Friday, 17 January 2020

List of Drugs

List of Drugs in CHC Kalanaur
1. Paracetamol......500mg                    36. Tab Zinc 20 mg
2. Diclo+Paracetamol                          37. ORS
3. Tab Levocetraine                             38. Ciprofloxacin eye drops
4. chlorpheniramine maleate          39. Flubifen Eye drops
5. Tab Cipro 500 mg                            40.   
6.Tab Metronidaole 200 mg
7. Tab Tinidaole 500 mg
8. Cap Doxycycline 100 mg
9. Tab Thiocolchicoside 4 mg
10. Cap Amoxicillin 500 mg
11. Tab Amoxi+ clav 625
12.Syp Amoxicillin 250mg/500mg
13. Syp Cefadroxil 120mg/ml
14. Syp Metronidaole 60mg
15. Syp Paracetamol 60mg
16. Syp Cetrizine 60mg/
17.Syp Domiperidone
18.Syp. Albendazzole
19. Syp Ibuprofen
20. Syp Cotrimoxazole
21.Syp Cough expectorant
22. Syp Iron
23.Tab Domiperidone 10 mg
24.Tab Ondansetron
25.Tab Hyosine Butyl Bromide
26. Tab Tranexamic+metronidaole
27. Tab Vitamin C
28.Tab Vit D3
29.Tab Calcium+D3
30. Tab Pregabalin+mehylcobalamin
31. Tab Acetyl Salicylic Acid 75 mg
32. Tab Atorvastatin 10 mg
33. Telmisartan 80 mg
34. Tab Ramipril 5 mg
35. Tab Labetalol 100 mg

Sunday, 12 January 2020

जन स्वास्थ्य अभियान हरयाणा

जन स्वास्थ्य अभियान हरयाणा
स्वास्थ्य एक अहम मुद्दा रहा है और अब और भी अहम स्थान लेता जा रहा है | समाज और व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए जरूरी कारकों मसलन साफ वातावरण , पौष्टिक भोजन , साफ़ पानी , हवादार आवास और रोजगार की तरफ ध्यान बहुत ही कम दिया जा रहा है |  इसके चलते जहाँ गैर संक्रामक मसलन हृदय रोग , डायबटीजजैसी बीमारियों की बढ़त हुई है वहीँ संक्रामक बीमारियों की वापसी भी तेज हुई है |  हरयाणा आर्थिक क्षेत्र में विकसित होते हुए हुए और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कुछ मानकों में सुधार के बावजूद कुल मिलाकर सरकारी सुविधाओं के क्षेत्र में काफी पिछड़ता जा रहा है |   पायनीयर अख़बार में 15 दिसम्बर 2017 को स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे दिए आंकड़े चौकाने वाले हैं |
1 .71 .1 % ( 6 -59 )  महीनों के बीच के बच्चे खून की कमी के शिकार हैं
2 . (15 -49 ) साल के बीच की महिलाएं और लड़कियां खून की कमी की शिकार हैं |
3 . (15 -19 ) साल की किशोर लड़कियों में 62 . 7 % में खून की कमी है
|  इसी उम्र के 29 . 7 % लड़कों में खून की कमी पाई गई |
4 . ( 15 -19 ) साल की 36 . 6 % किशोरियां कुपोषण की शिकार हैं | इसी उम्र के 30.6 % लड़कों में कुपोषण है |
