Wednesday, 1 July 2020

इरिटेबल बाउल सिन्ड्रोम- कारण, आरंभक, खतरे के संकेत तथा अन्य जानकारी

इरिटेबल बाउल सिन्ड्रोम- कारण, आरंभक, खतरे के संकेत तथा अन्य जानकारी

इरिटेबल बाउल सिन्ड्रोम (उत्तेजनीय आंत्र सिन्ड्रोम) नामक एक सामान्य आंत्र विकार जो बड़ी आंत को प्रभावित करता है, एक दीर्घकालिक समस्या है जो लोगो के जीवन जीने के तरीके को परिवर्तित कर सकती है। अधिक प्रचलित रूप से अपने संक्षिप्त नाम आईबीएस से पहचाने जाने वाले इस विकार के संकेत और लक्षण आंतों में मरोड़ का होना है, जो व्यक्ति को अत्यधिक असहज कर देता है। य़द्यपि एक अच्छी बात ये है कि इससे जीवन के लिए खतरा नहीं होता है और कुछ अन्य आंत्र विकारों जैसे अल्सरेटिक कोलाइटिस के
विपरीत इस से आंत के ऊतकों में कोई परिवर्तन नही होता है और न कोलोरेक्टल (वृहदांत्र मलाशयी) कैंसर का जोखिम बढ़ता है। लाखों व्यक्ति इरिटेबल बाउल सिन्ड्रोम से पीड़ित होते हैं। इनमें से अधिकतर महिलाऐं हैं। लोगों में अधिकतर यह स्थिति युवावस्था से 40.45 वर्ष की उम्र तक हो सकती है। इसमें सामान्यतः पेट में तकलीफ, पेट में मरोड़ अथवा पेट में दर्द, पेट फूलना, गैस, शौच करने में दिक्कतें हो सकती हैं जिनसे या तो
डायरिया (अतिसार/दस्त) अथवा कब्ज हो सकता है तथा पतले, कठोर अथवा मृदु और तरल मल का उत्सर्जन हो सकता है।
          इरिटेबल बाउल सिन्ड्रोम से पीड़ित बहुत कम लोगों में ही गंभीर संकेत और लक्षण प्रकट होते हैं। कुछ लोग सिर्फ अपने आहार, जीवनशैली और तनाव को प्रबंधित करके लक्षणों को नियंत्रित कर लेते हैं।
लेकिन बहुतों में यह जीवन को परिवर्तित कर सकते हैं। वे अपने कार्य अथवा विद्यालय से अकसर अवकाश ले
सकते हैं और दैनिक कार्यकलापों में भाग लेने में कम सक्षम महसूस कर सकते हैं। कुछ व्यक्तियों को अपनी
कार्यव्यवस्था में परिवर्तन की आवश्यकता हो सकती है, और वे घर से कार्य कर सकते हैं अथवा काम के समय
में परिवर्तन कर सकते हैं अथवा काम करना बंद कर सकते हैं। कुछ को चिकित्सा उपचार और परामर्श की
आवश्यकता होती है.
इरिटेबल बाउल सिन्ड्रोम के क्या कारण हैं?
