Saturday, 1 October 2022

डेंगू बुखार

 डेंगू के लक्षण और उपचार


          डेंगू अपने आप में प्राणों के लिए खतरा पैदा करने वाला रोग तो बहुत ही दुर्लभ रूप से ही होता है और सामान्य स्थितियों में इसकी वजह से ऐसी दहशत नहीं फैलनी चाहिए, जैसी इस समय फैली हुई है। लेकिन, सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था के पहलू से, दिल्ली की और वास्तव में देश भर की ही स्थितियों को सामान्य तो शायद ही कहा जा सकता है। लेकिन, हम इस पर जरा बाद में चर्चा करेंगे। जहां तक डेंगू का सवाल है, यह वाइरस का संक्रमण है, जो एंडीज मच्छर के काटने से फैलता है। यह मच्छर साफ पानी में पनपता है और मलेरिया फैलाने वाले एनोफिलीज मच्छर के विपरीत, ऐंडीज मच्छर दिन में ही लोगों को काटता है। याद रहे कि मलेरिया फैलाने वाला एनोफिलीज मच्छर रुके हुए गंदले पानी में पनपता है और शाम के समय काटता है। डेंगू के लक्षण हैं--बुखार, सिरदर्द और अक्सर तेज बदन दर्द। डेंगू के बहुत से मरीजों में अपेक्षाकृत हल्के लक्षण ही सामने आते हैं और वास्तव में इसके संक्रमण की चपेट में आने वालों में से 80 फीसद के मामले में या तो डेंगू के कोई लक्षण दिखाई ही नहीं देते हैं और दिखाई भी देते हैं तो मामूली बुखार तक मामला सीमित रहता है। यहां तक कि जिन लोगों में इसके बहुत प्रबल लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे तेज बुखार तथा तेज बदन दर्द (डेंगू को शुरू में ‘हाड़ तोड़ बुखार’ के नाम से जाना जाता था क्योंकि कुछ मामलों में इससे बहुत भारी बदन दर्द होता था), उनमें से भी अधिकांश 7 से 10 दिन में पूरी तरह से स्वस्थ हो जाते हैं। डेंगू पीडि़तों के बदन पर लाल निशान प्रकट हो सकता है, जो सामान्यत: बुखार शुरू होने के 3-4 दिन बाद प्रकट होता है। बुखार, रुक-रुक के आता है यानी 3 से 5 दिन बाद बुखार उतर जाता है और उसके बाद दो-तीन दिन के लिए फिर चढ़ जाता है।
          डेंगू का कोई विशेष उपचार नहीं है क्योंकि ऐसी कोई खास दवा बनी ही नहीं है, जिसका डेंगू पैदा करने वाले वाइरस पर सीधे असर हो। बुखार और दर्द जैसे लक्षणों का उपचार, पैरासिटामॉल से किया जाता है। एस्पिरीन या अन्य दर्दनाशकर जैसे ब्रूफेन आदि डेंगू के रोगियों को नहीं दिए जाते हैं क्योंकि गंभीर रूप से संक्रमण के शिकार रोगियों में से कुछ के मामले में, इन दवाओं से रक्तस्राव की समस्या और बढ़ सकती है।
          डेंगू के रोगियों के एक छोटे से हिस्से में गंभीर जटिलताएं भी पैदा हो सकती हैं। ऐसे रोगियों के मामले में ‘डेंगू का रक्तस्रावी बुखार’ हो सकता है। डेंगू के बुखार के इस रूप में शरीर की रक्तस्राव रोकने वाली प्राकृतिक प्रणालियां अपना काम करना बंद कर देती हैं। ऐसे मरीजों के मामले में गंभीर आंतरिक रक्तस्राव हो सकता है और शरीर की रक्त प्रवाह प्रणाली ही बैठ सकती है। इससे चिकित्सकीय इमर्जेंसी की स्थिति पैदा हो जाती है, जिसे ‘‘शॉक’’ कहते हैं। अंतरिक रक्तस्राव के शुरूआती लक्षणों के रूप में रोगी की ऊपरी त्वचा के अंदर और म्यूकस मेंब्रेन में, जैसे मुंह के अंदर, खून के छोटे-छोटे धब्बे दीख सकते हैं।
          गंभीर रक्तस्राव के लक्षणों का पता, रोगी के रक्त के प्लेटलेट्स की गणना से लग सकता है। शरीर में आंतरिक रक्तस्राव को रोकने के लिए, प्लेटलेट्स की संख्या का खास स्तर तक रहना जरूरी होता है। एक सामान्य व्यक्ति के खून में 1 से 1.5 लाख प्रति घन मिलीमीटर तक प्लेटलेट होते हैं। कुछ डेंगू रोगियों के मामले में यह संख्या घटकर 50 हजार से भी नीचे चली जाती है। आमतौर पर यह संख्या घटकर 10,000 से नीचे चले जाने की सूरत में आंतरिक रक्तस्राव होने लगता है। ऐसे रोगियों को अस्पताल में भर्ती कर, प्लेटलेट चढ़ाए जाने की जरूरत होती है। वैसे तो टाइफाइड बुखार जैसे कुछ अन्य संक्रमणों के मामले में भी प्लेटलेट का स्तर घट सकता है, लेकिन डेंगू के बुखार के मामले में ही ऐसा ज्यादा होता है। फिर भी प्लेटलेट के स्तर को डेंगू के टैस्ट की तरह प्रयोग नहीं किया जा सकता है। यह टैस्ट महंगा है और ज्यादा उन्नत प्रयोगशालाओं में ही इसकी सुविधा होती है। इसके अलावा, खासतौर पर जब डेंगू की बीमारी अपने आरंभिक चरण मेें हो, इस टैस्ट के जरिए निर्णायक रूप से इसका फैसला नहीं किया जा सकता है कि टैस्ट कराने वाले को डेंगू का संक्रमण नहीं हुआ है। डेंगू के वाइरस की तीन-चार किस्में आम तौर पर देखने को मिलती हैं, जिनमें से टाइप-2 और टाइप-4 को ज्यादा नुकसानदेह माना जाता है।
DR AMITSEN GUPTA

सिंघु बॉर्डर

  किसान सभा सोनीपत सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा , सीटू,  जन स्वास्थ्य अभियान हरियाणा द्वारा सिंघु बॉर्डर सोनीपत पर स्वास्थ्य सहायता कैम्प का संचालन किया 4 दिसम्बर 2020 से जुलाई 2021 तक किया गया। हर्षिता, पूजा, अनुदित (बीएससी नर्सिंग स्टूडें ) , आशा वर्करज यूनियन राज्य महासचिव सुनीता सुदेश आशा वर्कर जिन्होंने लगातार कैंप का संचालन किया । सीटू राज्य राज्य केंद्र की तरफ से सीटू राज्य अध्यक्ष सुरेखा जी ने इस कैंप का लगातार निरीक्षण किया ।सुनीता पूनम छवि पम्मी तमाम आशा वर्करों ने कैम्प को चलाने में अहम भूमिका निभाई है कैंप पर ड्यूटी करने वाली आशा वर्कर्स ने अपने गांव से आसपास के गांव से किसानों से चंदा इकट्ठा करके कैंप पर दवाइयां भी मुहैया करवाने के जिम्मेदारी निभाई । छत्तीसगढ़ से भी डॉक्टरों की टीम ने 8 दिन तक कैंप में ड्यूटी की है   राज कुमार दहिया फार्मासिस्ट, नेत्र चिकित्सा सहायक राजबीर बेरवाल , स्वास्थ्य निरीक्षक सुरेश उचाना की टीम और डॉ सुरेश शर्मा जी प्रधान सामाजिक चिकित्सा महासंघ पानीपत और उनकी 10-  12 आर एम पी डॉक्टरों की टीम अपना तहेदिल से सहयोग दिया।

    10 दिसम्बर 2020 को 659 मरीजों को परामर्श दिया और दवाएं दी। इसी प्रकार 29 दिसम्बर को 162 मरीजों को परामर्श दिया गया। इसी प्रकार रोजाना परामर्श दिया जाता था। कुल ----------मरीज देखे गए ।
जन स्वास्थ्य अभियान हरियाणा

