CAG report reveals BJP government is committing crores of scams in health department:
The BJP is busy in carrying out scams one after the other, has also done huge scams in health services.
As per CAG (Comptroller and Auditor General), the government has not only looted Crores of public money, but has also played with the lives of people.
The CAG report has completely exposed the scams of BJP, and made it clear that instead of providing health services and doctors to the citizens, the government is engaged in scams worth crores of rupees. “The report has revealed that many ambulances travelled a distance of just 42 to 209 km for Rs 1,05,000 to Rs 5 lakh.
Ambulances provided their services for about Rs 2500 per kilometer. Not only this, there has been a lot of manipulation in the time taken by the ambulances to reach the patients,”
The CAG report said that while playing with the lives of the people, the government also purchased medicines and equipment from blacklisted companies. The government has also paid Rs 5.67 crore to 15 such agencies, whose medicines have been proved substandard many times.
Ever since the BJP has come to power, it has completely ignored the education and health system of the state. “This is the reason that today about 30% of the posts of doctors and 42% of health workers are lying vacant in the state,”
“Now the CAG report itself has revealed that by March 2023, the state had a debt of Rs 4 lakh crore. Even after that, this government continued to take loans, which has exceeded Rs 4.50 lakh crore today,”
“All this has happened due to the financial mismanagement and scams of the BJP government. Schemes in which all the money went into the pockets of the scamsters were repeatedly imposed on the public, and the government's revenue decreased.
Due to this, the public was hit by tax and inflation,” .
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सीएजी रिपोर्ट से स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों रुपये के घोटाले का खुलासा
"अब कैग की रिपोर्ट से ही पता चला है कि मार्च 2023 तक राज्य पर 4 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था। उसके बाद भी यह सरकार कर्ज लेती रही, जो आज 4.50 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।" उन्होंने कहा, "यह सब भाजपा सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन और घोटालों के कारण हुआ है।
भाजपा शासन में घोटालों की झड़ी लगी है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की ताजा रिपोर्ट :
सरकार ने न केवल जनता के करोड़ों रुपये लूटे हैं, बल्कि लोगों की जिंदगी से भी खिलवाड़ किया है। सीएजी की रिपोर्ट ने भाजपा के घोटालों को पूरी तरह से उजागर कर दिया है और यह स्पष्ट कर दिया है कि नागरिकों को स्वास्थ्य सेवाएं और डॉक्टर उपलब्ध कराने की बजाय सरकार करोड़ों रुपये के घोटाले में लगी हुई है। रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि कई एंबुलेंस ने महज 42 से 209 किलोमीटर की दूरी 1,05,000 से 5 लाख रुपये में तय की। एंबुलेंस ने करीब 2,500 रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से अपनी सेवाएं दीं। इतना ही नहीं, एंबुलेंस के मरीजों तक पहुंचने में लगने वाले समय में भी काफी हेराफेरी की गई है।
सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करते हुए सरकार ने ब्लैक लिस्टेड कंपनियों से दवाइयां और उपकरण भी खरीदे। सरकार ने 15 ऐसी एजेंसियों को 5.67 करोड़ रुपये का भुगतान किया, जिनकी दवाएं कई बार घटिया साबित हो चुकी हैं। हुड्डा ने कहा कि जब से भाजपा सत्ता में आई है, उसने प्रदेश की शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है। यही कारण है कि आज प्रदेश में डॉक्टरों के 30 फीसदी और स्वास्थ्य कर्मियों के 42 फीसदी पद खाली पड़े हैं। भाजपा ने प्रदेश पर 4.5 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लाद दिया है, लेकिन सत्ता में बैठे लोग इसे नकारते रहे। अब कैग की रिपोर्ट ने ही खुलासा कर दिया है कि मार्च 2023 तक प्रदेश पर 4 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। उसके बाद भी यह सरकार कर्ज लेती रही और आज कुल कर्ज 4.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। यह सब भाजपा सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन और घोटालों के कारण हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया, "जिन योजनाओं का सारा पैसा घोटालेबाजों की जेब में चला गया, उन्हें बार-बार जनता पर थोपा गया और सरकार का राजस्व कम हुआ। इसके कारण जनता पर टैक्स और महंगाई की मार पड़ी।"
