्लीसीमिया के लक्षण क्या होते हैं, उसका उपचार कैसे किया जाता है और यह वास्तव में कब होती है, तब वह इस समस्या से अपने जीवन को बचाने में सक्षम होगा, जिसका कि अगर उपचार न हो तो यह जीवन के लिए संभावित रूप से घातक हो सकता है। इसके
अतिरिक्त, मधुमेह की तीव्र समस्याओं का समय से पता लगने और उपचार होने से अस्पताल में भरती होने से बचा जा सकता है, फलतः स्वास्थ्य सेवाओं में काफी बचत हो सकती है।

मधुमेह शिक्षा के लाभ
1. बेहतर जीवन।
2. रोगी की मधुमेह के गंभीर तनाव को सहने की
क्षमता को बढ़ाती है।
3. रोगी को रोग की गहनता का पता चलता ह 
4. बेहतर ग्लूकोज नियंत्रण के कारण बेहतर ।1
ब्
स्तर (रक्त में ग्लूकोज की औसत मात्रा का
सूचक)।
5. स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च में महत्वपूर्ण बचत
से चिकित्सा खर्च में कमी।
6. मधुमेह के कारण होने वाली दीर्घ अवधि बीमारियों को रोक या कम कर सकती है।
                मधुमेह शिक्षा के सत्रों के दौरान, मधुमेह पर परस्पर बातचीत के कई लाभ होते हैं। रोगी अपने अनुभवों को परस्पर बांट कर बहुत कुछ सीखते हैं और एक दूसरे को भावनात्मक सहयोग प्रदान करते हैं। इससे मधुमेह प्रबंधन में सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहन मिलता है, समस्याओं को हल करने में सहायता मिलती है और अनेक रोगी अग्रसक्रिय ढंग से मधुमेह के नियंत्रण के लिए प्रेरित होते हैं जब वे उन मधुमेह के रोगियों की सफलता की कहानियां सुनते हैं जो पूरी जानकारी रखते हैं और निपुण होते हैं।
              मधुमेह प्रबंधन चिकित्सक को दिखाने तक ही सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि रोगी को स्वयं की
देख.रेख करके मधुमेह के प्रबंधन में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। मधुमेह के प्रत्येक रोगी को अपने स्वास्थ्य की देखभाल का दायित्व लेना चाहिए। यह केवल तब ही संभव है जब रोगी मधुमेह प्रबंधन की योजना में शामिल हो और मधुमेह शिक्षक रोगी को स्वयं की देख.रेख के बारे में शिक्षित करने का काम करे, जैसे किः
           इंसुलिन को शरीर में सही ढंग से अंतर्वेशित करना सीखना - इंसुलिन लेना जल्दी प्रारंभ करने
से मधुमेह नियंत्रण बेहतर होता है। 
               मधुमेह के रोगी अकसर इंसुलिन लेना प्रारंभ करने से डरते हैं। वे अपने आपको मधुमेह प्रबंधन में सक्षम न होने के लिए दंडित अनुभव करते हैं और जब उन्हें इंसुलिन उपचार आरंभ करने को कहा जाता है तो उनमें विफलता की भावना आ सकती है। आत्मविश्वास की कमी भी अनेक रोगियों को इंसुलिन लेने से रोकती है
क्योंकि इंसुलिन का इंजेक्शन लेने के लिए सही मार्ग दर्शन और अभ्यास की जरूरत होती है। मधुमेह की शिक्षा रोगियों को सही ढंग से इंसुलिन इंजेक्ट करना सिखाने में सहायक होती है और इंसुलिन इंजेक्शन को लेकर उनके किसी भी भय को दूर करती है।
