Saturday, 11 April 2020

नर्स डाक्टर



कोरोना का हमला पूरे संसार हो रहा 
भारत में आठ हजार से पार हो रहा


      नर्स डाक्टर कर्मचारी या 
      कोरोना डरा ना पाई 
      अपनी ड्यूटी मैं मशगूल 
      ज्यान की बाजी लाई 










कोरोना



काम धंधे तो सब बंद हो गए भाई 
नथू तो भूख की नींद सो गए भाई 


इस व्यवस्था की तो कोरोना ने पोल खोली 
मेरे मेहमान हो मालिक नहीं प्रकृति बोली 


कोरोना तूँ कितना भी कहर ढाले 
इंसान/विज्ञान तेरा इलाज पाले 



Tuesday, 7 April 2020

WORLD HEALTH DAY

सेहत दिवस 7 अप्रैल
गायिका मुकेश हेमसा
सेहत दिवस सात अप्रैल का हम हर साल मनावैं ।।
ताजा खाणा पीणा ताजी हवा तैं सेहत बणावैं ।।
कुदरत साथ संघर्ष म्हारा बहोत पुराणा कहते 
यो तनाव जब घणा होवै कहैं बीमार घणे रहते 
बिना कुदरत नै समझैं माणस दुख हजारां सहते 
इसतै मेल मिलाप होज्या तै सुख के झरने बहते
जिब दोहण करैं कुढ़ाला तो उड़ै रोगै पैर जमावैं ।।
ताजा खाणा पीणा ताजी हवा तैं सेहत बणावैं ।।
सिन्धु घाटी की जनता नै सेहत के नियम बनाये
चौड़ी गाल ढकी नाली सब घर हवादार चिनाये
पीवण खातर बणा बावड़ी न्यारे जोहड़ खुदवाये 
जितनी समझ थी उनकी रल मिल पूरे जोर लगाये
जिब पैदावार के ढंग बदलैं बीमारी बी पल्टा खावैं ।।
ताजा खाणा पीणा ताजी हवा तैं सेहत बणावैं ।।
माणस मैं लालच बधग्या, कुदरत से खिलवाड़ किया
बिना सोचें समझें कुदरत का सन्तुलन बिगाड़ दिया
लालची नै बिना काम करें बिठा ऐश का जुगाड़ लिया
माणस माणस मैं भेद होग्या रिवाज न्यारा लिकाड़ लिया
समाज के अमीर गरीब मैं क्यों न्यारी बीमारी पावैं ।।
ताजा खाणा पीणा ताजी हवा तैं सेहत बणावैं ।।
साफ पाणी खाणा और हवा रोक सकैं अस्सी बीमारी
ना इनका सही बंटवारा सै मनै टोहली दुनिया सारी
जिस धोरै ये चीज थोड़ी सैं उड़ै होवै बीमारी भारी
होयां पाछै इलाज सै म्हंगा माणस की श्यामत आरी
रणबीर सिंह नै छन्द बनाया मिलकै सारे गावैं ।।
ताजा खाणा पीणा ताजी हवा तैं सेहत बणावैं ।।

