**जन स्वास्थ्य अभियान- विश्व , भारत और हरियाणा में:**
' आल्मा आटा घोषणा 1978 ' में किया गया सभी के लिए स्वास्थ्य का वादा जब सदी के अंत तक पूरा होता नहीं दिख रहा था, तब विश्व भर में स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले अनेक संगठनों, संस्थाओं व व्यक्तियों ने मिलकर सक्रिय 'पीपुल्स हेल्थ मूवमेंट' (PHM) की शुरुआत की। यह शुरुआत दिसंबर 2000 में बांग्लादेश में आयोजित पहली 'पीपल्स हेल्थ असेंबली ' के साथ हुई जहां 'पीपुल्स हेल्थ मूवमेंट' (PHM) का गठन किया गया। इस आंदोलन ने 'सभी के लिए स्वास्थ्य अभी' के नारे के साथ कमजोर होते सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा तंत्र को मजबूत करने की मांग सामने रखी। आंदोलन में वैश्विक स्वास्थ्य संकट से उबरने के लिए दुनिया के स्तर पर बेहतर स्वास्थ्य स्वास्थ्य नीतियों , स्वास्थ्य सेवाओं तक सबकी पहुंच और स्वास्थ्य के सामाजिक कारको में असमानता के संकट को दूर करने की मांग उठाई ।
'जन स्वास्थ्य अभियान' ' पीपल्स हेल्थ मूवमेंट' का भारतीय अध्याय है जिसमें जमीनी स्तर पर काम करने वाले अलग-अलग जाति,मजहब,जेंडर से जुड़े अनेक सामाजिक संगठन, आंदोलन, संस्थाएं व कार्यकर्ता शामिल हैं । सबका उद्देश्य एक है- 'सभी के लिए स्वास्थ्य अभी'। जन स्वास्थ्य अभियान, अपनी विभिन्न राज्य, क्षेत्रीय व स्थानीय स्तर की समितियों के माध्यम से सरकारी स्वास्थ्य तंत्र को मजबूत करने, दवाइयों की उपलब्धता एवं स्वास्थ्य सेवाओं के हनन के मुद्दों पर काम कर रहा है ताकि स्वास्थ्य और उससे जुड़े लोगों के मुद्दे मुद्दों को उनकी मांगों को मजबूती मिले। जन स्वास्थ्य अभियान, स्वास्थ्य को एक मौलिक अधिकार बनाने के लिए निरंतर आंदोलनरत है, ताकि कोई भी व्यक्ति अपने जीने के संवैधानिक मूलभूत अधिकार से वंचित ना रहे। जन स्वास्थ्य अभियान हरियाणा भी इसी बड़े नेटवर्क का एक हिस्सा है जो हरियाणा के स्तर पर इन्हीं सब मुद्दों व मांगों को लेकर संघर्षरत है।
***हरियाणा की स्वास्थ्य व्यवस्था और जन स्वास्थ्य अभियान की भूमिका:***
पिछले कुछ वर्षों के दौरान हरियाणा में स्वास्थ्य के क्षेत्र में अनेक ढांचागत व नीतिगत बदलाव के साथ-साथ उद्देश्यों के स्तर पर भी बदलाव हुए हैं । पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान तीन नए राजकीय मेडिकल कॉलेज खुले व हुए पीजीआईएमएस रोहतक को हेल्थ यूनिवर्सिटी के तौर पर अपग्रेड किया गया। लेकिन पहले से मौजूद स्वास्थ्य ढांचे की सुध कम ली गई । वो चाहे पीएचसी हों , सीएचसी हों या फिर सामान्य अस्पताल सभी जगह चिकित्सकों ,अन्य स्वास्थ्य कर्मियों जैसे लैब तकनीशियन , फार्मासिस्ट , स्टाफ नर्स इत्यादि की कमी ज्यों की त्यों बनी हुई है । जो स्वास्थ्य कर्मचारी पहले से काम कर रहे हैं , उनके शिक्षण व प्रशिक्षण की हालत भी बहुत अच्छी नहीं है। सभी स्वास्थ्य कर्मचारी सरकार की मौजूदा नीतियों से परेशान हैं। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं जैसे आशा वर्कर्स, आंगनवाड़ी वर्कर आदि की स्थिति भी बाकी कर्मचारियों जैसी ही है । पिछले कुछ वर्षों में इन तमाम तबकों ने अनेक हड़तालें व प्रदर्शन इन्हीं मांगों को लेकर किए हैं । दूसरी ओर मरीजों व बीमारियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है , कोई भी बीमारी महामारी का रूप धारण कर लेती है । गर्भवती महिलाओं व छोटी बच्चियों में खून की कमी हरियाणा की पहचान बनी हुई है ।