समाज और विज्ञान
मैडीकल शिक्षा के कारपोरेट अधिग्रहण के
नीति आयोग के प्रस्ताव का विरोध करो
0 अमित सेनगुप्त
बेशक , यह एक ऐसा कदम है जिसके भारत में मैडीकल शिक्षा के लिए बहुत दूरगामी तथा बहुत ही प्रतिकूल नतीजे हो सकते हैं। हमारा इशारा नीति आयोग द्वारा हाल ही में (7 अगस्त 2016) को प्रकाशित रिपोर्ट •ी ओर है, जिस•ा शीर्ष• है: '1956 •े भारतीय चि•ित्सा परिषद •ानून में सुधार •े लिए •मेटी •ी ए• आरंभि• रिपोर्टÓ। यह रिपोर्ट भारत में मैडी•ल शिक्षा •ी समूची व्यवस्था •ो ही सुधारने •ा जिम्मा ले•र चलती है। नीति आयोग •ी रिपोर्ट •ा व्यावहारि• हिस्सा ए• विधेय• •ा मसौदा है, जो 1956 •े भारतीय चि•ित्सा परिषद •ानून •ी जगह लेने जा रहा है। नीति आयोग •ी रिपोर्ट और प्रस्तावित विधेय• •ो, अंतिम रूप देने से पहले सार्वजनि• परामर्श •े लिए प्र•ाशित •िया गया है।
निजी•ृत मैडी•ल शिक्षा •ा
भ्रष्टï•ारी प्रभाव
वास्तव में नीति आयोग •ी यह रिपोर्ट, स्वास्थ्य व परिवार •ल्याण पर संसदीय स्थायी समिति •ी ए• और रिपोर्ट (संख्या-92) •ी पृष्ठïभूमि में आयी है, जो 8 मार्च 2016 •ो राज्यसभा •े सामने रखी गयी थी। इस•े अलावा सुप्रीम •ोर्ट ने भी मैडी•ल शिक्षा में व्याप्त भ्रष्टïाचार •ो ले•र बहुत ही तीखी टिप्पणियां •ी थीं। संसदीय समिति •ी रिपोर्ट में भी भारतीय चि•ित्सा परिषद (एमसीआइ) •े •ाम-•ाज •ी तीखी आलोचना •ी गयी है और देश में मैडी•ल नैति•ता और मैडी•ल शिक्षा •े नियमन में जड़-मूल से बदलाव •ी सिफारिश •ी गयी है। याद रहे •ि इन दोनों •ा नियमन ही भारतीय चि•ित्सा परिषद (एमसीआइ) •ा •ाम है।
व्याप• रूप से यह माना जाता है •ि देश में निजी मैडी•ल •ालेजों •ा •ु•ुरमुत्तों •ी तरह उग आना ही, भारत में मैडी•ल शिक्षा •े लिए मुख्य भ्रष्टï•ारी प्रभाव रहा है और यही है जो देश में मैडी•ल शिक्षा •े स्तर में भारी गिरावट •े लिए जिम्मेदार है। 2015 में रायटर्स द्वारा खोज-बीन •े बाद जारी ए• रिपोर्ट में बताया गया था •ि खुद सर•ार •े रि•ार्डों तथा अदालतों में पेश •ी गयी जान•ारियों •े अनुसार, भारत •े हरे• छ: में से ए• मैडी•ल •ालेज पर धोखाधड़ी •े आरोप थे। रायटर्स •ी जांच में यह भी पता चला था •ि, ''भर्ती •ंपनियां आए दिन मैडी•ल •ॉलेजों •ो ऐसे डाक्टर मुहैया •राती हैं जो उन•े सर•ारी इंस्पै•्ïशनों •े दौरान वहां •े पूर्ण-•ालि• फै•ल्टी सदस्य होने •ा स्वांग भरते हैं। और यह दिखाने •े लिए •ि शिक्षण-अस्पतालों में पर्याप्त मरीज हैं जिससे छात्रों •ो चि•ित्स•ीय अनुभव प्राप्त हो स•ता है, मैडी•ल •ालेजों द्वारा मरीज होने •ा अभिनय •रने •े लिए भले-चंगे लोगों •ो बटोर लाया जाता है।
2010 से 2015 •े बीच भारत में •म से •म 69 मैडी•ल •ालेजों तथा शिक्षण-अस्पतालों पर, गंभीर गड़बडिय़ों •े आरोप लगे हैं, जिनमें प्रवेश परीक्षा में धांधली •रने से ले•र छात्रों •ो भर्ती •रने े लिए घूस लेने त• •े आरोप शामिल हैं। इसी दौर में नियमन•ारी नि•ायों द्वारा •रीब दो दर्जन मैडी•ल •ालेजों •े तो सीधे-सीधे बंद ही •िए जाने •ी सिफारिशें •ी गयी हैं। यहां यह गौरतलब है •ि नियम-•ायदों •े उल्लंघन •ी सारी •ी सारी शि•ायतें और •ालेज ही बंद •िए जाने •ी सारी सिफारिशें, निजी •ालेजों से ही संबंधित हैं। आइए, ए• नजर मैडी•ल •ालेजों •े स्वामित्व •े पैटर्न •े पहलू से भारत में मैडी•ल शिक्षा •े वि•ास पर डाल ली जाए।
1980 •े बाद से
मैडी•ल शिक्षा •ा वि•ास