Monday, 6 April 2020

isa corona aaya ईसा कोरोना आया

HARYANA NAYA

*नया नवजागरण*
*गायिका- मुकेश हेमसा*
*लेखक डॉ दहिया* 
*महिला नौजवान दलित मिलकै आज नया हरियाणा बणावैंगे* 
*अपना खोया आत्म सम्मान हांसिल कर कै दिखावैंगे।।*
1
*पूंजीवादी विकास की राही या देखियो खाई और बढावैगी*
*गरीब जावै और भी सताया अमीर की पीठ थप थपावैगी* 
*कुप्रचार समाजवाद बारे हम जनता के साहमी ल्यावैंगे।।*
*अपना खोया आत्म सम्मान हांसिल कर कै दिखावैंगे।।*
*2*
*इस राही नै देखो अमरीका आज कति पढ़ण बैठा दिया* 
*हटकै मंदी का दौर छाया दुनिया मैं तहलका मचा दिया* 
*किसान मजदूर सब कट्ठे होकै क्रांति का बिगुल बजावैंगे।।*
*अपना खोया आत्म सम्मान* *हांसिल कर दुनिया नै दिखावैंगे।।*
*3*
*देशी और अमरीकी कारपोरेट नै बणा यो गठजोड़ लिया*
*ए.सी जिंदगी जीवैं खुद ये गरीब तैं कति नाता तोड़ लिया*
*जात धर्म पै बांट कै दुनिया ये कितने दिन ऐश उड़ावैंगे।।*
*अपना खोया आत्म सम्मान हांसिल कर कै दिखावैंगे।।*
*4*
*राज बदलना आसान आड़े सिस्टम बदलना आसान नहीं*
*सिस्टम ना बदलै जिब तक हो कट्ठा मजदूर किसान नहीं*
*कहै रणबीर ये दोनूं मिलकै साझला नया साज बजावैंगे।।*
*अपना खोया आत्म सम्मान हांसिल कर कै दिखावैंगे।।*

साइनिंग और सफरिंग

साइनिंग और सफरिंग म्हारे दो भारत बणा राखे रै।।
कोरोना नै भी आज देखो ये सफरिंग भजा राखे रै।।
1
सफरिंग दीखै सडकां पै साइनिंग घरां मैं आराम करै
सफरिंग पै नहीं ठिकाना  कून इनका  इंतज़ाम करै
देश के लॉक डाउन नै दोनूआँ कै सांस चढ़ा राखे रै।।
कोरोना नै भी आज देखो ये सफरिंग भजा राखे रै।।
2
लॉक डाउन की पहले पूरी तैयारी नहीं हो पाई
सबको भोजन आवास सबको मुश्किल देवै दिखाई
सरकारी ऑडर भी कई  अफसरां नै भुला राखे रै।।
कोरोना नै भी आज देखो ये सफरिंग भजा राखे रै।।
3
ये स्वास्थ्य सुविधा कमजोर डॉक्टर नर्स तैनात दखे
दिन रात एक करण लागरे सलाम करां खुभात दखे
अस्पताल थोड़े पीपीई थोड़े फेर ये पूरे दिखा राखे रै।।
कोरोना नै भी आज देखो ये सफरिंग भजा राखे रै।।
4
महंगाई बेकारी असुरक्षा नै कड़ तोड़ कै धरदी रै
आज कोरोना नै म्हारी इसी बुरी हालत करदी रै
रणबीर  कोरोना नै देश वासी घरां बिठा राखे रै ।।
कोरोना नै भी आज देखो ये सफरिंग भजा राखे रै।।

रेल बनाई रै।

*रेल बनाई*
*गायिका-मुकेश हेमसा* 
*लेखक डॉ दहिया*
*कोरोना वायरस आगी इनें गरीब की रेल बनाई रै।।*
*न्यून पड़ै तो कुआं दीखै न्यून पड़ै तो खाई रै।।*
1
*कितै हवन करकै इसनै खत्म करना चाहरे* 
*गोमूत्र का सेवन करो इलाज पक्का ये बतारे*
*जनता का बेकूफ़ बनारे, बता पक्की दवाई रै।।*
*न्यून पड़ै तो कुआं दीखै न्यून पड़ै तो खाई रै।।*
2
*भ्रम और अफवाह ये रोजाना नई नई घूमैं सैं* 
*एमएलए और मंत्री देखो पैर बाबयाँ के चूमैँ सैं* 
*थाली बजा झूमैं सैं कहैं सुन कोरोना घबराई रै।।*
*न्यून पड़ै तो कुआं दीखै न्यून पड़ै तो खाई रै।।*
3
*साइंसदानों नै इबै ना कोये वैक्सीन बनाई सै*
*इलाज खातर ना कोये इसकी बणी दवाई सै*
*लोक डाउन लगाई सै ज्यान मरण मैं आई रै।।*
*न्यून पड़ै तो कुआं दीखै न्यून पड़ै तो खाई रै।।*
4
*अंधविश्वास अनपढ़ता नै समस्या और बढ़ाई*
*लोक डाउन के साथ जीती कई देशां नै लड़ाई*
*रणबीर करी कविताई भ्रम दूर करनी चाही रै।।*
*न्यून पड़ै तो कुआं दीखै न्यून पड़ै तो खाई रै।।