अस्पतालों में दवाइयों की उपलब्धता न के बराबर है। जांच सेवाएं उपलब्ध कराने के नाम पर निजी कंपनी को पीपीपी के ठेके दिए गए हैं। इससे लोगों के एक तबके को कुछ राहत तो मिली है लेकिन निजीकरण की मुहिम ज्यादा तेज हो गई है । राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना भी पिछले करीब 4 साल से बजट उपलब्धता के बावजूद ठप्प पड़ी है । स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और विकास के नाम पर सिर्फ बड़ी-बड़ी बिल्डिंग ही बनी हैं । यह सारी परिस्थितियां स्वास्थ्य ढांचे व सेवाओं के प्रति सरकार की उदासीनता को ही दर्शाती हैं ।
एक तरफ जहां सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचा लोगों की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को संबोधित करने में नाकाफी सिद्ध हो रहा है वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य के साथ-साथ दूसरे सामाजिक क्षेत्र जैसे शिक्षा आदि के क्षेत्र में भीसार्वजनिक निवेश नियमित रूप से साल दर साल कम होता जा रहा है ।जरूरी हो जाता है कि स्वास्थ्य तंत्र को मजबूत करने के लिए और सार्वजनिक सेवाओं के तेजी से हो रही निजीकरण के खिलाफ लोग अपनी आवाज बुलंद करें । यह सब चुनौतियां जन स्वास्थ्य अभियान हरयाणा की भूमिका को अहम बना रही हैं ।
कुछ मुख्य मुद्दे:
1.सार्वजनिक स्वास्थ्य तंत्र का सशक्तिकरण
2 . निजीकरण और स्वास्थ्य सेवाएं
3 . जेंडर और स्वास्थ्य
4 . दवाइयों और जांच सेवाओं की उपलब्धता
5 . स्वास्थ्य के सामाजिक कारक
जन स्वास्थ्य अभियान हरियाणा ।
Hisar Health Scenario
*187 sanctioned posts of medical officers
*89 posts filled
*98 vacant in the district
*Of 55 sanctioned posts medical officer in Hisar Civil Hospital, 16 are vacant.
* Just one of the 11 posts is filled in Barwala CHC
*Sisai CHC too has just one MO.
** Lacks ventilator facilities.
**Ultrasound facility has not been available for 4 months.
** Specialists posts of radiologist, burn specialist,onco specialist,neurosurgeon,and gastroenterologist are lying vacant.
** Space problem is there because of which infrastructure cannot be expanded .
Saurce Dainik Tribune , 26 Nov.2019
Jan Swasthya Abhiyan Haryana
In CM's dist,Karnal hospitals make do with half doctor strength
Health institutions in Karnal
1 Civil Hospital
2 Subdivisional hospitals
5 CHCs
14 PHCs
3 Dispensaries
1 in jail
1 Polyclinic
Sanctioned posts of doctors 154
Vacancies 87
Health Centres without doctors:
Taraori
Uplana
Padhana
Samana bahu
Gularpur
Padha
Gagsina
Gudha
Kunj pura
Ramba
Mirghan
Biana
Postpartam unit of Civil Hospital
Civil Hospital has 42 sanctioned posts
Only 22 doctors are there
Nilokheri subdivisional hospital four of the 11 posts are vacant.
In Gharaunda 5 of the 6 sanctioned posts are vacant.
Source (The Tribune, dated 25 Nov.2019)
As per the central govt. recommendations there should be a surgeon, physician, paediatrician and gynecologist in each CHC.
One Chawla Medical College is there
Another Health University is also being planned.
One Medical College at each district level is promised .
The primary and secondary level health services are collapsing because of wrong policies of the successive Govts.
