शिक्षा और स्वास्थ्य
रोहतक जिला पार्टी का 17 वाँ सम्मेलन
स्वास्थ्य और शिक्षा के बजट को लगातार कम किया जाने और स्वास्थ्य और शिक्षा के पब्लिक सेक्टर पर सरकार के भारी हमले का विरोध करता है। शिक्षा के हर स्तर की फीस बढ़ाई जा रही है। सरकारी अस्पतालों में न पूरे डॉक्टर हैं ना पूरा स्टाफ है ना दवाई हैं ना जरूरी मशीन और औजार हैं। रोहतक जिले में जनसंख्या के हिसाब से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र , प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उप स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीण आबादी के हिसाब से खड़े तो किए हैं लेकिन बहुत सी कमियां हैं । इसी प्रकार रोहतक की शहरी जन संख्या के हिस्से 6 अर्बन प्राइमरी स्वास्थ्य केंद्र होने चाहिए लेकिन 4 ही हैं । सिविल अस्पताल रोहतक में भी डाक्टरों और स्टाफ की कमी है। इसके लिए रोहतक सिविल अस्पताल पर एक दिन का धरना भी दिया गया था। पीजीआईएमएस में भी फैकल्टी और सीनियर रेजिडेंट्स की 30 - 40 प्रतिशत की कमी है। इसके खिलाफ भी आवाज उठाई गई। ऐसा ही चलता रहा तो गरीब और मध्यवर्ग के लिए इलाज करवाना मुश्किल हो जाएगा । इलाज पर जेब से खर्च बढ़ रहा है। कम वित्तीय संसाधन दिए जा रहे हैं स्वास्थ्य पर जेब खर्च से किये खर्च के कारण काफी लोग गरीबों की रेखा के नीचे जाने को मजबूर हो रहे हैं।
नौकरियों में कटौती की जा रही हैं।
शिक्षा के ढांचों को अपनी नीतियों से पहले तो खराब किया, जरूरत के हिसाब से विस्तार नहीं किया। इसका दोष जान बूझकर अध्यापकों और बाकी स्टाफ पर लगा दिया । शिक्षा के सेलेब्स में भी सांप्रदायिक नजरिए से बदलाव की प्रक्रिया शुरू की है । कहीं ढांचा विकसित नहीं कहीं स्टाफ की कमी ।
प्राइवेट की भेंट दोनों क्षेत्रों का ढांचा चढ़ाया जा रहा है। इन दोनों के सरकारी ढांचे को बचाने के लिए बड़े स्तर पर संघर्ष की जरूरत है। शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार के वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए जात धर्म पर आम जन को उलझाया जा रहा है। कावड़ तो कभी कुंभ का मेला प्रस्तुत किए जा रहे हैं। निजीकरण के पक्ष में दलील यही दी जा रही है कि निजी सेवा प्रदाता नए निवेश लगाएंगे तथा ज्यादा कुशलता से सेवाएं मुहैया करवाएंगे ।
नई शिक्षा नीति 2019 के दस्तावेज में वर्तमान शिक्षा व्यवस्था स्कूल ,कॉलेज, विश्वविद्यालय की खामियों को दर्शाया गया है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात भी की जा रही है । मूलत शिक्षा का क्षेत्र ढांचाग़त समायोजन , समेकन, निजीकरण , केंद्रीकरण के रुझानों से मुक्त नहीं हो पाया है ।
शिक्षा क्षेत्र****
*शिक्षा पर सकल घरेलू उत्पाद का 6% खर्च हो ।
*सार्वजनिक क्षेत्र को बढ़ावा मिले
*हर स्तर पर शिक्षकों के पद भरे जाएं
*सार्वभौमिक नामांकन तथा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हमारा लक्ष्य हो
*शिक्षा के मौलिक अधिकार को 3 से 18 वर्ष के आयु के सभी बच्चों के लिए मोहिया करवाया जाए।
स्वास्थ्य क्षेत्र****
1) सार्वजनिक स्वास्थ्य तंत्रका सशक्तिकरण।
2) निजीकरण पर रोक और स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार।
3) जेंडर और स्वास्थ्य।
4) दवाइयों और जाँच सेवाओं की सबके लिए उपलब्धता।
5) स्वास्थ्य के सामजिक कारकों पर ध्यान देना।
लड़े हैं जीते हैं
लड़ेंगे जीतेंगे