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***हरियाणा की स्वास्थ्य व्यवस्था और जन स्वास्थ्य अभियान की भूमिका:***
पिछले कुछ वर्षों के दौरान हरियाणा में स्वास्थ्य के क्षेत्र में अनेक ढांचागत व नीतिगत बदलाव के साथ-साथ उद्देश्यों के स्तर पर भी बदलाव हुए हैं । पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान तीन नए राजकीय मेडिकल कॉलेज खुले व  पीजीआईएमएस रोहतक को हेल्थ यूनिवर्सिटी  के तौर पर अपग्रेड किया गया। लेकिन पहले से मौजूद स्वास्थ्य ढांचे की सुध कम ली गई । वो चाहे पीएचसी हों , सीएचसी हों या फिर सामान्य अस्पताल सभी जगह चिकित्सकों ,अन्य स्वास्थ्य कर्मियों जैसे लैब तकनीशियन , फार्मासिस्ट , स्टाफ नर्स इत्यादि की कमी ज्यों की त्यों बनी हुई है । जो स्वास्थ्य कर्मचारी पहले से काम कर रहे हैं , उनके शिक्षण व प्रशिक्षण की हालत भी बहुत अच्छी नहीं है। सभी स्वास्थ्य कर्मचारी सरकार की मौजूदा नीतियों से परेशान हैं। स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं जैसे आशा वर्कर्स, आंगनवाड़ी वर्कर आदि की स्थिति भी बाकी कर्मचारियों जैसी ही है । पिछले कुछ वर्षों में इन तमाम तबकों ने अनेक हड़तालें व प्रदर्शन इन्हीं मांगों को लेकर किए हैं । दूसरी ओर मरीजों व बीमारियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है , कोई भी बीमारी महामारी का रूप धारण कर लेती है । गर्भवती महिलाओं व छोटी बच्चियों में  खून की कमी हरियाणा की पहचान बनी हुई है ।अस्पतालों में दवाइयों की उपलब्धता बहुत बार न के बराबर है। जांच सेवाएं उपलब्ध  कराने के नाम पर निजी कंपनी को पीपीपी के ठेके दिए गए हैं। इससे लोगों के एक तबके को कुछ राहत तो मिली है लेकिन निजीकरण की मुहिम  ज्यादा तेज हो गई है । राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना भी पिछले करीब 4 साल से बजट उपलब्धता के बावजूद ठप्प पड़ी है । स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और विकास के नाम पर सिर्फ बड़ी-बड़ी बिल्डिंग ही बनी हैं । यह सारी परिस्थितियां स्वास्थ्य ढांचे व सेवाओं के प्रति सरकार की उदासीनता को ही दर्शाती हैं ।
     एक तरफ जहां सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचा  लोगों की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को संबोधित करने में नाकाफी सिद्ध हो रहा है वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य के साथ-साथ दूसरे सामाजिक क्षेत्र जैसे शिक्षा आदि के क्षेत्र में भी सार्वजनिक निवेश नियमित रूप से साल दर साल  कम होता जा रहा है । जरूरी हो जाता है कि स्वास्थ्य तंत्र को मजबूत करने के लिए और सार्वजनिक सेवाओं के तेजी से हो रही निजीकरण के खिलाफ लोग अपनी आवाज बुलंद करें । यह सब चुनौतियां जन स्वास्थ्य  अभियान हरयाणा की भूमिका को अहम बना रही हैं ।
कुछ मुख्य मुद्दे:


1. स्वास्थ्य के सामाजिक कारकों पर काम :
* इसमें सभी के लिए भोजन सुरक्षा को बढ़ावा शामिल है और इसका विस्तार सार्वजनिक वितरण प्रणाली तक होना चाहिए।
* इसमें पीने का साफ पानी
*स्वच्छता सुविधाएँ
*पूरा रोजगार
* सबको शिक्षा और
* सबके लिए घर मुहैया कराया जाना शामिल हैं
2. स्वास्थ्य के जेंडर पहलू पर जोर::
*सभी महिलाओं को पूरी तरह और गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने की गारंटी हो
*ये केवल मातृत्व देखभाल तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए
*ऐसे सभी कानूनों ,नीतियों और प्रथाओं को बंद किया जाना चाहिए जो महिलाओं के प्रजनन , यौन और जनतांत्रिक अधिकारों का हनन करते हों ।
3.जाति आधारित भेदभाव का खात्मा::
*तुरंत और प्रभावशाली कदमों की जरूरत है जिससे जाति आधारित भेदभाव मिटाया जा सके।
*ये ख़राब स्वास्थ्य का एक बड़ा सामाजिक कारक है।
* मैला ढोने की प्रथा पर तुरंत प्रभावी रोक लगनी चाहिए
4. स्वास्थ्य का अधिकार कानून बने :
*इस कानून के जरिये सार्वभौमिक क्वालिटी स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करने की जरूरत है।
* प्राथमिक ,सेकेंडरी और सभी तरह की स्वास्थ्य देखभाल जरूरी बनाई जानी चाहिए।
* स्वास्थ्य के अधिकार से किसी भी तरह से वंचित करना अपराध घोषित किया जाना चाहिए ।
5.स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च में बढ़ोतरी::
सकल घरेलू उत्पाद यानि जीडीपी का 3.6% सालाना यानि प्रति व्यक्ति 3000
रूपये खर्च किया जाना चाहिए जिसमें 1000 रूपये केंद्र सरकार का योगदान होना चाहिए । सारी सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को मुक्त रखा जाना चाहिए और धीरे धीरे इसे जीडीपी का 5 % तक ले जाया जाना चाहिए ।
6. स्वास्थ्य सेवाओं में गुणवत्ता हो और सबको मुहैया हो ::
सभी स्वास्थ्य सुविधाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित की जानी चाहिए। सभी स्वास्थ्य सुविधाएं मुफ्त होनी चाहिए और सरकार द्वारा संचालित होनी चाहिए ना कि पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के जरिये।
7. स्वास्थ्य सेवाओं का निजीकरण हर स्तर पर रोका जाए:
सरकारी संसाधनों को निजी हाथों में सौंपने पर तत्काल रोक लगनी चाहिए । सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं पर निवेश बढाकर  निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी को रोका जाना चाहिए।
8. स्वास्थ्य कर्मियों का प्रशिक्षण::
सभी तरह के स्वास्थ्य कर्मचारियों की शिक्षा और प्रशिक्षण पर सरकारी निवेश बढ़ाया जाना चाहिए । दूरदराज के इलाकों में काम करने वाले डॉक्टरों , नर्स, और दूसरे स्टाफ की सरकारी कालेज में प्रशिक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए।
9. पर्याप्त स्वास्थ्य कर्मियों की व्यवस्था::
सभी स्तरों पर सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था में पर्याप्त कर्मचारियों की तैनाती की जानी चाहिए ।कांट्रैक्ट कर्मचारियों को नियमित किया जाना चाहिए । आशा , ए एन एम और सभी स्तरों पर स्टाफ का पर्याप्त कौशल विकास , वेतन और बेहतर काम की स्थितियां पैदा की जानी चाहिए।
10. सभी सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर सबको मुफ्त आवश्यक दवाईयों और डायग्नोस्टिक सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित हो ।
11. निजी अस्पतालों के शोषण पर रोक लगे:
नेशनल क्लीनिकल एस्टब्लिशमेंट एक्ट के तहत सभी अस्पतालों में मरीज के अधिकारों की रक्षा , विभिन्न सेवाओं की कीमत पर नियंत्रण,दवा लिखने , जांच और रेफर करने के लिए दी जाने वाली रिश्वत पर रोक लगाने का प्रावधान होना चाहिए ।
12. सभी सरकारी  स्वास्थ्य बीमा योजनाओं (आर एस बी वाई और अन्य राज्य सरकारों की योजनाओं ) को सामान्य कराधान के जरिये एक व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था के दायरे में लाया जाना चाहिए ।
13. आवश्यक एवं सुरक्षित दवाओं और उपकरणों तक पहुंच सुनिश्चित की जाये:
लागत आधारित मूल्य नियंत्रण सभी दवाओं पर फिर लागू किये जाने की जरूरत है । सभी गैरजरूरी दवाओं और उनके सम्मिश्रण पर रोक सुनिश्चित की जानी चाहिए ।

