Sunday 19 July 2020

गाँव के स्तर पर की जाने वाली गतिविधियाँ

गाँव के स्तर पर की जाने वाली गतिविधियाँ
1 . खेल कूद प्रतियोगिताओं का आयोजन ---- हरियाणा में खेल कूद प्रतियोगिताओं की अपनी एक परम्परा रही है । इस पर गाँव के युवक व युवतियों को खास ध्यान देना चाहिए । इसके लिए लोगों से चन्द इकठा किया जा सकता है ।
1 कुश्ती प्रतियोगिता 2  कब्बडी प्रतियोगिता 3 वालीबाल प्रतियोगिता 4 दौड़ प्रतियोगिता 5 कुरसी  दौड़ 6 ट्रैक्टर से खेत बाहने की प्रतियोगिता 7 साफ़ सुथरे घर की प्रतियोगिता 8 साफ़ गलियों की प्रतियोगिता  9 चाट्टी दौड़ प्रतियोगिता ।
2  हाथ से बनाई गयी चीजों की प्रतियोगिता : बुनाई / कढ़ाई / सिलाई / रंगाई / छपाई / की प्रतियोगिता कपड़ों पर / लकड़ी पर/ फ़ैवीकोल पर / शीशे पर / ओढ़नी कढ़ाई प्रतियोगिताया किसी और चीज पर
साक्षरता का अनुभव बताता है कि इस प्रतियोगिता के माध्यम से जन चेतना केंद्र को आत्म निर्भर बनाने की तरफ ले जाया जा सकता है ।
3  कर सेवा : नाली साफ़ करना/ स्कूल में सफेदी करना/ स्कूल में शौचालय बनाना / गली की सफाई /चौपाल का रख रखाव व उसकी मरम्मत करवाना / कुँए की देखभाल /मीठे पानी के नलकों की देखभाल /लाइब्रेरी के लिए कमरा बनाना / खड़े पानी में मछरों को मारने के उपाय करना / स्वास्थ्य कैंपों का आयोजन करना ।
4  सांस्कृतिक  कार्यक्रमों का आयोजन : चन्द्र शेखर आजाद/ भगत सिंह / नेताजी सुभाष चन्द्र बोस / मुंशी प्रेम चंद के जन्म दिन / छब्बीस जनवरी / पंद्रह अगस्त / पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन अवश्य किया जाना चाहिए / साक्षरता सांग / लाड़ली सांग / नाटकों का आयोजन किया जाये / महिलाओं का साक्षरता सतसंग किया जा सकता है जिसमें वे गीत गायें । स्थानीय त्योहारों / स्वतंत्रता सेनानियों या गाँव की जानी मानी हस्तियों की याद में सांस्कृतिक कार्यक्रम किये जाने चाहिए ।
5  गाँव में जन चेतना केंद्र की देख रख में महिलाओं का स्वयं सहायता समूह चलाया जा सकता है । पानीपत का अनुभव हमारे पास है
6  वाशिंग पाउडर  बनाने की ट्रेनिंग लेकर गाँव के लिए वाशिंग पाउडर / साबुन बनाने का काम शुरू किया जा सकता है ।
7  अचार तथा चटनी बनाने की ट्रेनिंग जन चेतना केंद्र के कार्यकर्ताओं और नव साक्षरों को दी जा सकती है ।
8  साक्षरता कक्षाएं : जन चेतना केंद्र की देख रख में निरक्षरों की कक्षा लगाई जा सकती है । जो लोग स्कूल जाना छोड़ गए उनकी कक्षाओं के बारे में भी सोचा जा सकता है या उन्हें फिर से स्कूल भेज जा सकता है । दो साक्षरता की कक्षाएं हरेक जन चेतना केंद्र की देख रख में चलायी जाएँ ।