       इसी प्रकार हरियाणा स्वास्थ्य रक्षा सुविधाओं में 1966 से 2005 तक तो कुछ विस्तार हुआ मगर उसके बाद विकास बहुत धीमा है |  सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा चरमराता सा नजर  रहा है |  जबकि कारपोरेट सैक्टर में स्वास्थ्य सेवाओं का निजीकरण  तेजी से हो रहा  है | सरकार की नीतियों और आर्थिक मदद के चलते ही प्राइवेट सैक्टर फला फूला है|  इसके प्रोहत्साहन के बीमा योजना और एम्पेनलमेंट खास तरीके नजर आते हैं |  साथ ही पीपीपी मोड भी उभरता जा रहा है |   प्राइवेट मैडीकल कालेजों की बढ़त हो रही है |  सरकारी में एम बी बी एस की 600 सीटें हैं और प्राइवेट में 800 सीटें हैं | 60 --70 लाख खर्च हो जाता है |  फिर पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए 2 करोड़ से ज्यादा खर्च हो जाते हैं |
    हरियाणा की जनसंख्या (2011 )  2. 54 करोड़ के लगभग है | ग्रामीण जनसंख्या 16,509 ,359  है |  5 हजार पर एक उप स्वास्थ्य केंद्र , 30. 000 पर एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और एक लाख पर एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीण क्षेत्र का प्रारूप माना गया है |
जो अब स्वास्थ्य सुविधाओं का ढांचा है :
1 . उप स्वास्थ्य केंद्र ------------  2630
2. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र--------486
3. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र -----119
( 2015 --2016 के आंकड़ों पर आधारित )
जो स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा होना चाहिए ::::
 1.उप स्वास्थ्य केंद्र ------------   3301 
2. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र-------- 550 
3. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ----- 165
यदि 2018 की अनुमानित जनसंख्या पर सोचा जाये तो और भी ज्यादा ढांचा चाहिए | सरकारी ढांचे में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर 1 सर्जन , 1 शिशु रोग विशेषज्ञ , 1 स्त्री रोग विशेषज्ञ और  1  फिजिसियन होना चाहिए | ये चारों स्पेस्लिस्ट शायद ही किसी सामुदायिक केंद्र में हों |बाकि डाक्टरों , नर्सों , रेडिओग्राफरों ,   एन एम और बाकि के पैरामैडीकल  स्टाफ की भी काफी कमी है |  दवाओं की कमी , लैब टेस्टों की कमी , एक्विमेंट्स की कमी आम बात हो गयी लगती है | इस प्रकार यदि प्राथमिक और सैकण्डरी स्तर की  स्वास्थ्य सेवाओं  के ढांचे का यह हाल है तो टर्सरी स्तर के पी जीआई एम  एस रोहतक और दूसरे मैडीकल  की हालत समझी जा सकती है |  
 इस उपलक्ष्य में निम्नलिखित प्रस्ताव रखे जाते हैं जो कि मौजूदा स्वास्थ्य परीस्थितिजो कि पूर्णरुप से खारीज करने लायक हैको पलट सकें तथा स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाली परिस्थितियां तथा स्वास्थ्य सेवाएं लागू करते हुए सबके लिए स्वास्थ्य का सपना साकार कर सकें।
1        स्वास्थ्य के सामाजिक निर्णायकों पर ध्यान हो:: इसके  स्वास्थ्य सुरक्षा को बढ़ावा देना , लोक वितरण प्रणाली को सार्वभौमिक बनाना होगा जिसके तहत स्थानीय खाद्य पदार्थों को बढ़ावा दिया जाए। राष्ट्रीय शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण नीति बनाई जाए जिसके अंतर्गत आई सी डी एस का सार्वभौमिकीकरण हो  तीन साल तक के बच्चों को पूर्ण रुप से शामिल करने हेतू सेवाओं तथा कार्यदल में विस्तार हो। समस्त गावों  मोहल्लों में शुद्ध एवं सुरक्षित पेयजल की सार्वभौमिक उपलब्धता हो तथा हर गांव  मोहल्ले में स्वच्छ शोचालयों तक सार्वभौमिक पहुंच हो।
