Tuesday 28 April 2020

JSA AIPSN

               Covid-19 महामारी के दौरान निजी स्वास्थ्य क्षेत्र की भूमिका पर बयान:

सरकार के लिए एक आम कमान संरचना के तहत निजी और सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्रों को  लाने की आवश्यकता है |
                         जन स्वास्थ्य अभियान और ऑल इंडिया पीपुल्स साइंस नेटवर्क
                                               28 अप्रैल 2020


भारत में यह सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र है जिसने परीक्षण और चिकित्सा देखभाल प्रदान करने का अधिकांश भार वहन किया है|  20,000 से अधिक कॉविड-19 पॉजिटिव मरीजों का पता लगाना और इलाज की महत्वपूर्ण उपस्थिति को ध्यान में रखते हुए भारत में निजी स्वास्थ्य क्षेत्र, से  उम्मीदें थीं कि निजी अस्पताल और सुविधाएं आगे बढ़ेंगी और कॉविड-19 महामारी के प्रबंधन की दिशा में प्रमुख योगदान करेंगे |

निजी क्षेत्र में काफी वृद्धि हुई है पिछले दो दशकों में, सरकारी सब्सिडी और नीतियों के कारण, जिन्होंने निजीकरण को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया और स्वास्थ्य देखभाल का व्यावसायीकरण किया ।  आयुष्मान की प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेवाई) भारत के तहत भी , दावों की राशि का लगभग दो तिहाई निजी क्षेत्र में चला गया है ।

सरकार भी सार्वजनिक-निजी के तहत जिला अस्पतालों को कॉर्पोरेट स्वामित्व के लिए सौंपने के लिए सक्रिय रूप से साझेदारी सौदों के तहत इन को बढ़ावा दे रही है |  इसलिए यह उम्मीद की जा रही थी कि निजी क्षेत्र महत्वपूर्ण देखभाल में विशेष रूप से उपयोगी होगा, जैसा कि उनके पास आईसीयू बेड और वेंटिलेटर जैसी अधिक क्रिटिकल-केयर सुविधाएं और अधिक विशेषज्ञ हो सकते हैं। यह भी  उम्मीद थी कि वे सार्वजनिक क्षेत्र जिसका  Covid-19 देखभाल पर ध्यान केंद्रित है, इस कारण गैर-Covid-19 संबंधित स्वास्थ्य सेवाओं में पैदा किए गए अंतर को निजी क्षेत्र के अस्पताल भर देंगे, विशेष रूप से PMJAY के तहत सार्वजनिक वित्तपोषण का उपयोग करते हुए  ।

हालांकि, क्या हम वास्तव में मिल रहा है कि संकट के इस समय में जब स्वास्थ्य सेवाओं की सबसे अधिक जरूरत है, हम देख रहे हैं कि लाभ की मानसिकता वाले निजी क्षेत्र का बड़ा हिस्सा लापता हो गया है  और जो थोड़ा बहुत सक्रिय हैं  भी वह मुनाफाखोरी कर रहे हैं। इनमें से कुछ  निजी स्वास्थय सुविधाओं के बंद होने का कारण लॉक डाउन के चलते मरीजों की संख्या कम होना भी हो सकता है | और  कुछ के स्वास्थय कर्मियों में कोरोना का संक्रमण भी हो सकता है |  लेकिन कई जगहों पर डॉक्टरों और प्रबंधन ने सुरक्षित खेलना पसंद किया और अस्थायी रूप से  आवश्यक स्वास्थ्य देखभाल भी निलंबित कर दी।

निजी प्रयोगशालाओं ने सार्वजनिक लोगों की तुलना में बहुत कम परीक्षण (टैस्ट)  किये हैं  । प्रयोगशालाओं के उनके बहुत-vaunted नेटवर्क के बावजूद, वे केवल कुछ मेट्रो शहरों में परीक्षण कर रहे हैं, उनकी कई  राज्य शाखाओं परीक्षण से इनकार कर दिया (जैसा की छत्तीसगढ़ में हुआ )|