Jan Swasthya Abhiyan Haryana
ये आंकड़े बहुत कुछ कह रहे हैं
सिविल अस्पताल फरीदाबाद
1.डॉक्टर--63%
2.ओपीडी --2200 के लगभग मरीज रोजाना आते हैं ।
3.90 नर्सिस की पोस्ट हैं जिनमें से 24 कार्यरत हैं।
4.पैथोलोजिस्ट नहीं है
5.एक रेडियोलाजिस्ट जो 40 से 50 मरीजों को देखता है। इसके इलावा मेडिकोलीगल केस और दूसरे काम।
6. 2 पोस्ट Dietician की खाली पड़ी हैं
7.14 लेबोरेटरी असिस्टेंट की पोस्ट कार्यरत हैं 5।
8.आपरेशन थिएटर असिस्टेंट की 10 पोस्ट हैं कार्यरत हैं 3।
9.ECG टेक्नीशियन की 3 पोस्ट हैं कार्यरत सिर्फ 1 है।
Source: The Tribune, 15 july, 2019
सिरसा :आयुष्मान भारत
जिले के 82 हजार परिवार शामिल हैं। 11 बड़े प्राइवेट और 4 सरकारी अस्पतालों को पैनल में लिया है जबकि 20 प्राइवेट अस्पतालों आवेदन किया था। 5000 पात्रों ने कार्ड बनवाए हैं। 51 मरीजों ने पैनल में शामिल विभिन्न अस्पतालों से इलाज लिया है । 14 मरीजों का इलाज सरकारी अस्पताल में संभव हो पाया है । यहां सभी में इलाज शुरू हो चुका है।
सोनीपत :आयुष्मान भारत
20 निजी अस्पताल पैनल से जुड़े हैं, जबकि छह की फाइल पेंडिंग है । यहां गोल्डन कार्ड 80000 के बनने हैं जबकि बने सिर्फ 6500 के हैं । गोल्डन कार्ड के लिए भी लाइन लग रही है। काउंटर नहीं बढ़ाए गए । अब तक 65 मरीजों की सर्जरी व फिजिशियन से जांच हुई है।
जींद:आयुष्मान भारत
जिले में अभी तक किसी भी निजी अस्पताल में लाभ पात्र का इलाज नहीं हो पाया है । यहां से 9 अस्पतालों ने आवेदन किया था लेकिन 5 को ही लॉगइन मिला है । जो लाभपात्र पहुंचे उनका सिविल अस्पताल में ही इलाज किया जाता है नहीं तो पीजीआई रेफर किया जाता है । सिविल अस्पताल में 27 लाभ पात्र का इलाज हुआ है।
नारनौल :आयुष्मान भारत
यहां 44000 परिवारों को आयुष्मान भारत योजना में शामिल किया है । इसके तहत जिले के छह अस्पतालों को शामिल किया है। इसमें चार निजी और दो सरकारी अस्पताल शामिल हैं। यहां इनमें पात्र लोगों का निशुल्क इलाज शुरू हो चुका है । बता दें कि 10 से अधिक निजी अस्पतालों ने योजना के लिए आवेदन किया था लेकिन 6 ने शर्तें पूरी नहीं की।
आयुष्मान भारत योजना:
250 प्रकार के इलाज सिर्फ सरकारी अस्पताल में मरीज ले सकते हैं ।
योजना में यहां आ रही परेशानी :
** 276 बीमारियों को रिजर्व पैकेज में शामिल किया है। यानी जो बीमारियां रिजर्व पैकेज में शामिल हैं बीमारियां रिजर्व पैकेज में शामिल हैं उनका इलाज सरकारी अस्पताल में होगा । इस कारण कोई खास फायदा नहीं हो रहा है । इन बीमारियों का इलाज निजी अस्पतालों में नहीं है।
** सोनीपत के 3 बड़े निजी अस्पतालों ने योजना से जुड़ने से किनारा कर लिया है । कारण इन अस्पताल के मालिकों को सर्जरी केे रेट काफी कम लगे ।
** निजी अस्पतालों को गोल्डन कार्ड बनाने की ट्रेनिंग पूरी तरह से नहीं दी गई। अस्पताल संचालकों का कहना है कि सरकार के नियम काफी सख्त व ज्यादा हैं। पेमेंट के लिए डेढ़ से 2 महीने तक इंतजार करना पड़ रहा है । कई बार जो रिपोर्ट और पैकेज बनाकर भेज देते हैं, वह रिजेक्ट हो जाते हैं ।
** गाल ब्लैडर समेत रूटीन के ऑपरेशन के लिए निजी अस्पतालों को योजना के तहत अधिकृत नहीं किया है। लोग आकर कहते हैं कि 500000 तक सभी इलाज निशुल्क हैं ।
