मोटापा - एक अविवादित
प्राणघातक बीमारी
डॉ. तवलीन कौर
आजकल मोटापा दुनिया में मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक बन गया है। चाहे पश्चिमी विकसित देश हों या भारत जैसे विकासशील देश, मोटापे से ग्रस्त लोगों की संख्या भारी मात्रा में बढ़ती जा रही है। अब वो दिन गए जब हमारे पूर्वज शारीरिक कार्यों में बहुत ज्यादा व्यस्त रहकर खुद को तंदुरुस्त रखा करते थे। इसके विपरीत, आज की पीढ़ी अपना अधिकतम समय शारीरिक कार्यों के स्थान पर आसीन कार्यों में व्यतीत करती है।
मोटापा सेहत की एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर की अतिरिक्त वसा इस हद तक जमा हो जाती
है कि इससे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगते हैं, जिसके कारण जीवन प्रत्याशा कम हो जाती है और/या शारीरिक समस्याएं बढ़ जाती हैं। बॉडी मास इंडेक्स ;ठडप्द्ध मोटापे की गणना करने का एक ऐसा आधार है, जिसे किलोग्राम में एक व्यक्ति के भार को मीटर में उसकी लंबाई के वर्ग से विभाजित करके व्यक्त किया जाता है। निम्नलिखित तालिका में लोगों के बी. एम. आई. के अनुसार उनका वर्गीकरण दर्शाया गया हैः
बी.एम.आई. (किग्रा/मी2) वर्गीकरण
ढ 18ण्50 सामान्य से कम वजन
18ण्50दृ24ण्99 सामान्य वजन
25ण्00दृ29ण्99 सामान्य से अधिक वजन
30ण्00दृ34ण्99 श्रेणी प् मोटापा
35ण्00दृ39ण्99 श्रेणी प्प् मोटापा
≥ 40ण्00 श्रेणी प्प्प् मोटापा
कारण
आसीन जीवनशैली
आधुनिक युग में, कार, कंप्यूटर, वाशिंग मशीन,
इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, आदि ने एक आम व्यक्ति
के जीवन को काफी हद तक आसान कर दिया
है। आजकल एक औसत व्यक्ति शायद ही किसी
शारीरिक गतिविधि में व्यस्त होता होगा।
आहार
आधुनिकीकरण और पाश्चात्यीकरण के कारण
अब विशिष्ट खाद्य पदार्थों के स्थान पर बर्गर और
मोटापा - एक अविवादित
प्राणघातक बीमारी
अन्य फास्ट फूड का प्रयोग किया जा रहा है जो
कोलेस्टेरोल और अल्पघनत्व लिपिड से भरे होते हैं।
जिसके परिणामस्वरूप शरीर पर हानिकारक प्रभाव
पड़ते हैं और मोटापा बढ़ता जाता है। इसके अलावा,
संतुलित आहार की कमी भी मोटापे के प्रमुख कारणों
में से एक है।
सामाजिक निर्धारक तत्व
बी.एम.आई. और सामाजिक वर्ग के बीच के संबंध
के लिए आगे कई स्पष्टीकरण दिए गए हैं। ऐसा
माना जाता है कि विकसित देशों में, जहां अमीर
लोग अधिक पौष्टिक भोजन का खर्च वहन करने
में सक्षम होते हैं, वे पतले रहने के लिए
अत्यधिक सामाजिक दबाव में रहते हैं,
और उनके पास शारीरिक तंदुरुस्ती बनाए
रखने के लिए उम्मीदों के साथ.साथ बहुत
से अवसर भी होते हैं। दूसरी ओर, कई
अविकसित देशों में, पहले से चली आ रही
प्रथाओं में योगदान के लिए शारीरिक आकार
बढ़ाने वाले सांस्कृतिक मूल्यों पर विश्वास
किया जाता है। अपने शरीर के भार के
प्रति प्रत्येक व्यक्ति का नजरिया भी मोटापे
में एक भूमिका निभा सकता है। समय
के साथ बी.एम.आई. परिवर्तन का एक सह
संबंध मित्र, भाई.बहन, और पति या पत्नी
के बीच पाया गया है। एक पतले शरीर
के साथ तनाव और कथित निम्न सामाजिक
हैसियत से मोटापे का खतरा बढ़ता हुआ
दिखाई देता है।
आनुवांशिकी
मोटापे के कारणों में आनुवांशिकता एक प्रमुख भूमिका
निभाती है। मोटापा परिवार के साथ चलता रहता
मोटापा - एक अविवादित प्राणघातक बीमारी (पृष्ठ 11 का शेषांश)
मधुमेह एक मूक प्राणघातक है, जो धीरे.धीरे
