Dear Indira, This Hindu article is not accessible on the website. May have been taken off. If you have a copy of the text-can you send it to me. I need to quote this. or if anyone else has taken a copy of the same. Sundar > On 21-Mar-2017, at 6:52 PM, 'Indira Chakravarthi' via JSA.Discuss <jsadiscuss@googlegroups.com> wrote: > > > http://www.thehindu.com/todays-paper/tp-national/circular-worries-medical-institutes/article17547888.eceGovernment hospitals, last hope for the poor, may have to hike user charges > > > > The Union Finance Ministry’s circular to all centrally-funded autonomous institutions asking them to generate 30% of the additional financial impact incurred on implementing the 7th Pay Commission has left healthcare institutions wondering how they would do it without burdening patients. > > Most institutions have now written to the Union Finance Ministry’s Department of Expenditure explaining the difficulty. > > The circular, issued on January 13, will impact nearly 600 autonomous bodies in the country, including major hospitals such as the All India Institute of Medical Sciences (AIIMS), Jawaharlal Institute of Postgraduate Medical Education and Research (JIPMER) and the National Institute of Mental Health and Neuroscience (NIMHANS), apart from around 200 commodity bodies, an equal number of research organisations and educational institutions, including the Kendriya Vidyalayas and Navodaya Vidyalayas. The worst affected are hospitals for whom it may be inevitable to hike patient user charges if they have to generate the funds. > > In NIMHANS, the country’s premier mental health organisation, which has close to 800 employees including 200 faculty members, nearly Rs. 165 crore of the total Rs. 370 crore annual government grant is spent on salaries and other employee benefits. Although there are no figures available on the additional financial impact of the 7th Pay Commission’s recommendations, sources said it would be a difficult task to generate 30% of the additional requirement. NIMHANS collects over Rs. 20 crore every year as user charges of Rs. 20 per patient. > > Waiting for direction > > Hoping that the Union Ministry will allow implementation of the 7th Pay Commission recommendations from next month, the institute has saved a portion of its annual grants for the purpose. “We can use the amount if we get any directions in the next few days. If not, we will have to explain why we have not spent the total annual grants,” the sources said. > > “It will be impossible to generate any additional funds without passing it [the financial burden] on to patients. When nearly 80% of those with mental disorders are not receiving any treatment due to associated stigma, mental healthcare should be made affordable at least for those who seek treatment,” a senior doctor from NIMHANS said. > > NIMHANS Director B.N. Gangadhar said it was a new challenge for the institute. “Keeping in mind patient welfare, we will discuss and come out with innovative ideas to generate funds. Although it is difficult, it is not impossible,” he said. > > The situation is the same in hospitals across the country. Although institute heads are not expressing their apprehensions openly, the issue has become a matter of concern for all. > > Sources in JIPMER, Puducherry, and AIIMS, New Delhi, said that the institutions will be left with no option other than to collect more charges from patients. Making optimum use of high-end diagnostic equipment such as MRI (Magnetic Resonance Imaging) and CT (computed tomography) scan machines is another option for generating additional funds, sources said. > > However, JIPMER Faculty Association President Gopalakrishnan M.S. said the move asking hospitals to generate funds is a double-edged sword. “While it will definitely hurt poor patients, it will also create accountability for optimal use of equipment in institutions,” he said. > > He also expressed concern that doctors might now hesitate to do the full set of investigations. “Earlier, a doctor would advise an MRI or a CT scan or any other investigations for a patient without