** सरकारी अस्पतालों में होने वाले ट्रीटमेंट को प्राइवेट अस्पतालों में शामिल नहीं किया है । इसके अलावा जो ट्रीटमेंट प्राइवेट अस्पतालों में होता है उसे सरकारी अस्पतालों में शामिल नहीं किया गया।
** स्वास्थ्य विभाग ने प्रचार तक नहीं किया कि कौन कौन सा इलाज सरकारी और निजी अस्पतालों में कैशलेस मिलेगा
**आईएमए का कहना है कि अभी तक उनके पास इलाज के लिए मरीज नहीं पहुंच रहे हैं । इसका बड़ा कारण योजना में बीमारियों के रिजर्व पैकेज का किया किया गया प्रावधान है । गंभीर बीमारी का इलाज किस अस्पताल में होगा यह क्लियर नहीं । कॉरपोरेट अस्पतालों में तो स्टाफ हैं ,छोटे अस्पतालों के डॉक्टरों को क्लर्की करनी होगी । जिस अस्पताल में भोजन की व्यवस्था नहीं है वहां परेशानी है । इलाज के पैकेज में सब कुछ करना है जो संभव नहीं
आयुष्मान भारत योजना :
रियलिटी रिपोर्ट :
दैनिक भास्कर 28 जनवरी 2019
250 प्रकार के इलाज सिर्फ सरकारी अस्पताल में मरीज ले सकते हैं। जरूरतमंद मरीजों का ₹500000 तक का बड़े अस्पतालों में बेहतर इलाज के लिए आयुष्मान भारत योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लांच किया था। हकीकत में निजी अस्पतालों में मरीजों का इलाज सही ढंग से शुरू नहीं हो सका है । ज्यादातर लोगों को पता नहीं कि किस बीमारी का इलाज निजी अस्पताल में होगा और किसका सरकारी में । इसके चलते प्रदेश के जरूरतमंद लोग धक्के खा रहे हैं । प्रदेश में ऐसे अनेक केस सामने आए हैं जिनमें पता चला है कि लोगों को निजी अस्पतालों में परेशान होना पड़ रहा है । मरीजों का कहना है कि वह निजी अस्पतालों में इलाज के लिए जाते हैं तो लौटा दिया जाता है। मरीजों की शिकायत पर भास्कर ने गत दिनों निजी अस्पतालों में योजना की पड़ताल की । पता चला कि कुछ बड़े निजी अस्पताल को छोड़कर अन्य अस्पतालों में आयुष्मान भारत चालू नहीं हुई है । वहीं, जितने अस्पतालों ने आवेदन किया था उनमें खामियों के चलते अनेक को अप्रूवल नहीं दी गई है। 1370 तरह के मुफ्त इलाज का लाभ पैनल में शामिल प्राइवेट अस्पतालों से मरीज ले सकते हैं ,जबकि 250 प्रकार के इलाज सिर्फ सरकारी अस्पताल में मरीज करा सकते हैं । निजी अस्पतालों के डॉक्टरों का मानना है कि पेमेंट के लिए डेढ़ से 2 महीने तक इंतजार करना पड़ रहा है । वहीं योजना के जिला मैनेजर का सोहन क् कहना है कि पेमेंट 15 दिन में हो जाती है । अगर फिर भी किसी अस्पताल की रूकती है तो उसमें या तो कोई गलत पैकेज सेलेक्ट किया गया होता है या फिर डॉक्यूमेंट गलत हो सकते हैं।
' आल्मा आटा घोषणा 1978 ' में किया गया सभी के लिए स्वास्थ्य का वादा जब सदी के अंत तक पूरा होता नहीं दिख रहा था, तब विश्व भर में स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले अनेक संगठनों, संस्थाओं व व्यक्तियों ने मिलकर सक्रिय 'पीपुल्स हेल्थ मूवमेंट' (PHM) की शुरुआत की। यह शुरुआत दिसंबर 2000 में बांग्लादेश में आयोजित पहली 'पीपल्स हेल्थ असेंबली ' के साथ हुई जहां 'पीपुल्स हेल्थ मूवमेंट' (PHM) का गठन किया गया। इस आंदोलन ने 'सभी के लिए स्वास्थ्य अभी' के नारे के साथ कमजोर होते सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा तंत्र को मजबूत करने की मांग सामने रखी। आंदोलन में वैश्विक स्वास्थ्य संकट से उबरने के लिए दुनिया के स्तर पर बेहतर स्वास्थ्य स्वास्थ्य नीतियों , स्वास्थ्य सेवाओं तक सबकी पहुंच और स्वास्थ्य के सामाजिक कारको में असमानता के संकट को दूर करने की मांग उठाई ।