1980 त• भारत में •ुल 112 मैडी•ल •ालेज थे, जिनमें से 100 मैडी•ल •ालेज सर•ार द्वारा संचालित थे, जब•ि 12 मैडी•ल •ालेज निजी संस्थाओं द्वारा संचालित थे। मैडी•ल •ी पढ़ाई •ी •ुल सीटों में से 90 फीसद से ज्यादा इन सर•ारी •ालेजों में ही थीं। उस जमाने त• जो निजी मैडी•ल •ालेज थे भी, उनमें से ज्यादातर •ा संचालन ईमानदार परामर्थ ट्रस्टों और मिशनरी संस्थाओं •े ही हाथों में था। तब त• मैडी•ल शिक्षा •ो मुनाफा •माने •ा साधन नहीं माना जाता था। उस•े बाद से हालात •ितने नाट•ीय तरी•े से बदले हैं, इस•ा अंदाजा इस ए• तथ्य से लगाया जा स•ता है •ि आज भारत में 426 मैडी•ल •ालेज चल रहे हैं, उनमें आधे से ज्यादा (पूरे 221) निजी क्षेत्र में ही हैं। बेश•, इस दौरान मैडी•ल •ालेज में अंडरग्रेजुएट •ोर्स •ी सीटों •ी संख्या, 1980 •े 18,340 •े स्तर से बढक़र 53,330 पर पहुंच गयी है, ले•िन इसमें •रीब आधी (24,690) सीटें निजी मैडी•ल •ालेजों में ही हैं। इस तरह, 1980 से 2016 •े बीच जहां सर•ार द्वारा संचालित मैडी•ल •ालेजों में सीटों •ी संख्या 16,570 से बढक़र 27,490 पर पहुंची है यानी 66 फीसद बढ़ी है, वहीं निजी मैडी•ल •ालेजों में सीटों •ी संख्या महज 1,770 से बढक़र, 24,690 पर पहुंच गयी है यानी 14 गुनी हो गयी है।
भारत में निजी मैडी•ल •ालेजों में बढ़ोतरी •े दश•ीय पैटर्न पर नजर डालना भी दिलचस्प होगा। साथ में दी गयी तालि•ा-2 से हमें विभिन्न दश•ों में इस बढ़ोतरी •ी स्थिति •ा पता चल जाता है।
यह तो खैर स्वत:स्पष्टï ही है •ि 1980 •े बाद से निजी मैडी•ल •ालेजों •ी संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है। ले•िन, इससे आगे अलग-अलग दश•ों में इस मामले में वृद्घि दर पर नजर डालने पर हमें •ुछ दिलचस्प रुझान दिखाई देते हैं। निजी मैडी•ल •ालेजों •ी बढ़ोतरी 2001 से 2010 त• •े दश• •े दौर अपने शिखर पर पहुंच चु•ी थी, जिस•े बाद से यह दर पहले ए• जगह रु•ी रहने •े बाद, निजी मैडी•ल •ालेजों में बढ़ोतरी •ी रफ्तार में गिरावट दिखाने लगी है। ऐसा लगता है •ि निजी मैडी•ल •ालेजों •ी संख्या में बढ़ोतरी •ी रफ्तार थम जाने •ी वजह, वही है जिस•ी ओर हम शुरू में ही इशारा •र आए हैं। निजी मैडी•ल •ालेजों में गुणवत्ता •े मान•ों •ा पालन नहीं •िए जाने तथा दाखिलों में भ्रष्टïाचार •ो ले•र व्याप• स्तर पर चिंताएं, अने• निजी मैडी•ल •ालेजों •ो बंद ही •र देने •े आदेश और इस सब •े चलते निजी मैडी•ल •ालेजों •ी प्रवेश फीसों •ा जहां •ा तहां रह जाना या गिरना, आदि इस रुझान •े पीछे हैं। इस•े साथ ही साथ, सार्वजनि• स्वास्थ्य से जुड़े हल•ों में, खासतौर पर राज्यों •े स्तर पर इस संबंध में •ुछ जागरू•ता आयी लगती है •ि मैडी•ल शिक्षा में सार्वजनि• निवेश, सार्वजनि• स्वास्थ्य प्रणाली •े सही तरी•े से •ाम •रने •े लिए बहुत ही जरूरी है।
•ार्पोरेट अधिग्रहण •ा
नीति आयोग •ा नुस्खा
अब हम नीति आयोग •े नुस्खों पर आते हैं जो मैडी•ल शिक्षा में और भारतीय चि•ित्सा परिषद (एमसीआइ) में सुधार •े लिए नीति आयोग ने पेश •िए हैं। हमें यह मान•र चलना चाहिए •ि नीति आयोग •ो •म से •म दो प्र•ार •े तथ्यों •ी जान•ारी होगी। पहले प्र•ार •े तथ्यों •ा संबंध, स्वास्थ्य व परिवार •ल्याण मंत्रालय •ी संसदीय •मेटी •ी 92वीं रिपोर्ट में और अन्य स्रोतों से भी उपलब्ध, इस तथ्य से साक्ष्यों से है •ि एमसीआइ भ्रष्टïाचार •ा अड्डïा बन गया है और यह भ्रष्टïाचार खासतौर पर निजी मैडी•ल •ालेजों •े प्रमाणन (ए•्रेडिटेशन) तथा नियमन से जुड़े घनघोर रूप से भ्रष्टï तौर-तरी•ों •े बल पर फल-फूल रहा है। दूसरा तथ्य यह है •ि निजी मैडी•ल •ालेजों •ी संख्या बढऩे में तेजी •ोई, सार्वजनि• स्वास्थ्य •े लिए अच्छे परिणाम देने वाली साबित नहीं हुई है और निजी मैडी•ल •ालेजों •ी बढ़ोतरी भी लडख़ड़ाने लगी है।
इन सचाइयों से जो ए• तर्•संगत नतीज नि•ाला जा स•ता था, वह तो यही है •ि सार्वजनि• धन से संचालित मैडी•ल शिक्षा में सार्वजनि• निवेशों में •टौतियों •े जरिए और निजी मैडी•ल •ालेजों •ा खोला जाना ही आसान बनाने •े लिए तैयार •िए गए नियम-•ायदों •े जरिए भी, निजी मैडी•ल •ालेजों •ो बढ़ावा देने •ी जिस नीति पर चला जाता रहा है, उसे पलटा जाना चाहिए। ले•िन, ऐसा •रने •े बजाए नीति आयोग ने ए• ऐसी हैरान •र देने वाली सिफारिश •ी है, जो मैडी•ल शिक्षा •ी भ्रष्टï निजी क्षेत्र संचालित व्यवस्था •ी ही और गहरी घुसपैठ •ा ही रास्ता बनाएगी।