a second thought as it could be done at subsidised rates at the hospital based on which we could take an informed decision. However, if the charges are hiked, it will mean out of pocket expenses for the patients and we will have to think twice before prescribing any tests,” he said. > > A senior neurologist from AIIMS termed the move as a precursor to privatisation of major government hospitals. “So far, there was only academic competition. Now, it will be financial competition ruining the academic milieu of the institute,” the neurologist said. > > AIIMS Faculty Association President Chandrashekar Bal said, “Government-run healthcare institutions could not be asked to generate additional funds as they cater to the poorest of the poor patients. AIIMS is already generating 6% of its total budget. This institute is the last hope for the poor, who can get the best treatment almost free.” > > -- > Jan Swasthya Abhiyan (JSA) is the Indian Chapter of the People's Health Movement. JSA brings together organisations and individuals in India working to promote health equity across all population groups. Also visit our website: www.phmindia.org > --- > You received this message because you are subscribed to the Google Groups "JSA.Discuss" group. > To unsubscribe from this group and stop receiving emails from it, send an email to jsadiscuss+unsubscribe@googlegroups.com. > To post to this group, send an email to jsadiscuss@googlegroups.com. > To view this discussion on the web, visit https://groups.google.com/d/msgid/jsadiscuss/1026800309.789741.1490102555492%40mail.yahoo.com. > For more options, visit https://groups.google.com/d/optout. |
Saturday, 25 March 2017
Dr Sundararaman
जन स्वास्थय अभियान
जन स्वास्थय अभियान
वर्ष 2000 में पूरी दुनिया में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहली वैश्विक जन स्वास्थ्य असेंबली (फर्स्ट ग्लोबल पीपल्स हेल्थ असेंबली) की तैयारियां चल रही थीं जिनका समापन दिसम्बर 2000 में ढाका बांग्लादेश में हुआ |
वहीं पर वैश्विक जन स्वास्थ्य अभियान ;पी एच एम ग्लोबल का गठन हुआ . उसी निरंतरता में भारत में भी उन सभी 18 नेटवर्क ;जो कि पहली वैश्विक जन स्वास्थ्य असेंबली की तैयारियों में शामिल थे, ने मिलकर जन स्वास्थ्य अभियान ;पीपल्स हेल्थ मूवमेंट इंडिया (जेएसए) का गठन किया .
जेएसए वैश्विक जन स्वास्थ्य अभियान ;पी एच एम ग्लोबल का भारतीय क्षेत्रीय सर्कल है |
इस समय केवल जन स्वास्थ्य अभियान ही एक ऐसा राष्ट्रीय मंच है जो की पूरे देश में स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य अधिकारों पर गतिविधियां व कार्यवाहियां आयोजित करता है . वर्तमान में जेएसए में करीब 21 राष्ट्रीय नेटवर्क- संगठन व राज्य स्तरीय मंच ;जो देश के लगभग सभी राज्यों में मौजूद हैं शामिल हैं जेएसए के नेटवर्क में मुख्य तौर पर स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले एनजीओ, महिला संगठन, ट्रेड यूनियनए जन विज्ञान के संगठन व अनेक सेवा प्रदाता नेटवर्क शामिल हैं.
परिप्रेक्ष्य और उद्देश्य
जन स्वास्थ्य अभियान का मानना है कि चिकित्सा के क्षेत्र में लगातार हो रही तरक्की व बढ़ रही औसत जीवन प्रत्याशा के बावजूद भारत व दुनिया के लोगों के बीच स्वास्थ्य की स्थिति में भी असमानता लगातार बढ़ रही है . स्वास्थ्य सेवाओं पर होने वाले खर्च की वजह से गरीबी बढ़ने के साथ.साथ एच आई वी ( एड्स )जैसी महामारियों सहित संचारित रोगों (Communicable diseases ) का पुनरुत्थान और कमजोर हो रही सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की वजह से पहले से प्राप्त स्वास्थ्य सेवाओं में भी कमी होती जा रही है . एक तबके (पैसे वालेद्) के लिए जहाँ अत्याधुनिक ईलाज व हर तरह की सुविधाएँ सरलता से उपलब्ध हैं वहीं गरीब के लिए स्वाथ्य सुविधाओं तक पहुँच मुश्किल होती जा रही है. दवाइयों की कीमतें लगातार बढ़ रहीं हैं . सरकारी ढांचों में चिकित्सकों व अन्य सहायक स्टाफ की भारी कमी है . ऐसे में एक देशव्यापी स्वास्थ्य आन्दोलन की जरूरत है . जन स्वास्थ्य अभियान उसी दिशा में काम करता है .
जन स्वास्थ्य अभियान के मुख्य उद्देश्य -
1. जेएसए का उद्देश्य भारतीय लोगों के स्वास्थ्य, विशेष रूप से गरीबों के स्वास्थ्य पर अन्यायपूर्ण वैश्वीकरण की नीतियों के पड़ने वाले प्रतिकूल असर की तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित करना है .
2. जेएसए का नारा है "सबके लिए स्वास्थ्य अभी" इस अभियान का उद्देश्य स्वास्थ्य और स्वास्थ्य देखभाल के अधिकार को बुनियादी मानव अधिकार के रूप में स्थापित करना है.
