हरयाणा स्वास्थ्य सभा जींद --5अप्रैल 2020
स्वास्थ्य मेरा मौलिक अधिकार
-- आओ इसके लिए संघर्ष करें।
विश्व स्वास्थ्य दिवस 2020 पूरे विश्व भर में 7 अप्रैल मंगलवार को मनाया जायेगा।
हरयाणा में इस अवसर के उपलक्ष्य में 5 अप्रैल 2020 को जींद में एक हरयाणा स्वास्थ्य सभा का आयोजन किया जा रहा है जिसमें विभिन्न जन संगठनों के कार्य कर्ता , आशा वर्कर , आँगनवाड़ी वर्कर ,बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कर्मचारी , डाक्टर और जनता के जागरूक नागरिक बड़े स्तर पर इसमें भाग लेंगे और हरयाणा के सवास्थ्य सेवाओंके स्वास्थ्य ढांचे के सशक्तिकरण और जनता के स्वास्थ्य के मुद्दों पर चर्चा करके एक मांग पत्र तैयार किया जायेगा |
हमारे देश की वर्तमान सरकार के सारे
दावों के बावजूद हमारे देश के
स्वास्थ्य क्षेत्र की तस्वीर ज्यादा ठीक दिखाई नहीं देती है |
सालमें प्रति व्यक्ति सिर्फ 1,112 रुपये के साथ भारत सार्वजनिक स्वास्थ्य पर सबसे कम खर्च करने वाले देशों में है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय कीओर से जारी ताजा नेशनल हेल्थ प्रोफाइल रिपोर्ट ने भी इन हालातों के ठीक न होने की बात को ही एक तरह से सही ठहराया लगता है |
इस
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 11,082 लोगों पर सिर्फ
एक
एलौपैथिक डॉक्टर ही है। स्वास्थ्य पर किया जाने वाला खर्च भी भारत में
जीडीपी का महज एक फीसदी ही है जो स्वास्थय के क्षेत्र में खर्च किया जाता है|
यह स्वास्थय पर किया जाने वाला खर्च
पड़ोसी देशों ,मालदीव, भूटान, श्रीलंका और नेपाल के मुकाबले भी कम ही
है। देशमें सार्वजनिक स्वास्थ्य पर हर साल प्रति व्यक्ति रोजाना औसतन कहें तो
तीन रुपए खर्च किए जाते हैं।
हरियाणा की जनसंख्या (2011 ) 2. 54 करोड़
के लगभग है | ग्रामीण जनसंख्या 16,509 ,359 है
| 5 हजार
पर एक उप स्वास्थ्य
केंद्र , 30. 000 पर एक प्राथमिक
स्वास्थ्य केंद्र और एक लाख
पर एक सामुदायिक स्वास्थ्य
केंद्र ग्रामीण क्षेत्र का प्रारूप माना
गया है |
जो
अब स्वास्थ्य सुविधाओं का ढांचा है
: ( 2015 --2016 के आंकड़ों पर
आधारित )
जो स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा होना
चाहिए :
1 . उप
स्वास्थ्य केंद्र ------------ 2630 उप स्वास्थ्य
केंद्र
------------ 3301
2. प्राथमिक
स्वास्थ्य केंद्र--------486 प्राथमिक स्वास्थ्य
केंद्र-------- 550
3. सामुदायिक
स्वास्थ्य केंद्र -----119 सामुदायिक स्वास्थ्य
केंद्र -----
165
71 .1
% ( 6 -59 ) महीनों के
बीच के बच्चे खून
की कमी के शिकार हैं|
(15 -49 ) साल के बीच की
महिलाएं और लड़कियां खून
की कमी की शिकार हैं
|(15 -19 ) साल की किशोर लड़कियों
में 62 . 7 % में खून की कमी है
|इसी उम्र के 29 . 7 % लड़कों में खून की कमी पाई
गई | ( 15 -19 ) साल
की 36 . 6 % किशोरियां कुपोषण की शिकार हैं
| इसी उम्र के 30.6 % लड़कों में कुपोषण है |
यदि
2020 की
अनुमानित जनसंख्या (2.89 Crore)पर सोचा जाये
तो और भी ज्यादा
ढांचा चाहिए | सरकारी ढांचे में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर 1 सर्जन , 1 शिशु रोग विशेषज्ञ , 1 स्त्री रोग विशेषज्ञ और 1 फिजिसियन होना चाहिए | ये चारों स्पेस्लिस्ट
शायद ही किसी सामुदायिक
केंद्र में हों इस
प्रकार यदि प्राथमिक और सैकण्डरी स्तर
की स्वास्थ्य
सेवाओं के
ढांचे का यह हाल
है तो टर्सरी स्तर
के पी जीआई एम एस
रोहतक और दूसरे मैडीकल की
हालत समझी जा सकती है
|
जो स्वास्थ्य कर्मचारी पहले से काम कर रहे हैं , उनके शिक्षण व प्रशिक्षण की हालत भी बहुत अच्छी नहीं है। सभी स्वास्थ्य कर्मचारी सरकार की मौजूदा नीतियों से परेशान हैं। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं जैसे आशा वर्कर्स, आंगनवाड़ी वर्कर आदि की स्थिति भी बाकी कर्मचारियों जैसी ही है । पिछले कुछ वर्षों में इन तमाम तबकों ने अनेक हड़तालें व प्रदर्शन इन्हीं मांगों को लेकर किये हैं जरूरी हो जाता है कि स्वास्थ्य तंत्र को मजबूत करने के लिए और सार्वजनिक सेवाओं के तेजी से हो रही निजीकरण के खिलाफ लोग अपनी आवाज बुलंद करें । यह सब चुनौतियां जनस्वास्थ्य अभियान हरयाणा की भूमिका को अहम बना रही हैं |
कुछ
मुख्य मुद्दे:
1.सार्वजनिक
स्वास्थ्य तंत्र और स्टाफ का
सशक्तिकरण
2 . निजीकरण
और स्वास्थ्य सेवाएं
3 . जेंडर
और स्वास्थ्य
4 . दवाइयों
और जांच सेवाओं की उपलब्धता
5 . स्वास्थ्य
के सामाजिक कारक
5 अप्रैल2020
को
जींद
के
होने
वाली
स्वास्थ्य
अधिकार
रैली
में
बढ़चढ़कर
भाग
लें
जन
स्वास्थ्य अभियान हरयाणा |