1^^^^
मेरी कहानीमेरा नाम कमला है । जब मैं मां के पेट में थी तो भी मां हमेशा काम करती रहती थी। वह भूखी भी रहती थी क्योंकि मुझे भी भूख लगती थी। जब मैं मां के गर्भ से बाहर आई तो मेरा वजन 2.2 किलो था। मुझे मां का दूध चाहिए था, पर मुझे पैदा होने के एक दिन बाद तक कुछ नहीं मिला और मेरा वजन और कम हो गया। मां मुझे जन्म देने के हफ्ते बाद ही मजदूरी पर जाने लगी। कोई और रास्ता भी तो नहीं था। 10 घंटे में मुझे तीन चार बार जब जब मां अपनी छाती से लगाती तो मुझ में जान आ जाती। मेरी उम्र जैसे तैसे बढ़ने लगी।
6 महीने की होते होते मेरी जरूरतें बढ़ गई। मां के दूध के अलावा खाना चाहिए था। कुछ भी मछली हुई दाल- चावल, खिचड़ी, केले, उबली-मसली सब्जी, दूध कुछ भी । 8 महीने के होने तक मुझे मां के दूध के अलावा कुछ न मिला। मैं भीतर से कमजोर होती गई।
मेरे गांव में पीने का साफ पानी भी मुश्किल से मिलता था।मैं बार बार बीमार पड़ने लगी। हर बार की बीमारी मुझे और कमजोर करती गई । मैं अपने मां -पिताजी के चेहरे पर चिंता ही देखती थी । उन्हें अक्सर यह कहते सुनती थी कि आज भी काम नहीं मिला, कमला को क्या खिलाएंगे। वे यह भी कहते , काम किये कितने दिन हो गए पर मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ।
बारिश में लकड़ी गीली हो गई थी और राशन की दुकान से मिट्टी का तेल नहीं मिला था ।बस इसी कारण घर में 2 दिन खाना नहीं बन पाया था । बाहर से खरीद कर कितना लाते । एक दिन में आंगनवाड़ी गई। कार्यकर्ता मौसी ने एक झूले में लटका कर मेरा वजन लिया। इसके बाद मेरी लंबाई नापी। जब उन्होंने अपने रजिस्टर में मेरा वजन लिखकर निशान लगाया तो वह दुखी हो गई। मैं बहुत कमजोर थी। जिंदा रहने की मेरी लड़ाई शुरू हो चुकी थी।
2^^^^
*कुपोषण क्या है?*
*भूख और बीमारी कुपोषण के बीज हैं*
हमें भोजन चाहिए ताकि हमारा शरीर और दिमाग दुरुस्त रहें । हम अक्सर भोजन की बात करते समय गेहूं और चावल पर आकर अटक जाते हैं। केवल इन अनाजों से ही हमें पूरा पोषण नहीं मिलता है।
और जब कई दिनों तक हमारे शरीर को पूरा पोषण नहीं मिलता है तो उसमें कमजोरी आना शुरू हो जाती है ।
यही कमजोरी जब जड़ जमा लेती है तू इसे कुपोषण कहते हैं। **कुपोषण सबसे पहले बच्चों को अपनी गिरफ्त में लेता है ।
**यदि हम चाहैं तो हर एक बच्चा कुपोषण के जाल से बाहर निकल सकता है ।
आइए, कुपोषण के समुदाय आधारित प्रबन्धन की पहल का हिस्सा बनें।
3*****
कुपोषण कैसे होता है?
**कुपोषण हित है----
* यदि नवजात शिशु को 6 माह तक मां का दूध न मिले।
* यदि 6 महीने के बच्चे को माँ के दूध के साथ नरम पतला खाना न मिले।
* यदि 2 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले बच्चे को भरपेट भोजन न मिले।
* यदि बच्चे को बार बार दस्त हों या कोई और बीमारी हो।
* यदि बच्चे के खाने में केवल अनाज हो।
* यदि बच्चे को अनाज के साथ दाल, तेल,गुड़,सब्जियां,दूध,या इससे बनी सामग्री, अंडे और फल न मिलें।
* यदि गर्भवती महिला को भी पूरा और अलग -अलग तरह का खाना नहीं मिलता है तो गर्भ में ही बच्चा कुपोषित हो जाता है।
अब हमें तय करना होगा कि ------
* हर परिवार में पर्याप्त भोजन हो।
* महिलाओं के साथ कोई भेदभाव और दुर्व्यवहार न हो।
* हर एक बच्चे का आंगनवाड़ी में वजन और लम्बाई का माप लिया जाए।
* हर बच्चे को पोषण आहार मिले और टीकाकरण हो।
डॉ रणबीर सिंह दहिया
4*****
**कुपोषण के असर**
1. बच्चे अपनी ऊर्जा खो देते हैं।
2. बार बार बीमार पड़ते हैं ।
3. सीखने की क्षमता कम हो जाती है।
4. वे जल्दी थक जाते हैं।
5. कुपोषण आंखों की रोशनी पर भी असर डालता है।
6. कुपोषण जान भी जोखिम में डाल सकता है।
^ हम चाहें तो बच्चों की ऊर्जा को बचाने के लिये सरकार पर दबाव बना सकते हैं।
^ सरकार कुपोषण के कारकों का समाधान करे यह दबाव बना सकते हैं
^ जीवन के सामाजिक कारकों का सही इंतजाम करके बच्चों का जीवन बचाया जा सकता है।
^ यह तभी सम्भव है जब हमारा स्वास्थ्य , हमारा मौलिक अधिकार हो।
आइये हमारा स्वास्थ्य , हमारा मौलिक अधिकार का नारा घर घर तक पहुंचाएं।
डॉ रणबीर सिंह दहिया
5****
**कुपोषण को कैसे पहचानें**
कुपोषण की जांच इस प्रकार की जा सकती है...
1. उम्र के हिसाब से वजन सही है या नहीं।(कम वजन वाला कुपोषण )--कुपोषित होने और सही कदम उठाने के संकेत देने वाला।
2. लम्बाई या ऊंचाई के हिसाब से वजन सही है या नहीं। (दुबलापन या कमजोर मांसपेशियों वाला कुपोषण--गम्भीर कुपोषण)
3. उम्र के हिसाब से लम्बाई सही है या नहीं।(बच्चे की सही वृद्धि न होने का प्रमाण-स्थाई कुपोषण)
4. बांह के ऊपरी हिस्से के ठीक बीच में बांह मापक टेप से यह देखना कि बांह की गोलाई 12.5 सेंटीमीटर से कम तो नहीं है।
5. और यदि ऊपरी बांह मापक टेप के मुताबिक बांह की गोलाई 11.5 सेंटीमीटर से कम है तो बच्चा खतरे में है।
6. बच्चे का वजन नहीं बढ़ रहा है।
7. यदि बच्चा बार बार बीमार पड़ रहा है ।
8. यदि उसका वजन कम हो रहा है।
9. यदि बच्चे का पेट बढा हुआ है।
10. यदि वह सुस्त हो रहा है।
11. खेलने में रूचि नहीं है।
12. आंखों के आस पास काला पन है।
13. चमड़ी चकत्तेदार या रूखी या झुर्रीदार हो रही है।
14. बच्चे में चिड़चिड़ापन है।
15. बाल रूखे हो गए हैं।
16. यदि उसके शरीर के किसी भी हिस्से पर सूजन है।
No comments:
Post a Comment