3. जेएसए स्वास्थ्य सेवाओं के व्यवसायीकरण का सामना करने के लिए स्वास्थ्य देखभाल के लिए न्यूनतम मानक और तर्कसंगत उपचार के लिए दिशा निर्देश स्थापित करने की जरूरत को रेखांकित करता है .
4. जेएसए महशूस करता है कि स्वास्थ्य सेवाओं का तत्काल विकेंद्रीकरण होना चाहिए . इसके साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एकीकृत, व्यापक व सहभागिता पर आधारित ढांचों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए जिनमें " लोगों का स्वास्थ्य लोगों के हाथों में हो "
5. जेएसएए लोगों के स्वास्थ्य के अधिकारों को बढ़ावा देने में रूचि रखने वाले सभी नेटवर्क व संगठनों का जेएसए में शामिल होने का आह्वान करता है . जेएसए यह भी आह्वान करता है कि लोग संगठित हो व विभिन्न प्रकार की पहलकदमियां करें जिससे कि गरीब व सेवाओं की पहुँच से दूर हाशिये पर पड़े लोगों की बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच बने . स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के दूरगामी व टिकाऊ हल निकलें .
जन स्वास्थ्य अभियान की गतिविधियों के विषयगत क्षेत्र--
जेएसए की तत्काल चिंता और सतत गतिविधियों के महत्वपूर्ण क्षेत्र--
1. सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र को सुदृढ़ बनाना
ऽ स्वास्थ्य और स्वास्थ्य देखभाल के अधिकार के लिए नीति के स्तर के हस्तक्षेप करना
ऽ प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल व ऐसी स्वास्थ्य व्यवस्था जिस तक गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों की पहुँच बने
ऽ समुदाय आधारित वर्कर कार्यक्रम और स्वास्थ्य सेवाओं की समुदाय आधारित निगरानी
ऽ स्वास्थ्य देखभाल के लिए मानव संसाधनों का विकास
ऽ मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे
ऽ एच आई वी और एड्स
2. महिलाओं के स्वास्थ्य अधिकार और लिंग (Gender) समानता
ऽ हिंसा और महिला स्वास्थ्य
ऽ लिंग ;ळमदकमतद्ध आधारित सेक्स चयन प्रोद्योगिकी, ARTs सहित प्रजनन व चिकित्सा प्रोद्योगिकी
ऽ प्रजनन व यौन स्वास्थ्य संबंधी अधिकार
ऽ मातृत्व स्वास्थ्य
ऽ दो बच्चों का अधिकार और जनसंख्या की नीतियां
3. दवाइयों तक पहुँच और उनका तर्कसंगत उपयोग
ऽ तर्कसंगत दवाईयां और डायग्नोस्टिक सुविधाएं
ऽ सार्वजानिक स्वास्थ्य सुविधाओं के माध्यम से मुफ्त दवाओं का प्रावधान
ऽ विश्व व्यापार संगठनए बौद्धिक संपदा अधिकार और फार्मास्यूटिकल्स नीति
ऽ औषध अनुसंधान के रुझान
4. निजीकरण और पब्लिक.प्राइवेट साझेदारियां (पार्टनरशिप)
ऽ स्वास्थ्य सेवाओं का निजीकरण व स्वास्थ्य देखभाल का व्यवसायीकरण
ऽ स्वास्थ्य सेवाओं के व्यवसायीकरण को बढ़ावा देकर वैश्विक स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करने के लिए बनाई गई सरकार द्वारा पोषित स्वास्थ्य बीमा योजनाएं
5. स्वास्थ्य क्षेत्र का विनियमन
ऽ चिकित्सकीय प्रतिष्ठान अधिनियम ( Clinical Establishment Acts)
ऽ मेडिकल प्रोफेशनल रिफॉर्म और मेडिकल प्रैक्टिस का विनियमन
6. स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारक
ऽ बाल स्वास्थ्य और कुपोषण
ऽ खाद्य सुरक्षा और भुखमरी से होने वाली मौतों की छानबीन
ऽ संघर्ष की स्थितियों में स्वास्थ्य देखभाल
ऽ स्वदेशी चिकित्सा और लोक चिकित्सा परम्पराएं
ऽ पीने का पानीए स्वच्छताए वातावरण एवं स्वास्थ्य
ऽ विस्थापितए आदिवासी एवं अन्य हाशिए पर धकेले गए लोगों के लिए स्वास्थ्य
ऽ बेहतर स्वास्थ्य के लिए तम्बाकू नियंत्रण व मद्य निषेध
वर्ष 2000 में पूरी दुनिया में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहली वैश्विक जन स्वास्थ्य असेंबली (फर्स्ट ग्लोबल पीपल्स हेल्थ असेंबली) की तैयारियां चल रही थीं जिनका समापन दिसम्बर 2000 में ढाका बांग्लादेश में हुआ |
वहीं पर वैश्विक जन स्वास्थ्य अभियान ;पी एच एम ग्लोबल का गठन हुआ . उसी निरंतरता में भारत में भी उन सभी 18 नेटवर्क ;जो कि पहली वैश्विक जन स्वास्थ्य असेंबली की तैयारियों में शामिल थे, ने मिलकर जन स्वास्थ्य अभियान ;पीपल्स हेल्थ मूवमेंट इंडिया (जेएसए) का गठन किया .