यह ज्ञात नहीं है कि यथार्थ रूप से इरिटेबल बाउल सिन्ड्रोम किस कारण होता है, लेकिन अनेक कारक इसमें भूमिका निभाते हैं। आंतो की भित्तियां पेशियों की परतों से अस्तरित रहती हैं जो एक समन्वित लय में संकुचन करती और शिथिल होती हैं और ये भोजन को आमाशय से आंत्र पथ से होकर मलाशय तक पहुंचाती हैं। इरिटेबल बाउल सिन्ड्रोम से पीड़ित व्यक्ति में ये संकुचन अधिक प्रबल और सामान्य से अधिक लंबी अवधि तक जारी रह सकते हैं, जिससे गैस, पेट फूलना और डायरिया हो सकते हैं। अथवा इसका उलटा भी हो सकता है
जिसमें आंत्रीय संकुचन निर्बल होते हैं जिससे भोजन का पथ मंद हो जाता है और कठोर; शुष्क मल का उत्सर्जन होता है।
             जठरांत्रीय तंत्रिका तंत्र में असमान्यताएं भी इसमें भूमिका निभाती है, जिसमें व्यक्ति गैस अथवा मल के कारण पेट फूलने पर सामान्य से अधिक कष्ट का अनुभव करता है। मस्तिष्क और आंतों के बीच कम समन्वित संकेतों के कारण भी शरीर उन परिवर्तनों के लिए जरूरत से अधिक प्रतिक्रिया करता है जो सामान्यतः पाचन प्रक्रिया में होते हैं। इस अतिप्रतिक्रिया से पेटदर्द, मरोड़, पेट फूलना और डायरिया अथवा कब्ज हो सकती है।
ट्रिगर/आरंभक
वे उद्दीपन जो अन्य व्यक्तियों को प्रभावित नहीं करते हैं, इरिटेबल बाउल सिन्ड्रोम वाले व्यक्तियों में लक्षण प्रगट कर सकते हैं लेकिन इस स्थिति से पीड़ित सभी व्यक्ति किसी एक उद्दीपन के लिए एक ही तरीके से व्यवहार नहीं करते हैं। सामान्य आरंभकों में सम्मिलित हैं:
तनाव
इरिटेबल बाउल सिन्ड्रोम से पीड़ित अधिकांश व्यक्ति यह पाते हैं कि उनके संकेत और लक्षण
िाक तनाव की स्थितियों जैसे किसी आने वाले परिणाम के सप्ताहों अथवा नए रोजगार के आरंभिक सप्ताहों में
अधिक होते हैं। यद्यपि, तनाव लक्षणों को बढ़ा सकता है, लेकिन यह संभवतः प्रमुख ट्रिगर नहीं है।
हार्मोन
चूंकि अधिकांशतः पीड़ित महिलाएं होती है, अतः चिकित्सा अनुसंधानकर्ता ये मानते हैं कि हार्मोनों में परिवर्तन संभवतः इस स्थिति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अनेक महिलाएं यह पाती हैं कि इसके संकेत और लक्षण उनके मासिक चक्र के समय अथवा उसके आसपास अधिक उग्र हो जाते हैं।
जीवाणु और आंत्र संक्रमण
कभी.कभी अन्य रोग जैसे संक्रामक डायरिया (गेस्ट्रोएन्टराइटिस) अथवा आंत में जीवाणवीय अतिवृद्धि भी इरिटेबल बाउल सिन्ड्रोम को आरंभ कर सकते हैं।
भोजन
इरिटेबल बाउल सिन्ड्रोम में खाद्य.पदार्थ एलर्जी अथवा असहनशीलता की भूमिका अभी तक स्पष्ट रूप
से नहीं समझी जा सकी है, लेकिन अनेक व्यक्तियों में कुछ विशेष खाद्य पदार्थों को खाने पर गंभीर लक्षण प्रगट
हो सकते हैं। अनेक खाद्य पदार्थ इसे प्रभावित करते पाए गए हैं- फलियां, पत्तागोभी, फूलगोभी, ब्रोकली,
मसाले, वसा, फल, दूध, कार्बनीकृत पेय, चॉकलेट और ऐल्कोहॉल आदि इनमें से हैं।
किसे जोखिम है?
अनेक व्यक्तियों में कभी.कभार इरिटेबल बाउल सिन्ड्रोम के संकेत और लक्षण प्रगट होते हैं, लेकिन निम्नलिखित व्यक्तियों में इसके होने की अधिक संभावना होती है।
युवा वयस्क
45 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों में इरिटेबल बाउल सिन्ड्रोम के होने की अधिक प्रवृत्ति होती है।
महिलाएं
महिलाओं में पुरुषों की तुलना में इरिटेबल बाउल सिन्ड्रोम के विकसित होने की लगभग दोगुनी संभावना
होती है।
पारिवारिक इतिहास
अध्ययन सुझाते हैं कि जिन व्यक्तियों के परिवार के किसी सदस्य को इरिटेबल बाउल सिन्ड्रोम हो उनमें इसके होने का जोखिम अधिक होता है। जोखिम पर पारिवारिक इतिहास का प्रभाव जीन्स से, पारिवारिक परिवेश के सामूहिक कारकों से अथवा दोनों से संबंधित हो सकता है।
मनोवैज्ञानिक समस्याएं
चिन्ता, अवसाद, व्यक्तित्व विकार और बचपन में यौन दुर्व्यवहार का इतिहास जोखिम के कारक हैं।
महिलाओं के लिए, घरेलू दुर्व्यवहार भी जोखिम का एक कारक हो सकता है।
संकेतों और लक्षणों की पहचान करना