2- स्वास्थ्य सम्बन्धित लैंगिक पहलूओं को सम्बोधित किया जाए -इसके अंर्तगत समस्त महिलाओं तथा समलैंगिक नागरिकों को समेकित , आसानी से उपलब्ध उच्चगुणवतापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच  इसकी उपलब्धता की गाारण्टी दी जाए जो कि केवल मातृत्व सवास्थ्य सेवाओं तक ही सीमित  हो। उन समस्त कानून ,नीतियों तथा आाचरणों को समाप्त किया जाए जो कि महिलाओं के प्रजननयौनिक तथा जनतांन्त्रिक अधिकारों का हनन करता है। जो भी विभिन्न प्रजनन प्रोद्योगिकियां जो कि महिलाओं के लिए हानिकारक हो सकती हैं उन्हें नियंत्रित किया जाए  लिंग आाधारित उत्पीड़न को एक लोक स्वास्थ्य समस्या माना जाए तथा इसके तहत शारीरिक एवम मानसिक रुप से पीड़ितों को तमाम आवश्यक स्वास्थ्य जांचदस्तावेजिकरणरेफरल का अधिकार दिया जाए तथा समन्वित नैतिक चिकित्सीय कानूनी प्रक्रियाओं के लिए भी उन्हें अधिकृत बनाया जाए  स्वास्थ्य सेवाओं को किषोर किषोरियों के लिए मित्ऱतापूर्ण बनाया जाए तथा इस तबके को भी समेकितउच्चगुणवता पूर्ण , आासनी से पहुंचने लायक स्वास्थ्य सेवाएं सुनिष्चित हो जो कि उनके विषेश प्रजनन तथा यौनिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करती हों।
3- समस्त जाति आधारित भेदभाव तुरंत समाप्त किया जाएजाति आधारित भेदभावों कोजो कि बुरे स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण सामाजिक कारक है , पूर्णरुप से समाप्त करने हेतू त्वरित एवं प्रभावी कदम उठाये जाएं। मानव द्वारा मैला ढोने वाले समस्त मैनुअल कार्य पूर्ण रुप से प्रतिबन्धित हों। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में इस भेदभाव से पीड़ित तबकों को प्राथमिकता दी जाए  इसके लिए स्वास्थ्य सेवाओं का पुर्नगठन किया जाए।
4- स्वास्थ्य सेवाओं के अधिकार को संवैधानिक बनाया जाएदेश में स्वास्थ्य के अधिकार का कानून लागू किया जाए जो कि समेकितउच्चगुणवतापूर्णआसानी से उपलब्ध सेवाओं को सुनिष्चित करता हो तथा प्राथमिकद्वितीय एवं तृतीय स्तरीय सेवायें आवष्यकतानुसार सबको उपलब्ध करता हो। सेवा प्रदाता को सेवाओं को उपलब्ध नहीं कराने या मना करने पर ;चाहे गुणवता,पहुंच या खर्च से जुड़े हुए कारणों से भी होउसे कानूनी अपराध घोषित किया जाए।
5- स्वास्थ्य के उपर सार्वजनिक व्यय को बढ़ाया जाए-सकल घरेलू उत्पाद के कम से कम 3-6 प्रतिशत को स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित किया जाए जो कि 2014 की स्थििति में प्रति व्यक्ति 3000 रुपये बनता है।
इस व्यय में कम से कम एक तिहाई केन्द्रिीय सरकार से राज्यों को उपलब्ध हो। हरियाणा सरकार का प्रति व्यक्ति खर्च 1786 है। एक मध्य सीमा के तहत स्वास्थ्य के उपर किये जाने वाले समस्त सार्वजनिक व्यय को सकल घरेलू उत्पाद के 5% तक बढ़ाया जाए।