*

इन पर विस्तार से बातचीत करते हुए एक मांग पत्र बनाये जाने की जरूरत है।
जन स्वास्थ्य अभियान हरियाणा ।

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*स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बनाने और सार्वजनिक स्वास्थ्य ढ़ांचे की मजबूतीे एवं विस्तार हेतु अभियान*


आदरणीय साथियों, 


जैसा आप और हम जानते हैं कि मार्च 2020 से देश-दुनिया में शुरू हुई कोरोना महामारी ने भयंकर रूप लेते हुए दूसरी लहर के समय हमारे देश में विकराल रूप धारण कर लिया था। सरकारी आंकड़ों अनुसार 19 अगस्त 2022 तक कोरोना वायरस से दुनिया भर में करीब 60 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं और 64 लाख 67 हजार लोग कोरोना से जिन्दगी की जंग हार चुके हैं। हमारे देश में भी अब तक 4.5 करोड़ लोग संक्रमित और 5 लाख 27 हजार मौत का शिकार हुए हैं। जबकि विभिन्न एजेंसियों ने हमारे देश में मौत के आँकड़े को 45 लाख से ज्यादा बताया है। अप्रैल-मई 2021 में तो कई दिनों तक 4 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो रहे थे और मरने वालों की संख्या भी प्रतिदिन 4 हजार के आसपास रही थी। अब भी हम कोरोना केसों में बार-बार उतार चढ़ावों को देख रहे हैं। हालांकि कोरोना की पहली लहर के समय ही वैज्ञानिकों एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने बचाव के अनेक उपाय बताए थे जिन्हें अमल में लाकर सरकार इस महामारी से हुए नुकसान को कम कर सकती थी। लेकिन अफसोस की बात है कि इन उपायों को खुद नीति निर्माताओं तक ने ही नहीं अपनाया। सरकार ने तो एक तरफ कोरोना से बचाव की समुचित व्यवस्था न करके लोगों को लगभग निहत्था छोड़कर अपना पल्ला झाड़ लिया था। दूसरी तरफ हमारा वर्तमान स्वास्थ्य ढ़ांचा लंबे समय से चिकित्सकों और अन्य स्टाफ एवं बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है। इसके बावजूद सरकारी चिकित्सकों और अन्य स्टाफ ने अपनी जान जोखिम में डालकर आम लोगों की भरपूर मदद की थी। जो बेहद काबिलेतारिफ थी। क्योंकि प्राईवेट क्षेत्र ने तो अपने हस्पतालों को बंद ही रखा था या भयंकर लूट मचाई थी।


*स्वास्थ्य की परिभाषा:*

ऐसे में स्वास्थ्य सिर्फ बीमारियों की अनुपस्थिति का नाम नहीं है। दैहिक, मानसिक और सामाजिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ होना (समस्या-विहीन होना) ही स्वास्थ्य की  परिभाषा है। किसी व्यक्ति की मानसिक, शारीरिक और सामाजिक रुप से अच्छे होने की स्थिति को स्वास्थ्य कहते हैं। हमें सर्वांगीण स्वास्थ्य के बारे में जानकारी होना बहुत आवश्यक है। तीन डी (डिजीज, डॉक्टर और दवाई) के अलावा हमारे स्वास्थ्य के सामाजिक कारक भी हैं जिन पर सरकार का बहुत कम ध्यान है। चूँकि हम सामाजिक जीव हैं, अतः संतोषजनक रिश्ते का निर्माण करना और उसे बनाए रखना हमें स्वाभाविक रूप से आता है। सामाजिक रूप से सबके द्वारा स्वीकार किया जाना हमारे भावनात्मक खुशहाली के लिए और स्वास्थ्य के लिए अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। हमारे स्वास्थ्य के निम्नलिखित सामाजिक कारक हैं जो हम सबके स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।

ऽ प्रदूषणमुक्त वातावरण हो। 

ऽ शुद्व पेयजल एवं पानी की टंकियों का प्रबंध हो।

ऽ मल-मूत्र एवं अपशिष्ट पदार्थों के निकासी की योजना हो। 

ऽ सुलभ शैचालय हो।

ऽ समाज अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रहमचर्य एवं अपरिग्रही स्वभाव वाला हो।

ऽ वृक्षारोपण का अधिकाधिक कार्य हो। 

ऽ सार्वजनिक स्थलों पर पूर्ण स्वच्छता हो।

ऽ जंनसंख्यानुसार पर्याप्त चिकित्सालय हों। 

ऽ संक्रमण-रोधी व्यवस्था हो।

ऽ उचित शिक्षा की व्यवस्था हो। 

ऽ भय एवं भ्रममुक्त समाज हो।

ऽ मानव कल्याण के हितों वाला समाज हो।

ऽ अपनी व्यक्तिगत क्षमता के अनुसार समाज के कल्याण के लिए कार्य करना।


*स्वास्थ्य ढ़ांचे की स्थिति:* 

हरियाणा में 12 मेडिकल कॉलेज हैं जो पूर्णकालिक मोड में एमबीबीएस पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं, इनमें से 7 कॉलेज निजी हैं, 4 सरकारी हैं, और 1 सार्वजनिक-निजी कॉलेज है। भारत में सभी अस्पतालों के 93 प्रतिशत अस्पताल, 64 प्रतिशत बिस्तर, 85 प्रतिशत डॉक्टर, 80 प्रतिशत आउट पेशेंट और 57 प्रतिशत मरीज निजी क्षेत्र में हैं। लगभग यही स्थिति हरियाणा में भी है। निजी क्षेत्र पर सरकार के रेगुलेट करने के नियम भी बहुत ढीले हैं। स्वास्थ्य पर होने वाले भारी-भरकम खर्च के चलते हर साल औसतन चार करोड़ भारतीय परिवार गरीबी रेखा के नीचे चले जाते हैं। सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की हालत भी हरियाणा में बहुत ही दयनीय है। 80 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में खून की कमी और 72 प्रतिशत बच्चों में खून की कमी है।

 

हमारा स्वास्थ्य ढ़ांचा वर्तमान जनसंख्या के अनुमान से काफी कम है और जो है उसमें भी डॉक्टरों, नर्सों, फार्मसिस्टों, लैब तकनीशियों, रेडियोग्राफरों, मल्टीपरपज स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और बाकी स्टाफ की भी आंकड़े बहुत कमी  दर्शाते हैं। इसके साथ ही दवा, मशीनों, लैब टैस्टों की  भी उचित आवश्यक उपलब्धता बहुत से पीएचसी और सीएचसी और दूसरे अस्पतालों में नहीं है। कोरोना के संकट के समय सार्वजनिक सेवाओं की कमी खलने वाली थी और निजि क्षेत्र के अस्पतालों में मरीजों का इलाज उम्मीदों से परे महंगा रहा। कुछ केसों में बहुत ही नाजायज वसूली भी सामने आई।

 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) के मानकों अनुसार वर्ष 2011 की जनसंख्या के आधार पर ग्रामीण इलाकों में हर नागरिक को संपूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए 5000 की आबादी पर एक उप स्वास्थ्य केंद्र, 30,000 की आबादी के लिए एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) और 80 हजार से 1 लाख 20 की आबादी पर एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) होना चाहिए। फिलहाल प्रदेश में 2667 उप स्वास्थ्य केंद्र, 532 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 128 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित हैं। जबकि वर्तमान आबादी की जरूरतों के हिसाब से हमारे पास 634 उपस्वास्थ्य केंद्रों, 81 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और 53 सामुदायिक केंद्रों की कमी बनी हुई है। न केवल स्वास्थ्य ढांचों बल्कि स्टाफ की भी भारी कमी बनी हुई है। 