जेएसए वैश्विक जन स्वास्थ्य अभियान ;पी एच एम ग्लोबल का भारतीय क्षेत्रीय सर्कल है |
इस समय केवल जन स्वास्थ्य अभियान ही एक ऐसा राष्ट्रीय मंच है जो की पूरे देश में स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य अधिकारों पर गतिविधियां व कार्यवाहियां आयोजित करता है . वर्तमान में जेएसए में करीब 21 राष्ट्रीय नेटवर्क- संगठन व राज्य स्तरीय मंच ;जो देश के लगभग सभी राज्यों में मौजूद हैं शामिल हैं जेएसए के नेटवर्क में मुख्य तौर पर स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले एनजीओ, महिला संगठन, ट्रेड यूनियनए जन विज्ञान के संगठन व अनेक सेवा प्रदाता नेटवर्क शामिल हैं.
परिप्रेक्ष्य और उद्देश्य
जन स्वास्थ्य अभियान का मानना है कि चिकित्सा के क्षेत्र में लगातार हो रही तरक्की व बढ़ रही औसत जीवन प्रत्याशा के बावजूद भारत व दुनिया के लोगों के बीच स्वास्थ्य की स्थिति में भी असमानता लगातार बढ़ रही है . स्वास्थ्य सेवाओं पर होने वाले खर्च की वजह से गरीबी बढ़ने के साथ.साथ एच आई वी ( एड्स )जैसी महामारियों सहित संचारित रोगों (Communicable diseases ) का पुनरुत्थान और कमजोर हो रही सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की वजह से पहले से प्राप्त स्वास्थ्य सेवाओं में भी कमी होती जा रही है . एक तबके (पैसे वालेद्) के लिए जहाँ अत्याधुनिक ईलाज व हर तरह की सुविधाएँ सरलता से उपलब्ध हैं वहीं गरीब के लिए स्वाथ्य सुविधाओं तक पहुँच मुश्किल होती जा रही है. दवाइयों की कीमतें लगातार बढ़ रहीं हैं . सरकारी ढांचों में चिकित्सकों व अन्य सहायक स्टाफ की भारी कमी है . ऐसे में एक देशव्यापी स्वास्थ्य आन्दोलन की जरूरत है . जन स्वास्थ्य अभियान उसी दिशा में काम करता है .
जन स्वास्थ्य अभियान के मुख्य उद्देश्य -
1. जेएसए का उद्देश्य भारतीय लोगों के स्वास्थ्य, विशेष रूप से गरीबों के स्वास्थ्य पर अन्यायपूर्ण वैश्वीकरण की नीतियों के पड़ने वाले प्रतिकूल असर की तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित करना है .
2. जेएसए का नारा है "सबके लिए स्वास्थ्य अभी" इस अभियान का उद्देश्य स्वास्थ्य और स्वास्थ्य देखभाल के अधिकार को बुनियादी मानव अधिकार के रूप में स्थापित करना है.
3. जेएसए स्वास्थ्य सेवाओं के व्यवसायीकरण का सामना करने के लिए स्वास्थ्य देखभाल के लिए न्यूनतम मानक और तर्कसंगत उपचार के लिए दिशा निर्देश स्थापित करने की जरूरत को रेखांकित करता है .
