जन स्वास्थ्य अभियान हरयाणा
स्वास्थ्य एक अहम मुद्दा रहा है और अब और भी अहम स्थान लेता जा रहा है | समाज और व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए जरूरी कारकों मसलन साफ वातावरण , पौष्टिक भोजन , साफ़ पानी , हवादार आवास और रोजगार की तरफ ध्यान बहुत ही कम दिया जा रहा है | इसके चलते जहाँ गैर संक्रामक मसलन हृदय रोग , डायबटीज, जैसी बीमारियों की बढ़त हुई है वहीँ संक्रामक बीमारियों की वापसी भी तेज हुई है | हरयाणा आर्थिक क्षेत्र में विकसित होते हुए हुए और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कुछ मानकों में सुधार के बावजूद कुल मिलाकर सरकारी सुविधाओं के क्षेत्र में काफी पिछड़ता जा रहा है | द पायनीयर अख़बार में 15 दिसम्बर 2017 को स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे दिए आंकड़े चौकाने वाले हैं |
1 .71 .1 % ( 6 -59 ) महीनों के बीच के बच्चे खून की कमी के शिकार हैं|
2 . (15 -49 ) साल के बीच की महिलाएं और लड़कियां खून की कमी की शिकार हैं |
3 . (15 -19 ) साल की किशोर लड़कियों में 62 . 7 % में खून की कमी है
| इसी उम्र के 29 . 7 % लड़कों में खून की कमी पाई गई |
4 . ( 15 -19 ) साल की 36 . 6 % किशोरियां कुपोषण की शिकार हैं | इसी उम्र के 30.6 % लड़कों में कुपोषण है |
इसी प्रकार हरियाणा स्वास्थ्य रक्षा सुविधाओं में 1966 से 2005 तक तो कुछ विस्तार हुआ मगर उसके बाद विकास बहुत धीमा है | सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा चरमराता सा नजर आ रहा है | जबकि कारपोरेट सैक्टर में स्वास्थ्य सेवाओं का निजीकरण तेजी से हो रहा है | सरकार की नीतियों और आर्थिक मदद के चलते ही प्राइवेट सैक्टर फला फूला है| इसके प्रोहत्साहन के बीमा योजना और एम्पेनलमेंट खास तरीके नजर आते हैं | साथ ही पीपीपी मोड भी उभरता जा रहा है | प्राइवेट मैडीकल कालेजों की बढ़त हो रही है | सरकारी में एम बी बी एस की 600 सीटें हैं और प्राइवेट में 800 सीटें हैं | 60 --70 लाख खर्च हो जाता है | फिर पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए 2 करोड़ से ज्यादा खर्च हो जाते हैं |
हरियाणा की जनसंख्या (2011 ) 2. 54 करोड़ के लगभग है | ग्रामीण जनसंख्या 16,509 ,359 है | 500 हजार पर एक उप स्वास्थ्य केंद्र , 30. 000 पर एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और एक लाख पर एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीण क्षेत्र का प्रारूप माना गया है |
जो अब स्वास्थ्य सुविधाओं का ढांचा है :
1 . उप स्वास्थ्य केंद्र ------------ 2630
2. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र--------486
3. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र -----119
( 2015 --2016 के आंकड़ों पर आधारित )
जो स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा होना चाहिए ::::
1.उप स्वास्थ्य केंद्र ------------ 3301
2. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र-------- 550
3. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ----- 165