एक सीएचसी में 6 विशेषज्ञ डॉक्टर (जिनमें एक सर्जन, एक स्त्री रोग, एक फिजिशियन, एक शिशु रोग, एक हड्डी रोग और एक बेहोशी देने वाला) होने चाहिए। इसके हिसाब से वर्तमान आबादी अनुसार 714 स्पेशलिस्ट डॉक्टर होने चाहिए। जबकि जनवरी 2022 तक राज्य भर में केवल मात्र 27 स्पेशलिस्ट ही मौजूद हैं यानि 687 स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी बनी हुई है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 491 डॉक्टर हैं जबकि होने 1064 चाहिए यानि आधे से ज्यादा में एक भी डॉक्टर नहीं है। उधर रेडियोग्राफरों की संख्या 128 होनी चाहिए लेकिन कार्यरत केवल 38 हैं यानि 90 की कमी है। फार्मासिस्ट्स की संख्या करीब 770 होनी चाहिए लेकिन केवल 405 ही कार्यरत हैं यानि 365 की कमी है। नेत्र चिकित्सा सहायकों की संख्या भी 128 होनी चाहिए मगर कार्यरत 35 ही हैं। लैब टेक्नीशियन के 770 पदों के मुकाबले 400 लैब तकनीशियन ही कार्यरत हैं यानि 370 की कमी बनी हुई है। मल्टीपर्पज कैडर में एमपीएचडब्ल्यू (पुरूष और महिला) की संख्या करीब 3800 है जबकि 5100 होने चाहिए। वहीं स्वास्थ्य निरीक्षक (पुरूष व महिला) के 1100 पदों के मुकाबले करीब 700 ही कार्यरत हैं यानि 400 पद खाली पड़े हैं। इनके अलावा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कार्यरत करीब 14 हजार कर्मचारियों को नियमित तक नहीं किया जा रहा है। दूसरी तरफ आउटसोर्सिंग पॉलिसी के तहत भर्ती करीब 12 हजार ठेकाकर्मियों का भारी शोषण स्वास्थ्य विभाग और ठेकेदारों द्वारा किया जा रहा है। 


कुल मिलाकर देखें तो वर्तमान आबादी के अनुपात में स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टरों के कुल स्वीकृत पदों में 85 प्रतिशत विशेषज्ञ डॉक्टरों, 50 प्रतिशत से ज्यादा डॉक्टरों तथा पैरामेडीकल स्टॉफ के 40 प्रतिशत से ज्यादा पद रिक्त पड़े हैं। हालांकि अभी पिछले कुछ महीनों में करीब ढ़ाई हजार पैरामेडिकल स्टॉफ व मिनिस्टीरियल स्टॉफ और 840 डॉक्टरों की रेगुलर भर्ती विभाग द्वारा की गई है। जिससे कुछ हद तक राहत मिलने की सम्भावना बनी है। लेकिन सरकारों की निजीकरण, उदारीकरण और अमीरप्रस्त नीतियों के चलते अधिकतर सिविल हस्पतालों में भी न तो अल्ट्रासाउण्ड मशीनें हैं और न ही एक्स-रे मशीन व सी.टी. स्कैन। यदि कहीं पर ये मशीनें हैं भी तो उनके संचालक नहीं या ये अक्सर खराब रहती हैं। कुछ जिलों में पीपीपी मोड़ में अवश्य कुछ मशीनें हैं जिनकी अच्छी-खासी फीस अदा करनी पड़ती है। प्रदेश की एकमात्र पी.जी.आई.एम.एस. रोहतक में भी सी.टी. स्कैन, ई.ई.जी. व विभिन्न आप्रेशनों के लिये कई-कई महीनों बाद का समय मिलता है। इससे मरीजों को मजबूरन निजी व मंहगे हस्पतालों में जांच व इलाज पर हजारों-लाखों रूपए खर्च करना पड़ता है।


आप समझ सकते हैं कि जब हमारा मौजूदा स्वास्थ्य ढांचा सामान्य अवस्था में ही सभी लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं देने में नाकाम है तो ऐसे में कोरोना जैसी महामारी की स्थिति में तो बेहद लाचार और बेबस होना ही था। यही वजह है कि दूसरी लहर के समय लोगों को अस्पतालों में ऑक्सीजन, वेंटिलेटर और बेड की सुविधाएं नहीं मिल पाई। ऐसे में भी कोरोना महामारी से लड़ने के बड़े-बड़े दावे भ्रमित करने वाले हैं। इसके बावजूद ये सच है कि तुलनात्मक रूप में कोरोना महामारी ने विकसित और अमीर देशों को ही सबसे ज्यादा प्रभावित किया। जबकि अनेक कमजोरियों के बावजूद हमारे देश में सरकारी चिकित्सकों और अन्य स्टाफ ने लोगों की भरपूर मदद की। हमें यह भी ध्यान होगा कि लॉकडाउन के चलते अनेकानेक परिवारों का रोजगार छिनने से उनकी रोजी-रोटी की व्यवस्था ठप्प हो गई है। इसकी व्यवस्था करना नीतिकारों की जिम्मेदारी बनती है लेकिन उनकी अभी भी इसके प्रति गंभीरता नहीं दिखाई देती।


कोरोना महामारी ने सरकारों और स्वास्थ्य ढांचे की पोल खोल कर रख दी है। सभी लोगों को टीका लगाने के बड़े-बड़े दावों पर तो माननीय सुप्रीम कोर्ट तक ने देश में टीकाकरण की प्रक्रिया को मनमानी व तर्कहीन कहने को बाध्य होना पड़ा है। इस स्थिति में पिछले वर्ष सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा और जन स्वास्थ्य अभियान हरियाणा जैसे संगठनों नेेेे संयुक्त रूप से सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को मौजूदा जरूरत के हिसाब से विकसित करने व स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य सेवाओं को मौलिक अधिकारों में शामिल करने को लेकर राज्य स्तरीय स्वास्थ्य जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करने और सरकार पर दबाव बनाने का काम किया था जो आज भी जारी है। इसी अभियान को आगे बढ़ाते हुए आशा वर्कर्स यूनियन हरियाणा की पहल पर उनके सितम्बर माह में कुरुक्षेत्र में होने वाले राष्ट्रीय स्तर के स्थापना सम्मेलन के मौके पर सभी जिलों में स्वास्थ्य के मुद्दे पर सेमिनार करने का निर्णय लिया है। जिसमें स्वास्थ्य विभाग की सभी यूनियनों और संगठनों से सहयोग की अपील की है। जो हम सबके लिए एक बेहतर अवसर है ताकि हम स्वास्थ्य के ढांचे को मजबूत करने की मांग को जोर-शोर से उठा सकें। ऐसे में आप सभी से इस अभियान और आंदोलन में बढ़चढ़कर भाग लेने की पुरजोर अपील की है ताकि सरकार पर जनता के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं व सुविधाएं प्रदान करने के लिए दबाव बनाया जा सके।


*मांग पत्र:*


*1. हरियाणा के नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल एवं सुविधाएं प्रदान करने के लिए और कोविड महामारी की संभावित तीसरी लहर का सामना करने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे को तुरंत अद्यतन किया जाना चाहिए।*


*2. स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए तत्काल अधिक धनराशि आवंटित की जाए।*


*3. सभी, कोविड और गैर-कोविड रोगियों के लिए व्यापक, सुलभ, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की गारंटी।*


*4. इसके साथ ही कोविड-19 के मानदंड और पोस्ट कोविड-19 की स्थितियों से निपटने के लिए स्वास्थ्य कार्यबल का ऑनलाइन एवं उचित और तत्काल प्रशिक्षण होना चाहिए।*


*5. साथ ही सरकार को स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारकों पर काम करना चाहिए जिसमें शामिल हैं जिनमें ए) सार्वजनिक वितरण प्रणाली के सार्वभौमिकरण और विस्तार द्वारा खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देना। बी) सभी के लिए सुरक्षित पेयजल, सी) स्वच्छता सुविधाएं, डी) सभी को पूर्ण रोजगार, ई) सभी के लिए शिक्षा, एफ) सभ्य और पर्याप्त आवास, छ) स्वास्थ्य के लिंग आयामों को भी पर्याप्त रूप से संबोधित किया जाना चाहिए।*