केंद्र सरकार द्वारा प्रति टेस्ट 4500 रुपये की बहुत ऊंची दर तय करने के एक महीने बाद भी कई
मान्यता प्राप्त निजी लैब सक्रिय नहीं हो पाए हैं।उनके कामकाज में अनियमितताएं भी सामने आई हैं।
कुछ अस्पतालों ने बीमारी की परवाह किए बिना सभी भर्ती रोगियों के लिए Covid-19 परीक्षण अनिवार्य कर दिया है, और कुछ ने अतिरिक्त शुल्क जोड़कर कीमत को बढ़ा दिया है।

ज्यादातर लोगों  को इस  परीक्षण के लिए यह राशि देना संभव नहीं होगा  और  न ही यह एक सीमित संसाधन का तर्कसंगत उपयोग है ।

परीक्षण के लिए एक पैकेज  PMJAY, के तहत उपलब्ध है  लेकिन बहुत कम निजी अस्पतालों यह सेवा प्रदान कर रहे है और प्रयोगशालायें  PMJAY के तहत पैनल नहीं हैं, तो यह शायद उनपर  शुरू ही नहीं होगा  ।
अन्य कार्य जो निजी स्वास्थ्य सुविधाओं को शुरू किया जाना चाहिए था वह है निगरानी का |
अन्य कार्य निजी स्वास्थ्य सुविधाओं को शुरू किया जाना चाहिए था निगरानी और रिपोर्टिंग उन केसों की जिनमें
तीव्र श्वसन संक्रमण (साड़ी) या इन्फ्लूएंजा जैसे बीमारी (ILI) मामले हैं ऐसे  समूहों के बारे में प्रणाली को सचेत करने के लिए जहां ऐसे मामलों में बढ़ोतरी हो सकती है। लेकिन यह केवल तभी संभव होगा जब वे नियमित सेवाएं प्रदान कर रहे थे |

अधिकांश लाभ के लिए निजी अस्पतालों कम कर दिया है या पूरी तरह से नीचे अपने बाहर रोगी और पेशेंट बंद
सेवाएं, और इसलिए निगरानी में योगदान करने में असमर्थ ।