                       ग्लूकोमीटर का प्रयोग कर घर पर ही रक्त ग्लूकोज को मॉनीटर करना- घर पर ही रक्त ग्लूकोज
को मॉनीटर करना न केवल मधुमेह की घातक समस्याओं के कारण होने वाली आपदाओं जैसे कि रक्त शर्करा का कम होना और कीटोएसीडोसिस को रोकने में सहायक होता है, बल्कि रक्त शर्करा के वांछित स्तर को प्राप्त करने में भी रोगी की सहायता करता है।
              भविष्य के संदर्भ के लिए लॉगबुक में रक्त शर्करा की रीडिंग रिकॉर्ड करना - दिन में अलग अलग
समय पर रक्त शर्करा की रीडिंग लेने से स्पष्ट हो जाता है कि कोई व्यक्ति कितनी अच्छी तरह अपनी मधुमेह को प्रबंधित कर रहा है। लॉगबुक में रिकॉर्ड की गई रीडिंग रोगी के साथ साथ हेल्थकेयर टीम (डॉक्टर, नर्स, डायटिशियन और मधुमेह शिक्षक) को भी मधुमेह के उपचार की योजना में आवश्यक परिवर्तन करने में सक्षम बनाती हैं।
                  इंसुलिन की मात्रा के समायोजन के लिए रक्त शर्करा की रीडिंग की विवेचना करना सीखना - जब
तक रोगी को रक्त शर्करा की रीडिंग की विवेचना करना सिखाया नहीं जाता, रोगी शर्करा की रीडिंग को रिकार्ड करने और जांच करने के लिए प्रेरित नहीं होगा। एक बार जब रोगी रक्त शर्करा की रीडिंग के अनुसार इंसुलिन की मात्रा को समायोजित करना सीख जाता है, वह इंसुलिन की गलत मात्रा के कारण रक्त शर्करा के स्तर में होने वाले उतार चढ़ाव को रोकने में सक्षम होगा।
           रक्त शर्करा के प्रबंधन के लिए आहार और गतिविधियों में संतुलन बनाना - रक्त शर्करा को   घर पर मॉनीटर करना वास्तव में आहार और
गतिविधियों का रक्त शर्करा के स्तर पर प्रभाव
देखने में रोगी की सहायता करता है। रोगी प्रतिदिन
के आधार पर घटने.बढ़ने वाली गतिविधियों के
अनुसार आहार अंतर्ग्रहण को घटा बढ़ा सकता है।
अधिक गतिविधियों वाले दिनों में, आहार अंतर्ग्रहण
को बढ़ाया जा सकता है या रक्त में शर्करा की
मात्रा को कम होने से रोकने के लिए इंसुलिन की
मात्रा को कम किया जा सकता है। रक्त शर्करा
की मॉनीटरिंग से खाने की मात्रा के नियंत्रण में भी
सहायता मिलती है जिससे रोगी को अपने आहार में
कई प्रकार के खाने का आनंद उठाने की स्वतंत्रता
मिलती है जिनका स्वाद वह कभी कभी लेता है।
अस्पताल में भर्ती होने से बचने के लिए
मधुमेह की घातक समस्याओं का उपचार -
हाइपोग्लीसीमिया और कीटोएसीडोसिस जैसी मध्
ाुमेह मेलिटस की घातक समस्याओं को अगर
अनदेखा कर अनुपचारित छोड़ दिया जाए तो
जीवन के लिए खतरा हो सकता है और अस्पताल
में भर्ती होने की जरूरत होती है। रोगी शिक्षा के
जरिए, लक्षणों को समझना और समय पर अवस्था
का उपचार करना सीख सकता है और अस्पताल
जाने से बच सकता है।
लक्षित रक्त शर्करा स्तर प्राप्त करके मधुमेह की
दीर्घ अवधि समस्याओं को रोकना - अनुकूलतम
रक्त शर्करा स्तरों से, कोई भी मधुमेह की दीर्घ