'जन स्वास्थ्य अभियान' ' पीपल्स हेल्थ मूवमेंट' का भारतीय अध्याय है जिसमें जमीनी स्तर पर काम करने वाले अलग-अलग जाति,मजहब,जेंडर से जुड़े अनेक सामाजिक संगठन, आंदोलन, संस्थाएं व कार्यकर्ता शामिल हैं । सबका उद्देश्य एक है- 'सभी के लिए स्वास्थ्य अभी'। जन स्वास्थ्य अभियान, अपनी विभिन्न राज्य, क्षेत्रीय व स्थानीय स्तर की समितियों के माध्यम से सरकारी स्वास्थ्य तंत्र को मजबूत करने, दवाइयों की उपलब्धता एवं स्वास्थ्य सेवाओं के हनन के मुद्दों पर काम कर रहा है ताकि स्वास्थ्य और उससे जुड़े लोगों के मुद्दे मुद्दों को उनकी मांगों को मजबूती मिले। जन स्वास्थ्य अभियान, स्वास्थ्य को एक मौलिक अधिकार बनाने के लिए निरंतर आंदोलनरत है, ताकि कोई भी व्यक्ति अपने जीने के संवैधानिक मूलभूत अधिकार से वंचित ना रहे। जन स्वास्थ्य अभियान हरियाणा भी इसी बड़े नेटवर्क का एक हिस्सा है जो हरियाणा के स्तर पर इन्हीं सब मुद्दों व मांगों को लेकर संघर्षरत है।
***हरियाणा की स्वास्थ्य व्यवस्था और जन स्वास्थ्य अभियान की भूमिका:***
पिछले कुछ वर्षों के दौरान हरियाणा में स्वास्थ्य के क्षेत्र में अनेक ढांचागत व नीतिगत बदलाव के साथ-साथ उद्देश्यों के स्तर पर भी बदलाव हुए हैं । पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान तीन नए राजकीय मेडिकल कॉलेज खुले व हुए पीजीआईएमएस रोहतक को हेल्थ यूनिवर्सिटी के तौर पर अपग्रेड किया गया। लेकिन पहले से मौजूद स्वास्थ्य ढांचे की सुध कम ली गई । वो चाहे पीएचसी हों , सीएचसी हों या फिर सामान्य अस्पताल सभी जगह चिकित्सकों ,अन्य स्वास्थ्य कर्मियों जैसे लैब तकनीशियन , फार्मासिस्ट , स्टाफ नर्स इत्यादि की कमी ज्यों की त्यों बनी हुई है । जो स्वास्थ्य कर्मचारी पहले से काम कर रहे हैं , उनके शिक्षण व प्रशिक्षण की हालत भी बहुत अच्छी नहीं है। सभी स्वास्थ्य कर्मचारी सरकार की मौजूदा नीतियों से परेशान हैं। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं जैसे आशा वर्कर्स, आंगनवाड़ी वर्कर आदि की स्थिति भी बाकी कर्मचारियों जैसी ही है । पिछले कुछ वर्षों में इन तमाम तबकों ने अनेक हड़तालें व प्रदर्शन इन्हीं मांगों को लेकर किए हैं । दूसरी ओर मरीजों व बीमारियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है , कोई भी बीमारी महामारी का रूप धारण कर लेती है । गर्भवती महिलाओं व छोटी बच्चियों में खून की कमी हरियाणा की पहचान बनी हुई है ।अस्पतालों में दवाइयों की उपलब्धता न के बराबर है। जांच सेवाएं उपलब्ध कराने के नाम पर निजी कंपनी को पीपीपी के ठेके दिए गए हैं। इससे लोगों के एक तबके को कुछ राहत तो मिली है लेकिन निजीकरण की मुहिम ज्यादा तेज हो गई है । राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना भी पिछले करीब 4 साल से बजट उपलब्धता के बावजूद ठप्प पड़ी है । स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और विकास के नाम पर सिर्फ बड़ी-बड़ी बिल्डिंग ही बनी हैं । यह सारी परिस्थितियां स्वास्थ्य ढांचे व सेवाओं के प्रति सरकार की उदासीनता को ही दर्शाती हैं ।