नीति आयोग •ी उक्त रिपोर्ट •हती है:
''फिलहाल, 'लाभार्थ नहींÓ •े आधार पर •ाम •रने वाले संगठनों •ो ही मैडी•ल •ालेज खोलने •ी इजाजत है। •मेटी ने इस पर विचार •िया है •ि क्या विधेय• •े मसौदे में या सर•ार द्वारा जारी •िए जाने वाले नियमों में खासतौर पर ऐसा प्रावधान शामिल •िया जाए जो 'लाभार्थÓ संगठनों •ो भी मैडी•ल •ालेज खोलने •ी इजाजत देता हो। (मैडि•ल शिक्षा) प्रदाताओं •ी •मी •ो देखते हुए और इस तथ्य •ो पहचानते हुए •ि लाभार्थ संगठनों पर लागू मौजूदा रो• निजी संस्थाओं •ो मुनाफे बटोरने से शायद ही रो• पायी है, हालां•ि वे गैर-पारदर्शी तथा संभावत: अवैध तरी•ों से यह •ह रहे हैं, यह महसूस •िया गया •ि शिक्षा प्रदाताओं •े वर्ग •ी •ोई भी पाबंदी अनुपादेय साबित होगी। इसलिए, •मेटी यह सिफारिश •रती है •ि संबद्घता/ मान्यता •ी शर्तों •ो, मैडी•ल •ालेज •े प्रमोटर •े स्वरूप •े सवाल से (•ि वह ट्रस्ट है, लाभार्थ •ंपनी नहीं) अलग •िया जाए।ÓÓ (बल अतिरिक्ति)
शुद्घ नवउदारवादी
तर्•
यह नवउदारवादी तर्• •ी ही सबसे नंगे रूप में अभिव्यक्ति है। रिपोर्ट में यह स्वी•ार •िया गया है •ि निजी मैडी•ल •ालेज, मुनाफा बटोरने •े साधन बन गए हैं। ले•िन, नुस्खा यह पेश •िया गया है •ि इस खेल •ो ही वैध •र दिया जाए और लाभार्थ संगठनों •ो मैडी•ल •ालेज चलाने •ी इजाजत दे दी जाए। इस•ी संभावनाओं •ो टटोलने त• •ी •ोशिश नहीं •ी गयी है •ि क्या मैडी•ल शिक्षा •े लिए सर•ारी निवेश •ो बढ़ाया नहीं जा स•ता है? मौजूूदा नवउदावादी आर्थि• नीतियों •े ढिंढोरची इस•ा बखान •रते नहीं थ•ते हैं •ि •िस तरह भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार 5 फीसद सालाना से ऊपर •ी दर से बढ़ रही है। इस•े बावजूद, इस सचाई •ी उन्हें शायद ही •ोई परवाह होगी •ि नवउदारवादी सुधारों •े इसी दौर में मैडी•ल शिक्षा पर सर•ारी खर्चा वास्तव में घटा ही या फिर जहां •ा तहां ही रु•ा रहा है।
बहरहाल, नवउदारवाद •ा तो तर्• ही यह •हता है •ि मानवीय गतिविधि •े सभी क्षेत्रों •ो मुनाफा •माने •े साधनों में बदला जाना चाहिए और यही बात मैडी•ल शिक्षा पर भी लागू होती है। इस तरह, नीति आयोग •ी रिपोर्ट •ार्पोरेट अस्पताल शृंखलाओं तथा अन्य उद्यमों •े लिए इस•ा खुला आमंत्रण है •ि आएं तथा निवेश •रें और बाजार में खुलेआम मैडी•ल शिक्षा •ो बेच•र मुनाफे बटोरें। इस•े पक्ष में तर्• •े नाम पर सिर्फ यह •हा जा रहा है •ि जब त• मुनाफा बटोरने •ा यह •ाम 'पारदर्शीÓ तरी•े से •िया जाता है, मैडी•ल शिक्षा •े दरवाजे मुनाफा बटोरने •े प्रयासों •े लिए खोले जाने में •ोई नु•सान नहीं है। इसीलिए, यह रिपोर्ट •हती है •ि, ''मैडी•ल संस्थाओं से इस•ा त•ाजा होगा •ि पारदर्शी तरी•े से ट्यूशन फीस तथा अगर •ोई अन्य फीस हो तो उस•ा अपने वैबसाइट पर खुलासा •रें और दूसरी •ोई फीस लेने •ी इजाजत नहीं दी जाए।ÓÓ
हम नहीं जानते हैं •ि नीति आयोग •ी तीन सदस्यीय •मेटी, सार्वजनि• स्वास्थ्य •े बारे में क्या और •ितना जानती है। बहरहाल, उन•ी रिपोर्ट में जिस तरह •ा रुख सुझाया गया है, वह तो मैडी•ल शिक्षा •ो सार्वजनि• स्वास्थ्य •े लक्ष्यों •े साथ जोडऩे •े त•ाजों •ी ओर से आंखें ही बंद •िए लगती है। रिपोर्ट में और ज्यादा डाक्टरों •ो प्रशिक्षित •रने •ी जरूरत पर तो बार-बार जोर दिया गया है, ले•िन दूर-दूर त• इस•ा •ोई एहसास त• नहीं •ि सिर्फ मैडी•ल •ालेजों •ी संख्या में बढ़ोतरी (वे चाहे जैसे भी हों) अपने आप ही सार्वजनि• स्वास्थ्य लक्ष्यों •ो आगे बढ़ाने •े लिए चि•ित्स• उपलब्ध नहीं •राने जा रही है। आज अगर सार्वजनि• स्वास्थ्य व्यवस्था में विशेषज्ञों •े 80 फीसद पद खाली हैं, तो