6- स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता एवं गुणवता सुनिश्चित की जाए-समस्त स्वास्थ्य सुविधाओं में सेवाओं की गुणवता सुनिश्चित की जाए जिसके तहत स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावी , सुरक्षित , गैर शोषणीय बनाये तथा लोगों को सम्मानपूर्वक सेवायें उपलब्ध हों। मरीजों के अधिकारों का आदर हो एवं मरीजों की आराम तथा संतुष्टि पर ध्यान दिया जाता हो। गुणवता का मानक केवल भौतिक या चिकित्सकीय संरचना पर आधारित  हो जो कि प्रायः बड़े कार्पोरेट अस्पतालों या मैडीकल टूरिज्म को बढ़ावा देते हैं तथा कम खर्च में सही एवं प्रभावी सेवाओं के प्रदाय को बढ़ावा नहीं देता है। समस्त लोक सवास्थ्य संस्थान अपने स्तर पर गारन्टी की गई सभी स्वास्थ्य सेवाओं को प्रदान करने हेतू बाध्य हों  समस्त लोक स्वास्थ्य सुविधाओं को किसी भी प्रकार के उपभोग्ता शुल्क से मुक्त किया जाए तथा सेवाएं शासन द्वारा संचालित सुविधाओं के माध्यम से उपलब्ध कराया जाए  कि निजी सार्वजनिक सहयोग व्यवस्था से।
7- स्वास्थ्य सेवाओं का सक्रीय एवं निष्क्रिय निजीकरण बंद होसक्रीय निजीकरण के तरीके ; जैसे सार्वजनिक संसाधन या पूंजी को निजी संस्थानों को वाणिज्यिक हस्तानन्तरण करना , पूर्ण रुप से बंद करने हेतू आवश्यक कदम उठाया जाए। निष्क्रिय रुप से हो रहे निजीकरण को रोकने के लिए लोक सुविधाओं में निवेश बढ़ाया जाए। सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों से प्रदत सेवाएं केवल प्रजनन स्वास्थ्य,टीकाकरण एवं अन्य चुनिन्दा बीमारियों के नियन्त्रण पर सीमित  होकर समेकित स्वास्थ्य सेवाओं पर आधारित हो।
8- स्वास्थ्य कार्यदल का बेहतर प्रशिक्षण होः स्वास्थ्य सेवाओं में कार्यरत सभी कर्मचारियों की बेहतरीन शिक्षा एवं प्रशिक्षण के लिए सार्वजनिक निवेश को बढ़ाया जाए। सरकार द्वारा चलायी जा रही सभी शिक्षण संस्थान द्वारा उन जरुरत मंद इलाकों से चिकित्सकोंनर्सों तथा स्वास्थ्य कर्मचारियों को आवश्यक संख्या में चयनित कर शिक्षा  प्रशिक्षण दिया जा रहा है यह सुनिश्चित किया जाए। प्रशिक्षण नीति में बदलाव लाया जाए जिससे कि स्वास्थ्य कार्यदल द्वारा स्थानीय आवश्यकताओं को पूरा करने हेतू समस्त जरुरी दक्षताएं दी जा सकें। चिकित्सा तथा संबन्धित क्षेत्र के उच्च शिक्षा व्यवस्था के वाणिज्यिकरण बंद हों तथा निजी शिक्षण संस्थाओं के व्यवस्थित नियन्त्रण हेतू प्रभावी एवं पारदर्शी तन्त्र लागू किया जाए।भारतीय चिकित्सा परिषद,भारतीय नर्सिंग परिषद जैसी संस्थाओं विनियामक संस्थाओं को गहन समीक्षा के पश्चात पुनर्गठित किया जाए जिससे कि वर्तमान भ्रष्ट एवं अनैतिक व्यवस्था को समाप्त किया जा सके।
9- बेहतर शासित पर्याप्त लोक स्वास्थ्य कार्यदल होः लोक स्वास्थ्य प्रणाली में समस्त सेवाओं के लिए आवश्यक सभी पद एवं स्थान प्रर्याप्त रुप से सृजित किया जाए एवं इन पदों को समय समय पर भरा जाये। संविदा में नियुक्त कर्मचारियों को नियमित किया जाए तथा आशाओं , बहुउद्येशीय कार्यकर्ताओं तथा अन्य लोक स्वास्थ्य तऩ्त्र के कर्मचारियों का प्रयाप्त रुप से क्षमतानिर्माण किया जाए एवं उन्हें अपने कार्य के लिए सही मानदेय किया जाए  उपयुक्त काय्र करने का माहौल प्रदान किया जाए। कर्मचारियों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा पर ध्यान दिया जाएतािा इस हेतू महिला कर्मचारियों के लिए विशेष व्यवस्था बनाई जाए। उपलब्ध शोध से यह पता चलता है कि ग्रामीण