और क्रमशः शरीर के अंगों के कार्यों को बाधित
करता है जिसके कारण शरीर पर हानिकारक प्रभाव
पड़ते हैं।
अवरोधी निद्रा श्वासरोध रात में अत्यधिक
खर्राटों और नींद की कमी के रूप में प्रकट होता है
जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति नींद के कारण ऊंघता
रहता है और दिन में जरूरत से ज्यादा सोता है। यह
कहने की आवश्यकता नहीं है कि सड़क यातायात
दुर्घटनाएं भी इसी हालत के कारण होती हैं।
अस्थमा से ग्रस्त व्यक्तियों को श्वसनी
मांसपेशियों की ऐंठन के कारण सांस लेने में कठिनाई
होती है। जिसके कारण शरीर की ऑक्सीजन संतृप्ति
में कमी हो जाती है और इसके परिणामस्वरूप स्थायी
फेफड़ों के रोग हो जाते हैं।
प्रबंधन
सच ही कहा है कि ‘रोकथाम इलाज से बेहतर
है’। अतः मोटापे और उससे होने वाले रोगों की
संभावना को कम करने में निम्नलिखित उपाय मदद
करते हैंः
मोटापे का मुख्य उपचार खाने में परहेज और
शारीरिक व्यायाम है। कुछ दवाइयां भी मोटापे को
कम कर सकती हैं। लेकिन कई दवाइयों से जठरांत्र
दुष्प्रभाव और गुर्दे की समस्याएं होती हैं।
शल्य चिकित्सा क्षेत्र में, मोटापा कम करने
के लिए बैरिएट्रिक सर्जरी ;इंतपंजतपब ेनतहमतलद्ध के
लाभदायक प्रभाव पाए गए हैं। गंभीर मोटापे की
सर्जरी लंबी अवधि तक वजन घटाने, मोटापे से
संबंधित स्थितियों में सुधार और समग्र मृत्यु दर में
कमी से जुड़ी हुई है।
इस लेख को समाप्त करने से पहले यह कहना
उचित होगा कि मोटापे और रोगों के इस घातक
संयोजन से खुद को बचाना हमारे अपने हाथों में है।
हम अपने दृष्टिकोण और जीवनशैली में परिवर्तन
लाकर अपनी भावी पीढ़ी के स्वास्थ्य में बड़ा सुधार
ला सकते हैं।
(अनुवादकः विमला भट्ट) द
म
प्राणघातक बीमारी
डॉ. तवलीन कौर
आजकल मोटापा दुनिया में मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक बन गया है। चाहे पश्चिमी विकसित देश हों या भारत जैसे विकासशील देश, मोटापे से ग्रस्त लोगों की संख्या भारी मात्रा में बढ़ती जा रही है। अब वो दिन गए जब हमारे पूर्वज शारीरिक कार्यों में बहुत ज्यादा व्यस्त रहकर खुद को तंदुरुस्त रखा करते थे। इसके विपरीत, आज की पीढ़ी अपना अधिकतम समय शारीरिक कार्यों के स्थान पर आसीन कार्यों में व्यतीत करती है।
मोटापा सेहत की एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर की अतिरिक्त वसा इस हद तक जमा हो जाती
है कि इससे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगते हैं, जिसके कारण जीवन प्रत्याशा कम हो जाती है और/या शारीरिक समस्याएं बढ़ जाती हैं। बॉडी मास इंडेक्स ;ठडप्द्ध मोटापे की गणना करने का एक ऐसा आधार है, जिसे किलोग्राम में एक व्यक्ति के भार को मीटर में उसकी लंबाई के वर्ग से विभाजित करके व्यक्त किया जाता है। निम्नलिखित तालिका में लोगों के बी. एम. आई. के अनुसार उनका वर्गीकरण दर्शाया गया हैः
बी.एम.आई. (किग्रा/मी2) वर्गीकरण
ढ 18ण्50 सामान्य से कम वजन
18ण्50दृ24ण्99 सामान्य वजन
25ण्00दृ29ण्99 सामान्य से अधिक वजन
30ण्00दृ34ण्99 श्रेणी प् मोटापा
35ण्00दृ39ण्99 श्रेणी प्प् मोटापा
≥ 40ण्00 श्रेणी प्प्प् मोटापा
कारण
आसीन जीवनशैली
आधुनिक युग में, कार, कंप्यूटर, वाशिंग मशीन,
इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, आदि ने एक आम व्यक्ति
के जीवन को काफी हद तक आसान कर दिया
है। आजकल एक औसत व्यक्ति शायद ही किसी