यदि 2018 की अनुमानित जनसंख्या पर सोचा जाये तो और भी ज्यादा ढांचा चाहिए | सरकारी ढांचे में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर 1 सर्जन , 1 शिशु रोग विशेषज्ञ , 1 स्त्री रोग विशेषज्ञ और 1 फिजिसियन होना चाहिए | ये चारों स्पेस्लिस्ट शायद ही किसी सामुदायिक केंद्र में हों |बाकि डाक्टरों , नर्सों , रेडिओग्राफरों , ए एन एम और बाकि के पैरामैडीकल स्टाफ की भी काफी कमी है | दवाओं की कमी , लैब टेस्टों की कमी , एक्विमेंट्स की कमी आम बात हो गयी लगती है |
इस प्रकार यदि प्राथमिक और सैकण्डरी स्तर की स्वास्थ्य सेवाओं के ढांचे का यह हाल है तो टर्सरी स्तर के पी जीआई एम एस रोहतक और
दूसरे मैडीकल की हालत समझी जा सकती है |
हमें जनहित में जन स्वास्थ्य अभियान के तहत निम्न लिखित मुद्दों पर एक अभियान चलाने की आवश्यकता है :::
1 मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना सुचारू रूप से लागू की जाये |
2 जननी सुरक्षा योजना को भी ठीक ढंग से लागू करवाने के लिए जन समुदाय को संगठित किया जाये |
3 प्रधानमंत्री जन औषधि योजना में 699 दवाओं की लिस्ट दी गयी है | सभी दवाएं जान औषधी केंद्र पर उपलब्ध नहीं हो रही | उपलब्ध करवाया जाये |
और इस सुविधा का ब्लॉक स्तर तक विस्तार किया जाये |
4 साफ़ पाणी , पौष्टिक आहार , और पर्यावण प्रदूषण बारे ठोस कदम उठाये जाएँ |
5 जन संख्या के हिसाब से जन स्वास्थ्य रक्षा सेवाओं के पब्लिक ढांचे को मजबूत किया जाये |
6 दवाओं का मरीज को मिलना सुनिश्चित किया जाये | तथा दवाओं और इलाज में दूसरे काम आने वाले सामान का रेशनेलाइजेशन किया जाये
7 Equipment Procurement का रेशनेलाइजेशन किया जाये |
8 स्वास्थ्य सेवाओं के इंफ्रास्ट्रक्चर का समुचित आवशयकतानुसार प्रबंधन
किया जाये |
9 कारपोरेट सैक्टर की अस्पतालों , दवाओं और स्वास्थ्य बीमा के माध्यम से की जा रही लूट पर अंकुश लगाया जाये|
10 रिटायर्ड कर्मचारियों के स्वास्थ्य के लिए अलग से इंतजाम हरेक अस्पताल में किये जाएँ |
11 सरकारी क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं में कार्यरत डाक्टरों , और पैरामैडीकल स्टाफ की सर्विस कण्डीशनज मसलन ट्रांसफर और प्रोमोसन पालिसी , स्केल आदि पर सकारात्मक रूख अपनाते हुए प्रोत्साहन दिया जाये |
12 सरकारी ढांचे में लैबोरेटरी टेस्ट सुविधाओं में काफी सुधार की आवश्यकता है |
13 स्वास्थ्य कर्मियों की निरंतर ट्रेनिंग का प्रावधान किया जाये |
14 सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं ही वंचित तबकों और आम जनता का सही इलाज का माध्यम हैं | इनके प्रबंधन में जनता के इन तबकों की हिस्सेदारी सुनिश्चित की जाये |
15 अपने अपने मोहल्ले , गली, शहर गांव के स्तर पर जन स्वास्थ्य सेवाओं की जनता के सहयोग से उपलब्धता करवाने के लिए संघर्ष की जरूरत होंगी|
16 स्वास्थ्य का मुद्दा सामाजिक और आर्थिक तो है ही साथ ही यह राजनैतिक मुद्दा भी है | इसलिए जन स्वास्थ्य सेवाओं को कारपोरेट सैक्टर के हाथों में दिए जाने का विरोध भी जन स्वास्थ्य अभियान का हिस्सा है |
17 पी जी आई एम एस रोहतक में Pesticide residue estimation in human beings की सुविधा हो जो बहुत पहले हो जानी चाहिए थी |
जन स्वास्थय अभियान हरियाणा जनता से, जनता के वंचित तबकों से और इसके जन संगठनों से अपील करता है कि मजबूत संगठन बना कर
"स्वास्थय हमारा हक़ है "के मुद्दे पर संघर्ष में हिस्सेदारी करें |
डॉ रणबीर सिंह दहिया
सदस्य
कोर ग्रुप , जन स्वास्थ्य अभियान
हरियाणा
