द्रव, कोशिकाएं और जीवाणुओं के मिश्रण से बना, योनि स्राव योनि से होकर बहता है। इससे कई उद्देश्यों की पूर्ति होती है। यह साफ, चिकना, गीला, नियमित रखता है और कीटाणुओं एवं परेशानियों से बचाता है। योनि स्राव या स्राव रोज होता है। जब योनि हिलती ढुलती है, तो सभी पुराने, मृत योनि दीवार कोशिकाएं बाहर आ जाती हैं। यह स्राव आमतौर पर साफ या दूधिया होता है और इसमें कोई असामांय गंध नहीं होती है। योनि स्राव यौवन आने के एक या दो साल पहले शुरू हो जाता है और रजोनिवृत्ति (मेनोपाॅज) के बाद आना बंद हो जाता है। कभी-कभी हल्का और कभी-कभी बहुत ज्यादा योनि स्राव, अंडरवियर में चिपक जाता है, जिससे लड़कियों को असहजता महसूस होती है और पेंटी लाइनर्स के उपयोग की जरूरत होती है। प्रजननकारी उम्र की सभी महिलाओं को योनि स्राव होता है। एक सूखा, योनि माहौल आसामान्य है। जबकि हल्का योनि स्राव प्राकृतिक एवं बहुत सामान्य होता है। योनि स्राव की मात्रा अलग-अलग महिलाओं में अलग-अलग होती है। समय-समय से, योनि स्राव में उतार-चढ़ाव आता है। किशोरियों को अपने पहले मासिक धर्म चक्र से करीबन 6 माह से लेकर 1 वर्ष के पहले तक योनि स्राव का अनुभव होता है। यह मासिक धर्म चक्र के बाद से रजोनिवृत्ति (मेनोपोज) तक निरंतर होता रहता है। जब स्राव का रंग पीला या हरा हो, या फिर यह पनीर की तरह हो या इसमें गंध आए, तो आपको डाक्टर से जांच करवानी चाहिए।
सामान्य योनि स्राव
अगर हम मात्रा की बात करें, तो, सामांय योनि स्राव की मात्रा एक बड़ी चम्मच से ज्यादा नहीं होती है। रंग में, यह साफ से लेकर दूधिया होता है और जब हम बनावट की बात करें तो यह पतला और चिपचिपा होता है और इसमें दुर्गंध नहीं होती है। इससे कोई जलन या खुजली नहीं होती तथा यह अंडरगार्मेंट्स को थोड़ा सा गीला कर देता है। इन सभी में बदलाव आ सकता है। मासिक धर्म, गर्भावस्था, स्तनपान के दौरान, अगर यौन उत्तेजना हो, अगर भावनात्मक तौर पर तनाव हो, पोषाक स्तर में बदलाव, दवा का सेवन करते समय, हाॅर्मोनयुक्त गर्भरोधकों की प्रयोग विधि के कारण, योनि से होने वाले स्राव की मात्रा, वर्ण, संरचना आदि में बदलाव आ सकता है। ये बदलाव पूर्णतः सामान्य हैं।
1. अंडोत्सर्ग (अंडों के छूटने) की अवधि के दौरान, अगले मासिक धर्म की अवधि से लगभग 14 दिन पहले यह स्राव लगभग 30 गुणा अधिक, पतला और लचलचा होता है।
2. मासिक धर्म के अंत में, स्राव संभवताः चिपचिपा होता है।
3. स्तनपान के दौरान या फिर यदि महिला यौन उत्तेजित हो, तो योनि स्राव ज्यादा होता है
4. यदि महिला गर्भवती है या अच्छी निजी स्वच्छता का अभाव है, तो गंध अलग होगी।
5. मासिक धर्म चक्र के बाद एक या दो दिन स्राव गाढ़ा, भूरा या रंगहीन हो सकता है।
6. अल्प प्रजननक्षम अवधि के दौरान, यह स्राव श्वेत या हल्के पीले रंग का तथा गाढ़ा होता है।
असामान्य योनि स्राव
