सरकार नै न्यारी-न्यारी जातियां के बीच ब्याह नै बढ़ावा देवण की खातर एक योजना चालू करी सै। इसका नाम सै अंतरजातीय विवाह पुरस्कार योजना। सवाल यू सै कि सरकार नै इसी योजना बणावण की ज़रूरत क्यों पड़ी? ब्याह तो असल मैं निजी मसला सै इसमैं सरकार की दखलन्दाजी का के काम?
बात या सै अक म्हारे देश मैं जात-पात की जड़ इतनी गहरी सै बस बूझो मतना। अर इस करकै म्हारे निजी सम्बंधां पै भी बुरा असर पड़ै सै। जड़ै जात के आधार पै किसे आदमी की सामाजिक हैसियत आंकी जान्ती हो उड़ै इन्सान की इन्सानियत कै तो झटका लागणा लाजमी सा सै। एक इन्सान की के जात सै। याहे ना अक ओ किस परिवार मैं पैदा हुया सै? फेर इस बात पर इन्सान का तो बस कोण्या चालता। ओ किस जात के परिवार मैं पैदा हुया, या ना तो बड़प्पन की बात होणी चाहिए अर ना या छोटेपन की बात होणी चाहिए। के कोए इस करकै छोटा कै बड्डा होज्या सै अक ओ किस खास परिवार मैं पैदा हुया सै। सोचण की बात या सै कि माणस की कीमत उसका मोल असल मैं किन बातां तै तय हो सै? कै होणा चाहिये।
सांच बात तो या सै अक किसे बी इन्सान का समाज मैं कद उसके कर्म, उसके व्यवहार, समाज की खातर उसनै के करया सै, ओ कितना भला सै, कितना मेहनती सै अर कितना ईमानदार सै, इन चीजां तै तय होणा चाहिए। कुदरत नै भी कुल मिलाकै सारे इन्सान एक जिसे बणाए सैं। इस तरियां जै ब्याह की बात करैं तो यो दो इन्सानां के बीच का आपसी बंधन सै अर यू बंधन उनकी आपसी समझ अर प्यार पै होणा चाहिए। इसके बीच मैं ऊंच नीच अर जाति की रूकावटां का ल्याणा इन्सानां का अपमान करणा सै, इन्सानियत का अपमान सै। इसे ब्याह शादियां ताहिं समाज मैं बढ़ावा मिलणा चाहिए। जो लड़का या लड़की इसे ब्याह करैं सैं उन ताहिं समाज मैं इज्जत जरूर मिलनी चाहिए। एक इज्जत की जिंदगी जीणा सारे इन्सानां का हक सै चाहे वे किसे भी जात मैं पैदा होरे सैं। दूसरी जाति की लड़की कै लड़के तै ब्याह करण पै म्हारी सरकार नै इनाम देवण की योजना बणा राखी सै। इस योजना का नाम सै अर्न्तजातीय विवाह पुरस्कार। यो इनाम 25 हजार रुपइये का नकद इनाम सै। जै ऊँची जाति का लड़का कै लड़की अनुसूचित जाति के लड़के कै लड़की तै कानूनी रूप तै ब्याह करैं सैं तो इसे ब्याह ताहिं बढ़ावा देवण की खातर सरकार ईनाम देवै सै। नीची जातियां भी जो एक दूसरे की साथ छुआछूत करैं सैं उनके बीच मैं बीजै ब्याह हो सै तो उन ताहिं बी इनाम दिया जावै सै। हिमाचल प्रदेस में ब्याह खातर अर्जी देणी हो सै। इस खातर अर्जी देवण आले नै अपणे विवाह का पंचायत सैक्टरी, कै सब रजिस्ट्रार के दफ्तर मैं ब्याह का पंजीकरण करवाणा ही सै।
इसकी और जानकारी किसे वकील तै बी ली जा सकै सै। सविता फत्ते नै बोली हरियाणा मैं नहीं सै के इसा कानून। फत्ते बोल्या हरियाणा मैं तो पंचायतां का तथाकथित कानून चालै सै जिसमैं अंतरजातीय ब्याह करण आले युवक युवती ताहिं फांसी के फंदे का ईनाम दिया जावै सै। सविता बोली ईबकै जै म्हारे गाम गुहांड मैं कोए इसा अंतरजातीय ब्याह करैगा तो हमनै उसकी मदद करनी चाहिए। सत्ते बोल्या ये बात तो ठीक सै फेर ये खापां आली पंचायत तो हमनै बी जात बाहर कर देंगी। जै ये म्हारे बरगे दो च्यारां नै बी फांसी का हुकम सुणा दे सैं कै मरवा दें सैं जिब्बै बात बणैगी। फेर हमनै ईब सिर पै कफन बांध लिया सै, हम पाछै कोण्या हटां।