अवधि समस्याओं (कार्डिओवैस्कुलर रोग, रेटिनोपैथी,    न्यूरोपैथी और नैफ्रोपैथी) को विलंबित कर सकता
है या रोक सकता है, विशेष रूप से जब मधुमेह के
रोगी को निदान के तुरंत बाद मधुमेह स्वप्रबंधन की
शिक्षा दी जाए। जिन्हें लंबे समय से मधुमेह होती है
और बहुत सी समस्याएं विकसित हो गयी हों, उन्हें
भी लक्षित रक्त शर्करा स्तर प्राप्त करने से लाभ
होता है क्योंकि यह रोग की समस्याओं को आगे
बढ़ने से रोकता है।
अस्वस्थ दिनों में प्रबंधन - मधुमेह के रोगियों
को जुकाम, फ्लु या डायरिया जैसी बीमारियों के
दौरान मधुमेह की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। रक्त
शर्करा की मॉनीटरिंग बीमारी के दौरान भी बहुत
महत्वपूर्ण है क्योंकि तेज बुखार के दौरान रक्त
शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। लंबे समय तक
डायरिया से रक्त शर्करा का स्तर कम हो सकता
है, इसलिए अनुपचारित डायरिया के कारण कम
होने वाले रक्त शर्करा के स्तर और निर्जलीकरण
को रोकने के लिए सही आहारीय प्रबंधन और
रक्त शर्करा की मॉनीटरिंग की जरूरत होती है।
इसलिए, मधुमेह के रोगियों को अस्वस्थ दिवस
प्रबंधन के नियमों का भी ज्ञान होना जरूरी है
क्योंकि बीमारी के दौरान अनदेखी से मधुमेह की
घातक समस्याएं हो सकती हैं।
विश्व भर में सबसे अधिक डायबिटज पीड़ित
भारत में हैं लेकिन मधुमेह की शिक्षा में हम सबसे
पीछे हैं। हमारे देश में मधुमेह पीड़ितों की बढ़ती
संख्या के साथ, मधुमेह शिक्षा कार्यक्रम आरंभ करना   समय की सबसे बड़ी जरूरत है। चूंकि मधुमेह
मेलिटस लाइलाज है, रोगी को उपचार प्लान में
सक्रिय रूप से शामिल करके, इसे सफलतापूर्वक
प्रबंधन करना होगा। यह केवल तब ही संभव है जब
रोगी को मधुमेह के बारे में पूरा ज्ञान हो और उसे
स्वयं देख.रेख व्यवहार के जरिए अपनी मधुमेह का
ध्यान रखने के लिए प्रेरित किया जाए।
इस प्रकार, मधुमेह प्रबंधन का रोगी.केंद्रित
अभिगम, जीवित रहने की आवश्यक क्षमताओं के
साथ रोगी को सशक्त बनाता है और मधुमेह के
प्रबधन के बारे में निर्णय लेने में सक्षम बनाता
है क्योंकि वह दैनिक आधार पर निर्णय लेने की
प्रक्रिया में अपनी समझ का प्रयोग करना सीख लेता
है। चूंकि प्रत्येक रोगी की जरूरतें अलग होती हैं,
मधुमेह केयर टीम के साथ रोगी की सहायता से
एक अत्यंत वैयक्तिक मधुमेह प्रबंधन प्लान बनाने
की जरूरत होती है। इससे न केवल वह बेहतर ढंग
से मधुमेह को नियंत्रित करने में सक्षम होंगे बल्कि
खराब मधुमेह नियंत्रण के कारण होने वाली दीर्घ
अवधि समस्याओं को रोकने में भी इससे सहायता
मिलेगी। भारत में मधुमेह शिक्षा कार्यक्रमों का
कार्यान्वयन, मधुमेह को प्रबंधित करने में प्रभावी रूप
से सहायक होगा जिससे स्वास्थ्य की देखभाल पर
होने वाला खर्च काफी कम होगा और उत्पादकता
बढ़ने से आर्थिक वृद्धि बेहतर होगी।
(अनुवादः डॉ. विनीता सिंघल) द


  

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