Saturday, 1 October 2022

मेडिकल कॉलेज

 UHS ,Rohtak completes 10 years

Medical कॉलेज 62 साल का
मैं मैडीकल कालेज
मेरी यात्रा नहीं ज्यादा पुरानी
महज 62 साल की उम्र
1960-61 में सोचा गया रचा गया
कुछ लोगों ने मांग की
इतिहास इसका साक्षी है
विचारों , द्वन्दों संघर्षों के बीच
जन्म हुआ है मेरा
करना शुरू किया मैने अपना
रूप धारण
धीरे धीरे मेरा वजूद
सामने आया
मैंने आत्मसात किया
खुशियों और गमों को
जन जन के दुख और सुखों वास्ते
अनेक बार संकट झेले मगर
कदम आहे ही बढ़ते चले गए
बार बार मरीजों का हितेषी बना
कभी जन विरोधी रुख भी रहा
समय काल की सीमाओं में
मेरा विकास तय हुआ
राज्य के सामाजिक हालातों ने भी
मेरा विकास किया और
मेरी सीमाएं तय की
लेकिन मेरा
केवल यही पक्ष नहीं है
मैन न्याय का साथ दिया
इलाज सीखा और सिखाया
कमजोरियों का पर्दाफाश किया
नये विचारों के बीज बोये और
कई बदलाओं ने जन्म लिया
नई खोज की पूरी लग्न से
लोगों के दुखदर्द उनकी पीड़ा को
मैंने दिल की धड़कन बनाया
इस तरह मेरा
समजिक बोध विशाल बना
और मैं अधिक संवेदनशील हुआ

मैं मैडीकल कालेज
भविष्य की सम्भावनाएं दिखाता
जन जन को बीमारी से निजात दिलाता
मैं लोगों में ही रहता हूँ
उनके बिना मेरा कोई वजूद नहीं
मेरे रेजिडेंट डॉक्टर
जी तोड़ मेहनत करते
सीनियर फैकल्टी भी ज्यान खपाती
पैरामैडीकल का योगदान
इनकी तिल तिल की मेहनत से
पलता बढ़ता
इनकी संवेदनशीलता की
नींव पर इस तरह मैंने
अपना रूप ग्रहण किया
मैं जन स्वास्थ्य का वाहक
लोगों के दिलों में बैठने का इच्छुक
अपने काम में जुटा रहता हूँ
चौबीस घण्टे दिन और रात
मैं मैडीकल कालेज
जात धर्म ऊंच नीच के
भेद लांघकर हर समुदाय की
सेवा को तत्पर
बहुत से लोगों ने रोल मॉडल का
रोल निभाया
राष्ट्रीय आंदोलन का प्रभाव
सिक्सटीज में नजर आया
डॉ इंदरजीत दीवान
डॉ प्रेमचंद्रा
डॉ विद्यासागर
डॉ जी एस सेखों
डॉ इंद्रबीर सिंह
डॉ पी एस मैनी
डॉ रोमेश आर्या
--///और भी कई
इनकी बदौलत मेरा कद
बढ़ा, फिर भी सन्तोष
नहीं किया मैंने
और रहा अग्रसर
चलता गया सन 1977 तक
एक दुर्घटना घटी और हमें
बांट गई
दो कदम आगे
एक कदम पीछे
फिर से साहस बटोरा मैंने
और जुट गया अपने काम में
और पहुंच गया नब्बे के दशक को पार कर
दो हजार के दशक में
             **दो हजार आठ दो जून** को मैने
हैल्थ यूनिवर्सिटी की शक्ल
अख्तियार की या यूं कहें
प्रश्व पीड़ा के बाद मैं
पैदा हो गई।
आज में **10 वर्ष** की हो गई
मेरे जन्म के दौर में
जब में गर्भावस्था में थी
तब लोगों के दिलों में
मौजूद शंकाओं और रूढ़ियों के
बावजूद मैंने जन्म लिया और
अपना विकास किया
पूरे हिन्दुस्तांन में इस नन्ही
गुड़िया ने अपनी पहचान बनाई
मानवीय मूल्यों के उत्कर्ष तक
पहुंचे यहां कार्यरत लोग
पूरे हरियाणा में एक पहचान बनी
आहिस्ता आहिस्ता एक शक्ल ली
मैंने अपने पंख फैलाये
खेल कूद में मन लगाया
सांस्कृतिक धरातल पर भी
विकास किया मैंने
समाज के बहुत ही विरोधाभाषी
माहौल में लोगों की आवा जाही
के बीच कभी धीमी तो कभी तेज
मैंने मैडीकल शिक्षा
मैडीकल रिसर्च और
मरीज सेवा में कदम बढ़ाये
मुझे मालूम है कई कमियां हैं
मुझमें कई कमजोरियां हैं मेरी
कई खामियां हैं
कई का पूरा समाज जिम्मेवार
कई की सरकार जिम्मेवार
कई के खुद भी हम जिम्मेवार
कई के हालात जिम्मेवार
कमियों और कमजोरियों को
पहचानते हुए हम नए क्षितिज
की तरफ आगे बढ़ रहे
नया ओपीडी ब्लॉक
नया ट्रामा ब्लॉक
नया राज्य स्तरीय मेंटल अस्पताल
नया ऑडिटोरियम
नया सुपरस्पेसिलिटी ब्लॉक
नया मोड्यूलर आपरेशन थेटर
नया जच्चा बच्चा वार्ड
यह सब दिखा रहे हैं
जरूरतों के प्रति प्रतिबद्धता
आगे बढ़ना है अभी और मुझे
आप सब की मदद से
जनता के सहयोग से
और सरकार की उदारता पर
उम्मीद है कि हम सब मिलकर
लालच, तुच्छ स्वार्थों से ऊपर उठ कर
काली भेड़ों को अलग थलग करके
सच्ची मेहनत व लग्न के साथ
और ऊंचाइयों को छू लेंगे हम
पांच साल की बच्ची को जो
2008 में पैदा हुई
आज 2013 में पहुंच गई
सुरक्षित रखना जनता की
जिम्मेदारी है
स्टाफ का लोगों का साथ मिला
आगे बढ़ती चली गई
2014 से चलते चलते अब
कदम ताल करते हुए
2022 आ गया है
कई तरह की खूबियां भी
कुछ कमजोरियां भी
देखना है आगे का समो
सरकारी संस्थाओं के खिलाफ है
मुझे भी अहसास है
कोरोना महामारी में सिद्ध किया
सरकारी ढांचे ने ही आम जन के
स्वास्थ्य की देखभाल की है
जनता को भी अहसास हुआ कि
पीजीआईएमएस हमारा है
स्वास्थ्य के बारे जनता जागरूक
हो रही है।
यूनिवर्सिटी ने 10 साल अपने
पूरे 2 जून 2022 को आखिर
कर ही लिए
शुरू में डॉ सुखबीर सांगवान
ने वाईस चांसलरसिप संभाली
फिर डॉ ओ पी कालरा
और अब डॉ अनिता सक्सेना ने
जॉइन किया है
चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता की
चुनौतियां सामने खड़ी हैं
प्रशासन का केंद्रीय करण इन सालों में
बढ़ता ही गया है
चिकित्सा शिक्षा महंगी दर महंगी होती
ही गई और
यहाँ की फैकल्टी की
टीचर एसोसिएशन की
जायज मांगे भी नहीं सुनी जा
रही हैं, मानने की बात तो बहुत
दूर की बात है
चुनौतियां बड़ी हैं
तो फैकल्टी के हौंसले बुलंद हैं
देखिये आगे आगे होता है क्या?

रणबीर सिंह दहिया

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