9 पुस्तकालय : जरूरत के हिसाब से , रूचिकर , सूचना देने वाली तथा साहित्यिक किताबें जुटाई जाएँ तथा जन चेतना केंद्र का एक पुस्तकालय अवश्य होना चाहिए । पुस्तकालय में अख़बारों की व्यवस्था भी की जाये ।  गाँव में बड़ा पुस्तकालय हो सकता है जहाँ से छोटे गाँव के छोटे पुस्तकालयों को किताबों का आदान प्रदान किया जा सके । प्रत्येक गाँव में एक चलती फिरती लाइब्रेरी भी होनी चाहिए । शरुआत के तौर पर कुछ गाँव में महिलाओं के पुस्तकालय का गठन किया जा सकता है । पुस्तकालयों का काम संभालने के लिए एक कमेटी का गठन किया जाना बहुत जरूरी है । कमेटी लोगों में पुस्तकें पढ़ने की आदत को बढ़ावा देने के लिए रचनात्मक कदम उठाएगी । इस कमेटी में 50 % महिलाएं हों ।
दीवारी अखबार का विकास भी यह कमेटी कर सकती है
स्थानीय पत्रिका की योजना भी बनायी जा सकती है ।  
स्कूल की लाइब्रेरी से तालमेल किया जा सकता है
कम कीमत की अच्छी/ जनतांत्रिकता व धर्म निरपेक्षता व राष्ट्रीय एकता की भावनाओं को बढ़ावा देने वाली पुस्तकें भी जरूर होनी चाहिए ।  
मुंशी प्रेम चाँद / शरतचन्द्र जैसे पर्शिद्ध लेखकों का साहित्य भी हो ।
10  पठन पाठन संस्कृति का विकास करना :
जन वाचन आंदोलन के माध्यम से यह बखूबी किया जा सकता है
लोगों को पढ़कर किताबें सुनायी जाएँ और पढ़ने को   प्रेरित किया जाये
किताबों के मेले लगाए जाएँ
प्रत्येक गाँव में किताब उत्सवों का आयोजन किया जाये
भेंट में किताबें देने का प्रचलन बढ़ाया जाये
लोगों को किताबें खरीदने के लिए प्रेरित किया जाये
इस सारे काम में लोगों की सक्रिय हिस्सेदारी होना बहुत जरूरी है ।
11  चर्चा मंडल / चर्चा समूह / विचार गोष्ठी
चर्चा समूहों का गठन किया जाये
महिला चर्चा मंडल अलग से गठित किये जा सकते हैं ।  अच्छा हो यदि महिला और पुरुषों के इक्ठ्ठे   ग्रुपों का भी विकास किया जाये
चर्चा का विषय एवं वक्त ये समूह खुद तय करेंगे
विषय विशेषज्ञों को बुला कर चर्चा की शरुआत उनसे करवाई जा सकती है
कुछ लोगों को चर्चा समूहों के संचालन में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए ।  उनके पास चर्चा को संचालित करने व दिशा देने के लिए पर्याप्त सामग्री होनी चाहिए
बहस बढ़ने के लिए अनौपचारिक तौर तरीकों का भी इस्तेमाल किया जाना चाहिए
12  प्रशिक्षण कार्यक्रम :
साधारण तथा कम समय के ओरिएंटेशन कार्यक्रमों का , भिन्न विषयों पर मसलन स्वास्थ्य , कृषि , पशु पालन , भोजन पकाना , अचार बनाना , आदि का आयोजन किया जाना चाहिए
विकास से जुड़े मुद्दों के साथ मिलकर वोकेशनल ट्रेनिंग का कर्यक्रम किया जा सकता है
ट्रेनिंग लेने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए स्वस्थ बेबी कार्यक्रम , अच्छी गृहणी , या अच्छा किसान कार्यक्रमों का आयोजन किया जा सकता है ।
13  सूचना व ज्ञान की खिड़की :
आम जन को  विभिन्न  विभागों  की गतिविधियों से परिचित करवाना ।
जन चेतना केंद्र गाइड को इस प्रकार की किताबें या पैम्फलेट मुहैया करवाना ताकि सूचना आगे जा सके ।
सूचना सामग्री को सरल भाषा में विकशित करना तथा सम्प्रेषण के अलग तरीको - भाषण,चर्चा,स्लाइड शो ,नाटक, गीत,स्वांग,आल्हा,वाल राइटिंग, आदि से लोगों के बीच लेकर जाना ।
अलग अलग विभागों के  विशेषज्ञों ,वैज्ञानिकों और आम जन का विचार विमर्श
14. वैज्ञानिक रुझान उभारना और विकशित करना :