CAG Report: हरियाणा के 1421 मरीजों ने एक ही तारीख में कई अस्पतालों में कराया इलाज, कैग रिपोर्ट में खुलासा
सार
हरियाणा में 114 पेंशनभोगियों को भी आयुष्मान भारत स्कीम में शामिल किया गया है। जबकि नियम के मुताबिक लाभार्थी व्यक्ति सिर्फ एक ही इंश्योरेंस स्कीम का लाभ उठा सकता है। यही नहीं, इनमें से कुछ ने आयुष्यमान भारत के तहत इलाज कराया और अस्पतालों को करीब 26 लाख रुपये जारी कर दिए गए।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने आयुष्यमान भारत स्कीम की कई खामियों का उजागर किया है। कैग ने सितंबर 2018 से 2021 तक आयुष्यमान भारत की एक समीक्षक रिपोर्ट संसद में पेश की है। रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा के 1421 मरीज ऐसे पाए गए हैं, जिन्हें एक ही तारीख में अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती दिखाया गया है। इस मिलीभगत में राज्य के 134 अस्पताल शामिल थे।
कैग ने जब सवाल उठाया तो नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (एनएचए) की ओर से बताया गया कि ऐसे मामलों में महिलाओं की डिलीवरी होने पर शिशुओं को दूसरे अस्पताल में मां की आयुष्यमान आईडी पर दाखिल कराया गया, लेकिन कैग ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने जो डाटा विश्लेषण किया है, उनमें पुरुष और गर्भवती महिलाओं के अलावा दूसरी महिलाएं शामिल हैं। इस तरह के कुल 2662 केस हैं, जिनमें 620 महिलाएं और 801 पुरुष शामिल हैं। कैग के मुताबिक सबसे ज्यादा मामले गुजरात, छत्तीसगढ़, केरल, मध्यप्रदेश और पंजाब में आए हैं।
आधे अधूरे 114 कार्ड पर भुगतान
वहीं, आयुष्यमान के 114 उन कार्ड पर भुगतान किया गया, जो आधे अधूरे थे। उनमें कई त्रुटियां थीं। इन कार्ड पर करीब साढ़े आठ लाख रुपये की राशि जारी की गई है। जांच में यह भी सामने आया है कि हरियाणा में 114 पेंशनभोगियों को भी आयुष्मान भारत स्कीम में शामिल किया गया है। जबकि नियम के मुताबिक लाभार्थी व्यक्ति सिर्फ एक ही इंश्योरेंस स्कीम का लाभ उठा सकता है। यही नहीं, इनमें से कुछ ने आयुष्यमान भारत के तहत इलाज कराया और अस्पतालों को करीब 26 लाख रुपये जारी कर दिए गए। कैग ने सूचना, शिक्षा और संचार योजना के कार्यान्वयन में भी कमियां पाई हैं। आयुष्यमान भारत के तहत लाभार्थियों को पांच लाख रुपये तक इलाज का भुगतान किया जाता है।
मृतकों को जिंदा दिखाकर करवाया भुगतान
कैग ने अपने ऑडिट में यह भी पाया है कि कुछ मरीजों की मौत हो गई थी, लेकिन उन्हें जिंदा दिखाकर उनके इलाज के लिए भुगतान हासिल किया गया। इस तरह के कुल 406 केस थे। इनमें से 354 मरीजों को जीवित दिखाकर इलाज के नाम पर 54 लाख रुपये का भुगतान हासिल किया गया।
विशेषज्ञ नहीं थे, इसलिए दूसरे जिले में कराया इलाज
कैग ने अपनी रिपोर्ट में राज्य में मैन पॉवर की कमी पर भी सवाल उठाए हैं। हरियाणा के विभिन्न जिलों में 14 तरह के अलग-अलग विशेषज्ञ नहीं थे। इससे आयुष्मान भारत के लाभार्थियों को दूसरे जिले में इलाज के लिए यात्रा करनी पड़ी है। वहीं, स्वीकृत पदों के मुताबिक 36 फीसदी डॉक्टर व कर्मचारी कम थे। इसके अलावा 3666500 रुपये की पेनाल्टी में से 1685250 रुपये की वसूली नहीं की गई।
हरियाणा में पानी पीने लायक नहीं:CAG की रिपोर्ट में खुलासा- जल में मेंढक, शैवाल, कौलीफॉर्म बैक्टीरिया; 25 सैंपलों की लैब टेस्टिंग हुई
हरियाणा में पानी पीने के लायक नहीं है। पेयजल को लेकर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। विधानसभा के मानसून सत्र में पेश की गई CAG की रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य में पीने के पानी में मेंढक, शैवाल, कौलीफॉर्म बैक्टीरिया मिले हैं।
रूलर एंड अर्बन वाटर सप्लाई स्कीम के ऑडिट में CAG ने पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट (13), अर्बन लोक बॉडी (8) हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (4) द्वारा 25 स्थानों पर जल आपूर्ति के नमूने लिए गए।
नमूनों का एक सेट करनाल में सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग (PHED) प्रयोगशाला में भेजा गया था और दूसरे सेट को विश्लेषण के लिए श्री राम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल रिसर्च (SRI) नई दिल्ली भेजा गया था।