इरिटेबल बाउल सिन्ड्रोम के संकेत और लक्षण भिन्न लोगों में अत्यधिक भिन्न होते हैं और अन्य रोगों के लक्षणों के सदृश हो सकते हैं। सबसे सामान्य
लक्षणों में हैः
* डायरिया (अक्सर उग्र डायरिया के रूप में वर्णित
किया जाता है)
* कब्ज
* कब्ज और डायरिया एकांतरी रूप से होते हैं; लेकिन यह एक ऐसा संकेत है जो अधिक गंभीर स्थिति को प्रदर्शित कर सकता है और पीड़ित व्यक्ति को तत्काल चिकित्सा परामर्श के लिए प्रेरित करना चाहिए
* पेट में दर्द अथवा मरोड़, सामान्यतः पेट के निचले भाग में होता है, जो खाने के बाद और अधिक हो
जाता है तथा मल त्याग के बाद बेहतर महसूस होता है
* अत्यधिक गैस अथवा पेट फूलना
* सामान्य से अधिक कड़ा अथवा ढीला मल (पत्रक अथवा चपटे फीते जैसा मल)
* मल में श्लेश्म का होना
* बवासीर का बढ़ जानाः डायरिया और कब्ज, दोनों इरिटेबल बाउल सिन्ड्रोम के लक्षण हैं, जो बवासीर को भी बढ़ा सकते हैं
* तनाव स्थिति को और अधिक बिगाड़ सकता है।
* कुछ व्यक्तियों में मूत्र रोग के लक्षण अथवा यौन समस्याएं भी हो जाती हैं।
प्रारूपिक रूप से चार प्रकार की स्थितियां होती हैं।
--कब्ज के साथ आईबीएस सी (IBS-C)
--और डायरिया के साथ आईबीएस डी (IBS-D हो सकता है। कुछ व्यक्तियों में कब्ज और डायरिया
का एकांतरी पैटर्न दिखाई देता है। यह मिश्रित आईबीएस (IBS-M) कहलाता है। अन्य व्यक्ति जो
आसानी से श्रेणियों के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं उन्हें अउपप्रकारित (Unsubtyped) आईबीएस अर्थात
(IBS-U) कहा जाता है।
परिणाम
अधिकांश व्यक्तियों के लिए, इरिटेबल बाउल  सिन्ड्रोम एक गंभीर स्थिति है, लेकिन कभी.कभी संकेतों और लक्षणों के अत्यधिक उग्र हो जाने और कभी बेहतर हो जाने अथवा पूर्णतः लुप्त हो जाने की संभावना रहती है।
इस स्थिति का व्यक्ति के जीवन की समग्र गुणवत्ता पर प्रभाव इसकी सबसे प्रमुख जटिलता हो सकती है। यदि व्यक्ति आईबीएस के कारण कुछ खाद्य पदार्थों को खाना छोड़ दें, तो संभव है कि उन्हें अपनी आवश्यकतानुसार पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाएगा, जिससे वे कुपोषण से पीड़ित हो सकते हैं। आईबीएस के इन प्रभावों से व्यक्ति यह महसूस कर सकते हैं कि वे अपना जीवन संपूर्णता से नहीं जी पा रहे हैं, जिससे वे हतोत्साहित अथवा अवसादग्रस्त हो जाते हैं।
चिकित्सक के पास कब जाएं
यद्यपि अनेक वयस्क इरिटेबल बाउल सिन्ड्रोम के संकेतों और लक्षणों का अनुभव करते हैं, लेकिन लक्षणों से ग्रसित पांच में से एक से भी कम व्यक्ति चिकित्सीय सहायता लेते हैं। यदि किसी व्यक्ति की आंत्रीय प्रवृत्तियों में स्थायी परिवर्तन हो जाता है अथवा कोई अन्य संकेत या लक्षण दिखाई देता है; तो यह महत्वपूर्ण है कि वह चिकित्सक के पास जाए क्योंकि ये लक्षण अधिक गंभीर स्थिति जैसे वृहदांत्र (कोलन) कैन्सर का संकेत हो सकते हैं।
              यदि चिकित्सक अधिक गंभीर स्थितियों को नकार कर इरीटेबल बाउल सिन्ड्रोम के निदान की पुष्टि करने में सफल होता है तो वह लक्षणों से राहत में सहायता कर सकता है और साथ ही उपचार भी बता सकता है, जिससे उन संभावित जटिलताओं से बचा जा सके जो संभवतः गंभीर डायरिया के कारण हो सकती हैं।
खतरे के संकेत
कुछ संकेत और लक्षण अधिक गंभीर स्थिति को इंगित कर सकते हैं। यदि आपको इनमें से कोई भी
खतरे के लक्षण दिखाई देते हैं तो आपको चिकित्सक के पास जाने में विलम्ब नहीं करना चाहिए। इन लक्षणों में सम्मिलित हैंः
* 50 वर्ष की आयु के बाद रोग का पुनः हमला
* वजन घटना
स मलाशय से रक्तस्त्राव
* ज्वर
* जी मिचलाना अथवा बार.बार उबकाई आना
* पेट में दर्दः विशेष रूप से यदि मल निवृत्ति से
पूर्ण आराम नहीं मिलता है अथवा रात के समय
दर्द होता है
* डायरिया जो स्थायी रूप से रहता है और आपको
नींद से जगा देता है।
* आयरन की कमी से सबंन्धित एनीमिया (रक्ताल्पता)
किस चिकित्सक को दिखाएं?