विज्ञान का लोकप्रियकरण करना ।
चमत्कारों का पर्दाफाश करना
अंधविश्वास को दूर करना
तर्क और विश्लेषण की क्षमता पैदा करना
महिलाओं के घर के काम को उचित टेक्नॉलॉजी का ज्ञान देकर कम करना ताकि उनकी हिस्सेदारी सामाजिक विषयों पर बढ़ सके।उदाहरण के लिए बिना धुंए वाला चूल्हा , सोलर कूकर, साईकिल आदि ।
15. महिला सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान देना :
चेतना के स्तर पर
आंगनबाड़ी
पंचायत स्तर पर
जन चेतना केंद्र में
महिला स्वास्थ्य संघ में
महिला मण्डल में
बचत समूह- बचत की भावना
महिला और शिक्षा
महिला और कानून
महिला और घरेलू हिंसा
महिला और समता
महिलाओं के प्रशिक्षण की योजना
महिलाओं में सामूहिकता के कार्यक्रम
महिलाओं में वोकेशनल एजुकेशन के कार्यक्रम
16. स्कूल जाने वाले बच्चों को स्कूल पहुँचाना:
गाँव के स्कूल की उम्र के सभी बच्चों को स्कूल में भर्ती करवाना ।
भर्ती हुए बच्चों को स्कूल न छोड़ने के लिए प्रेरित करना ।
जो स्कूल नहीं जा सके या जा सकते उनको अनोपचारिक शिक्षा के माध्यम से औपचारिक शिक्षा तक पहुँचाने में मदद करना ।
ग्राम शिक्षा कमेटी महीने में एक बार मिलकर इस समस्या पर अवश्य बातचीत करे ।
खेल खेल में शिक्षा आदि कार्यक्रमों का फॉलोअप करना ।
17. कानूनी साक्षरता तथा सामजिक मुद्दे :
इस सन्दर्भ में आम जन को सूचना तो दी ही जानी  चाहिए ताकि वे अपने हकों ,कर्तव्यों तथा सामजिक मुद्दों पर अपनी राय कायम कर सकें तथा अपनी भूमिका तय कर सकें ।
18. पानी एवम् भूमि प्रबन्धन योजना :
इसमें हिस्सेदारी करने के लिए गाँव के लोगों को प्रेरित करना । विकास कार्यों में लगे विभागों के साथ तारतम्य स्थापित करना ।
19. गाँव में 40 साल से कम उम्र की बाँझ महिलाओं को चिन्हित करना तथा उनका इलाज कराना।
20. गाँव में स्वास्थ्य रजिस्टर का रख रखाव पूरी जानकारी के साथ रखना ।
21. क्षेत्र गरीबी उन्मूलन /स्वास्थ्य/महिला एवं बालक विकास कार्यक्रमों में सहायता करना मसलन
डी आर डी ए, कृषि,वन,,खान,उद्योग,मछली पालन,डेयरी,रेवेन्यू, वित्तीय संस्थान-इनसे वास्ता कायम करना होगा ।
जन स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण
महिला एवम् बाल विकास विभाग , सामाजिक उत्थान एवम् पंचायत विभाग
किनके माध्यम से :
1 सरपंच, पञ्च, ग्राम सेवक, ग्राम सहायक , वनगार्ड ,स्टॉक मैन, पटवारी,पीडी एस दूकानदार, अध्यापक, बैंक फील्ड ऑफीसर, दुग्धकेंद्र का इंचार्ज, एल आयी सी एजेंट,
2. ए एन एम, एम् एच डब्ल्यू , हैण्डपम्प मैकेनिक , जन स्वास्थ्य रक्षक, नेहरू युवा केंद्र , दाई।
3. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता , सहायिका,साथिन , ग्राम सेविका ।
इन सबका केंद्र बिंदु या मिलान बिंदु जन चेतना केंद्र को बनना है ।
जिला स्तर से इस नाभिक बिंदु की भूमिका मोनिटर की जाय।
22. उस गाँव के कुल कितने लोग हैं जो कर्मचारी ,अफसर हैं? वे कहाँ कहाँ काम करते हैं ? तथा जन चेतना केंद्र की गतिविधियों में क्या योगदान दे सकते हैं ?  