हरियाणा में पानी पीने लायक नहीं:CAG की रिपोर्ट में खुलासा- जल में मेंढक, शैवाल, कौलीफॉर्म बैक्टीरिया; 25 सैंपलों की लैब टेस्टिंग हुई
चंडीगढ़1 वर्ष पहले

हरियाणा में पानी पीने के लायक नहीं है। पेयजल को लेकर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। विधानसभा के मानसून सत्र में पेश की गई CAG की रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य में पीने के पानी में मेंढक, शैवाल, कौलीफॉर्म बैक्टीरिया मिले हैं।
रूलर एंड अर्बन वाटर सप्लाई स्कीम के ऑडिट में CAG ने पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट (13), अर्बन लोक बॉडी (8) हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (4) द्वारा 25 स्थानों पर जल आपूर्ति के नमूने लिए गए।
नमूनों का एक सेट करनाल में सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग (PHED) प्रयोगशाला में भेजा गया था और दूसरे सेट को विश्लेषण के लिए श्री राम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल रिसर्च (SRI) नई दिल्ली भेजा गया था।

दूषित पानी से 5 साल में 14 मौतें CAG की रिपोर्ट में कहा गया है कि हेल्थ डिपार्टमेंट द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 2016-21 के दौरान जलजनित बीमारियों के 2,901 मामले राज्य में आए हैं। इसके साथ ही दूषित जल पीने से सूबे में 14 मौत हो चुकी हैं।
8 चयनित जिलों में से 4 (फतेहाबाद, करनाल, कुरूक्षेत्र और पंचकूला) में 2016-21 के दौरान जल-जनित बीमारियों के 1382 मामले मिले, जिनमें से 12 लोगों की मौत हुई। कालका, असंध, इंद्री और हांसी उपमंडल जल परीक्षण प्रयोगशालाओं में भौतिक और रासायनिक परीक्षण की सुविधा नहीं है।
पानी के 12 सैंपलों में क्लोरीन नहीं मिला रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि 25 में से 12 स्थानों पर पानी के नमूनों में क्लोरीन नहीं मिला। 11 स्थानों पर क्लोरीन निर्धारित सीमा से अधिक पाया गया (0.2 PPM की आवश्यकता के मुकाबले प्रति मिलियन PPM तीन भागों का अधिकतम रेट) और 2 स्थानों पर, क्लोरीन अनुमेय सीमा के भीतर पाया गया। हालांकि SRI प्रयोगशाला में 2 नमूनों में क्लोरीन अनुमेय सीमा से थोड़ा ऊपर पाया गया और बाकी 23 नमूनों में क्लोरीन बिल्कुल भी नहीं पाया गया।

हरियाणा में पानी पीने लायक नहीं:CAG की रिपोर्ट में खुलासा- जल में मेंढक, शैवाल, कौलीफॉर्म बैक्टीरिया; 25 सैंपलों की लैब टेस्टिंग हुई