यदि आप में इरिटेबल बाउल सिन्ड्रोम के लक्षण दिखाई देते हैं, तो आपको अपने पारिवारिक चिकित्सक अथवा आन्तरिक रोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए। आरंभिक जांच के बाद आपके पारिवारिक चिकित्सक आपको जठरांत्र रोग विशेषज्ञ के पास भेज सकते हैं।
              एक जठरांत्र रोग विशेषज्ञ वह विशेषज्ञ चिकित्सक होता है जो पाचन संबंधी विकारों के उपचार में दक्ष होता है। चिकित्सक से परामर्श करने से पहले की तैयारी करना किसी चिकित्सक के पास जाने से पहले जिन लक्षणों को आप अनुभव कर रहे हैं, और कितने समय से वे दिखाई दे रहे हैं, और क्या आपको कोई ऐसा
विशेष कारक पता है जो विशिष्ट रूप से लक्षणों को प्रकट कर देता है, इन सब बातों को लिख लेना अच्छा रहता है। आपको प्रमुख व्यक्तिगत जानकारी समेत अपने जीवन में हाल में हुए परिवर्तनों अथवा तनाव के कारकों के विषय में भी लिख लेना चाहिए। ये कारक इरिटेबल बाउल सिन्ड्रोम की आवृत्ति और गंभीरता में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं।
                       आपको उन प्रश्नों पर भी विचार करके उन्हें लिख लेना चाहिए, जिन्हें आप अपने चिकित्सक से पूछना चाहेंगे। अपने प्रश्नों की पहले से ही सूची बना लेने से आपको अपने चिकित्सक के साथ अधिक समय बिताने और जानकारी साझा करने में सहायता मिलेगी। इन प्रश्नों के अतिरिक्त, चिकित्सक से मुलाकात के समय यदि आपके मन में कोई और प्रश्न आए तो पूछने में झिझकना नहीं चाहिए। हो सकता है कि आपका चिकित्सक आपसे अनेक प्रश्न पूछे। उनका उत्तर देने के लिए तैयार होने पर आपके पास उन बातों की चर्चा करने के
लिए अधिक समय बच सकता है जिनकी आप अधिक विस्तार से चर्चा करना चाहते हैं। आपसे आपके लक्षणों और उनकी कालावधि तथा गंभीरता के विषय में पूछा जा सकता हैः क्या लक्षण कुछ समय तक प्रकट
होकर गायब हो जाते हैं; अथवा वैसे ही बने रहते हैं, क्या आपने किसी ऐसी बात पर गौर किया है जो आपके रोग के लक्षणों को आरंभ करती प्रतीत होती है, जैसे कोई खाद्य पदार्थ, तनाव अथवा महिलाओं में उनका मासिक चक्र; क्या बिना प्रयास किए आपका वजन कम हुआ है; क्या आपको अपने मल में रक्त दिखाई दिया है; क्या आपको उबकाई आने अथवा ज्वर जैसे संकेत अथवा लक्षण दिखाई दिये हैं; क्याआपको हाल ही में काफी तनाव, भावनात्मक कठिनाई अथवा हानि झेलनी पड़ी है; आपका प्रारूपिक दैनिक आहार क्या है; क्या आपके यहाँ आंत विकार अथवा वृहदांत्र (कोलन) कैंसर का कोई पारिवारिक इतिहास रहा है; और क्या आपको कोई अन्य बीमारी है। ये प्रश्न चिकित्सक को सही रोग निदान तक पहुंचने और उन परीक्षणों को करवाने के लिए बताने में सहायक हो सकते हैं जो आपकी स्थिति के लिए उपयुक्त हो।
रोगनिदान