ऐसा •ोई इसलिए नहीं है •ि विशेषज्ञों •ा प्रशिक्षण बंद है। ये पद इसलिए खाली रह जाते हैं •ि हमारी संसाधन-दरिद्र सार्वजनि• स्वास्थ्य व्यवस्था ऐसे विशेषज्ञों •ो खपाने में ही असमर्थ है। हमारे देश •ी •ुछ बेहतरीन मैडी•ल शिक्षा संस्थाएं जिन डाक्टरों •ो प्रशिक्षित •रती हैं, वे बाद में दूसरे देशों •े लिए पलायन •र जाते हैं। सचाई यह है •ि भारत ही डाक्टरों •ा दुनिया •ा सबसे बड़ा निर्यात• है। इस समय अमरी•ा में •रीब 47 हजार भारतीय डाक्टर •ाम •र रहे हैं और इंग्लेंड में •रीब 25 हजार। यह उम्मीद •रना ही मूर्खतापूर्ण होगा •ि •ार्पोरेट संचालित मैडी•ल •ालेजों में पढ़ाई पर लाखों और वास्तव में संभावित रूप से •रोड़ों रु0 खर्च •रने वाले मैडी•ल ग्रेजुएट, अपनी पढ़ाई पूरी •रने •े बाद सार्वजनि• स्वास्थ्य प्रणाली में •ाम •रने •े लिए उत्सु• होंगे। वास्तव में नीति आयोग •ी •ार्पोरेट-संचालित मैडी•ल •ालेजों •ो बढ़ावा देने •ी योजना, स्वास्थ्य रक्षा •े मामले में मौजूदा सर•ार •ी उस परि•ल्पना से जुड़ी हुई है, जिस•ो देश •ी जनता •े बहुमत •ी चि•ित्सा संबंधी जरूरतों •ी •ोई परवाह ही नहीं है और जिस•े लिए तो अपोलो, मैक्स, फोर्टिस आदि अस्पताल शृंखलाओं •ा विस्तार ही, स्वास्थ्य रक्षा •े मामले में देश •ी प्रगति •ा पैमाना है।
विधेय• •े मसौदे •ा
संसद में विरोध हो
नीति आयोग •ी रिपोर्ट में भारतीय चि•ित्सा परिषद (एमसीआइ) में सुधार •ा भी न•्ïशा पेश •िया गया है। मौजूदा एमसीआइ •ा बचाव •ोई नहीं •रेगा, जिसने देश •ी संभवत: सबसे भ्रष्टï नियाम• संस्था •ी ख्याति अर्जित •ी है। बहरहाल, पिछले अने• वर्षों में अगर एमसीआइ भ्रष्टïाचार •ा गढ़ बन गयी है, तो यह •ुछ राजनीति• पार्टियों द्वारा मुहैया •राए गए संरक्षण •ा ही नतीजा है, जिस•े बल पर निजी डाक्टरी प्रैक्टिस •रने वालों •ा एमसीआइ पर •ब्जा हो गया है। उच्च तरह •े मैडी•ल प्रोफेशनों •ो आ•र्षित •रने •े बजाए, एमसीआइ •ा संचालन ए• ऐसे गुट •े हाथों में चला गया है, जो यह मान•र मनमानी •रता आया है •ि शीर्ष स्तर पर बैठे राजनीतिज्ञ तथा नौ•रशाह, उसे हर समस्या से बचा लेंगे।
इसे देखते हुए एमसीआइ •े सुधार •ा यह अर्थ हो स•ता था •ि चि•ित्स•ीय नैति•ता तथा मैडी•ल शिक्षा •े नियमन •े लिए, इस शीर्ष नि•ाय •ा सचमुच जनतंत्री•रण •िया जाए और इस•े लिए इसमें मैडी•ल प्रोफेशनलों, मैडी•ल शिक्षाविदों और सामाजि• •ार्य•र्ताओं •े लिए जगह बनायी जाए। इस•े बजाए, इस•ा नुस्खा पेश •िया गया है एमसीआइ •ो सर•ार •ा ही दुमछल्ला बना दिया जाए, जिसे सर•ार द्वारा नामजद पदेन सदस्यों से ही भर दिया जाए। यह •िसी से छुपा हुआ नहीं है •ि वर्तमान सर•ार सत्ता •ा ज्यादा से ज्यादा •ेंद्रीय•रण •रना चाहती है और बहुलतापूर्ण तथा जनतांत्रि• नि•ायों •ो नापसंद •रती है। ए• ऐसी एमसीआइ, जो उस सर•ार •े दुमछल्ले •े तौर पर •ाम •र रही होगी, जो खुद नवउदारवादी सुधारों •ो आगे बढ़ाने •े लिए •दर •से हुए है, मैडी•ल शिक्षा में ऐसे सुधारों •े लिए आदर्श साधन साबित होगी, जो •ार्पोरेट क्षेत्र •ी ही जरूरतें पूरी •िए जाने •े हिसाब से गढ़े जाएंगे। संसद •ो उस विधेय• •े मसौदे •ो दृढ़तापूर्व• ठु•राना चाहिए, जिसे 1956 •े भारतीय चि•ित्सा परिषद •ानून •ी जगह लेने •े लिए लाया जा रहा है।
तालि•ा-1
मैडी•ल •ालेजों में बढ़ोतरी (1980-2016)
वर्ष मैडी•ल •ालेजों •ी संख्या अंडरगेे्रजुएट सीटों •ी संख्या
सार्वजनि• निजी सार्वजनि• निजी
1980 100 12 16,570 1,770
2016 205 221 27,490 24,690
तालि•ा-2
सार्वजनि• और निजी मैडी•ल •ालेजों और सीटों में
दश•ीय वृद्घि
वर्ष मैडी•ल •ालेज बढ़े अंडरग्रेजुएट सीटें बढ़ीं
सार्वजनि• निजी सार्वजनि• निजी
1981-1990 6 26 700 3,770
1991-2000 12 31 1,420 4,050
2001-2010 34 90 3,800 11,200
2011-2016 56 50 6,300 3,950