*6. सभी महिलाओं को उनकी सभी स्वास्थ्य जरूरतों के लिए व्यापक, सुलभ, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की गारंटी दें, जिसमें मातृ देखभाल शामिल है।*


*7. नवीनतम जनसंख्या की आवश्यकताओं के अनुसार सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में स्वास्थ्य कर्मियों की सभी श्रेणियों के लिए अधिक पद सृजित करें।*


*8. ठेका कर्मचारियों को नियमित करना और आशा, एएनएम और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के सभी स्तरों के कर्मचारियों को पर्याप्त कौशल, वेतन और काम करने की अच्छी स्थिति प्रदान करना।*


*9. स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तक पहुंच में अत्यधिक असमानता और लोगों की खराब रहने की स्थिति भारत और हरियाणा में भी स्वास्थ्य की खराब स्थितियों के लिए जिम्मेदार है। इसमें सुधार किए जाएं।*


*10. जो लोग भुगतान कर सकते हैं, वे विश्व स्तरीय उपचार सुविधाएं प्राप्त करने में सक्षम हैं, जबकि राज्य में अधिकांश लोगों के लिए परिवार में एक बड़ी बीमारी होने पर परिवार को अत्यधिक गरीबी और अभाव में डुबो देती है। सरकार को इन असमानताओं के लिए भी उपाय करने चाहिए।*


*11. कोरोना महामारी कोविड मामलों के प्रबंधन में इस अमीर-गरीब के अंतर को भी दिखाती है। जिन्हें अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है। सरकार को इन असमानताओं के लिए भी उपाय करने चाहिए।*


*अपील कर्ता:* जन स्वास्थ्य अभियान हरियाणा

पर्चा 3

  *स्वास्थ्य सेवाएं ग्रामीण हरियाणा*


हरियाणा में ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति सरकार के मानकों के अनुसार बहुत दयनीय है। भारत की । 5000 की आबादी पर एक उप स्वास्थ्य केंद्र होना चाहिए। 30,000 की आबादी के लिए एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) की आवश्यकता है ।

यह अनुशंसा की जाती है कि एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) होना चाहिए (80000 पहाड़ों के लिए और 1,20000 मैदानों के लिए )

   भारत सरकार के मानदंडों के अनुसार, हरियाणा में प्रत्येक उप स्वास्थ्य केंद्र ,पीएचसी और सीएचसी के लिए निम्नलिखित स्टाफ की आवश्यकताओं की सिफारिश की जाती है।


ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के आवश्यक कर्मचारी इस प्रकार से होने चाहिएं।

उप स्वास्थ्य केंद्र:-

---1 महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता

--- 1 पुरुष स्वास्थ्य कार्यकर्ता

      ( एमपीएचडब्ल्यू )

--- 1 स्वयंसेवी कार्यकर्ता FHW की मदद करने के लिए

*पीएचसी के लिए आवश्यक स्टाफ :-*

टाइप ए

-- 1. चिकित्सा अधिकारी..1 अनिवार्य 2. चिकित्सा अधिकारी आयुष..1 वांछनीय।

3. डाटा ऑपरेटर..1

4. फार्मासिस्ट ..1 फार्मासिस्ट आयुष..1 वांछनीय

5. नर्स-मिड वाइफ (स्टाफ नर्स) ..3 +1 वांछनीय

6. स्वास्थ्य कार्यकर्ता महिला..1*

7. स्वास्थ्य सहायक पुरुष..1

8. स्वास्थ्य सहायक महिला..1

9. स्वास्थ्य शिक्षक ..1 वांछनीय

10. लैब तकनीशियन..1

11.कोल्ड चेन असिस्टेंट..1 वांछनीय 12. मुक्ति कुशल समूह डी कार्यकर्ता..2 13. स्वच्छता कार्यकर्ता..1

कुल स्टाफ--

.. आवश्यक..13 वांछनीय..18


टाइप बी--


1. चिकित्सा अधिकारी..1 अनिवार्य वांछनीय ..1

2. चिकित्सा अधिकारी आयुष..1 वांछनीय।

3. डाटा ऑपरेटर..1

4. फार्मासिस्ट ..1 फार्मासिस्ट आयुष..1 वांछनीय

5. नर्स-मिड वाइफ (स्टाफ नर्स.)..4 +1 वांछनीय

6. स्वास्थ्य कार्यकर्ता महिला..1*

7. स्वास्थ्य सहायक पुरुष..1

8. स्वास्थ्य सहायक महिला..1

9. स्वास्थ्य शिक्षक ..1 वांछनीय

10. लैब तकनीशियन..1

11.कोल्ड चेन असिस्टेंट..1

वांछनीय

12. मुक्ति कुशल समूह डी कार्यकर्ता..2 वांछनीय..2

13. स्वच्छता कार्यकर्ता..1 वांछनीय..1

कुल स्टाफ

.. आवश्यक..14

वांछनीय..21


*सीएचसी के लिए आवश्यक कर्मचारी:-*

1. प्रखंड चिकित्सा अधिकारी/चिकित्सा अधीक्षक..1

2. जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ..1

3. सार्वजनिक स्वास्थ्य नर्स (PHN)..1 वांछनीय..+1

4. जनरल सर्जन ..1

5. फिजिशियन..1

6. प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ..1

7. बाल रोग विशेषज्ञ ..1

8. एनेस्थेटिस्ट..1

9. डेंटल सर्जन.. 1

10. सामान्य ड्यूटी चिकित्सा अधिकारी..2

11.चिकित्सा अधिकारी आयुष ..1

12. स्टाफ नर्स..10

13. फार्मासिस्ट..1 वांछनीय..1 14.फार्मासिस्ट आयुष..1

15. लैब तकनीशियन..2

16. रेडियोग्राफर..1

17.आहार विशेषज्ञ ..1 वांछनीय

18. नेत्र सहायक..1

19.दंत सहायक..1

20. कोल्ड चेन और वैक्सीन लॉजिस्टिक असिस्टेंट..1

21. ओटी तकनीशियन..1

22. बहु पुनर्वास/समुदाय आधारित पुनर्वास कार्यकर्ता..1 वांछनीय ..+1

23. काउंसलर..1

24. पंजीकरण लिपिक..2

25. सांख्यिकीय सहायक /डाटा एंट्री ऑपरेटर ..2

26. खाता सहायक..1

27. प्रशासनिक सहायक..1

28. ड्रेसर/ रेड क्रॉस द्वारा प्रमाणित..1 29. वार्ड बॉय/नर्सिंग अर्दली..5

30. ड्राइवर* ..*1 आउट सोर्स किया जा सकता है। वांछनीय..3

टोटल

..आवश्यक..46

वांछनीय..52

वर्तमान ढांचे की जर्जर हालत :-

वर्तमान में हरियाणा ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा मार्च जून 2020 के अनुसार  जितना होना चाहिए उतना नहीं है और जितना है उसमें भी स्पेशलिस्ट डाकटरों , मेडिकल अफसरों , नर्सों , रेडियोग्राफरों, फार्मासिस्टों तथा लैब तकनीशियों की भारी कमी है। आज  2667 उप स्वास्थ्य केंद्र हैं ,532 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं और 119 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं।

आज की जन संख्या की जरूरतों के हिसाब से हमारे पास 972 उप स्वास्थ्य केंद्रों की कमी है, 74 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की कमी है और 32 सामुदायिक केंद्रों की कमी है।

    इसी प्रकार से स्टाफ के बारे में देखें तो वर्तमान ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 491 मेडिकल अफसर हैं जबकि होने 1064 मेडिकल अफसर चाहियें ।

     एक ग्रामीण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 6 विशेषज्ञ (एक सर्जन, एक स्त्री रोग विशेषज्ञ, एक फिजिशियन, एक शिशु रोग विशेषज्ञ, एक हड्डी रोग विशेषज्ञ और एक बेहोशी देने वाला विशेषज्ञ ) होने चाहिए। इसके हिसाब से आज वर्तमान सामुदायिक केंद्रों में 714 स्पेशलिस्ट होने चाहिए जबकि आज के दिन 27 स्पेशलिस्ट ही मौजूद हैं ।

     पीएचसी और सीएचसी में नर्सिंग स्टाफ:

इसी तरह पीएचसी और सीएचसी में नर्सिंग स्टाफ की हालत ज्यादा बेहतर नहीं है। हरियाणा की 1.65 करोड़ (2011 सेंसेस) ग्रामीण जनसंख्या  के अनुसार पीएचसी और सीएचसी में स्टाफ नर्सों की संख्या 2333 होनी चाहिए। जबकि मार्च/जून 2020 के उपलब्ध आंकड़ों अनुसार स्टाफ नर्सों की वर्तमान/वास्तविक स्थिति 2193 है। *यानी 140 नर्सों की कमी है।*


   रेडियोग्राफर आज के दिन सीएचसी में एक रेडियोग्राफर की पोस्ट है। आज इनकी संख्या 38 हैं जबकि जरूरत 119 की है। 81 रेडियोग्राफर्स की कमी है।       

                  इसी प्रकार आज के दिन पीएचसी में एक और सीएचसी दो फार्मासिस्ट्स की पोस्ट हैं । आज जरूरत है 770 फार्मासिस्ट्स कि जबकि मौजूद हैं 405 फार्मासिस्ट। आज की जरूरत के हिसाब से 365 फार्मासिस्ट्स की कमी है।

   यदि लैब टेक्नीशियन का जायजा लें तो 770 लैब तकनीशियन की जरूरत है जबकि वर्तमान में 400 फार्मासिस्ट ही हैं। 370 फार्मासिस्ट आज कम हैं ।


हरियाणा ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के इन हालातों को देखते हुए, जन स्वास्थ्य अभियान हरियाणा के सुझाव और मांग इस प्रकार हैं :

1. हरियाणा के नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं प्रदान करने के लिए और कोविड की पहली लहर के दौर की कमजोरियों के चलते दूसरी लहर के गम्भीर परिणामों के समाधान के लिए और कोविड महामारी की संभावित तीसरी लहर का सामना करने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं के सरकारी  बुनियादी ढांचे को तुरंत मजबूत किया जाना चाहिए ।

2. स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए तत्काल अधिक धनराशि आवंटित करें।

3. सभी, कोविड और गैर-कोविड रोगियों के लिए व्यापक, सुलभ, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की गारंटी करे सरकार। 4. इसके साथ ही कोविड 19 मानदंड और पोस्ट कोविड 19 स्थितियों का सामना करने के लिए स्वास्थ्य कार्यबल का ऑनलाइन या अन्यथा उचित और तत्काल प्रशिक्षण होना चाहिए।

5.  सरकार को स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारकों पर काम करना चाहिए जिसमें शामिल हैं :

ए) सार्वजनिक वितरण प्रणाली के सार्वभौमिकरण और विस्तार द्वारा खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देना।

बी) सभी के लिए सुरक्षित पेयजल की व्यवस्था करना।

सी) शैचालय और स्वच्छता सुविधाएं सभी के लिए

डी) सभी को पूर्ण रोजगार

ई) सभी के लिए शिक्षा

एफ) सभ्य और पर्याप्त आवास का प्रबंध करे सरकार।

छ) स्वास्थ्य के लिंग आयामों को भी पर्याप्त रूप से संबोधित किया जाना चाहिए।

6. सभी महिलाओं को उनकी सभी स्वास्थ्य जरूरतों के लिए व्यापक, सुलभ, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की गारंटी दें जिसमें मातृ देखभाल शामिल है लेकिन यहीं तक सीमित नहीं है।

7. नवीनतम जनसंख्या आवश्यकताओं के अनुसार सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में स्वास्थ्य कर्मियों की पूरी श्रृंखला के लिए और अधिक पद सृजित करें।

8. स्वास्थ्य विभाग के सभी संविदा कर्मचारियों को नियमित करना और आशा एएनएम और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के सभी स्तरों के कर्मचारियों को पर्याप्त कौशल, वेतन और काम करने की अच्छी स्थिति प्रदान करना।

     स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तक पहुंच में अत्यधिक असमानता और लोगों की रहने की खराब स्थिति भारत और हरियाणा में भी स्वास्थ्य की खराब स्थितियों के लिए जिम्मेदार है। इसी कारण  जो लोग भुगतान कर सकते हैं वे विश्व स्तरीय उपचार सुविधाएं प्राप्त करने में सक्षम हैं। दूसरी तरफ राज्य में अधिकांश लोगों के लिए परिवार में बस एक बड़ी बीमारी परिवार ही अत्यधिक गरीबी और अभाव में डुबो देती है। कोरोना महामारी के कोविड मामलों के प्रबंधन में इस अमीर गरीब का अंतर और भी दिखाई देता  है जब अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है।

     सरकार को इन असमानताओं के समाधान के लिए भी उपाय देखना चाहिए।

     जन स्वास्थ्य अभियान हरियाणा का यह ईमानदार प्रयास है कि लोगों को इन मुद्दों के बारे में जागरूक किया जाए ताकि लोग स्वास्थ्य को अभियान का एजेंडा बनाएं और इसके लिए सामूहिक रूप से संघर्ष करें और हरियाणा सरकार पर दबाव बनाएं ताकि सरकार तत्काल उपचारात्मक उपाय करने को तैयार हो।


  इस महामारी के दौर में जनता के स्वास्थ्य का संकट और इन सेवाओं में कार्यरत डॉक्टरों , नर्सों , पैरामेडिकल्स की कमी के चलते लोगों के इलाज की अपेक्षाओं पर खरा न उतर पाने की सीमाएं समझ आ सकती हैं ।

जन स्वास्थ्य अभियान हरियाणा का यह ईमानदार प्रयास है कि लोगों को इन मुद्दों के बारे में जागरूक किया जाए ताकि लोग स्वास्थ्य को संघर्ष का एजेंडा बना सकें।

प्रोफेसर सतनाम सिंह संयोजक

+91 94662 90728

सुरेश कुमार सह संयोजक

+91 94162 32339

श्रीमती सविता जेएमएस

+91 94169 74185

श्रीमती सुरेखा सीटू

+91 97283 51260

श्री वीरेंद्र मलिक सीटू

+91 94163 51090 प्रमोद गौरी HGVS +91 98120 44915 डॉ. आर.एस.दहिया HGVS


पर्चा 4

  ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता और पोषण समिति


राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन समुदाय को स्थानीय स्तर पर, स्वास्थ्य से संबंधित और इसके संबंधित मुद्दों पर नेतृत्व करने की परिकल्पना करता है। यह तभी संभव होगा जब समुदाय स्वास्थ्य के मामलों में नेतृत्व करने के लिए पर्याप्त रूप से सशक्त हो। स्पष्ट रूप से, इसमें स्वास्थ्य प्रणाली के प्रबंधन में पंचायती राज संस्थाओं की भागीदारी की आवश्यकता है। यह संभव हो सकता है यदि ग्राम पंचायत सदस्य और समुदाय के प्रतिनिधि जैसे महिला समूह और SC / ST / OBC / अल्पसंख्यक समुदाय आदि की अध्यक्षता में प्रत्येक गाँव में एक समिति का गठन किया जाए, इसलिए प्रत्येक गाँव, गाँव के विकास के लिए स्वास्थ्य स्वच्छता और पोषण समिति का गठन ग्राम स्तर की गतिविधियों के लिए असमान अनुदान प्रदान करके किया गया है।