असामान्य योनि स्राव का अर्थ है योनि में सामान्य जीवाणुओं के संतुलन में परिवर्तन का होना। इसके परिणामस्वरूप स्राव में मात्रा में वृद्धि होती है, असामान्य गंध आती है, योनि में द्रव की स्थिरता में परिवर्तन होता है, दर्द होता है, खुजली या जलन होती है और रंग में परिवर्तन होता है। यह संक्रमण का संकेत हो सकता है या फिर स्वास्थ में किसी गड़बड़ी का। असामांय स्राव से पेड़ु में दर्द और/या बुखार आ जाता है जिसके लिए तुरंत चिकित्सीय ध्यान देने की आवश्यकता होती है। साधारण शब्दों में, यदि किसी महिला को खुद को सामांय एवं सहज महसूस करने के लिए दिन में कई बार पेंटी शील्ड्स के साथ अंडरवीयर को बदलने की आवश्यकता महसूस हो, तो यह समझा जा सकता है कि उसको असामान्य स्राव की शिकायत है। ऐसे समय में आपको डाॅक्टर से सलाह लेनी चाहिए। असामान्य स्राव के कारण अलग-अलग हो सकते हैं। ये इनमें से किसी के कारण भी हो सकता हैः
बैक्टीरियल वेजिनोसिसः
यह जीवाणुओं की पैदावार के असंतुलन के परिणामस्वरूप होता है। ये जीवाणु आमतौर पर योनि में मौजूदा होते हैं जिन्हें कुछ अन्य जीवाणुओं की अधिक संख्या द्वारा हटाया जाता हैं। विध्न पैदा करने के सटीक कारण अज्ञात हैं।
1. लक्षणों में शामिल हैं भूरे रंग का असामांय स्राव, असामांय गंध, योनि में दर्द, खुजली या जलन, विशेषकर पेशाब करने के दौरान, योनि या गर्भाशय में हल्की सी सूजन।
2. बैक्टीरियल वेजिनोसिस से कोई भी महिला संक्रमित हो सकती है,
3. गर्भावती महिलाओं में बहुत सामांय है, इसके परिणाम स्वरूप प्रीमेच्योर या निम्न भार वाले शिशुओं को जन्म देने की संभावना होती है।
4. अध्ययन से पता चला है कि वहुविध यौन साथी रखने वाली महिलाओं को अधिक खतरा रहता है।
5. पुरूष यौन साथी कम प्रभावित होते हैं, लेकिन बैक्टीरिया वेजिनोसिस महिला साथियों के मध्य फैल सकता है।
6. डाउचिंग भी संक्रमण में योगदान देता है।
7. प्रयोगशाला परीक्षण के बाद वेजिना को जांचने के बाद, स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता बैक्टीरियल वेजिनोसिस की पहचान कर लेता/लेती है।
8. गर्भवती और गैर-गर्भवती महिलाओं के लिए एक ही तरह की एंटीबायोटिक्स दवाओं से इलाज किया जाता है।
9. इलाज के बाद भी बैक्टीरियल वेजिनोसिस हो सकता है।
वेजिनल यीस्ट इंफेक्शनः
केंडिडा के रूप में जाने वाला एक कवक (फंगस) योनि को संक्रमित करता है। आमतौर पर एक स्वस्थ्य योनि में यीस्ट की थोड़ी सी मात्रा पायी जाती है लेकिन यदि इसका अधिक विकास हो जाए, तो यह वेजिनल यीस्ट संक्रमण का कारण बन सकता है।
इस प्रकार यह सूक्ष्मजीवों के प्राकृतिक संतुलन में गड़बड़ी के परिणाम के कारण है।
1. लक्षणों में श्वेत, पनीर जैसा स्राव सहित गर्भाशय के आसपास सूजन सहित या रहित गहन खुजली की अनुभूति, संभोग/या पैशाव करने के दौरान दर्द उठना।
2. यह आवश्यक नहीं है कि स्राव में गंध हो।
3. योनि में यीस्ट की वृद्धि में डाउचिंग, एंटीबायोटिक का उपयोग, कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र (इम्यून सिस्टम), जन्म नियंत्रक गोलियों का सेवन, हार्मोनल परिवर्तन, हार्मोनल थेरेपी का उपयोग योगदान देते हैं।
4. शुगर से ग्रस्त होना, गर्भवती महिला, मेनोपोज की अवस्था में पहुंचने वाली महिलाएं, अधिक वजन जैसी स्थितियां यीस्ट के विकास में आसानी से योगदान देते हैं।
5. वेजिनल यीस्ट इंफेक्शन अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के संकेत हो सकते हैं।
6. पेल्विक जांच, सूक्ष्मदर्शी से योनि स्राव को जांचकर लक्षणों की पहचान की जाती है।
7. प्रभावशली इलाज से लक्षण आमतौर पर खत्म हो जाते हैं।
8. इलाज के बाद अगर संक्रमण तुरंत हो जाये या यीस्ट इंफेक्शन जिस पर कोई इलाज काम न कर सके, तो यह माना जाता है कि कि व्यक्ति एचआईवी से संक्रमित है।