महिलाओं और बालिकाओं के स्वस्थ जीवन को सुनिश्चित करने के लिए मासिक
धर्म संबंधी आस-पास के रहस्यों को उद्घाटित करना आवश्यक है। उनका ज्ञानवर्धन
करना और सुरक्षित मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में जागरूक करना अनिवार्य है।
माहवारी एक सामान्य जैविक प्रक्रिया है और प्रजनन स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण संकेत है, फिर भी कई संस्कृतियों में इसे नकारात्मक, शर्मनाक या गंदा माना जाता है। मासिक धर्म पर निरंतर चुप्पी, तथा परिवार एवं
स्कूल में सीमित एवं उचित जानकारी के अभाव में लाखों महिलाओं और लड़कियों को इस बात की बहुत कम जानकारी होती है कि मासिक धर्म के दौरान उनके शरीर में क्या होता है और इससे कैसे निपटना चाहिए। यूनिसेफ के एक अध्ययन से पता चला है कि दक्षिण एशिया की 3 में से 1 लड़की को मासिक धर्म आने से पहले इसके बारे में कुछ भी पूर्वज्ञान नहीं था, जबकि ईरान में 48 प्रतिशत और भारत में 10 प्रतिशत लड़कियों का
मानना है कि मासिक धर्म एक बीमारी है ;ॅंजमत पक 2013ए डमदेजतनंस भ्लहपमदम डंजजमतेद्ध।
वाटर एड एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन है, जिसे 1981 में संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय पेयजल और स्वच्छता दशक ;1981-1990द्ध की प्रतिक्रिया के रूप में स्थापित किया गया था। आज भी भारत और दक्षिण एशिया के
कुछ हिस्सों में ऐसे परिवार हैं, जहाँ मासिक धर्म वाली महिला के साथ बहुत अपमानजनक तरीके से व्यवहार किया जाता हैं और घर या सामाजिक कार्यों में उसकी उपस्थिति को अशुभ माना जाता है। ऐसा क्यों है कि घर की महिला या बेटी, जो महीने के अन्य दिनों में घर का सारा काम करती है, लेकिन जब मासिक धर्म होता है तो अचानक प्रदूषित हो जाती है? मासिक धर्म वाली महिलाओं को मंदिरों में प्रवेश की अनुमति क्यों नहीं है?
दुकानदार से सैनिटरी नैपकिन खरीदते समय हमें शर्मिंदगी क्यों महसूस होती है? दुकानदार सैनिटरी नैपकिन को ग्राहकों को सौंपने से पहले कागज या काले पॉलीबैग में क्यों लपेटता हैं?
हम अपने शरीर को साफ करने के लिए हर दिन टॉयलेट जाते हैं, हम स्नान करते हैं और अपने नाखून, बाल काटते हैं। तो क्या हम इनके बारें में भी इसी प्रकार से बात करते हैं जैसे कि मासिक धर्म के बारे में करते हैं? लड़कियाँ इसके बारे में गोपनीय स्वर में क्यों बात करती है? यहां तक कि शिक्षित महिलाएं भी मासिक धर्म पर पुरुष साथियों के बीच खुलेआम बात करने में संकोच करती हैं। क्या यह इसलिए है क्योंकि पुरुष आपसी
जैविक अंतर को समझने और उसकी सराहना करने में अनजान, असमर्थ हैं?