23. सामूहिक स्तर पर सब्जियों की बीजाई जैसे घीया , तोरी आदि को गितवाडों में बिजवाना ।
24. पौधारौपन खासकर फलदार वृक्षों का करना ।
25. गाँव की विधवा महिलाओं की सूची तैयार करना तथा उन्हें आर्थिक व् सामजिक सुरक्षा प्रदान करने का जतन करना ।
26. गाँव में  विकलांग लोगों की सूची तैयार करना तथा रेडक्रास से उनकी मदद करवाना।
27. गाँव के चौकीदारों को खासकर जन चेतना केंद्र में शामिल करना । यदि निरक्षर हैं तो उन्हें साक्षर बनाना।
28 . कार्यकर्ताओं की समझ बढ़ाने के लिए वर्कशॉप आदि का आयोजन करना ।
29. अक्षर सैनिकों की पढ़ाई व्यवस्था में मदद करना ।उनकी अक्षर सैनिक मण्डलियों का गठन करना ।
30. जिला कार्यालय से जन चेतना केंद्र का जिन्दा सम्पर्क स्थापित करना :
गाँव से दुकानदार शहर आते हैं उनके माध्यम से
कई गाँव में शहर से अध्यापक पढ़ाने गाँव जाते हैं
कई लोग दिल्ली के डेली पैसेंजर हैं
कई लोग गाँव से शहर नौकरी के लिए रोजाना आते जाते हैं
तीन पहिया/ बस या जीप के चालक
ट्रेक्टर ड्राइवर
31. साक्षरता का हरकारा, आदि पत्र पत्रिकाओं का जन चेतना केंद्र में नियमित रूप से मंगवाना ।
32. महिलाओं की हिस्सेदारी सुनिश्चित की जाये -आशा वर्कर ,मिड डे मील वर्कर आँगन वाड़ी वर्कर आदि।
हर स्तर पर महिलाएं हों
उनके  लिये कार्यशालाओं का आयोजन हो।
मीटिंगें उनके वक्त के हिसाब से तय की जाएँ
मीटिंगों में और कार्यक्रमों में बच्चों की देख रेख की सुविधाओं के बारे  में सोचा जाये ।
आने जाने की समस्याओं पर चर्चा हो।
प्रेस नोट तैयार करने को प्रेरित करें। दरखास्त लिखना सिखाएं ।हिसाब किताब रखना सीखें ।
महिलाओं के प्रति मानवीय समतावादी रूख अपनाएं ।
33. अपनी अपनी डायरी लिखने का काम अपने हाथ में लें
34. गाँव की रिसोर्स मैपिंग का काम करना। भूमि व पानी साक्षरता का काम हाथ में लेना ।
35. दहेज़ समस्या, घूंघट की समस्या, नशाखोरी, बेरोजगारी, आदि सामाजिक मुद्दों पर सेमिनारों का आयोजन करना ।
36. सूचना का अधिकार मौलिक अधिकार हो इसके लिए दबाव बनाना।
37. देश की एकता ,आत्म निर्भरता, राष्ट्र विकास, आदि मुद्दों को समझना तथा लोगों तक इनका अलग अलग ढंग से सम्प्रेषण करना।
38. जातिवाद , धार्मिक कट्टरता , सांस्कृतिक पिछड़ापन , जैसी समस्याओं पर समूहों में चर्चा करना।
39. हरियाणा के विकास की - कृषि क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र, मानव संसाधन की समस्याओं पर समूहों में चर्चा करना।
40. हरियाणा को जानो हरियाणा को बदलो - नारे के तहत सर्वेक्षण व स्टेट्स पेपर तैयार करवाने में मदद करना
रणबीर
9812139001
dahiyars@rediffmail.com

SOCIAL DETERMINANTS OF HEALTH