मैडीकल शिक्षा के कारपोरेट अधिग्रहण के
नीति आयोग के प्रस्ताव का विरोध करो
0 अमित सेनगुप्त
बेशक , यह एक ऐसा कदम है जिसके भारत में मैडीकल शिक्षा के लिए बहुत दूरगामी तथा बहुत ही प्रतिकूल नतीजे हो सकते हैं। हमारा इशारा नीति आयोग द्वारा हाल ही में (7 अगस्त 2016) को प्रकाशित रिपोर्ट •ी ओर है, जिस•ा शीर्ष• है: '1956 •े भारतीय चि•ित्सा परिषद •ानून में सुधार •े लिए •मेटी •ी ए• आरंभि• रिपोर्टÓ। यह रिपोर्ट भारत में मैडी•ल शिक्षा •ी समूची व्यवस्था •ो ही सुधारने •ा जिम्मा ले•र चलती है। नीति आयोग •ी रिपोर्ट •ा व्यावहारि• हिस्सा ए• विधेय• •ा मसौदा है, जो 1956 •े भारतीय चि•ित्सा परिषद •ानून •ी जगह लेने जा रहा है। नीति आयोग •ी रिपोर्ट और प्रस्तावित विधेय• •ो, अंतिम रूप देने से पहले सार्वजनि• परामर्श •े लिए प्र•ाशित •िया गया है।
निजी•ृत मैडी•ल शिक्षा •ा
भ्रष्टï•ारी प्रभाव
वास्तव में नीति आयोग •ी यह रिपोर्ट, स्वास्थ्य व परिवार •ल्याण पर संसदीय स्थायी समिति •ी ए• और रिपोर्ट (संख्या-92) •ी पृष्ठïभूमि में आयी है, जो 8 मार्च 2016 •ो राज्यसभा •े सामने रखी गयी थी। इस•े अलावा सुप्रीम •ोर्ट ने भी मैडी•ल शिक्षा में व्याप्त भ्रष्टïाचार •ो ले•र बहुत ही तीखी टिप्पणियां •ी थीं। संसदीय समिति •ी रिपोर्ट में भी भारतीय चि•ित्सा परिषद (एमसीआइ) •े •ाम-•ाज •ी तीखी आलोचना •ी गयी है और देश में मैडी•ल नैति•ता और मैडी•ल शिक्षा •े नियमन में जड़-मूल से बदलाव •ी सिफारिश •ी गयी है। याद रहे •ि इन दोनों •ा नियमन ही भारतीय चि•ित्सा परिषद (एमसीआइ) •ा •ाम है।
व्याप• रूप से यह माना जाता है •ि देश में निजी मैडी•ल •ालेजों •ा •ु•ुरमुत्तों •ी तरह उग आना ही, भारत में मैडी•ल शिक्षा •े लिए मुख्य भ्रष्टï•ारी प्रभाव रहा है और यही है जो देश में मैडी•ल शिक्षा •े स्तर में भारी गिरावट •े लिए जिम्मेदार है। 2015 में रायटर्स द्वारा खोज-बीन •े बाद जारी ए• रिपोर्ट में बताया गया था •ि खुद सर•ार •े रि•ार्डों तथा अदालतों में पेश •ी गयी जान•ारियों •े अनुसार, भारत •े हरे• छ: में से ए• मैडी•ल •ालेज पर धोखाधड़ी •े आरोप थे। रायटर्स •ी जांच में यह भी पता चला था •ि, ''भर्ती •ंपनियां आए दिन मैडी•ल •ॉलेजों •ो ऐसे डाक्टर मुहैया •राती हैं जो उन•े सर•ारी इंस्पै•्ïशनों •े दौरान वहां •े पूर्ण-•ालि• फै•ल्टी सदस्य होने •ा स्वांग भरते हैं। और यह दिखाने •े लिए •ि शिक्षण-अस्पतालों में पर्याप्त मरीज हैं जिससे छात्रों •ो चि•ित्स•ीय अनुभव प्राप्त हो स•ता है, मैडी•ल •ालेजों द्वारा मरीज होने •ा अभिनय •रने •े लिए भले-चंगे लोगों •ो बटोर लाया जाता है।
2010 से 2015 •े बीच भारत में •म से •म 69 मैडी•ल •ालेजों तथा शिक्षण-अस्पतालों पर, गंभीर गड़बडिय़ों •े आरोप लगे हैं, जिनमें प्रवेश परीक्षा में धांधली •रने से ले•र छात्रों •ो भर्ती •रने े लिए घूस लेने त• •े आरोप शामिल हैं। इसी दौर में नियमन•ारी नि•ायों द्वारा •रीब दो दर्जन मैडी•ल •ालेजों •े तो सीधे-सीधे बंद ही •िए जाने •ी सिफारिशें •ी गयी हैं। यहां यह गौरतलब है •ि नियम-•ायदों •े उल्लंघन •ी सारी •ी सारी शि•ायतें और •ालेज ही बंद •िए जाने •ी सारी सिफारिशें, निजी •ालेजों से ही संबंधित हैं। आइए, ए• नजर मैडी•ल •ालेजों •े स्वामित्व •े पैटर्न •े पहलू से भारत में मैडी•ल शिक्षा •े वि•ास पर डाल ली जाए।
1980 •े बाद से
मैडी•ल शिक्षा •ा वि•ास