धर्म में बहने वाला रक्त आंशिक रूप से रक्त और आंशिक रूप से गर्भाशय के अंदर के ऊतक होते
हैं, जो महिलाओं की योनि के माध्यम से शरीर से बाहर निकलता है। आमतौर पर मासिक धर्म 11 से 14 साल
के बीच शुरू होता हैं और 51 साल की उम्र में रजोनिवृत्ति तक जारी रहता है। यह आमतौर पर तीन से पांच दिनों तक रहता है। मासिक धर्म चक्र इस चक्र का कार्य काफी सरल है। महीने में एक बार, एक अंडा अंडाशय से निकलकर फैलोपियन ट्यूब के माध्यम से गर्भाशय में प्रवेश करता है। इस समय, संभावित निषेचित अंडे के लिए
एक तकिया (त्वचा की कोमल परत) प्रदान करने के लिए गर्भाशय का अस्तर अतिरिक्त रक्त और ऊतक के साथ मोटा हो जाता है। यदि इस समय, अंडा शुक्राणु के साथ निषेचित हो जाता है तो निषेचित अंडा गर्भाशय से जुड़ेगा और धीरे-धीरे एक बच्चे में विकसित होगा। हालांकि, अगर अंडा शुक्राणु के संपर्क में नहीं आता है और निषेचित नहीं होता है, तो गर्भाशय का अस्तर टूटना शुरू हो जाएगा ताकि वह बहाया जा सके। अस्तर (परत) के साथ अनिषेचित अंडे को भी बहाया जाता है। इसलिए, किसी लड़की या महिला का मासिक धर्म के दौरान रक्तस्राव होता है, यह तब होता है जब किसी महिला के शरीर से अतिरिक्त रक्त और ऊतक मुक्त हो रहा होता है। सामान्य रक्तस्राव क्या है? सामान्य रक्तस्राव की एक सीमा होती है। कुछ महिलाओं में यह हलका, कम अवधि का तथा कुछ महिलाओं में भारी, अधिक अवधि का होता है। समय के साथ मासिक धर्म की अवधि और
तीव्रता भी बदल सकती है। सामान्य मासिक धर्म रक्तस्राव के लक्षणः
माहवारी 3.8 दिनों तक रहती हैय
माहवारी 21.35 दिनों में फिर से आती है (इसे महिलाओं और बालिकाओं के स्वस्थ जीवन को सुनिश्चित करने के लिए मासिक धर्म संबंधी आस-पास के रहस्यों को उद्घाटित करना आवश्यक है। उनका ज्ञानवर्धन करना और सुरक्षित मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में जागरूक करना अनिवार्य है। समस्त विश्व में लड़कियां और महिलाएं अपने मासिक धर्म की वजह से कई सारी दैनिक गतिविधियों से चूक जाती हैं, आमतौर पर यह इसलिए होता है क्योंकि वे मासिक धर्म (माहवारी) को बाधक मानती हैं और उन्हें उचित शिक्षा की कमी होने के कारण उनका शरीर कैसे काम करता है, यह वे जान नहीं पाती। हर महीने दुनिया की आधी आबादी के साथ जो कुछ होता है, उसे वर्जित या निषिध्द नहीं कहा जा सकता। इस गलत अवधारणा को दूर करने के लिए चुप्पी तोड़ना ही पहला कदम होगा।
आइए जानें मासिक धर्म के बारे में
क्या हमारी संस्कृति अपराधी है या हमने अपनी संस्कृति के कुछ दुर्बल तत्वों को प्रबल होने और बनाए रखने की अनुमति दी है? मासिक धर्म के प्रभाव के बारे में हमारी जिज्ञासा का समाधान वैज्ञानिक तरीके से क्यों नहीं हो सकता? तो आइए इसके बारे में बात करते हैं। मासिक धर्म क्या है? मासिक धर्म, या माहवारी, एक सामान्य योनि
रक्तस्राव है जो एक महिला में मासिक चक्र के रूप में होता है। प्राकृतिक रूप से महिला का शरीर हर महीने गर्भावस्था के लिए तैयार होता है। यदि कोई गर्भावस्था नहीं होती है, तो गर्भाशय, या गर्भ, इसकी परत को बहा देता है। मासिक धर्म में बहने वाला रक्त आंशिक रूप से रक्त और आंशिक रूप से गर्भाशय के अंदर के ऊतक होते हैं, जो महिलाओं की योनि के माध्यम से शरीर से बाहर निकलता है। आमतौर पर मासिक धर्म 11 से 14 साल के बीच शुरू होता हैं और 51 साल की उम्र में रजोनिवृत्ति तक जारी रहता है। यह आमतौर पर तीन से पांच दिनों तक रहता है। मासिक धर्म चक्र इस चक्र का कार्य काफी सरल है। महीने में एक बार, एक अंडा अंडाशय से निकलकर फैलोपियन ट्यूब के माध्यम से गर्भाशय में प्रवेश करता है। इस समय, संभावित निषेचित अंडे के लिए एक तकिया (त्वचा की कोमल परत) प्रदान