एक तरफ जहां सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचा लोगों की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को संबोधित करने में नाकाफी सिद्ध हो रहा है वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य के साथ-साथ दूसरे सामाजिक क्षेत्र जैसे शिक्षा आदि के क्षेत्र में भीसार्वजनिक निवेश नियमित रूप से साल दर साल कम होता जा रहा है ।जरूरी हो जाता है कि स्वास्थ्य तंत्र को मजबूत करने के लिए और सार्वजनिक सेवाओं के तेजी से हो रही निजीकरण के खिलाफ लोग अपनी आवाज बुलंद करें । यह सब चुनौतियां जन स्वास्थ्य अभियान हरयाणा की भूमिका को अहम बना रही हैं ।
कुछ मुख्य मुद्दे:
1.सार्वजनिक स्वास्थ्य तंत्र का सशक्तिकरण
2 . निजीकरण और स्वास्थ्य सेवाएं
3 . जेंडर और स्वास्थ्य
4 . दवाइयों और जांच सेवाओं की उपलब्धता
5 . स्वास्थ्य के सामाजिक कारक
जन स्वास्थ्य अभियान हरियाणा ।
Hisar Health Scenario
*187 sanctioned posts of medical officers
*89 posts filled
*98 vacant in the district
*Of 55 sanctioned posts medical officer in Hisar Civil Hospital, 16 are vacant.
* Just one of the 11 posts is filled in Barwala CHC
*Sisai CHC too has just one MO.
** Lacks ventilator facilities.
**Ultrasound facility has not been available for 4 months.
** Specialists posts of radiologist, burn specialist,onco specialist,neurosurgeon,and gastroenterologist are lying vacant.
** Space problem is there because of which infrastructure cannot be expanded .
Saurce Dainik Tribune , 26 Nov.2019
Jan Swasthya Abhiyan Haryana
In CM's dist,Karnal hospitals make do with half doctor strength
Health institutions in Karnal
1 Civil Hospital
2 Subdivisional hospitals
5 CHCs
14 PHCs
3 Dispensaries
1 in jail
1 Polyclinic
Sanctioned posts of doctors 154
Vacancies 87
Health Centres without doctors:
Taraori
Uplana
Padhana
Samana bahu
Gularpur
Padha
Gagsina
Gudha
Kunj pura
Ramba
Mirghan
Biana
Postpartam unit of Civil Hospital
Civil Hospital has 42 sanctioned posts
Only 22 doctors are there
Nilokheri subdivisional hospital four of the 11 posts are vacant.
In Gharaunda 5 of the 6 sanctioned posts are vacant.
Source (The Tribune, dated 25 Nov.2019)
As per the central govt. recommendations there should be a surgeon, physician, paediatrician and gynecologist in each CHC.
One Chawla Medical College is there
Another Health University is also being planned.
One Medical College at each district level is promised .
The primary and secondary level health services are collapsing because of wrong policies of the successive Govts.