क्षेत्र में डाक्टरों की कमी पेषेवर समस्याओं से ज्यादा प्रशासनिक कमजोरी तथा राजनैतिक पराजय के चलते हैजिसके सुधारने के लिए कार्य किया जाए  हर स्तर के लिए ऐसे लोक स्वास्थ्य कैडर का गठन हो जिसमें प्रयाप्त संख्या में चिकित्सकनर्सें तथा स्वास्थ्य कर्मियों का दल सम्मिलित हो जिसका जिसको प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र मेंलोक स्वास्थ्य के सम्बन्ध में एवं एक दल के रुप में बेहतर कार्य करने में प्रशिक्षण प्राप्त हो।
10- सभी आवष्यक दवाओं का एवं जांच सुविधाओं की मुफत एवं गुणवतापूर्ण उपलब्धता सुनिष्चित होः जिस प्रकार तामिलनाडूकेरल एवं राजस्थान राज्य में किया गया है वैसा स्वायत , पारदर्शी एवं आवश्यकता आाधारित दवा एवं अन्य सामग्रियों के खरीदी एवं वितरण प्रणाली गठित एवं लागू हो। लंबित बीमारियो के सभी मरीजों के लिए सभी आवष्यक दवाओं का पूरी अवधि के लिए उपलब्धता सुनिश्चित हो एवं दवा वितरण केन्द्रों को मरीजों के आसान पहुंच के मद्येनजर गठित किया जाये। समस्त स्वास्थ्य सुविधाओं में जेनेरिक दवाओं का प्रिस्क्रिप्सन एवं उपयोग को अनिवार्य करार दिया जाये।
11 - सामुदायिक सहभागितासहभागी योजना निर्माण एवं समुदाय आधारित निगरानी को बढ़ावा दिया जायेः स्वास्थ्य सेवायें जनता के प्रति जवाबदेह हों। इसके लिए समुदाय आधारित निगरानी एवं योजना निर्माण प्रक्रिया को समस्त लोक स्वास्थ्य कार्यक्रमों एवं सेवाओं का अनिवार्य हिस्सा बनाया जायेजिससे कि सेवा प्रदान में उतरदायित्व एवं पारदर्शिता बढे। शिकायत निवारण की प्रक्रियाओं को सुचारु रुप से चलाने के लिए संस्थागत व्यवस्थायें बनाई जायें जिसके लिए पर्याप्त धन राशि के साथ साथ आवश्यक प्रबंधन स्वायतता भी प्राप्त हो।
12- लोक स्वास्थ्य प्रणाली को भ्र्ष्टाचार मुक्त किया जायेः नियुक्तिपदोन्नतिस्थानान्तरणखरीदी तथा अधोरचना विकास के लिए पारदर्शी नीतियां बनाई जायें तथा लागू की जाएं जिस प्रकार तामिलनाडू राज्य ने खरीदी के लिए तािा कर्नाटक राज्य ने स्थानान्तरण के लिए नीतियां बनाइ्र हैं। शिकायत निवारण की प्रक्रियाओं को सुचारु रुप से चलाने के लिए संस्थागत व्यवस्थायें बनाई जायें जिसके लिए प्रयाप्त धनराशि के साथ साथ आवश्यक स्वायत्तता प्राप्त भी हो।
13- निजी अस्पतालों द्वारा किये जाने वाले शोषण को समाप्त किया जायेः राष्ट्रीय क्लिनिकल एस्टेब्लिष्मैंट एक्ट के अंर्तगत मरीजों के अधिकार हर संस्थाओं में सुरक्षित हों  विभिन्न सेवाओं के दाम नियंत्रित हों। प्रिस्क्रिप्षनजांच तथा रेफरल के पीछे चलने वाली घूसखोरी को बंद किया जाएएवं इसके लिए शासन द्वारा पर्यवेक्षित लेकिन स्वतंत्र शिकायत निवारण व्यवस्था लागू की जाये। मानक निर्माण का प्रकार ऐसा हो जिसमें कारपोरेट हित का बढ़ावा  हो सके। इन तमाम व्यवस्थाओं पर यह भी विशेष ध्यान हो कि नैतिक एवं गैर वाणिज्यिक सेवा प्रदान करने वाले निजी प्रदाताओं को संम्पूर्ण परि रक्षा मिल रहा है।