4. जेएसए महशूस करता है कि स्वास्थ्य सेवाओं का तत्काल विकेंद्रीकरण होना चाहिए . इसके साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एकीकृत, व्यापक व सहभागिता पर आधारित ढांचों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए जिनमें " लोगों का स्वास्थ्य लोगों के हाथों में हो "
5. जेएसएए लोगों के स्वास्थ्य के अधिकारों को बढ़ावा देने में रूचि रखने वाले सभी नेटवर्क व संगठनों का जेएसए में शामिल होने का आह्वान करता है . जेएसए यह भी आह्वान करता है कि लोग संगठित हो व विभिन्न प्रकार की पहलकदमियां करें जिससे कि गरीब व सेवाओं की पहुँच से दूर हाशिये पर पड़े लोगों की बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच बने . स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के दूरगामी व टिकाऊ हल निकलें .
जन स्वास्थ्य अभियान की गतिविधियों के विषयगत क्षेत्र--
जेएसए की तत्काल चिंता और सतत गतिविधियों के महत्वपूर्ण क्षेत्र--
1. सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र को सुदृढ़ बनाना
ऽ स्वास्थ्य और स्वास्थ्य देखभाल के अधिकार के लिए नीति के स्तर के हस्तक्षेप करना
ऽ प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल व ऐसी स्वास्थ्य व्यवस्था जिस तक गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों की पहुँच बने
ऽ समुदाय आधारित वर्कर कार्यक्रम और स्वास्थ्य सेवाओं की समुदाय आधारित निगरानी
ऽ स्वास्थ्य देखभाल के लिए मानव संसाधनों का विकास
ऽ मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे
ऽ एच आई वी और एड्स
2. महिलाओं के स्वास्थ्य अधिकार और लिंग (Gender) समानता
ऽ हिंसा और महिला स्वास्थ्य
ऽ लिंग ;ळमदकमतद्ध आधारित सेक्स चयन प्रोद्योगिकी, ARTs सहित प्रजनन व चिकित्सा प्रोद्योगिकी
ऽ प्रजनन व यौन स्वास्थ्य संबंधी अधिकार
ऽ मातृत्व स्वास्थ्य
ऽ दो बच्चों का अधिकार और जनसंख्या की नीतियां
3. दवाइयों तक पहुँच और उनका तर्कसंगत उपयोग
ऽ तर्कसंगत दवाईयां और डायग्नोस्टिक सुविधाएं
ऽ सार्वजानिक स्वास्थ्य सुविधाओं के माध्यम से मुफ्त दवाओं का प्रावधान
ऽ विश्व व्यापार संगठनए बौद्धिक संपदा अधिकार और फार्मास्यूटिकल्स नीति
ऽ औषध अनुसंधान के रुझान
4. निजीकरण और पब्लिक.प्राइवेट साझेदारियां (पार्टनरशिप)
ऽ स्वास्थ्य सेवाओं का निजीकरण व स्वास्थ्य देखभाल का व्यवसायीकरण
ऽ स्वास्थ्य सेवाओं के व्यवसायीकरण को बढ़ावा देकर वैश्विक स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करने के लिए बनाई गई सरकार द्वारा पोषित स्वास्थ्य बीमा योजनाएं
5. स्वास्थ्य क्षेत्र का विनियमन
ऽ चिकित्सकीय प्रतिष्ठान अधिनियम ( Clinical Establishment Acts)
ऽ मेडिकल प्रोफेशनल रिफॉर्म और मेडिकल प्रैक्टिस का विनियमन
6. स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारक
ऽ बाल स्वास्थ्य और कुपोषण
ऽ खाद्य सुरक्षा और भुखमरी से होने वाली मौतों की छानबीन
ऽ संघर्ष की स्थितियों में स्वास्थ्य देखभाल
ऽ स्वदेशी चिकित्सा और लोक चिकित्सा परम्पराएं
ऽ पीने का पानीए स्वच्छताए वातावरण एवं स्वास्थ्य
ऽ विस्थापितए आदिवासी एवं अन्य हाशिए पर धकेले गए लोगों के लिए स्वास्थ्य
ऽ बेहतर स्वास्थ्य के लिए तम्बाकू नियंत्रण व मद्य निषेध
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