Jan Swasthya Abhiyan Haryana
ये आंकड़े बहुत कुछ कह रहे हैं
सिविल अस्पताल फरीदाबाद
1.डॉक्टर--63%
2.ओपीडी --2200 के लगभग मरीज रोजाना आते हैं ।
3.90 नर्सिस की पोस्ट हैं जिनमें से 24 कार्यरत हैं।
4.पैथोलोजिस्ट नहीं है
5.एक रेडियोलाजिस्ट जो 40 से 50 मरीजों को देखता है। इसके इलावा मेडिकोलीगल केस और दूसरे काम।
6. 2 पोस्ट Dietician की खाली पड़ी हैं
7.14 लेबोरेटरी असिस्टेंट की पोस्ट कार्यरत हैं 5।
8.आपरेशन थिएटर असिस्टेंट की 10 पोस्ट हैं कार्यरत हैं 3।
9.ECG टेक्नीशियन की 3 पोस्ट हैं कार्यरत सिर्फ 1 है।
Source: The Tribune, 15 july, 2019
सिरसा :आयुष्मान भारत
जिले के 82 हजार परिवार शामिल हैं। 11 बड़े प्राइवेट और 4 सरकारी अस्पतालों को पैनल में लिया है जबकि 20 प्राइवेट अस्पतालों आवेदन किया था। 5000 पात्रों ने कार्ड बनवाए हैं। 51 मरीजों ने पैनल में शामिल विभिन्न अस्पतालों से इलाज लिया है । 14 मरीजों का इलाज सरकारी अस्पताल में संभव हो पाया है । यहां सभी में इलाज शुरू हो चुका है।
सोनीपत :आयुष्मान भारत
20 निजी अस्पताल पैनल से जुड़े हैं, जबकि छह की फाइल पेंडिंग है । यहां गोल्डन कार्ड 80000 के बनने हैं जबकि बने सिर्फ 6500 के हैं । गोल्डन कार्ड के लिए भी लाइन लग रही है। काउंटर नहीं बढ़ाए गए । अब तक 65 मरीजों की सर्जरी व फिजिशियन से जांच हुई है।
जींद:आयुष्मान भारत
जिले में अभी तक किसी भी निजी अस्पताल में लाभ पात्र का इलाज नहीं हो पाया है । यहां से 9 अस्पतालों ने आवेदन किया था लेकिन 5 को ही लॉगइन मिला है । जो लाभपात्र पहुंचे उनका सिविल अस्पताल में ही इलाज किया जाता है नहीं तो पीजीआई रेफर किया जाता है । सिविल अस्पताल में 27 लाभ पात्र का इलाज हुआ है।
नारनौल :आयुष्मान भारत
यहां 44000 परिवारों को आयुष्मान भारत योजना में शामिल किया है । इसके तहत जिले के छह अस्पतालों को शामिल किया है। इसमें चार निजी और दो सरकारी अस्पताल शामिल हैं। यहां इनमें पात्र लोगों का निशुल्क इलाज शुरू हो चुका है । बता दें कि 10 से अधिक निजी अस्पतालों ने योजना के लिए आवेदन किया था लेकिन 6 ने शर्तें पूरी नहीं की।
आयुष्मान भारत योजना:
250 प्रकार के इलाज सिर्फ सरकारी अस्पताल में मरीज ले सकते हैं ।
योजना में यहां आ रही परेशानी :
** 276 बीमारियों को रिजर्व पैकेज में शामिल किया है। यानी जो बीमारियां रिजर्व पैकेज में शामिल हैं बीमारियां रिजर्व पैकेज में शामिल हैं उनका इलाज सरकारी अस्पताल में होगा । इस कारण कोई खास फायदा नहीं हो रहा है । इन बीमारियों का इलाज निजी अस्पतालों में नहीं है।
** सोनीपत के 3 बड़े निजी अस्पतालों ने योजना से जुड़ने से किनारा कर लिया है । कारण इन अस्पताल के मालिकों को सर्जरी केे रेट काफी कम लगे ।
** निजी अस्पतालों को गोल्डन कार्ड बनाने की ट्रेनिंग पूरी तरह से नहीं दी गई। अस्पताल संचालकों का कहना है कि सरकार के नियम काफी सख्त व ज्यादा हैं। पेमेंट के लिए डेढ़ से 2 महीने तक इंतजार करना पड़ रहा है । कई बार जो रिपोर्ट और पैकेज बनाकर भेज देते हैं, वह रिजेक्ट हो जाते हैं ।