14- समस्त सार्वजनिक बीमा योजनाओं को समय सीमा के अंतर्गत लोक सेवा व्यवस्था में विलीन किया जायेः आर एस बी वाई जैसे तथा अन्य राज्य संचालित बीमाएं कर-आधारित सार्वजनिक वितीय व्यव्स्था से पोषित लोक स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था में समय सीमा के अंर्तगत विलीन हो  इन बीमा योजनाओं के अंर्तगत प्राप्त सभी सेवायें लोक स्वास्थ्य प्रणाली में भी सम्मिलित हों एवं इसके लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हों। संगठित एवं असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को लोक स्वास्थ्य प्रणाली में पूर्ण रुप से शामिल किया जाये जिससे कि उनके लिए समेकित स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध हो।
हरयाणा मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज ‘योजनाजननी सुरक्षा योजना आदि सभी स्वास्थ्य योजनाओं को ठीक प्रकार से लागू किया जाए। इसके लिए जिला स्तर पर सामाजिक संस्थाओं  जन संगठनों के कार्यकर्ताओं की एक माॅनिटरिंग कमेटी बनाई जाए जिसकी सिफारिशों पर सम्बंधित विभाग उचित कार्यवाही तुरन्त करे। हरयाणा से गुजरने वाले हाइवे पर एक्सीडैंट होने पर 48 घण्टे तक सभी को मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं देने की योजना उचित ढंग से लागू की जाए।
15- स्वास्थ्य नीतियों के विकास में तथा प्राथमिकतायें तय करने में बहुपक्षीय अंर्तराष्ट्रीय वितीय संस्थाओं का तकनीकी सहयोग पूर्ण रुप से समाप्त होः विश्व बैंक , यू.एस.एड., गेट्स फाउन्डेशन , कंसलटेंसी संस्थाएं जैसे डियोलाइट,मैकेन्सी आदि का राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राथमिकतांए एवं वितीय या सेवा प्रदाय रणनीतियों के निर्धारण में भूमिका को पूर्ण रुप से समाप्त किया जाये। शोध  ज्ञान संसाधन का विकास एवं वितरण के लिए एक विषेश अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्रणाली गठित किया जाये , खासकर अन्य विकासशील देशों के साथ। डब्लू.एच. ,यूनिसेफ तथा अन्य संयुक्त राष्ट्रीय संस्थाओं के उपर तकनीकी निर्भरता एवं उनकी वितिय सहायता की आवश्यकता से मुक्त किया जाने हेतू शासकीय स्तर पर दबाव बनें। इस प्रकार की संस्थाओं
की ओर से आने वाले परामर्श तथा विशेषज्ञता को भी समीक्षात्मक दृष्टि से देखा जाये क्योंकि यह संस्थाएं भी कारपोरेट एवं निजी संस्थानों के हित से प्रभावित हैं 
16 - राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर स्वास्थ्य पर शोध एवं विकास के लिए क्षमता निर्माण होः लोक स्वास्थ्य बजट का कम से कम 5% स्वास्थ्य पर शोध के लिए आवंटित हो जिसमें स्वास्थ्य तन्त्रों पर शोध भी शामिल हो। सवास्थ्य के क्षेत्र में तथा स्वास्थ्य तन्त्रों पर शोध हेतू नवीन संस्थागत ढांचे शासन द्वारा गठित हो तथा मौजूदा संस्थाओं को पर्याप्त शासकीय वितिय सहायता दिया जाये।
17- आवश्यक एवं सुरक्षित दवाईयों तथा उपकरणों की सही उपलब्धता सुनिष्चित होः सभी दवाईयों का मूल्य आधारित दाम नियन्त्रण हो , दवा एवं उपकरण सुरक्षा के लिए आवश्यक प्रावधान हो। जेनेरिक दवाईयों के वितरण के लिए पर्याप्त संविधायें प्रणाली हों  चिकित्सकों द्वारा जेनेरिक दवाईयों के प्रिस्क्रिप्षन हेतू अनिवार्यता हो। इंडियन पेटैंट एक्ट के अंर्तगत लोक स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए की गई व्यवस्थाओं का दवाईयों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए उपयोग हो तथा ज्यादातर दवाईयों एवं उपकरणों के देषी निर्माण को बढावा मिले।
