Tuesday, 3 March 2020

****गर्मी के कारण आपात स्थितियां:

****गर्मी के कारण आपात स्थितियां: गर्मी से त्वचा का सिकुड़ना ( झुर्रियां पड़ना) या फटना:
यदि आपके पैरों की मांसपेशियों में दर्द करने वाली ऐंठन हो गई है तो आप 1 लीटर ऊबले हुए पानी में एक चाय का चम्मच भर नमक डालकर पी सकते हैं। आप इसमें थोड़ी चीनी या नींबू का रस डालकर भी पी सकते हैं।
गर्मी से थकावट लक्षण/ चिन्ह (Signs)
*रोगी पीला पड़ जाता तथा कमजोर महसूस करता है ।
*रोगी की त्वचा ठंडी तथा नम हो जाती है ।
*नब्ज-नाड़ी की गति तेज तथा कमजोर होती है।
***प्राथमिक चिकित्सा /उपचार:
* व्यक्ति को ठंडे स्थान पर लिटा दें, उसके पैर उपर उठाएं तथा उसकी टांगों को रगडिये।
* 1 लीटर पानी में एक चम्मच नमक घोलकर बनाए गए नमकीन पानी को पिलाएं ।
*जब तक व्यक्ति बेहोश है उसे मुंह से कुछ पदार्थ न दें।
*** गर्मी का आघात या लू लगना:
गर्मी के मौसम में यह विशेषत: वृद्ध व्यक्तियों/ बुजुर्गों तथा शराब ( एल्कोहल ) का सेवन करने वालों को होता है। यह सामान्य घटना है परंतु खतरनाक है।
** लक्षण/चिन्ह(Signs)
* त्वचा लाल ,बहुत गर्म तथा सुखी हो जाती है
* बगलें (आर्मपिट्स) भी नम नहीं रहती हैं
*व्यक्ति को बहुत अधिक बुखार होता है, कभी-कभी 42 डिग्री सेंटीग्रेड से भी अधिक
*अक्सर वह अचेत भी हो जाता है। ***प्राथमिक चिकित्सा उपचार:
पीड़ी व्यक्ति का ताप शीघ्र कम किया जाना चाहिए । डॉक्टर को बुलाएं और निम्नलिखित उपाय करें:
* व्यक्ति को छाया में रखें
*उसके कपड़े उतार दें और उसके शरीर ठंडा पानी डालें।
* उसके ऊपर हवा करें
* बर्फीले ठंडे पानी का एनीमा (enema) दें। एनीमा गुर्दा मार्ग द्वारा तरल पदार्थ को पेट में चढ़ाने की प्रक्रिया को कहते हैं ।
***प्रति 15 मिंट पर तापमान लें
*जब तापमान 38 डिग्री सेंटीग्रेड तक गिर जाए तो रोगी के शरीर पर पानी डालना बंद कर दें ।
*अत्यधिक गर्मी के कारण इन सभी प्रकार की आपात स्थितियों से बचने के लिए गर्मी में पूरे दिन नमकीन पानी खूब पियें।
गर्मी से थकावट और गर्मी से आघात(लू लगने ) में अंतर :
(डिफरेंस बिटवीन हीट एंड हीट स्ट्रोक) **गर्मी से आघात(लू लगना) heat stroke:
नम,पीली, ठंडी त्वचा
आंख की पुतली का बड़ी होना
बुखार नहीं
कमजोरी
**गर्मी से थकावट(heat exhaustion)
-सूखी, लाल, गर्म त्वचा
-उच्च ज्वार( बुखार )
-व्यक्ति बहुत बीमार या
-अचेत बेहोश हो जाता है
****सर्दी से होने वाली आपातस्थितियाँ (emergencies caused by cold)
**शरीर के ताप में कमी (hypothermia)
सर्दियों में या ठंडे स्थानों पर किसी व्यक्ति के शरीर के ताप में कमी आ जाती है और उसे महसूस ही नहीं होता। यह बहुत खतरनाक स्थिति हो सकती है क्योंकि व्यक्ति को मालूम ही नहीं पड़ता कि क्या हो रहा है और वह असमंजस में पड़ जाता है तथा उसकी मृत्यु भी हो सकती है ।
लक्षण /चिन्ह (साइन)
- अनियंत्रित कंपकपी
- धीमी तथा अस्पष्ट आवाज
-चलते हुए लड़खड़ाना
- सोचने की शक्ति में कमी
-अधिक थकान महसूस करना ***प्राथमिक चिकित्सा /उपचार
*व्यक्ति को शीघ्र ठंडी हवाओं से दूर किसी शुष्क स्थान पर ले जाएं।
* यदि उसके कपड़े गीले हैं तो उन्हें उतार कर उसे सूखे कपड़े पहना दें और उसे सूखे कंबल में लपेटें।
* यह सुनिश्चित करें कि उसके हाथ पैर और सिर ढके हों।
आग में डालकर कुछ पत्थर गर्म करें तथा उन्हें किसी कपड़े में लपेटें।इन गर्म पत्थरों से उसकी छाती कमर व शरीर के अन्य भागों को की सिकाई करें।
* व्यक्ति के शरीर को गर्म रखने के लिए सभी प्रयास करें।
* यदि वह बच्चा हो तो उसे अपने कपड़ों में निपटा लें और शरीर से लगाकर रखें या अपनी बाहों में लेकर उसके साथ सोयें। यदि संभव हो तो किसी अन्य व्यक्ति को बच्चे के दूसरी और (बाजू में ) लिटा लें।
* किसी तसले (थाली) में गर्म कोयले भरकर या कोई छोटा दीपक उसकी (पीड़ित व्यक्ति) की चारपाई के नीचे रखें । (परन्तु यह सावधानी बरतें कि वह जल न जाये या अधिक गर्म न हो जाए )
*उसे खाने और पीने के लिए मीठे पदार्थ दें जैसे चीनी ,गुड़ ,मीठी गोलियां, शहद, पके हुए फल या फलों का रस आदि।
* यदि आपके पास ऊपर लिखित मीठी वस्तुएं नहीं हैं तो पीड़ित व्यक्ति को कुछ मांड युक्त पदार्थ जैसे चावल, रोटी या आलू आदि दें ।
*यदि व्यक्ति का कांपना बन्द हो जाता है परंतु फिर भी उपरोक्त में से कोई चिन्ह है या वह बेहोश है तो उसकी दशा गम्भीर मानें । उसको गर्म करने का प्रयास करते रहें, परंतु यदि वह जागता(होंश में ) आता नहीं है तो शीघ्रता शीघ्र चिकित्सा सहायता दिलाने का प्रयास करें ।
चेतावनी :- ठंड से प्रभावित व्यक्ति को बहुत तेजी से गर्म न करें क्योंकि ऐसा करने से उसे हृदय सम्बन्धी समस्याएं तथा मृत्यु भी हो सकती है।

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