शारीरिक गतिविधि में व्यस्त होता होगा।
आहार
आधुनिकीकरण और पाश्चात्यीकरण के कारण
अब विशिष्ट खाद्य पदार्थों के स्थान पर बर्गर और
मोटापा - एक अविवादित
प्राणघातक बीमारी
अन्य फास्ट फूड का प्रयोग किया जा रहा है जो
कोलेस्टेरोल और अल्पघनत्व लिपिड से भरे होते हैं।
जिसके परिणामस्वरूप शरीर पर हानिकारक प्रभाव
पड़ते हैं और मोटापा बढ़ता जाता है। इसके अलावा,
संतुलित आहार की कमी भी मोटापे के प्रमुख कारणों
में से एक है।
सामाजिक निर्धारक तत्व
बी.एम.आई. और सामाजिक वर्ग के बीच के संबंध
के लिए आगे कई स्पष्टीकरण दिए गए हैं। ऐसा
माना जाता है कि विकसित देशों में, जहां अमीर
लोग अधिक पौष्टिक भोजन का खर्च वहन करने
में सक्षम होते हैं, वे पतले रहने के लिए
अत्यधिक सामाजिक दबाव में रहते हैं,
और उनके पास शारीरिक तंदुरुस्ती बनाए
रखने के लिए उम्मीदों के साथ.साथ बहुत
से अवसर भी होते हैं। दूसरी ओर, कई
अविकसित देशों में, पहले से चली आ रही
प्रथाओं में योगदान के लिए शारीरिक आकार
बढ़ाने वाले सांस्कृतिक मूल्यों पर विश्वास
किया जाता है। अपने शरीर के भार के
प्रति प्रत्येक व्यक्ति का नजरिया भी मोटापे
में एक भूमिका निभा सकता है। समय
के साथ बी.एम.आई. परिवर्तन का एक सह
संबंध मित्र, भाई.बहन, और पति या पत्नी
के बीच पाया गया है। एक पतले शरीर
के साथ तनाव और कथित निम्न सामाजिक
हैसियत से मोटापे का खतरा बढ़ता हुआ
दिखाई देता है।
आनुवांशिकी
मोटापे के कारणों में आनुवांशिकता एक प्रमुख भूमिका
निभाती है। मोटापा परिवार के साथ चलता रहता
मोटापा - एक अविवादित प्राणघातक बीमारी (पृष्ठ 11 का शेषांश)
मधुमेह एक मूक प्राणघातक है, जो धीरे.धीरे
और क्रमशः शरीर के अंगों के कार्यों को बाधित
करता है जिसके कारण शरीर पर हानिकारक प्रभाव
पड़ते हैं।
अवरोधी निद्रा श्वासरोध रात में अत्यधिक
खर्राटों और नींद की कमी के रूप में प्रकट होता है
जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति नींद के कारण ऊंघता
रहता है और दिन में जरूरत से ज्यादा सोता है। यह
कहने की आवश्यकता नहीं है कि सड़क यातायात
दुर्घटनाएं भी इसी हालत के कारण होती हैं।
अस्थमा से ग्रस्त व्यक्तियों को श्वसनी
मांसपेशियों की ऐंठन के कारण सांस लेने में कठिनाई
होती है। जिसके कारण शरीर की ऑक्सीजन संतृप्ति
में कमी हो जाती है और इसके परिणामस्वरूप स्थायी
फेफड़ों के रोग हो जाते हैं।
प्रबंधन
सच ही कहा है कि ‘रोकथाम इलाज से बेहतर
है’। अतः मोटापे और उससे होने वाले रोगों की
संभावना को कम करने में निम्नलिखित उपाय मदद
करते हैंः
मोटापे का मुख्य उपचार खाने में परहेज और
शारीरिक व्यायाम है। कुछ दवाइयां भी मोटापे को
कम कर सकती हैं। लेकिन कई दवाइयों से जठरांत्र
दुष्प्रभाव और गुर्दे की समस्याएं होती हैं।
शल्य चिकित्सा क्षेत्र में, मोटापा कम करने
के लिए बैरिएट्रिक सर्जरी ;इंतपंजतपब ेनतहमतलद्ध के
लाभदायक प्रभाव पाए गए हैं। गंभीर मोटापे की
सर्जरी लंबी अवधि तक वजन घटाने, मोटापे से
संबंधित स्थितियों में सुधार और समग्र मृत्यु दर में
कमी से जुड़ी हुई है।
इस लेख को समाप्त करने से पहले यह कहना
उचित होगा कि मोटापे और रोगों के इस घातक
संयोजन से खुद को बचाना हमारे अपने हाथों में है।
हम अपने दृष्टिकोण और जीवनशैली में परिवर्तन
लाकर अपनी भावी पीढ़ी के स्वास्थ्य में बड़ा सुधार
ला सकते हैं।
(अनुवादकः विमला भट्ट) द
म