पर्यावरण सुरक्षा विश्व के लिए सबसे बड़ी चुनौती : राज्यपाल
रांची, राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू ने कहा कि पर्यावरण सुरक्षा विश्व के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गयी है। पर्यावरण प्रदूषण से सम्पूर्ण विश्व चिंतित है। पर्यावरण असंतुलन के कारण ही अनावृष्टि, अल्पवृष्टि एवं सुखाड़ से लोग प्रभावित हो रहे हैं। भूगर्भ जल नीचे जा रहा है। वृक्षों एवं पहाड़ों की अंधाधुंध कटाई से प्रकृति विनाश की ओर जा रही है। नदियों का पानी भी दूषित हो गया है। पर्यावरण संतुलन को ध्यान में रखकर कार्य करने की आवश्यकता है।
श्रीमती मुर्मू विकास भारती विशुनपुर द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आरोग्य भवन-एक बरियातू रोड में पेयजल स्वच्छता एवं वृक्षारोपण के सामाजिक पहल अभियान का उद्धाटन कर रही थी। उन्होंने कहा कि पर्यावरण सुरक्षा के साथ ही राज्य का विकास हो इसके लिए विकास के साथ-साथ पर्यावरण पेयजल एवं स्वच्छता का भी ख्याल रखना होगा। शुध्द पेयजल उपलब्ध होने से ही समाज स्वस्थ होगा। ग्लोवल वार्मिग से उत्पादकता प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों का अंधाधुंध विस्तारीकरण भी पर्यारण प्रदूषण का एक कारण है। शहरी क्षेत्रों का विस्तारीकरण सुनियोजित ढंग से होना चाहिए। पेड़-पौधों की कटाई नहीं हो।
विकास भारती की चर्चा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि झारखण्ड के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल एवं स्वच्छता, स्वरोजगार, उद्योग, महिला सशक्तीकरण, प्रशिक्षण सहित अन्य क्षेत्रों में विकास भारती कार्य कर रहा है। पेयजल एवं पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी विकास भारती कार्य कर रहा है।
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि राज्य के तीन करोड़ 24 लाख लोगों के समक्ष शुध्द पेयजल की समस्या है। दूषित पेयजल स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। पलामू प्रमण्डल एवं संतालपरगना प्रमण्डल के कुछ क्षेत्रों में पानी में आयरन की मात्रा अधिक पायी गयी है। उन्होंने बताया कि राज्य में चार लाख चापानल है। शहरी क्षेत्रों में 50 प्रतिशत एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 15 प्रतिशत पाइपलाइन से जलापूर्ति की जा रही है। उन्होंने कहा कि स्वच्छता के साथ-साथ पानी के संरक्षण के लिए लोगों में जागरूकता आवश्यक है। विकास भारती के सचिव अशोक भगत ने स्वागत भाषण में कहा कि विकास भारती 1982 से सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य कर रहा है। यह संस्था राज्य के 15 हजार से अधिक ग्रामों में पेयजल स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशिक्षण, उद्योग, महिला सशक्तीकरण, स्वरोजगार सहित अन्य क्षेत्रों में कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि विकास भारती समाज के लिए काम करता है। श्री भगत ने कहा कि बिरसा मुण्डा की पुण्यतिथि के अवसर पर नौ जून से 18 जुलाई तक गांव-गांव में पेयजल एवं स्वच्छता एवं पौधा रोपण कार्यक्रम चलाया जाएगा। विकास भारती के अध्यक्ष एवं पूर्व कुलपति डा. के.के. नाग ने अध्यक्षीय भाषण एवं धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में विधायक नवीन जायसवाल, गंगोत्री कुजूर, गुमला विधायक शिवशंकर उरांव आदि उपस्थित थे। राज्यपाल ने तुलसी के पौधों में पानी देकर कार्यक्रम का उद्धाटन किया। राज्यपाल ने जनजातीय बच्चों के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा केन्द्र का उद्धाटन किया एवं पौधा रोपण किया।