करने के लिए गर्भाशय का अस्तर अतिरिक्त रक्त और ऊतक के साथ मोटा हो जाता है। यदि इस समय, अंडा शुक्राणु के साथ निषेचित हो जाता है तो निषेचित अंडा गर्भाशय से जुड़ेगा और धीरे-धीरे एक बच्चे में विकसित होगा। हालांकि, अगर अंडा शुक्राणु के संपर्क में नहीं आता है और निषेचित नहीं होता है, तो गर्भाशय का अस्तर टूटना शुरू हो जाएगा ताकि वह बहाया जा सके। अस्तर (परत) के साथ अनिषेचित अंडे को भी बहाया जाता है। इसलिए, किसी लड़की या महिला का मासिक धर्म के दौरान रक्तस्राव होता है, यह तब होता है जब किसी महिला के शरीर से अतिरिक्त रक्त और ऊतक मुक्त हो रहा होता है। सामान्य रक्तस्राव क्या है? सामान्य रक्तस्राव की एक सीमा होती है। कुछ महिलाओं में यह हलका, कम अवधि का तथा कुछ महिलाओं में भारी, अधिक अवधि का होता है। समय के साथ मासिक धर्म की अवधि और
तीव्रता भी बदल सकती है। सामान्य मासिक धर्म रक्तस्राव के लक्षणः
माहवारी 3.8 दिनों तक रहती हैय
माहवारी 21.35 दिनों में फिर से आती है (इस माहवारी के पहले दिन से अगली माहवारी के
पहले दिन तक मापा जाता है)य
माहवारी के दौरान लगभग 30.45 मिलीलीटर कुल रक्त प्रवाहित होता है, लेकिन अन्य तरल पदार्थों के स्राव के कारण यह अधिक महसूस होता है।
प्रागार्तव (प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम-पीएमएस)
महिलाओं और लड़कियों के लिए मासिक धर्म के दौरान असहजता का अनुभव होना आम बात है। प्रागार्तव में शारीरिक और भावनात्मक दोनों तरह के लक्षण शामिल होते हैं, जो कई लड़कियों और महिलाओं को उनके मासिक धर्म से ठीक पहले महसूस हो जाते हैं, जैसे कि मुंहासे, सूजन, थकान, पीठ दर्द, गले में खराश, सिरदर्द, कब्ज, दस्त, भोजन की प्रबल इच्छा, उदासी, चिड़चिड़ापन, ध्यान केंद्रित करने या तनाव से निपटने में कठिनाई। आमतौर पर प्रागार्तव किसी लड़की का मासिक धर्म शुरू होने से 7 दिन पहले शुरू होता है और माहवारी के शुरू होने के बाद नष्ट हो जाता है। कई लड़कियां उनके मासिक धर्म के कुछ दिन पहले पेट में ऐंठन का भी अनुभव करती हैं। यह शरीर में प्रोस्टाग्लैंडीन रसायनों के कारण होता है जो गर्भाशय में सुकोमल मांसपेशियों को
सिकोडती हैं। यह अनैच्छिक संकुचन या तो सुस्त या तेज और उग्र हो सकता हैं।
ऋतुस्राव प्रबंधनः माहवारी स्वच्छता
महिलाएं मासिक धर्म के दौरान महीने में तीन से आठ दिन और जीवन के लगभग छह से दस साल बिताती हैं। फिर भी मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन का महत्व ज्यादातर उपेक्षित पाया जाता है। मासिक धर्म स्वच्छता की बात करना एक वर्जित विषय है, एक ऐसा विषय जिसकी सार्वजनिक रूप से चर्चा करने में कई महिलाओं को असुविधा होती है। जबकि मासिक धर्म स्वच्छता महिलाओं और लड़कियों की गरिमा और स्वास्थ्य के लिए एक
मौलिक आवश्यकता है और बुनियादी स्वच्छता, आरोग्यता और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो प्रत्येक महिला और लड़की का अधिकार है। महिलाओं को माहवारी के दौरान साफ-सुथरा रहने में मदद देने हेतु यहां कुछ सुझाव दिए गए हैंः सैनिटरी नैपकिन को हर 4.6 घंटे में बदलें योनि स्वच्छता के लिए बुनियादी नियम है कि हर 4.6 घंटे में सैनिटरी नैपकिन को बदला जाए।
जब शरीर से माहवारी का रक्त निकलता है तो हमारे शरीर के विभिन्न सूक्ष्मजीवों को आकर्षित करता है, जो रक्त की गर्मी को बढ़ाते हैं और जलन, चकत्ते या मूत्र पथ के संक्रमण का कारण बनते हैं। सैनिटरी नैपकिन नियमित रूप से बदलने से इन जीवों की वृद्धि नहीं होती और यह संक्रमण से बचाता है। योनि को स्वच्छ रखें