18- जैव चिकिस्तकीय शोध तथा क्लिनिकल ट्रायलों की सशक्त विनियामक व्यवस्था होः क्लिनिकल ट्रायलों के नैतिक संचालन हेतू स्पष्ट रुप रेखा तैयार एवं लागू हो जिससे समस्त हितग्राहियों के सशक्त विनमय के लिए व्यवस्थायें बंधित हो चाहे वे वितीय प्रदाता हो , शोध संस्थाएं हों या नैतिक समितियां हों। सी.डी.एस.सी.तथा आई.सीएमआरद्वारा समस्त क्लिनिकल ट्रायलों का तथा ट्रायल स्थानों की सशक्त निगरानी की जाये तथा ट्रायल संसाधनों के आंवटन के दौरान वहां पर आवश्यक सभी आपातकालीन स्थिति के निपटारे हेतू व्यवस्थायें सुनिश्चित हों  क्लिनिकल ट्रायलों में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को प्र्याप्त क्षतिपूर्ण राशि उपलब्ध कराने हेतू एवं उनको हो सकने वाले समस्त बुरे प्रभाव निपटारे के लिए पर्याप्त व्यवस्था के साथ निर्देश विकसित और लागू हों। क्लिनिकल ट्रायल प्रतिभागियों के लिए उनके अधिकार पत्र विकसित किया जाय जिसकी कानूनी रुप में भी वैधता हो।
19- सभी मानसिक रुप से पीड़ित मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं एवं रक्षा सुनिश्चित की जायेंः जिला स्तरीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंर्तगत शामिल किया जाये। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य नीति पर अमल हो तथा मानसिक स्वास्थ्य कानून पास किया जाये।
20- कीटनाशक दवाओं के अन्धाधुन्ध इस्तेमाल के चलते हरियाणा के हर क्षेत्रमानवीयपशु  खेती में इसके दुष्परिणाम सामने  रहे हैं। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि मानवीय स्तर पर इन कीटनाशकों की मात्रा पता लगाने के टैस्टों की सुविधा इस प्रदेश के इकलौते पीजीआईएमएस में भी नहीं है। कई तरह की बीमारियां इसके चलते बढ़ रही हैं या पैदा हो रही हैं। यह सुविधा तत्काल मुहैया करवाई जाए।
21- सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर - एक सर्जनएक फिजिसियनएक शिशु रोग विशेषज्ञ  एक महिला रोग विशेषज्ञ के प्रावधान के मानक केन्द्रीय स्वास्थ्य विभाग द्वारा तय किये गए हैं। इसके साथ यदि मरीज बेहोशी का विशेषज्ञ नहीं है तो सर्जन और गायनकाॅलोजिस्ट तो अपंग हो जाते हैं। इसलिए इन पांचों विशेषज्ञों की नियुक्तियां प्रत्येक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों मे की जाए।
22. प्रदेश के जिलों में गुड़गांवरोहतकहिसारभिवानी,फरीदाबाद और सोनीपत में विशेष आर्थिक पैकेज के तहत 1500 करोड़ रुपये की परियोजनांए शुरू की गइ्र हैं जिसके तहत स्वास्थ्य सेवाओं के आधारभूत ढांचे को विकसित करने के लिए इन जिलों के अस्पतालों को अपगे्रड करके सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल बनाये जा रहे हैं। बहुत ही हाईटेक उपकरण पिछले सालों में खरीदे गए जो बहुत कम जगह और कमतर स्तर पर इस्तेमाल किये जा रहे हैं। यहां पर उपयुक्त स्टाफ की कमी को पूरा करते हुए इसके लिए सम्बंधित