जिलों को पौधे दिये गये- पेयजल स्वच्छता एवं पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रम में राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू एवं सचिव अशोक भगत द्वारा राज्य के 24 जिलों को पेयजल एवं स्वच्छता कार्यक्रम चलाने के लिए जूट के एक-एक थैले में सामग्री एवं एक-एक आम का पौधा दिया गया। हरमू नदी बचाओ अभियान में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए ललन शर्मा एवं सोनी को राज्यपाल ने शाल देकर सम्मानित किया।
श्रीमती मुर्मू विकास भारती विशुनपुर द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आरोग्य भवन-एक बरियातू रोड में पेयजल स्वच्छता एवं वृक्षारोपण के सामाजिक पहल अभियान का उद्धाटन कर रही थी। उन्होंने कहा कि पर्यावरण सुरक्षा के साथ ही राज्य का विकास हो इसके लिए विकास के साथ-साथ पर्यावरण पेयजल एवं स्वच्छता का भी ख्याल रखना होगा। शुध्द पेयजल उपलब्ध होने से ही समाज स्वस्थ होगा। ग्लोवल वार्मिग से उत्पादकता प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों का अंधाधुंध विस्तारीकरण भी पर्यारण प्रदूषण का एक कारण है। शहरी क्षेत्रों का विस्तारीकरण सुनियोजित ढंग से होना चाहिए। पेड़-पौधों की कटाई नहीं हो।
विकास भारती की चर्चा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि झारखण्ड के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल एवं स्वच्छता, स्वरोजगार, उद्योग, महिला सशक्तीकरण, प्रशिक्षण सहित अन्य क्षेत्रों में विकास भारती कार्य कर रहा है। पेयजल एवं पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी विकास भारती कार्य कर रहा है।
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि राज्य के तीन करोड़ 24 लाख लोगों के समक्ष शुध्द पेयजल की समस्या है। दूषित पेयजल स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। पलामू प्रमण्डल एवं संतालपरगना प्रमण्डल के कुछ क्षेत्रों में पानी में आयरन की मात्रा अधिक पायी गयी है। उन्होंने बताया कि राज्य में चार लाख चापानल है। शहरी क्षेत्रों में 50 प्रतिशत एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 15 प्रतिशत पाइपलाइन से जलापूर्ति की जा रही है। उन्होंने कहा कि स्वच्छता के साथ-साथ पानी के संरक्षण के लिए लोगों में जागरूकता आवश्यक है। विकास भारती के सचिव अशोक भगत ने स्वागत भाषण में कहा कि विकास भारती 1982 से सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य कर रहा है। यह संस्था राज्य के 15 हजार से अधिक ग्रामों में पेयजल स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशिक्षण, उद्योग, महिला सशक्तीकरण, स्वरोजगार सहित अन्य क्षेत्रों में कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि विकास भारती समाज के लिए काम करता है। श्री भगत ने कहा कि बिरसा मुण्डा की पुण्यतिथि के अवसर पर नौ जून से 18 जुलाई तक गांव-गांव में पेयजल एवं स्वच्छता एवं पौधा रोपण कार्यक्रम चलाया जाएगा। विकास भारती के अध्यक्ष एवं पूर्व कुलपति डा. के.के. नाग ने अध्यक्षीय भाषण एवं धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में विधायक नवीन जायसवाल, गंगोत्री कुजूर, गुमला विधायक शिवशंकर उरांव आदि उपस्थित थे। राज्यपाल ने तुलसी के पौधों में पानी देकर कार्यक्रम का उद्धाटन किया। राज्यपाल ने जनजातीय बच्चों के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा केन्द्र का उद्धाटन किया एवं पौधा रोपण किया।
जिलों को पौधे दिये गये- पेयजल स्वच्छता एवं पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रम में राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू एवं सचिव अशोक भगत द्वारा राज्य के 24 जिलों को पेयजल एवं स्वच्छता कार्यक्रम चलाने के लिए जूट के एक-एक थैले में सामग्री एवं एक-एक आम का पौधा दिया गया। हरमू नदी बचाओ अभियान में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए ललन शर्मा एवं सोनी को राज्यपाल ने शाल देकर सम्मानित किया।