1980 त• भारत में •ुल 112 मैडी•ल •ालेज थे, जिनमें से 100 मैडी•ल •ालेज सर•ार द्वारा संचालित थे, जब•ि 12 मैडी•ल •ालेज निजी संस्थाओं द्वारा संचालित थे। मैडी•ल •ी पढ़ाई •ी •ुल सीटों में से 90 फीसद से ज्यादा इन सर•ारी •ालेजों में ही थीं। उस जमाने त• जो निजी मैडी•ल •ालेज थे भी, उनमें से ज्यादातर •ा संचालन ईमानदार परामर्थ ट्रस्टों और मिशनरी संस्थाओं •े ही हाथों में था। तब त• मैडी•ल शिक्षा •ो मुनाफा •माने •ा साधन नहीं माना जाता था। उस•े बाद से हालात •ितने नाट•ीय तरी•े से बदले हैं, इस•ा अंदाजा इस ए• तथ्य से लगाया जा स•ता है •ि आज भारत में 426 मैडी•ल •ालेज चल रहे हैं, उनमें आधे से ज्यादा (पूरे 221) निजी क्षेत्र में ही हैं। बेश•, इस दौरान मैडी•ल •ालेज में अंडरग्रेजुएट •ोर्स •ी सीटों •ी संख्या, 1980 •े 18,340 •े स्तर से बढक़र 53,330 पर पहुंच गयी है, ले•िन इसमें •रीब आधी (24,690) सीटें निजी मैडी•ल •ालेजों में ही हैं। इस तरह, 1980 से 2016 •े बीच जहां सर•ार द्वारा संचालित मैडी•ल •ालेजों में सीटों •ी संख्या 16,570 से बढक़र 27,490 पर पहुंची है यानी 66 फीसद बढ़ी है, वहीं निजी मैडी•ल •ालेजों में सीटों •ी संख्या महज 1,770 से बढक़र, 24,690 पर पहुंच गयी है यानी 14 गुनी हो गयी है।
भारत में निजी मैडी•ल •ालेजों में बढ़ोतरी •े दश•ीय पैटर्न पर नजर डालना भी दिलचस्प होगा। साथ में दी गयी तालि•ा-2 से हमें विभिन्न दश•ों में इस बढ़ोतरी •ी स्थिति •ा पता चल जाता है।
यह तो खैर स्वत:स्पष्टï ही है •ि 1980 •े बाद से निजी मैडी•ल •ालेजों •ी संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है। ले•िन, इससे आगे अलग-अलग दश•ों में इस मामले में वृद्घि दर पर नजर डालने पर हमें •ुछ दिलचस्प रुझान दिखाई देते हैं। निजी मैडी•ल •ालेजों •ी बढ़ोतरी 2001 से 2010 त• •े दश• •े दौर अपने शिखर पर पहुंच चु•ी थी, जिस•े बाद से यह दर पहले ए• जगह रु•ी रहने •े बाद, निजी मैडी•ल •ालेजों में बढ़ोतरी •ी रफ्तार में गिरावट दिखाने लगी है। ऐसा लगता है •ि निजी मैडी•ल •ालेजों •ी संख्या में बढ़ोतरी •ी रफ्तार थम जाने •ी वजह, वही है जिस•ी ओर हम शुरू में ही इशारा •र आए हैं। निजी मैडी•ल •ालेजों में गुणवत्ता •े मान•ों •ा पालन नहीं •िए जाने तथा दाखिलों में भ्रष्टïाचार •ो ले•र व्याप• स्तर पर चिंताएं, अने• निजी मैडी•ल •ालेजों •ो बंद ही •र देने •े आदेश और इस सब •े चलते निजी मैडी•ल •ालेजों •ी प्रवेश फीसों •ा जहां •ा तहां रह जाना या गिरना, आदि इस रुझान •े पीछे हैं। इस•े साथ ही साथ, सार्वजनि• स्वास्थ्य से जुड़े हल•ों में, खासतौर पर राज्यों •े स्तर पर इस संबंध में •ुछ जागरू•ता आयी लगती है •ि मैडी•ल शिक्षा में सार्वजनि• निवेश, सार्वजनि• स्वास्थ्य प्रणाली •े सही तरी•े से •ाम •रने •े लिए बहुत ही जरूरी है।
•ार्पोरेट अधिग्रहण •ा
नीति आयोग •ा नुस्खा
अब हम नीति आयोग •े नुस्खों पर आते हैं जो मैडी•ल शिक्षा में और भारतीय चि•ित्सा परिषद (एमसीआइ) में सुधार •े लिए नीति आयोग ने पेश •िए हैं। हमें यह मान•र चलना चाहिए •ि नीति आयोग •ो •म से •म दो प्र•ार •े तथ्यों •ी जान•ारी होगी। पहले प्र•ार •े तथ्यों •ा संबंध, स्वास्थ्य व परिवार •ल्याण मंत्रालय •ी संसदीय •मेटी •ी 92वीं रिपोर्ट में और अन्य स्रोतों से भी उपलब्ध, इस तथ्य से साक्ष्यों से है •ि एमसीआइ भ्रष्टïाचार •ा अड्डïा बन गया है और यह भ्रष्टïाचार खासतौर पर निजी मैडी•ल •ालेजों •े प्रमाणन (ए•्रेडिटेशन) तथा नियमन से जुड़े घनघोर रूप से भ्रष्टï तौर-तरी•ों •े बल पर फल-फूल रहा है। दूसरा तथ्य यह है •ि निजी मैडी•ल •ालेजों •ी संख्या बढऩे में तेजी •ोई, सार्वजनि• स्वास्थ्य •े लिए अच्छे परिणाम देने वाली साबित नहीं हुई है और निजी मैडी•ल •ालेजों •ी बढ़ोतरी भी लडख़ड़ाने लगी है।
इन सचाइयों से जो ए• तर्•संगत नतीज नि•ाला जा स•ता था, वह तो यही है •ि सार्वजनि• धन से संचालित मैडी•ल शिक्षा में सार्वजनि• निवेशों में •टौतियों •े जरिए और निजी मैडी•ल •ालेजों •ा खोला जाना ही आसान बनाने •े लिए तैयार •िए गए नियम-•ायदों •े जरिए भी, निजी मैडी•ल •ालेजों •ो बढ़ावा देने •ी जिस नीति पर चला जाता रहा है, उसे पलटा जाना चाहिए। ले•िन, ऐसा •रने •े बजाए नीति आयोग ने ए• ऐसी हैरान •र देने वाली सिफारिश •ी है, जो मैडी•ल शिक्षा •ी भ्रष्टï निजी क्षेत्र संचालित व्यवस्था •ी ही और गहरी घुसपैठ •ा ही रास्ता बनाएगी।