वास्तव में, अस्पतालों को बंद करना एक आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम (एस्मा) का उल्लंघन और उनकी पेशेवर जिम्मेदारी का त्याग है ।
हालांकि कुछ राज्यों ने निजी क्षेत्र को अपनी ओपीडी सेवाएं फिर से शुरू करने के आदेश जारी किए हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है| जरूरी आम स्वास्थ्य सेवाएं पुब्लिक सैक्टर की स्वास्थ्य सेवन में भी रोक दी गई हैं और कई टरशरी स्तर के अस्पतालों जो गरीब मरीजों के इलाज के दाखिले के लिए उपलब्ध रहे हैं ,उनको ही कोविड -19 को   समर्पित अस्पतालों में बदला जा रहा है |  आम बीमारियों के मरीजों की निजी क्षेत्र की सेवाएं लेने की मजबूरी है जो या तो उपलब्ध नहीं हैं या जो उपलब्ध हैं वो उनकी पहुंच से परे हैं |
       उन निजी सेवाओं में जो कार्यरत हैं उनमें ऐसी वारदात सामने आ रही हैं जिनमें कोविड -19 पॉजिटिव मरीजों का इलाज करने से मना कर दिया गया |  ऐसी रिपोर्ट भी हैं कि इन मरीजों को अस्पताल से भेज दिया गया | राष्ट्रीय आंकड़े दिखा रहे हैं कि बहुत ही कम निजी अस्पताल कोविड -19 बीमारी से पीड़ित मरीजों का इलाज कर रहे हैं |  यदि इलाज किया भी जा रहा है तो मरीजों से बड़ी कीमत वसूली जा रही है | यहाँ तक कि 12 लाख रूपये तक वसूल रहे हैं |  जबकि केरल जैसे राज्य ने इन निजी अस्पतालों से मुफ्त इलाज करने के बारे नेगोशिएट किया है | पश्चिम बंगाल ने भी कहा है कि इन अस्पतालों को फिक्स्ड रेट ही दिए जायेंगे | पंजाब ने सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्थ सर्विसेज के रेट अपने निजी अस्पतालों के लिए तय किये हैं , दिल्ली की सरकार ने चार्जिज के बारे  निजी अस्पतालों को फ्री हैण्ड दिया है|
        आज के वर्तमान नियमानुसार PMJAY के तहत निमोनिया , Respiratory failure आदि बीमारियों के लिए उपलब्ध पैकेज कोविड -19 बीमारी के मरीजों के लिए भी इस्तेमाल किये जा सकते हैं | दूसरी तरफ राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के मुताबिक PMJAY के तहत SARI  और ILI के मरीजों के क्लेम की संख्या अप्रैल में काफी कम हुई है |  इससे साफ जाहिर है कि निजी क्षेत्र ने SARI और ILI  के  मरीजों  को देखना बंद कर दिया है | PMJAY के तहत कोविड -19 के  क्लेम पैकेज मांगने के बारे में निजी क्षेत्र की गहरी चुप्पी यह दर्शाती है कि निजी क्षेत्र   इन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएँ देने को तैयार नहीं है | PMJAY (जो कि मरीजों के मुफ्त इलाज के लिए एक प्रमुख नीति और मुख्य वाहन मानी गई है अभी तक ) कोविड -19 के संकट के वक्त फेल हुई है और असंगत साबित हुई है |
             जबकि मुनाफाखोर कारपोरेट अस्पताल मुनाफाखोरी जारी रखे हैं , इस संकट का असर मुख्य रूप से इनके स्वास्थ्य कर्मियों तथा मरीजों पर ही पड़ेगा | अस्पताल स्टाफ का ले ऑफ करेंगे, उनकी तन्खा कम करेंगे ,काम करने के घंटे बढ़ा देंगे और इलाज की कीमत कम करने के तरीके इलाज की गुणवत्ता से समझौता  करके अपनाएंगे | साथ ही साथ निजी क्षेत्र के कारपोरेट अस्पतालों ने टैक्स माफी और कुछ राहत इस ग्राउंड पर मांगी हैं कि वे घाटे में जा रहे हैं |
        केंद्रीय रूप से समान्वित प्रयास की जरूरत को समझते हुए और यह जानते हुए कि अभी तक सार्वजनिक   स्वास्थ्य क्षेत्र  ही यह काम मुख्य रूप से कर रहा है , और इस काम के विस्तार की जरूरत को रेखांकित करते हुए , जैसा कि स्पेन और आयरलैण्ड में निजी क्षेत्र के अस्पतालों का को कोविड -19 महामारी के समय तक गवर्नमेंट के कंट्रोल में लाया गया है | दूसरी तरफ भारत में हालाँकि कुछ राज्यों ने इस दिशा में प्रयास किये हैं मगर मुख्य जोर वर्तमान सरकारी अस्पतालों से आम मरीजों को हटाकर इन बिस्तरों को कोविड -19 के मरीजों के लिए तैयार किया जा रहा है
इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए हम भारतके लिए निम्नलिखित मांगों की मांग करते हैं ---


1 --सरकार को स्थिति को  तत्काल नियंत्रण में लेने  और अपनी शक्तियों का आह्वान करने की जरूरत है  जिसके तहत निजी अस्पतालों, सुविधाओं और सेवाओं का चयन करके , अपने  नियम और शर्तों पर सार्वजनिक स्वास्थ्य कमान में इन्हें लिया जाये |

2 Covid-19 से संबंधित सभी परीक्षण और उपचार रोगी के लिए मुफ्त होना चाहिए और जिला स्तर पर करीब से  करीब स्थान पर उपलब्ध हों राज्य अपनी सेवाओं के लिए निर्धारित दरों के अनुसार निजी सुविधाओं की प्रतिपूर्ति कर सकते हैं, जबकि इस बात का ध्यान रखते हुए कि इसमें अत्यधिक सार्वजनिक बजटों  को निजी क्षेत्र में स्थानांतरित करना शामिल नहीं होना चाहिए ।
3 हल्के और उदारवादी मामलों के प्रबंधन के लिए, निजी नर्सिंग होम, हॉस्टल और होटल कोण शामिल किया जाये  आइसोलेशन अस्पताल के रूप में सेवा करने के लिए |
4 महत्वपूर्ण गंभीर मरीजों  के प्रबंधन के लिए,  बहुत चुनिंदा निजी क्षेत्र के अस्पतालों के भाग या सभी जो ऐसी क्षमता रखते हैं  को  समर्पित Covid-19 अस्पतालों में परिवर्तित किया जाए और सार्वजनिक प्राधिकरण के तहत लाया जाए।ऐसी व्यवस्थाएं निजी प्रबंधनों के साथ बातचीत करके  करनी  होंगी,जो  प्रबंधन और स्टाफ कार्यों  को चालू रख सकते हैं  और उनकी उपयुक्त दरों पर प्रतिपूर्ति की जाए।