डब्ल्यू एच ओ नै महामारी के थे एलान कराये।।

इसा कोरोना फैल्या इसनै सबकै सांस चढ़ाए ।।
डब्ल्यू एच ओ नै महामारी के थे एलान कराये।। 
1
चाइना तैं यो आया वायरस दुनिया के मैं छाया
इटली अमरीका जर्मन मैं भारी कहर मचाया
देख  हाल संसार का  झट केंद्र नै कदम उठाये।।
डब्ल्यू एच ओ नै महामारी के थे एलान कराये।। 
2
सारी राज्य सरकारें  हरकत मैं आन लगी 
केरल की सरकारी पहल तै  जनता खूब जगी 
माच्या रोला भरम और डर के सारै बदल छाये।।
डब्ल्यू एच ओ नै महामारी के थे एलान कराये।। 
3
फ्लू जिसी बीमारी इसके घणे इलाज  बतावैं 
हवन करै कोये काढ़ा दें कितै गौमूत्र पिलावैं
बहोत घण्यां नै इसतैं बचण के रस्ते कई बताये।।
डब्ल्यू एच ओ नै महामारी के थे एलान कराये ।।
4
वैक्सीन और दवाई आज वैज्ञानिक टोहणा चाहरे
लोकडाउन तन की दूरी तैं रोक थाम बतलारे 
रणबीर कोरोना नै दुनिया तै सबक घने सिखाये।।
डब्ल्यू एच ओ नै महामारी के थे एलान कराये ।।

HARYANA NAYA

*नया नवजागरण*
*गायिका- मुकेश हेमसा*
*लेखक डॉ दहिया* 
*महिला नौजवान दलित मिलकै आज नया हरियाणा बणावैंगे* 
*अपना खोया आत्म सम्मान हांसिल कर कै दिखावैंगे।।*
1
*पूंजीवादी विकास की राही या देखियो खाई और बढावैगी*
*गरीब जावै और भी सताया अमीर की पीठ थप थपावैगी* 
*कुप्रचार समाजवाद बारे हम जनता के साहमी ल्यावैंगे।।*
*अपना खोया आत्म सम्मान हांसिल कर कै दिखावैंगे।।*
*2*
*इस राही नै देखो अमरीका आज कति पढ़ण बैठा दिया* 
*हटकै मंदी का दौर छाया दुनिया मैं तहलका मचा दिया* 
*किसान मजदूर सब कट्ठे होकै क्रांति का बिगुल बजावैंगे।।*
*अपना खोया आत्म सम्मान* *हांसिल कर दुनिया नै दिखावैंगे।।*
*3*
*देशी और अमरीकी कारपोरेट नै बणा यो गठजोड़ लिया*
*ए.सी जिंदगी जीवैं खुद ये गरीब तैं कति नाता तोड़ लिया*
*जात धर्म पै बांट कै दुनिया ये कितने दिन ऐश उड़ावैंगे।।*
*अपना खोया आत्म सम्मान हांसिल कर कै दिखावैंगे।।*
*4*
*राज बदलना आसान आड़े सिस्टम बदलना आसान नहीं*
*सिस्टम ना बदलै जिब तक हो कट्ठा मजदूर किसान नहीं*
*कहै रणबीर ये दोनूं मिलकै साझला नया साज बजावैंगे।।*
*अपना खोया आत्म सम्मान हांसिल कर कै दिखावैंगे।।*

के बूझैगी कमला घणा कसूता सपना आया।।