इरिटेबल बाउल सिन्ड्रोम का रोगनिदान काफी हद तक विस्तृत चिकित्सीय इतिहास, चिकित्सक के क्लीनिक में चिकित्सीय परीक्षण और रोगनिदानी परीक्षणों पर निर्भर करता है जो अन्य ऐसी स्थितियों को नकार सकता है जो इरिटेबल बाउल सिन्ड्रोम के जैसी लेकिन अधिक गंभीर प्रकृति की होती हैं।
लक्षणों के आधार पर रोगनिदान के मानक
चूंकि इरिटेबल बाउल सिन्ड्रोम तथा अन्य क्रियाशील जठरांत्रीय विकारों के सटीक निदान के लिए कोई पुष्टिकारी भौतिक लक्षण नहीं होते हैं, अतः चिकित्सा अनुसंधानकर्ताओं ने व्यापक रोगनिदानी मानकों के दो सेट विकसित किए हैं जो प्राथमिक रूप से व्यक्ति में दिखने वाले लक्षणों पर आधारित होने के साथ ही यह बताते हैं कि अन्य अधिक गंभीर स्थितियां नहीं हैं।
रोम मानक
रोम मानक कारक किसी चिकित्सक के लिए इरिटेबल बाउल सिन्ड्रोम के रोग निदान के लिए अनेक विशिष्ट संकेतों और लक्षणों की सूची है। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण पेट में दर्द और परेशानी है जो महीने में कम से कम तीन दिन तक रहती है और रोगी को बार.बार कम से कम पिछले तीन महीनों से परेशान कर रही है। ऐसे लक्षण निम्नलिखित में से दो या अधिक बातों से संबन्धित होने चाहिएः मलत्याग के बाद स्थिति में सुधार, मल त्याग की परिवर्तित आवृत्ति अथवा मल की परिवर्तित संगतता।
मैनिंग मानक
मैनिंग मानक निम्नलिखित मानकों पर केन्द्रित हैंः मलत्याग के बाद दर्द से राहत, अधूरा मल त्याग, मल में श्लेष्म का आना, और मल की संगतता। जितने अधिक लक्षण उपस्थित होंगे उतनी ही इरिटेबल बाउल सिन्ड्रोम के होने की संभावना अधिक होगी। आप जिस चिकित्सक से परामर्श करते हैं संभव है कि वह इस बात का मूल्यांकन करे कि आप इन मानकों के लिए कितने उपयुक्त हैं, साथ ही ये भी कि क्या आपमें कोई ऐसे लक्षण या संकेत हैं जो संभवतः अधिक गंभीर स्थिति को इंगित करते हैं। यदि आप आईबीएस मानक को पूरा करते हैं और आपमें किसी चेतावनी के संकेत अथवा लक्षण नहीं हैं, तो आपका चिकित्सक बगैर अतिरिक्त परीक्षण किए आपको
उपचार का सुझाव दे सकता है। लेकिन यदि आपको उपचार से लाभ नहीं होता है अथवा चिकित्सक को
कोई अनिश्चितता हो तो आपको अधिक परीक्षणों की आवश्यकता हो सकती है।
रोगनिदानी परीक्षण
आपका उपचार करने वाले चिकित्सक मल परीक्षण समेत अनेक परीक्षणों की सिफारिश कर सकते हैं जिससे आपकी आंतों के संक्रमण अथवा भोजन से पोषकों को ग्रहण करने की क्षमता संबंधी समस्याओं की जांच हो सकें। जो एक ऐसी स्थिति है जिसको ?अल्पअवशोषण के नाम से जाना जाता है। लैक्टोस असहनशीलता परीक्षण
लैक्टोस एक एन्जाइम है जिसकी आपको डेयरी उत्पादों में पाई जाने वाली शर्करा को पचाने के लिए आवश्यकता होती है। यदि आप इस एन्जाइम को निर्मित नहीं कर पाते हैं, तो आपको पेट में दर्द, डायरिया और गैस समेत इरिटेबल बाउल सिन्ड्रोम से होने वाली समस्याएं हो सकती हैं। यह जानने के लिए कि क्या यह आपके लक्षणों का कारण हैं, आपके चिकित्सक श्वास परीक्षण के लिए अथवा कुछ सप्ताह के लिए आपके आहार में दूध और दुग्ध उत्पादों को सम्मिलित नहीं करने के लिए कह सकते हैं।