अ) वीएचएसएनसीटीएच,  वीएचएसएनसी की भूमिका एवं जिम्मेदारियां ---
1.समिति की भूमिका गांव के समग्र स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार होगी। यह समुदाय और स्वास्थ्य और पोषण देखभाल प्रदाताओं की समस्याओं को ध्यान में रखेगा और इसे हल करने के लिए तंत्र का सुझाव देगा।
2. यह स्वास्थ्य कार्यक्रमों की अनिवार्यताओं के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करेगा, जो निगरानी में उनकी भागीदारी को सक्षम करने के लिए हकदार लोगों के ज्ञान पर ध्यान केंद्रित करेगा।
3. यह ग्राम समुदाय द्वारा पहचानी गई गाँव की स्थिति और प्राथमिकताओं के आकलन के आधार पर एक गाँव स्वास्थ्य योजना पर चर्चा और विकास करेगा।
4. ग्राम स्तरीय स्वास्थ्य और पोषण गतिविधियों से संबंधित प्रमुख मुद्दों और समस्याओं का विश्लेषण करें, पीएचसी के चिकित्सा अधिकारी को इन पर प्रतिक्रिया दें।
5. समिति गाँव में संचालित सभी स्वास्थ्य गतिविधियों जैसे ग्राम स्वास्थ्य और पोषण दिवस, माताओं की बैठक आदि की निगरानी करेगी।
6. गाँव में घरेलू सर्वेक्षण करने की ज़िम्मेदारी ANM के साथ साथ VHSNC की होगी।
7. यह ग्राम स्वास्थ्य रजिस्टर और स्वास्थ्य सूचना बोर्ड को बनाए रखेगा जिसमें उप केंद्र / पीएचसी में अनिवार्य सेवाओं के बारे में जानकारी होगी।
8. यह सुनिश्चित करेगा कि एएनएम तय दिनों पर गांव का दौरा करें और उप केंद्र कार्यस्थल के अनुसार निर्धारित गतिविधि करें; गांव के स्वास्थ्य और पोषण अधिकारियों की देखरेख करें।
9. एएनएम अगले दो महीनों की योजना के साथ एक द्वि मासिक गांव रिपोर्ट समिति को प्रस्तुत करेगी। ग्राम स्वास्थ्य समिति द्वारा प्रारूप और सामग्री तय की जाएगी। ग्राम स्तरीय बैठक में एएनएम द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर चर्चा करें और उचित कार्रवाई करें।
10. यह उनके गाँव में होने वाली हर मातृ या नवजात मृत्यु पर चर्चा करेगा, इसका विश्लेषण करेगा और ऐसी मौतों को रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई का सुझाव देगा। इन मौतों को पंचायत में पंजीकृत करवाएं।
11. समिति गाँव में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने और बैठक के कार्यवृत्त का दस्तावेजीकरण करने के लिए नियमित मासिक बैठक आयोजित करेगी। समिति यह सुनिश्चित करेगी कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधिकारी की उपस्थिति में नियमित अंतराल पर (छह महीने में एक बार) सार्वजनिक संवाद का आयोजन किया जाता है। समिति यह सुनिश्चित करेगी कि चर्चा किए गए सभी मुद्दों को दर्ज किया जाए और चर्चा किए गए मुद्दों पर कार्रवाई की जाए।
12. VHSNC समुदाय से ASHA के चयन और समर्थन के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, स्वास्थ्य संबंधी अन्य मुद्दों के अलावा VHSNC भी गाँव के विकास के लिए जिम्मेदार होगा।
13. वीएचएसएनसी उप केंद्र का भी ध्यान रखेगा।
14. वीएचएसएनसी सभी सरकारी योजनाओं के बारे में समुदाय को सूचित करने के लिए जिम्मेदार होगा।

मेडिकल कॉलेज

 UHS ,Rohtak completes 10 years

Medical कॉलेज 62 साल का
मैं मैडीकल कालेज
मेरी यात्रा नहीं ज्यादा पुरानी
महज 62 साल की उम्र
1960-61 में सोचा गया रचा गया
कुछ लोगों ने मांग की
इतिहास इसका साक्षी है
विचारों , द्वन्दों संघर्षों के बीच
जन्म हुआ है मेरा
करना शुरू किया मैने अपना
रूप धारण
धीरे धीरे मेरा वजूद
सामने आया
मैंने आत्मसात किया
खुशियों और गमों को
जन जन के दुख और सुखों वास्ते
अनेक बार संकट झेले मगर
कदम आहे ही बढ़ते चले गए
बार बार मरीजों का हितेषी बना
कभी जन विरोधी रुख भी रहा
समय काल की सीमाओं में
मेरा विकास तय हुआ
राज्य के सामाजिक हालातों ने भी
मेरा विकास किया और
मेरी सीमाएं तय की
लेकिन मेरा
केवल यही पक्ष नहीं है
मैन न्याय का साथ दिया
इलाज सीखा और सिखाया
कमजोरियों का पर्दाफाश किया
नये विचारों के बीज बोये और
कई बदलाओं ने जन्म लिया
नई खोज की पूरी लग्न से
लोगों के दुखदर्द उनकी पीड़ा को
मैंने दिल की धड़कन बनाया
इस तरह मेरा
समजिक बोध विशाल बना
और मैं अधिक संवेदनशील हुआ

मैं मैडीकल कालेज
भविष्य की सम्भावनाएं दिखाता
जन जन को बीमारी से निजात दिलाता
मैं लोगों में ही रहता हूँ
उनके बिना मेरा कोई वजूद नहीं
मेरे रेजिडेंट डॉक्टर
जी तोड़ मेहनत करते
सीनियर फैकल्टी भी ज्यान खपाती
पैरामैडीकल का योगदान
इनकी तिल तिल की मेहनत से
पलता बढ़ता
इनकी संवेदनशीलता की
नींव पर इस तरह मैंने
अपना रूप ग्रहण किया
मैं जन स्वास्थ्य का वाहक
लोगों के दिलों में बैठने का इच्छुक
अपने काम में जुटा रहता हूँ
चौबीस घण्टे दिन और रात
मैं मैडीकल कालेज
जात धर्म ऊंच नीच के
भेद लांघकर हर समुदाय की
सेवा को तत्पर
बहुत से लोगों ने रोल मॉडल का
रोल निभाया
राष्ट्रीय आंदोलन का प्रभाव
सिक्सटीज में नजर आया
डॉ इंदरजीत दीवान
डॉ प्रेमचंद्रा
डॉ विद्यासागर
डॉ जी एस सेखों
डॉ इंद्रबीर सिंह
डॉ पी एस मैनी
डॉ रोमेश आर्या
--///और भी कई
इनकी बदौलत मेरा कद
बढ़ा, फिर भी सन्तोष
नहीं किया मैंने
और रहा अग्रसर
चलता गया सन 1977 तक
एक दुर्घटना घटी और हमें
बांट गई
दो कदम आगे
एक कदम पीछे
फिर से साहस बटोरा मैंने
और जुट गया अपने काम में
और पहुंच गया नब्बे के दशक को पार कर
दो हजार के दशक में
             **दो हजार आठ दो जून** को मैने
हैल्थ यूनिवर्सिटी की शक्ल
अख्तियार की या यूं कहें
प्रश्व पीड़ा के बाद मैं
पैदा हो गई।
आज में **10 वर्ष** की हो गई
मेरे जन्म के दौर में
जब में गर्भावस्था में थी
तब लोगों के दिलों में
मौजूद शंकाओं और रूढ़ियों के
बावजूद मैंने जन्म लिया और
अपना विकास किया
पूरे हिन्दुस्तांन में इस नन्ही
गुड़िया ने अपनी पहचान बनाई
मानवीय मूल्यों के उत्कर्ष तक
पहुंचे यहां कार्यरत लोग
पूरे हरियाणा में एक पहचान बनी
आहिस्ता आहिस्ता एक शक्ल ली
मैंने अपने पंख फैलाये
खेल कूद में मन लगाया
सांस्कृतिक धरातल पर भी
विकास किया मैंने
समाज के बहुत ही विरोधाभाषी
माहौल में लोगों की आवा जाही
के बीच कभी धीमी तो कभी तेज
मैंने मैडीकल शिक्षा
मैडीकल रिसर्च और
मरीज सेवा में कदम बढ़ाये
मुझे मालूम है कई कमियां हैं
मुझमें कई कमजोरियां हैं मेरी
कई खामियां हैं
कई का पूरा समाज जिम्मेवार
कई की सरकार जिम्मेवार
कई के खुद भी हम जिम्मेवार
कई के हालात जिम्मेवार
कमियों और कमजोरियों को
पहचानते हुए हम नए क्षितिज
की तरफ आगे बढ़ रहे
नया ओपीडी ब्लॉक
नया ट्रामा ब्लॉक
नया राज्य स्तरीय मेंटल अस्पताल
नया ऑडिटोरियम
नया सुपरस्पेसिलिटी ब्लॉक
नया मोड्यूलर आपरेशन थेटर
नया जच्चा बच्चा वार्ड
यह सब दिखा रहे हैं
जरूरतों के प्रति प्रतिबद्धता
आगे बढ़ना है अभी और मुझे
आप सब की मदद से
जनता के सहयोग से
और सरकार की उदारता पर
उम्मीद है कि हम सब मिलकर
लालच, तुच्छ स्वार्थों से ऊपर उठ कर
काली भेड़ों को अलग थलग करके
सच्ची मेहनत व लग्न के साथ
और ऊंचाइयों को छू लेंगे हम
पांच साल की बच्ची को जो
2008 में पैदा हुई
आज 2013 में पहुंच गई
सुरक्षित रखना जनता की
जिम्मेदारी है
स्टाफ का लोगों का साथ मिला
आगे बढ़ती चली गई
2014 से चलते चलते अब
कदम ताल करते हुए
2022 आ गया है
कई तरह की खूबियां भी
कुछ कमजोरियां भी
देखना है आगे का समो
सरकारी संस्थाओं के खिलाफ है
मुझे भी अहसास है
कोरोना महामारी में सिद्ध किया
सरकारी ढांचे ने ही आम जन के
स्वास्थ्य की देखभाल की है
जनता को भी अहसास हुआ कि
पीजीआईएमएस हमारा है
स्वास्थ्य के बारे जनता जागरूक
हो रही है।
यूनिवर्सिटी ने 10 साल अपने
पूरे 2 जून 2022 को आखिर
कर ही लिए
शुरू में डॉ सुखबीर सांगवान
ने वाईस चांसलरसिप संभाली
फिर डॉ ओ पी कालरा
और अब डॉ अनिता सक्सेना ने
जॉइन किया है
चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता की
चुनौतियां सामने खड़ी हैं
प्रशासन का केंद्रीय करण इन सालों में
बढ़ता ही गया है
चिकित्सा शिक्षा महंगी दर महंगी होती
ही गई और
यहाँ की फैकल्टी की
टीचर एसोसिएशन की
जायज मांगे भी नहीं सुनी जा
रही हैं, मानने की बात तो बहुत
दूर की बात है
चुनौतियां बड़ी हैं
तो फैकल्टी के हौंसले बुलंद हैं
देखिये आगे आगे होता है क्या?