आपकी योनि को नियमित रूप से धोना बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि आपके सैनिटरी नैपकिन निकालने के बाद शेष जीव आपके शरीर से चिपके रहते हैं। अधिकांश लोग नियमित रूप से धोते हैं, लेकिन सही तरीके से नहीं, जिसमें हाथ को योनि से गुदा की दिशा में उपयोग करते हैं,न कि इसके विपरीत। हाथ को गुदा से योनि की ओर ले जाने से गुदा में मौजूद बैक्टीरिया का संक्रमण योनि या मूत्रमार्ग तक पहुंच सकता है। साबुन या योनि स्वच्छता उत्पादों का उपयोग न करें| हर दिन योनि स्वच्छता उत्पादों का उपयोग करना एक अच्छी बात है, लेकिन मासिक धर्म के दौरान इनका उपयोग नुकसानदायक हो सकता है। योनि का अपना सफाई तंत्र है जो माहवारी
चक्र के दौरान उपयोग में आता है, और कृत्रिम स्वच्छता उत्पाद संक्रमण और बैक्टीरिया की वृद्धि करके प्राकृतिक प्रक्रिया में बाधा डाल सकते हैं। सेनेटरी नैपकिन का सही तरीके से पृथक्करण करें अपने टैम्पौन और सेनेटरी नैपकिन का सही तरीके से पृथक्करण करना एक महत्वपूर्ण कदम है। इन्हें फेंकने से पहले ठीक से लपेटें, ताकि बैक्टीरिया और संक्रमण न फैले। यह सुनिश्चित करें कि आप उन्हें फ्लश नहीं करते हैं क्योंकि
यह शौचालय को अवरुद्ध करेगा। अगर आपको लगता है कि आपने लपेटते समय दाग वाले हिस्से को छुआ है, तो इस्तेमाल किए गए टैम्पौन और सैनिटरी नैपकिन को लपेटने और पृथक्करण करने के बाद अपने हाथों को अच्छी तरह से धोना अत्यंत आवश्यक है। पैड दाने से सावधान रहें पैड दाने उभरना ऐसी चीज है जिसे आप भारी
ऋतुस्राव की अवधि के दौरान अनुभव कर सकते हैं। यह आम तौर पर तब होता है जब पैड लंबे समय तक गीला रहता है और जांघों के साथ घिसकर गल जाता है। इसे होने से रोकने के लिए, माहवारी के दौरान सूखा रखने की कोशिश करें। यदि आपके शरीर पर लाल चकत्ते हैं, तो अपने पैड को नियमित रूप से बदलें और सूखा रहें। स्नान के बाद और सोने से पहले एंटीसेप्टिक मरहम (लेप) लगाने से लाल चकत्ते ठीक हो जाएंगे और भविष्य में भी होने से रुकेंगे। यदि यह बदतर हो जाता है तो चिकित्सक की सलाह लें, जो एक औषधीय पाउडर देंगे जिससे
इस क्षेत्र को सूखा रखा जा सकेगा। माहवारी की समस्याएँ लड़कियों को माहवारी की विभिन्न समस्याएँ
प्रभावित करती हैं। उनमें से कुछ सामान्य परिस्थितियाँ निम्न हैंः
कष्टार्तव (डिसमेनोरिया)-जब किसी लड़की का दर्दनाक ऋतुस्राव होता हैं।
भारी माहवारी रक्तस्राव (मेनोरेजिया)-जब किसी लड़की को अत्यधिक रक्तस्राव के साथ बहुत भारी ऋतुस्राव होता है।
अल्पार्तव (ओलिगोमेनोरिया)-जब किसी लड़की की कोई माहवारी छूट जाती है या फिर उसकी
माहवारी यदा कदा ही होती हैं, जब कि वह गर्भवती नहीं है।
ऋतुरोध या माहवारी का अभाव (एमेनोरिया)- जब किसी लड़की को 16 साल की आयु में माहवारी शुरू नहीं होती है, या 14 साल की आयु तक यौवन के लक्षण विकसित नहीं होते हैं, या सामान्य माहवारी हो रही है, लेकिन गर्भावस्था के अलावा किसी अन्य कारण से मासिक धर्म रुक गया है। समस्त विश्व में लड़कियां और महिलाएं
अपने मासिक धर्म की वजह से कई सारी दैनिक गतिविधियों से चूक जाती हैं। आमतौर पर यह इसलिए होता है क्योंकि वे मासिक धर्म (माहवारी) को बाधक मानती हैं और उन्हें उचित शिक्षा की कमी होने के कारण उनका शरीर कैसे काम करता है, यह वे जान नहीं पातीं। हर महीने दुनिया की आधी आबादी के साथ जो कुछ होता
है, उसे वर्जित नहीं माना जा सकता और न बोले जाने वाले विषय पर चुप्पी तोड़ना ही इस गलत फहमी का इलाज है।
डॉ. लवलीन ब्रार, पुष्पा गुजराल साइंस सिटी,
कपूरथाला में वैज्ञानिक हैं। वह विशेष रूप से छात्रों और सुविज्ञ समाज निर्माण करने हेतु आम जनता के
बीच वैज्ञानिक दृष्टिकोण का निर्माण करने में जुड़ी हुई हैं। ईमेलः loveleen_brar@gmail.com
अनुवादः गणेश दत्तु कालघुग
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