5  सरकारी सैकण्डरी और टर्सरी स्तर के अस्पतालों से बड़ी संख्या में इलाज ले रहे मरीजों को निकालकरआज के दिन कोविड -19 अस्पताल के रूप में बदलना सही नहीं है | यह तुरंत बंद किया जाना चाहिए  | जहाँ सिर्फ सरकारी अस्पताल ही उपलब्ध है कोविड -19 के  लिए , वहां अस्पताल का एक हिस्सा ही इसके लिए इस्तेमाल किया जाये ताकि बाकी आवशयक इलाज सुविधाएँ जारी रहें | या फिर नए अस्पताल बनाये जा सकते हैं मौजूदा ढांचों में या नए ढांचे बनाकर जैसा की कई दूसरे   किया गया है |
6 . रिपोर्टिंग ,लागत , उपचार, और प्रशासनिक प्रोटोकॉल पर स्पष्ट दिशा निर्देश निर्धारित किये जाने चाहिए और उनके सार्वजनिक और निजी अस्पतालों में उनका कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जाये |
7 . वो निजी अस्पताल जो कोनिड 19 के मरीजों के इलाज में शामिल नहीं हैं वे खुले रहें और बिना रेट बढ़ाये और संक्रमण न होने देने की सभी सावधानियों के साथ सभी  स्वास्थ्य सेवाएं जारी रखें |  इसके साथ ही बीमारी की अधिसूचना और नियमित सेवा वितरण रिपोर्टिंग के काम को मजबूत करें जैसा कि नैदानिक स्थापना अधिनियम और रोग निगरानी प्रणालियों के तहत जरूरी है |
8 . सर्कार को इसकी  सुनिश्चित निगरानी करनी  चाहिए कि निजी क्षेत्र सरकारी दिशा निर्देशों --व्यक्तिगत सुरक्षा, संक्रमण जोखिम प्रबंधन , स्वास्थ्य कार्यकर्ता  सुरक्षा के संदर्भ में व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों के उपयोग और गैर कोविड 19  रोगियों में संक्रमण रोकने बारे -- का अनुशरण करें | सरकार इन निजी अस्पतालों को आवश्यक PPE और टेस्ट किट उपलब्ध करवाएं |
9 . सभी रोगियों की गोपनीयता निजी अस्पतालों में बरक़रार रखी जाये खासकर यदि वे कोविड -19 के मरीज हैं |  कोई व्यक्तिगत जानकारी मरीजों की पब्लिक या पौब्लिक प्राधिकारी के साथ साझा न की जाये सिवाय उसके जो कानून द्वारा अपेक्षित है |
10 . निजी क्षेत्र के रोगियों और श्रमिकों दोनों की शिकायतों के समाधान के लिए एक हेल्प लाइन शुरू की जानी चाहिए |
11 . जैसाकि पब्लिक सैक्टर इस  बीमारी के मरीजों  का बड़ा भार उठा रहा है , इसलिए सभी सामान और छोटे बड़े एक्विपमेंट जो निदान के लिए जरूरी हैं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करवाए जाएँ |
     भारत सरकार को निजी क्षेत्र की और PMJAY  की विफलता से सीखना चाहिए और निजी स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देना बंद करना चाहिए | निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने की बजाय सार्वजनिक क्षेत्र को मजबूत करने और बढ़ाने की आवश्यकता है | स्वास्थ्य पर बजट बढ़ाना चाहिए |  यह संकट भारत की बेहतर स्वास्थ्य नीति बनाने में एक महत्वपूर्ण मोड़ होना चाहिए |

















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