** गाल ब्लैडर समेत रूटीन के ऑपरेशन के लिए निजी अस्पतालों को योजना के तहत अधिकृत नहीं किया है। लोग आकर कहते हैं कि 500000 तक सभी इलाज निशुल्क हैं ।
** सरकारी अस्पतालों में होने वाले ट्रीटमेंट को प्राइवेट अस्पतालों में शामिल नहीं किया है । इसके अलावा जो ट्रीटमेंट प्राइवेट अस्पतालों में होता है उसे सरकारी अस्पतालों में शामिल नहीं किया गया।
** स्वास्थ्य विभाग ने प्रचार तक नहीं किया कि कौन कौन सा इलाज सरकारी और निजी अस्पतालों में कैशलेस मिलेगा
**आईएमए का कहना है कि अभी तक उनके पास इलाज के लिए मरीज नहीं पहुंच रहे हैं । इसका बड़ा कारण योजना में बीमारियों के रिजर्व पैकेज का किया किया गया प्रावधान है । गंभीर बीमारी का इलाज किस अस्पताल में होगा यह क्लियर नहीं । कॉरपोरेट अस्पतालों में तो स्टाफ हैं ,छोटे अस्पतालों के डॉक्टरों को क्लर्की करनी होगी । जिस अस्पताल में भोजन की व्यवस्था नहीं है वहां परेशानी है । इलाज के पैकेज में सब कुछ करना है जो संभव नहीं
आयुष्मान भारत योजना :
रियलिटी रिपोर्ट :
दैनिक भास्कर 28 जनवरी 2019
250 प्रकार के इलाज सिर्फ सरकारी अस्पताल में मरीज ले सकते हैं। जरूरतमंद मरीजों का ₹500000 तक का बड़े अस्पतालों में बेहतर इलाज के लिए आयुष्मान भारत योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लांच किया था। हकीकत में निजी अस्पतालों में मरीजों का इलाज सही ढंग से शुरू नहीं हो सका है । ज्यादातर लोगों को पता नहीं कि किस बीमारी का इलाज निजी अस्पताल में होगा और किसका सरकारी में । इसके चलते प्रदेश के जरूरतमंद लोग धक्के खा रहे हैं । प्रदेश में ऐसे अनेक केस सामने आए हैं जिनमें पता चला है कि लोगों को निजी अस्पतालों में परेशान होना पड़ रहा है । मरीजों का कहना है कि वह निजी अस्पतालों में इलाज के लिए जाते हैं तो लौटा दिया जाता है। मरीजों की शिकायत पर भास्कर ने गत दिनों निजी अस्पतालों में योजना की पड़ताल की । पता चला कि कुछ बड़े निजी अस्पताल को छोड़कर अन्य अस्पतालों में आयुष्मान भारत चालू नहीं हुई है । वहीं, जितने अस्पतालों ने आवेदन किया था उनमें खामियों के चलते अनेक को अप्रूवल नहीं दी गई है। 1370 तरह के मुफ्त इलाज का लाभ पैनल में शामिल प्राइवेट अस्पतालों से मरीज ले सकते हैं ,जबकि 250 प्रकार के इलाज सिर्फ सरकारी अस्पताल में मरीज करा सकते हैं । निजी अस्पतालों के डॉक्टरों का मानना है कि पेमेंट के लिए डेढ़ से 2 महीने तक इंतजार करना पड़ रहा है । वहीं योजना के जिला मैनेजर का सोहन क् कहना है कि पेमेंट 15 दिन में हो जाती है । अगर फिर भी किसी अस्पताल की रूकती है तो उसमें या तो कोई गलत पैकेज सेलेक्ट किया गया होता है या फिर डॉक्यूमेंट गलत हो सकते हैं।
Swasth Report Of Haryana: The State Lags Behind Despite A Drop In Malnutrition, As Anaemia And Diarrhoea Cases Rise
Haryana was named as one of the best incremental performing states in Niti Aayog’s Health index report however the state’s performance in National Health and Family Survey 4 shows that it needs to work on bringing down instances of Anaemia and Diarrhoea cases