विशेषज्ञोंडाॅक्टरोंनर्सों  पैरामैडिकल स्टाफ को उपयुक्त ट्रेनिंग देने की भी आवश्यकता है। निशुल्क सर्जीकल पैकेज योजना के तहत 2009 से बीपीएल परिवारों को दी जा रही निशुल्क सर्जरी की सेवा को लागू करने में  रही सभी दिक्कतों को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाये जायें। गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले  अधिसूचित झोंपड़ पट्टियों एवं बस्तियों के निवासियों के सभी आपरेशन मुफत करने की योजना को सही ढंग से लागू किया जाए  इंदिरा बाल स्वास्थ्य योजना 26 जनवरी 2010 से लागू की गई। जिसके तहत अठारह वर्ष तक की आयु के बचचों के स्वास्थ्य कार्ड बना कर सरकारी अस्पतालों में उनके स्वास्थ्य की निशुल्क जांच  ईलाज किया जाता है। बहुत से लोगों को इन सब योजनाओं से वाकिफ ही नहीं लगते ओर इनके क्रियान्वयन की दिक्कतों को भी दुरुस्त करने के कदम पहले सुझाये गये माध्यमों के द्वारा उठाये जायें। प्रदेश में 2005 तक एमबी.बी.एस.की कुल सीटें 350 थी जो वर्ष 2013 में 850 हो गई। मगर इन विद्यार्थियों की गुणवता पूर्ण मैडीकल शिक्षा के लिए जरुरी फैकल्टी की काफी कमी है हरेक मैडीकल कालेज में और इन्फ्रास्ट्रक्चर की बहुत कमी है जिसे पूरा करना बड़ी चुनौती है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत दाल रोटी योजना को सही सही लागू किया जाए।
23- कुपोषण ;नैशनल फैमिली हैल्थ सर्वे के अनुसारहरियाणा में बढ़ा है। दूर करने के लिए कारगर कदम उठाये जायें। इसी प्रकार गर्भवती महिलाओं में नैशनल फैमिली हैल्थ सर्वे 4 के अनुसार नैषनल फैमिली हैल्थ सर्वे 3 के मुकाबले 10 प्रतिशत खून की कमी बढ़ी है। इसके साथ-साथ लड़कियों में किये गये सरकारी सर्वे में भी खून की कमी का प्रतिशत काफी पाया गया है। उचित कदम उठाये जाने की जरूरत है।
24-पी एन डी टी एक्ट के तहत उचित कार्यवाही की जाएं।
25- मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना सुचारू रूप से लागू की जाये |
26- जननी सुरक्षा योजना को भी ठीक ढंग से लागू करवाने  के लिए जन समुदाय को संगठित किया जाये |
27- प्रधानमंत्री जन औषधि योजना में 699 दवाओं की लिस्ट दी गयी है | सभी दवाएं जान औषधी केंद्र पर उपलब्ध नहीं हो रही |  उपलब्ध करवाया जाये |
और इस सुविधा का ब्लॉक स्तर तक विस्तार किया जाये |
28- जन संख्या के हिसाब से जन स्वास्थ्य रक्षा सेवाओं के पब्लिक ढांचे को मजबूत किया जाये |  |
29 अपने अपने मोहल्ले , गली, शहर गांव के स्तर पर जन स्वास्थ्य सेवाओं की जनता के सहयोग से उपलब्धता करवाने के लिए संघर्ष की जरूरत होंगी|
स्वास्थ्य का मुद्दा सामाजिक और आर्थिक तो है ही साथ ही यह राजनैतिक मुद्दा भी है |  इसलिए जन स्वास्थ्य सेवाओं को कारपोरेट सैक्टर के  हाथों में दिए जाने का विरोध भी जन स्वास्थ्य अभियान का हिस्सा है |
जन स्वास्थय अभियान हरियाणा जनता सेजनता के वंचित तबकों से  और इसके जन संगठनों से अपील करता है कि मजबूत संगठन बना कर  स्वास्थय हमारा हक़ है "के मुद्दे पर संघर्ष में हिस्सेदारी करें |
डॉ रणबीर सिंह दहिया
सदस्य
कोर ग्रुप , जन स्वास्थ्य अभियान
हरियाणा