रणबीर सिंह दहिया

MBBS fees

 In a letter issued on September 8 the Director General medical education and research asked the MBBS students admitted to MBBS course for 2020 -2021 and 2021-2022 sessions to submit the bond amount or fee as per policy.

    As  per the policy , after completion of the MBBS course , the Haryana Govt. will pay the entire loan of 40 lakh and it's interest in 7 years , if the candidate take up the Haryana Govt. job.
  The question is that number of pass out mbbs doctors is about mire than 800 per year, can the Govt . provide job to all these doctors every year?
  In the same breath the Govt. says tha the Govt. does not guarantee jobs for every one. Also orders that those who don't join Haryana Govt. job will pay back this amount in 7 years along with its interest.
    Very funny thing, I opt for Govt job and Govt does not give me job but ask me to return loan in seven years. Should not the Govt. should pay it back?
     Meritorious students with a good merit opt for Govt Medical Colleges because most of them are from very poor and ordinary families. They will not be in a position to pay such huge fees. It is a step towards privatisation of Health system and health services in Haryana.
    Jan Swasthya Abhiyan Haryana strongly oppose this anti medical education step and demand that Haryana Govt. should withdraw this order immediately.

  Dr R.S.Dahiya
Core Member
JSA ,Haryana  

स्वास्थ्य दिवस

 *सभी को स्वास्थ्य दिवस की शुभकामनाएं:*

याद रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें:
1. बीपी: 120/80
2. पल्स: 70 - 100
3. तापमान: 36.8 - 37
4. सांस : 12-16
5. हीमोग्लोबिन: पुरुष -13.50-18
स्त्री- 11.50 - 16
6. कोलेस्ट्रॉल: 130 - 200
7. पोटेशियम: 3.50 - 5
8. सोडियम: 135 - 145
9. ट्राइग्लिसराइड्स: 220
10. शरीर में खून की मात्रा: पीसीवी 30-40%
11. शुगर लेवल: बच्चों के लिए (70-130) वयस्क: 70 - 115
12. आयरन: 8-15 मिलीग्राम
13. श्वेत रक्त कोशिकाएं WBC:  4000 - 11000
14. प्लेटलेट्स: 1,50,000 - 4,00,000

15. लाल रक्त कोशिकाएं RBC: 4.50 - 6 मिलियन.
16. कैल्शियम: 8.6 -10.3 मिलीग्राम/डीएल
17. विटामिन D3: 20 - 50 एनजी/एमएल.
18. विटामिन B12:  200 - 900 पीजी/एमएल.
*वरिष्ठ यानि 40/ 50/ 60 वर्ष  वालों के लिए विशेष टिप्स:*
*1- पहला सुझाव:* प्यास न लगे या जरूरत न हो तो भी हमेशा पानी पिएं, सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं और उनमें से ज्यादातर शरीर में पानी की कमी से होती हैं। 2 लीटर न्यूनतम प्रति दिन.
*2- दूसरा सुझाव:* शरीर से अधिक से अधिक काम ले, शरीर को हिलना चाहिए, भले ही केवल पैदल चलकर, या तैराकी या किसी भी प्रकार के खेल से।
*3-तीसरा सुझाव:* खाना कम करो...अधिक भोजन की लालसा को छोड़ दें... क्योंकि यह कभी अच्छा नहीं लाता है। अपने आप को वंचित न करें, लेकिन मात्रा कम करें। प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट आधारित खाद्य पदार्थों का अधिक प्रयोग करें।
*4- चौथा सुझाव:* जितना हो सके वाहनका प्रयोग तब तक न करें जब तक कि अत्यंत आवश्यक न हो. आप कहीं जाते हैं किराना लेने, किसी से मिलने या किसी काम के लिए अपने पैरों पर चलने की कोशिश करें। लिफ्ट, एस्केलेटर का उपयोग करने के बजाय सीढ़ियां चढ़ें।
*5- पांचवां सुझाव* क्रोध छोड़ो, चिंता छोड़ो,चीजों को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश करो. विक्षोभ की स्थितियों में स्वयं को शामिल न करें, वे सभी स्वास्थ्य को कम करते हैं और आत्मा के वैभव को छीन लेते हैं। सकारात्मक लोगों से बात करें और उनकी बात सुनें।
*6- छठा सुझाव* सबसे पहले पैसे का मोह छोड़ दे
अपने आस-पास के लोगो से खूब मिलें जुलें हंसें बोलें!पैसा जीने के लिए बनाया गया था, जीवन पैसे के लिए नहीं।
*7-सातवां सुझाव* अपने आप के लिए किसी तरह का अफ़सोस महसूस न करें, न ही किसी ऐसी चीज़ पर जिसे आप हासिल नहीं कर सके, और न ही ऐसी किसी चीज़ पर जिसे आप अपना नहीं सकते।
इसे अनदेखा करें और इसे भूल जाएं।
*8- आठवां सुझाव* पैसा, पद, प्रतिष्ठा, शक्ति, सुन्दरता, जाति की ठसक और प्रभाव;
ये सभी चीजें हैं जो अहंकार से भर देती हैं. विनम्रता वह है जो लोगों को प्यारसे आपके करीब लाती है।
*9- नौवां सुझाव* अगर आपके बाल सफेद हो गए हैं, तो इसका मतलब जीवन का अंत नहीं है। यह एक बेहतर जीवन की शुरुआत हो चुकी है। आशावादी बनो, याद के साथ जियो, यात्रा करो, आनंद लो। यादें बनाओ!
*10- दसवां सुझाव* अपने से छोटों से भी प्रेम, सहानुभूति ओर अपनेपन से मिलें! कोई व्यंग्यात्मक बात न कहें! चेहरे पर मुस्कुराहट बनाकर रखें ! 
अतीत में आप चाहे कितने ही बड़े पद पर रहे हों वर्तमान में उसे भूल जाये और सबसे मिलजुलकर रहें!