स्वास्थ्य एक अहम मुद्दा रहा है और अब और भी अहम स्थान लेता जा रहा है | समाज और व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए जरूरी कारकों मसलन साफ वातावरण , पौष्टिक भोजन , साफ़ पानी , हवादार आवास और रोजगार की तरफ ध्यान बहुत ही कम दिया जा रहा है | इसके चलते जहाँ गैर संक्रामक मसलन हृदय रोग , डायबटीज, जैसी बीमारियों की बढ़त हुई है वहीँ संक्रामक बीमारियों की वापसी भी तेज हुई है | हरयाणा आर्थिक क्षेत्र में विकसित होते हुए हुए और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कुछ मानकों में सुधार के बावजूद कुल मिलाकर सरकारी सुविधाओं के क्षेत्र में काफी पिछड़ता जा रहा है | द पायनीयर अख़बार में 15 दिसम्बर 2017 को स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे दिए आंकड़े चौकाने वाले हैं |
1 .71 .1 % ( 6 -59 ) महीनों के बीच के बच्चे खून की कमी के शिकार हैं|
2 . (15 -49 ) साल के बीच की महिलाएं और लड़कियां खून की कमी की शिकार हैं |
3 . (15 -19 ) साल की किशोर लड़कियों में 62 . 7 % में खून की कमी है
| इसी उम्र के 29 . 7 % लड़कों में खून की कमी पाई गई |
4 . ( 15 -19 ) साल की 36 . 6 % किशोरियां कुपोषण की शिकार हैं | इसी उम्र के 30.6 % लड़कों में कुपोषण है |
इसी प्रकार हरियाणा स्वास्थ्य रक्षा सुविधाओं में 1966 से 2005 तक तो कुछ विस्तार हुआ मगर उसके बाद विकास बहुत धीमा है | सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा चरमराता सा नजर आ रहा है | जबकि कारपोरेट सैक्टर में स्वास्थ्य सेवाओं का निजीकरण तेजी से हो रहा है | सरकार की नीतियों और आर्थिक मदद के चलते ही प्राइवेट सैक्टर फला फूला है| इसके प्रोहत्साहन के बीमा योजना और एम्पेनलमेंट खास तरीके नजर आते हैं | साथ ही पीपीपी मोड भी उभरता जा रहा है | प्राइवेट मैडीकल कालेजों की बढ़त हो रही है | सरकारी में एम बी बी एस की 600 सीटें हैं और प्राइवेट में 800 सीटें हैं | 60 --70 लाख खर्च हो जाता है | फिर पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए 2 करोड़ से ज्यादा खर्च हो जाते हैं |
हरियाणा की जनसंख्या (2011 ) 2. 54 करोड़ के लगभग है | ग्रामीण जनसंख्या 16,509 ,359 है | 500 हजार पर एक उप स्वास्थ्य केंद्र , 30. 000 पर एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और एक लाख पर एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीण क्षेत्र का प्रारूप माना गया है |
जो अब स्वास्थ्य सुविधाओं का ढांचा है :
1 . उप स्वास्थ्य केंद्र ------------ 2630
2. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र--------486
3. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र -----119
( 2015 --2016 के आंकड़ों पर आधारित )
जो स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा होना चाहिए ::::
1.उप स्वास्थ्य केंद्र ------------ 3301
2. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र-------- 550
3. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ----- 165