नीति आयोग •ी उक्त रिपोर्ट •हती है:
''फिलहाल, 'लाभार्थ नहींÓ •े आधार पर •ाम •रने वाले संगठनों •ो ही मैडी•ल •ालेज खोलने •ी इजाजत है। •मेटी ने इस पर विचार •िया है •ि क्या विधेय• •े मसौदे में या सर•ार द्वारा जारी •िए जाने वाले नियमों में खासतौर पर ऐसा प्रावधान शामिल •िया जाए जो 'लाभार्थÓ संगठनों •ो भी मैडी•ल •ालेज खोलने •ी इजाजत देता हो। (मैडि•ल शिक्षा) प्रदाताओं •ी •मी •ो देखते हुए और इस तथ्य •ो पहचानते हुए •ि लाभार्थ संगठनों पर लागू मौजूदा रो• निजी संस्थाओं •ो मुनाफे बटोरने से शायद ही रो• पायी है, हालां•ि वे गैर-पारदर्शी तथा संभावत: अवैध तरी•ों से यह •ह रहे हैं, यह महसूस •िया गया •ि शिक्षा प्रदाताओं •े वर्ग •ी •ोई भी पाबंदी अनुपादेय साबित होगी। इसलिए, •मेटी यह सिफारिश •रती है •ि संबद्घता/ मान्यता •ी शर्तों •ो, मैडी•ल •ालेज •े प्रमोटर •े स्वरूप •े सवाल से (•ि वह ट्रस्ट है, लाभार्थ •ंपनी नहीं) अलग •िया जाए।ÓÓ (बल अतिरिक्ति)
शुद्घ नवउदारवादी
तर्•
यह नवउदारवादी तर्• •ी ही सबसे नंगे रूप में अभिव्यक्ति है। रिपोर्ट में यह स्वी•ार •िया गया है •ि निजी मैडी•ल •ालेज, मुनाफा बटोरने •े साधन बन गए हैं। ले•िन, नुस्खा यह पेश •िया गया है •ि इस खेल •ो ही वैध •र दिया जाए और लाभार्थ संगठनों •ो मैडी•ल •ालेज चलाने •ी इजाजत दे दी जाए। इस•ी संभावनाओं •ो टटोलने त• •ी •ोशिश नहीं •ी गयी है •ि क्या मैडी•ल शिक्षा •े लिए सर•ारी निवेश •ो बढ़ाया नहीं जा स•ता है? मौजूूदा नवउदावादी आर्थि• नीतियों •े ढिंढोरची इस•ा बखान •रते नहीं थ•ते हैं •ि •िस तरह भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार 5 फीसद सालाना से ऊपर •ी दर से बढ़ रही है। इस•े बावजूद, इस सचाई •ी उन्हें शायद ही •ोई परवाह होगी •ि नवउदारवादी सुधारों •े इसी दौर में मैडी•ल शिक्षा पर सर•ारी खर्चा वास्तव में घटा ही या फिर जहां •ा तहां ही रु•ा रहा है।
बहरहाल, नवउदारवाद •ा तो तर्• ही यह •हता है •ि मानवीय गतिविधि •े सभी क्षेत्रों •ो मुनाफा •माने •े साधनों में बदला जाना चाहिए और यही बात मैडी•ल शिक्षा पर भी लागू होती है। इस तरह, नीति आयोग •ी रिपोर्ट •ार्पोरेट अस्पताल शृंखलाओं तथा अन्य उद्यमों •े लिए इस•ा खुला आमंत्रण है •ि आएं तथा निवेश •रें और बाजार में खुलेआम मैडी•ल शिक्षा •ो बेच•र मुनाफे बटोरें। इस•े पक्ष में तर्• •े नाम पर सिर्फ यह •हा जा रहा है •ि जब त• मुनाफा बटोरने •ा यह •ाम 'पारदर्शीÓ तरी•े से •िया जाता है, मैडी•ल शिक्षा •े दरवाजे मुनाफा बटोरने •े प्रयासों •े लिए खोले जाने में •ोई नु•सान नहीं है। इसीलिए, यह रिपोर्ट •हती है •ि, ''मैडी•ल संस्थाओं से इस•ा त•ाजा होगा •ि पारदर्शी तरी•े से ट्यूशन फीस तथा अगर •ोई अन्य फीस हो तो उस•ा अपने वैबसाइट पर खुलासा •रें और दूसरी •ोई फीस लेने •ी इजाजत नहीं दी जाए।ÓÓ
हम नहीं जानते हैं •ि नीति आयोग •ी तीन सदस्यीय •मेटी, सार्वजनि• स्वास्थ्य •े बारे में क्या और •ितना जानती है। बहरहाल, उन•ी रिपोर्ट में जिस तरह •ा रुख सुझाया गया है, वह तो मैडी•ल शिक्षा •ो सार्वजनि• स्वास्थ्य •े लक्ष्यों •े साथ जोडऩे •े त•ाजों •ी ओर से आंखें ही बंद •िए लगती है। रिपोर्ट में और ज्यादा डाक्टरों •ो प्रशिक्षित •रने •ी जरूरत पर तो बार-बार जोर दिया गया है, ले•िन दूर-दूर त• इस•ा •ोई एहसास त• नहीं •ि सिर्फ मैडी•ल •ालेजों •ी संख्या में बढ़ोतरी (वे चाहे जैसे भी हों) अपने आप ही सार्वजनि• स्वास्थ्य लक्ष्यों •ो आगे बढ़ाने •े लिए चि•ित्स• उपलब्ध नहीं •राने जा रही है। आज अगर सार्वजनि• स्वास्थ्य व्यवस्था में विशेषज्ञों •े 80 फीसद पद खाली हैं, तो ऐसा •ोई इसलिए नहीं है •ि विशेषज्ञों •ा प्रशिक्षण बंद है। ये पद इसलिए खाली रह जाते हैं •ि हमारी संसाधन-दरिद्र सार्वजनि• स्वास्थ्य व्यवस्था ऐसे विशेषज्ञों •ो खपाने में ही असमर्थ है। हमारे देश •ी •ुछ बेहतरीन मैडी•ल शिक्षा संस्थाएं जिन डाक्टरों •ो प्रशिक्षित •रती हैं, वे बाद में दूसरे देशों •े लिए पलायन •र जाते हैं। सचाई यह है •ि भारत ही डाक्टरों •ा दुनिया •ा सबसे बड़ा निर्यात• है। इस समय अमरी•ा में •रीब 47 हजार भारतीय डाक्टर •ाम •र रहे हैं और इंग्लेंड में •रीब 25 हजार। यह उम्मीद •रना ही मूर्खतापूर्ण होगा •ि •ार्पोरेट संचालित मैडी•ल •ालेजों में पढ़ाई पर लाखों और वास्तव में संभावित रूप से •रोड़ों रु0 खर्च •रने वाले मैडी•ल ग्रेजुएट, अपनी पढ़ाई पूरी •रने •े बाद सार्वजनि• स्वास्थ्य प्रणाली में •ाम •रने •े लिए उत्सु• होंगे। वास्तव में नीति आयोग •ी •ार्पोरेट-संचालित मैडी•ल •ालेजों •ो बढ़ावा देने •ी योजना, स्वास्थ्य रक्षा •े मामले में मौजूदा सर•ार •ी उस परि•ल्पना से जुड़ी हुई है, जिस•ो देश •ी जनता •े बहुमत •ी चि•ित्सा संबंधी जरूरतों •ी •ोई परवाह ही नहीं है और जिस•े लिए तो अपोलो, मैक्स, फोर्टिस आदि अस्पताल शृंखलाओं •ा विस्तार ही, स्वास्थ्य रक्षा •े मामले में देश •ी प्रगति •ा पैमाना है।
विधेय• •े मसौदे •ा
संसद में विरोध हो
नीति आयोग •ी रिपोर्ट में भारतीय चि•ित्सा परिषद (एमसीआइ) में सुधार •ा भी न•्ïशा पेश •िया गया है। मौजूदा एमसीआइ •ा बचाव •ोई नहीं •रेगा, जिसने देश •ी संभवत: सबसे भ्रष्टï नियाम• संस्था •ी ख्याति अर्जित •ी है। बहरहाल, पिछले अने• वर्षों में अगर एमसीआइ भ्रष्टïाचार •ा गढ़ बन गयी है, तो यह •ुछ राजनीति• पार्टियों द्वारा मुहैया •राए गए संरक्षण •ा ही नतीजा है, जिस•े बल पर निजी डाक्टरी प्रैक्टिस •रने वालों •ा एमसीआइ पर •ब्जा हो गया है। उच्च तरह •े मैडी•ल प्रोफेशनों •ो आ•र्षित •रने •े बजाए, एमसीआइ •ा संचालन ए• ऐसे गुट •े हाथों में चला गया है, जो यह मान•र मनमानी •रता आया है •ि शीर्ष स्तर पर बैठे राजनीतिज्ञ तथा नौ•रशाह, उसे हर समस्या से बचा लेंगे।
इसे देखते हुए एमसीआइ •े सुधार •ा यह अर्थ हो स•ता था •ि चि•ित्स•ीय नैति•ता तथा मैडी•ल शिक्षा •े नियमन •े लिए, इस शीर्ष नि•ाय •ा सचमुच जनतंत्री•रण •िया जाए और इस•े लिए इसमें मैडी•ल प्रोफेशनलों, मैडी•ल शिक्षाविदों और सामाजि• •ार्य•र्ताओं •े लिए जगह बनायी जाए। इस•े बजाए, इस•ा नुस्खा पेश •िया गया है एमसीआइ •ो सर•ार •ा ही दुमछल्ला बना दिया जाए, जिसे सर•ार द्वारा नामजद पदेन सदस्यों से ही भर दिया जाए। यह •िसी से छुपा हुआ नहीं है •ि वर्तमान सर•ार सत्ता •ा ज्यादा से ज्यादा •ेंद्रीय•रण •रना चाहती है और बहुलतापूर्ण तथा जनतांत्रि• नि•ायों •ो नापसंद •रती है। ए• ऐसी एमसीआइ, जो उस सर•ार •े दुमछल्ले •े तौर पर •ाम •र रही होगी, जो खुद नवउदारवादी सुधारों •ो आगे बढ़ाने •े लिए •दर •से हुए है, मैडी•ल शिक्षा में ऐसे सुधारों •े लिए आदर्श साधन साबित होगी, जो •ार्पोरेट क्षेत्र •ी ही जरूरतें पूरी •िए जाने •े हिसाब से गढ़े जाएंगे। संसद •ो उस विधेय• •े मसौदे •ो दृढ़तापूर्व• ठु•राना चाहिए, जिसे 1956 •े भारतीय चि•ित्सा परिषद •ानून •ी जगह लेने •े लिए लाया जा रहा है।
तालि•ा-1
मैडी•ल •ालेजों में बढ़ोतरी (1980-2016)
वर्ष मैडी•ल •ालेजों •ी संख्या अंडरगेे्रजुएट सीटों •ी संख्या
सार्वजनि• निजी सार्वजनि• निजी
1980 100 12 16,570 1,770
2016 205 221 27,490 24,690
तालि•ा-2
सार्वजनि• और निजी मैडी•ल •ालेजों और सीटों में
दश•ीय वृद्घि
वर्ष मैडी•ल •ालेज बढ़े अंडरग्रेजुएट सीटें बढ़ीं
सार्वजनि• निजी सार्वजनि• निजी
1981-1990 6 26 700 3,770
1991-2000 12 31 1,420 4,050
2001-2010 34 90 3,800 11,200
2011-2016 56 50 6,300 3,950
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