हरियाणा में पानी पीने के लायक नहीं है। पेयजल को लेकर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। विधानसभा के मानसून सत्र में पेश की गई CAG की रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य में पीने के पानी में मेंढक, शैवाल, कौलीफॉर्म बैक्टीरिया मिले हैं।
रूलर एंड अर्बन वाटर सप्लाई स्कीम के ऑडिट में CAG ने पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट (13), अर्बन लोक बॉडी (8) हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (4) द्वारा 25 स्थानों पर जल आपूर्ति के नमूने लिए गए।
नमूनों का एक सेट करनाल में सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग (PHED) प्रयोगशाला में भेजा गया था और दूसरे सेट को विश्लेषण के लिए श्री राम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल रिसर्च (SRI) नई दिल्ली भेजा गया था।

दूषित पानी से 5 साल में 14 मौतें CAG की रिपोर्ट में कहा गया है कि हेल्थ डिपार्टमेंट द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 2016-21 के दौरान जलजनित बीमारियों के 2,901 मामले राज्य में आए हैं। इसके साथ ही दूषित जल पीने से सूबे में 14 मौत हो चुकी हैं।
8 चयनित जिलों में से 4 (फतेहाबाद, करनाल, कुरूक्षेत्र और पंचकूला) में 2016-21 के दौरान जल-जनित बीमारियों के 1382 मामले मिले, जिनमें से 12 लोगों की मौत हुई। कालका, असंध, इंद्री और हांसी उपमंडल जल परीक्षण प्रयोगशालाओं में भौतिक और रासायनिक परीक्षण की सुविधा नहीं है।
पानी के 12 सैंपलों में क्लोरीन नहीं मिला रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि 25 में से 12 स्थानों पर पानी के नमूनों में क्लोरीन नहीं मिला। 11 स्थानों पर क्लोरीन निर्धारित सीमा से अधिक पाया गया (0.2 PPM की आवश्यकता के मुकाबले प्रति मिलियन PPM तीन भागों का अधिकतम रेट) और 2 स्थानों पर, क्लोरीन अनुमेय सीमा के भीतर पाया गया। हालांकि SRI प्रयोगशाला में 2 नमूनों में क्लोरीन अनुमेय सीमा से थोड़ा ऊपर पाया गया और बाकी 23 नमूनों में क्लोरीन बिल्कुल भी नहीं पाया गया।

इन स्थानों पर मेंढक, शैवाल, कौलीफॉर्म जिन 25 स्थानों से सैंपल लिए गए, उनमें से 7 स्थानों पर क्लियर वॉटर टैंक (CWT) ओवर हेड सर्विस रिजर्वायर (OHSR) का उपयोग किया जा रहा था और 3 स्थानों पर सफाई की स्थिति संतोषजनक नहीं थी। कटेसरा में CWT के अंदर शैवाल मिला है, साहू में CWT में मेंढक और काब्रेल में एक CWT बिना ढक्कन के था।
इस बात को साबित करने के लिए CAG ने अपनी रिपोर्ट में तस्वीरें भी प्रकाशित की हैं। सभी 25 स्थानों पर यह देखा गया कि क्लोरीन की खुराक से संबंधित कोई रिकॉर्ड नहीं रखा गया था। इसकी अनुपस्थिति में यह आंकलन किया गया है कि जल पंप संचालक, जेई क्लोरीनाइजेशन के लिए उचित खुराक के प्रति लापरवाह थे।
6 साल में 2.64 लाख सैंपल लिए गए रिपोर्ट में दिया गया है कि अप्रैल 2016 से मार्च 2021 की अवधि के दौरान 2,64,025 पानी के नमूनों का परीक्षण किया गया, जिनमें से 18,104 नमूने (6.86 प्रतिशत) सही नहीं मिले। अगस्त 2021 से मई 2022 के दौरान, यह पाया गया कि जिन क्षेत्रों में पानी का नमूना लिया गया, वहां के निवासियों को सुरक्षित और पीने योग्य पेयजल सुनिश्चित करने के लिए विभाग द्वारा समय पर कार्रवाई की गई थी या नहीं।