यदि 2018 की अनुमानित जनसंख्या पर सोचा जाये तो और भी ज्यादा ढांचा चाहिए | सरकारी ढांचे में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर 1 सर्जन , 1 शिशु रोग विशेषज्ञ , 1 स्त्री रोग विशेषज्ञ और 1 फिजिसियन होना चाहिए | ये चारों स्पेस्लिस्ट शायद ही किसी सामुदायिक केंद्र में हों |बाकि डाक्टरों , नर्सों , रेडिओग्राफरों , ए एन एम और बाकि के पैरामैडीकल स्टाफ की भी काफी कमी है | दवाओं की कमी , लैब टेस्टों की कमी , एक्विमेंट्स की कमी आम बात हो गयी लगती है |
इस प्रकार यदि प्राथमिक और सैकण्डरी स्तर की स्वास्थ्य सेवाओं के ढांचे का यह हाल है तो टर्सरी स्तर के पी जीआई एम एस रोहतक और
दूसरे मैडीकल की हालत समझी जा सकती है |
हमें जनहित में जन स्वास्थ्य अभियान के तहत निम्न लिखित मुद्दों पर एक अभियान चलाने की आवश्यकता है :::
1 मुख्यमंत्री मुफ्त इलाज योजना सुचारू रूप से लागू की जाये |
2 जननी सुरक्षा योजना को भी ठीक ढंग से लागू करवाने के लिए जन समुदाय को संगठित किया जाये |
3 प्रधानमंत्री जन औषधि योजना में 699 दवाओं की लिस्ट दी गयी है | सभी दवाएं जान औषधी केंद्र पर उपलब्ध नहीं हो रही | उपलब्ध करवाया जाये |
और इस सुविधा का ब्लॉक स्तर तक विस्तार किया जाये |
4 साफ़ पाणी , पौष्टिक आहार , और पर्यावण प्रदूषण बारे ठोस कदम उठाये जाएँ |
5 जन संख्या के हिसाब से जन स्वास्थ्य रक्षा सेवाओं के पब्लिक ढांचे को मजबूत किया जाये |
6 दवाओं का मरीज को मिलना सुनिश्चित किया जाये | तथा दवाओं और इलाज में दूसरे काम आने वाले सामान का रेशनेलाइजेशन किया जाये
7 Equipment Procurement का रेशनेलाइजेशन किया जाये |
8 स्वास्थ्य सेवाओं के इंफ्रास्ट्रक्चर का समुचित आवशयकतानुसार प्रबंधन
किया जाये |
9 कारपोरेट सैक्टर की अस्पतालों , दवाओं और स्वास्थ्य बीमा के माध्यम से की जा रही लूट पर अंकुश लगाया जाये|
10 रिटायर्ड कर्मचारियों के स्वास्थ्य के लिए अलग से इंतजाम हरेक अस्पताल में किये जाएँ |
11 सरकारी क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं में कार्यरत डाक्टरों , और पैरामैडीकल स्टाफ की सर्विस कण्डीशनज मसलन ट्रांसफर और प्रोमोसन पालिसी , स्केल आदि पर सकारात्मक रूख अपनाते हुए प्रोत्साहन दिया जाये |
12 सरकारी ढांचे में लैबोरेटरी टेस्ट सुविधाओं में काफी सुधार की आवश्यकता है |
13 स्वास्थ्य कर्मियों की निरंतर ट्रेनिंग का प्रावधान किया जाये |
14 सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं ही वंचित तबकों और आम जनता का सही इलाज का माध्यम हैं | इनके प्रबंधन में जनता के इन तबकों की हिस्सेदारी सुनिश्चित की जाये |
15 अपने अपने मोहल्ले , गली, शहर गांव के स्तर पर जन स्वास्थ्य सेवाओं की जनता के सहयोग से उपलब्धता करवाने के लिए संघर्ष की जरूरत होंगी|
16 स्वास्थ्य का मुद्दा सामाजिक और आर्थिक तो है ही साथ ही यह राजनैतिक मुद्दा भी है | इसलिए जन स्वास्थ्य सेवाओं को कारपोरेट सैक्टर के हाथों में दिए जाने का विरोध भी जन स्वास्थ्य अभियान का हिस्सा है |
17 पी जी आई एम एस रोहतक में Pesticide residue estimation in human beings की सुविधा हो जो बहुत पहले हो जानी चाहिए थी |
जन स्वास्थय अभियान हरियाणा जनता से, जनता के वंचित तबकों से और इसके जन संगठनों से अपील करता है कि मजबूत संगठन बना कर
"स्वास्थय हमारा हक़ है "के मुद्दे पर संघर्ष में हिस्सेदारी करें |
डॉ रणबीर सिंह दहिया
सदस्य
कोर ग्रुप , जन स्वास्थ्य अभियान
हरियाणा
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