1. INCOME
2. EDUCATION.
3. RACEAND ETHINICITY
4. TRANSPORTATION
5. HOUSING
6. FOOD ACCESS
7. COMPLEX Health NEEDS
8. INSURANCE
THE CONDITIONSIN WHICH PEOPLE BORN,GROW,WORK, AGE
STRUCTURAL DETERMINANTS ---
--GOVERNANCE
--ECONOMICS
--SOCIAL AND PUBLIC POLICIES
--CULTURE ANDSOCIETAL VALUES
--SOCIAL CLASS
--GENDER ETHINICITY
--EDUCATION
--OCCUPATION
--INCOME AND PLACEOF LIVING
INTERMEDIATARY DETERMINANTSOF HEALTH
--MATERIAL CIRCUMSTANCES--Like Living and working conditions,food availabilityetc, exposure to risks, risk behaviours,bilogical and psychological factors .

हरियाणा में स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा

हरियाणा में स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा
1.सिविल अस्पताल --68
2.सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र--128 होने चाहिए-143
3.प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र-531 होने चाहिए-573
4. उप स्वास्थ्य केंद्र--- 2650 होने चाहिए--3440
5. पोलीक्लीनिक्स--11
6. अर्बन हेल्थ सेन्टर--11
7. डिस्पेंसरी--4

सन्दर्भ-(haryanahealth.nic.in)---INFRASTRUCTURE

1. महिलाओं और बच्चों में कुपोषण अभी भी ज्यादा है हरियाणा में 
2.71.1%(6--59) महीनों के बीच के बच्चे खून की कमी का शिकार हैं।
3.62.7% (15--49)महिला और किशोरी खून की कमी की शिकार हैं।
4.6.5% बच्चे (6--23 महीने ) ही ठीक खुराक पा रहे हैं।
5.34% बच्चों (5 साल से कम उम्र के ) में विकास अवरुद्ध stunted है(उम्र के हिसाब से कद कम होना)
6.21.2% बच्चों (5 साल से कम उम्र ) में वेस्टिड ग्रोथ (कद के हिसाब से वजन कम होना) है। और 9 % बच्चे severly wasted हैं।
7.कम वजन के बच्चे(5 साल से कम उम्र के)29.4% हैं।
(The pioneer 15 Dec.2017) Chief Minister brief
1.55% गर्भवती महिलाएं (15--49) खून की कमी का शिकार ज्यादा कुपोषण के कारण
2.63.1% आम महिला (15-49) में भी खून की कमी मिली।
3.62.7% किशोरियां (15-19) खून की कमी का शिकार।
4.29.7% किशोर (15-19) खून की कमी का शिकार
5. 36.6% किशोरियां(15-19) कुपोषित हैं ।
6.30.6% किशोर (15-19) कुपोषित 
7.Severe  Acute Malnutrition (2015-16)--1050 बच्चे दाखिल हुए जिले के nutrition rehabilitation centre में और 1029 बच्चे (2016-17) में दाखिल हुए ।
(NFHS-4 (2015--16)और District Helath Information Software-2)