श्वास परीक्षण
आपके चिकित्सक जीवाणुओं की अतिवृद्धि नामक स्थिति का पता लगाने के लिए एक श्वास परीक्षण कर सकते हैं, जिसमें वृहदांत्र से जीवाणु ऊपर छोटी आंत में आकर वृद्धि करते हैं जिससे पेट फूलन
पेट संबंधी दिक्कतें और डायरिया जैसी समस्याएं हो जाती है। यह उन व्यक्तियों में अधिक सामान्य है जिनमें आंतों की शल्यक्रिया हो चुकी हो अथवा जो डायबिटीज (मधुमेह) अथवा किसी अन्य ऐसे रोग से पीड़ित हो  जो पाचन को मंद कर देता है।
रक्त परीक्षण
सीलिएक रोग गेहूँ, जौ तथा राइ प्रोटीन के प्रति संवेदनशीलता है जिससे इरिटेबल बाउल सिन्ड्रोम जैसे संकेत और लक्षण प्रगट हो सकते हैं। आईबीएस से पीड़ित बच्चों में सीलिएक रोग की संभावना उन बच्चों से कहीं अधिक होती है जिन्हें आईबीएस नहीं होता है। यदि आपके चिकित्सक को संदेह हो कि आपको सीलिएक रोग हैं; तो वह आपकी छोटी आंत की बायोप्सी प्राप्त करने के लिए पेट के ऊपरी भाग की एन्डोस्कोपी कर सकते हैं।
मल परीक्षण
यदि आपको गंभीर डायरिया हो तो चिकित्सक जीवाणुओं अथवा परजीवियों की उपस्थिति का पता लगाने के लिए आपका मल परीक्षण कर सकते हैं। चिकित्सक आपसे निम्नलिखित इमेजिंग परीक्षणों के लिए कह सकते हैंः
फ्लैक्सिबल सिग्मोइडोस्कोपी
इस परीक्षण में वृहदांत्र के निचले भाग (सिग्मोइड) की एक लचीली, प्रकाशित नली से जांच की जाती है, जिसे सिग्मोइडोस्कोप कहते हैं।
कोलोनोस्कोपी
कुछ मामलों में, विशेषरूप से यदि आपकी उम्र 50 वर्ष अथवा उससे अधिक है, अथवा आपमें अधिक गंभीर स्थिति के लक्षण दिखाई देते हैं तो आपके चिकित्सक यह रोग निदानी परीक्षण कर सकते हैं जिसमे एक छोटी, लचीली नली का उपयोग वृहदांत्र की पूरी लंबाई में जांच करने के लिए किया जाता है।
कंप्यूटरीकृत टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन
सीटी स्कैन में आंतरिक अंगों के अनुप्रस्थ एक्सरे बिंब निर्मित होते हैं। आपके उदर और श्रोणि प्रदेश के
सीटी स्कैन से आपके चिकित्सक को विशेष रूप से यदि आपको पेट में दर्द की शिकायत हो तो आपके रोग लक्षणों के अन्य कारणों को नकारने में सहायता मिलती है।
लोअर जीआई बेरियम सीरीज
इस परीक्षण में , चिकित्सक आपकी बड़ी आंत  को  एक द्रव  (बेरियम  विलयन) से  भर देते हैं , जिससे
एक्सरे में  किसी समस्या को  देखना  आसान हो  जाता है।
               इन परीक्षणों को करने का उद्देश्य रोग की मूल प्रकृति का पता लगाना है। यह हो जाने के बाद,
उपचार राहत के लक्षणों पर केन्द्रित होता है जिससे आप जितना संभव हो सके सामान्य जीवन जी सकें।
लेखक---डॉ. यतीश अग्रवाल
(अनुवादः कुंकुम चतुर्वेदी)
ड्रीम --नवम्बर -2017


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