कोविड-19 कोरोना वायरस द्वारा फैलने वाला संक्रमित रोग है। चीन के वुहान शहर में पहला केस
दिसम्बर 2019 में पाया गया और उस के तीन महीने के छोटे से समय में इस वायरस ने पूरी दुनिया को अपने
शिकंजे में जकड़ लिया है। विश्व स्वास्थ्य संघ ने इसको विश्व स्वास्थ्य आपदा घोषित करते हुए इसके लिए पूरे
विश्व को एक जुट हो इसकी रोकथाम व उपचार का मार्ग खोजने को कहा है। इस की भयावक्ता का अंदाजा इस
बात से लगाया जा सकता है कि 28 अप्रैल तक विश्व भर में ---- लाख से अधिक लोगो को कोरोना वायरस का
सक्रमण हो चुका है व ------ से अधिक लोग मौत का ग्रास बन चुके हैं। चीन, अमेरिका व यूरोप जैसे
शक्ति सम्पन्न राष्ट्र इस छोटे से वायरस के आगे घुटने टेकते नजर आ रहे हैं। भारत वर्ष में भी कोरोना वायरस का
आतकं जारी है। 29 हजार से अधिक संक्रमित लोगों के साथ-साथ यह 900 से अधिक लोगों के प्राण ले चुका है
इस तरह की अबूझ बीमारी के बारे में आमजन में कई सवाल व भ्रांति होना स्वाभाविक है। यह इस बीमारी से जुडे कुछ आम सवालों को सरल भाषा में हल करने का प्रयास है |
प्रश्नः-1 कोविड बीमारी क्या है व इसके लक्ष्ण क्या है?
उत्तरः- कोविड-19 बीमारी SARS -Cov -2 वायरस के संक्रमण से होती है | यह माना गया है कि मनुष्यों में कोरोना का यह रूप चमगादड़ों से आया है। हालांकि इस पर शोध हो रहा है कि इसका वर्तमान स्वरूप इतना भयावह रूप कैसे ले रहा है।संक्रमित होने का समय आमतौर पर 14 दिन है मगर भारत में पाया गया है कि लक्षण 14 दिन के बाद भी आ सकते हैं |
संक्रमित होने के पांच दिन के भीतर ही लक्षण दिखाई देने लगते हैं। कोरोना वायरस के अधिकांश संक्रमित लोग
बुखार, लगातार खांसी , साँस लेने में कष्ट तथा गला खराब होने की शिकायत से प्रस्तुत होते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ लोग सिरदर्द, शारीरिक पीडा, मुंह से खून आना, सांस फूलना या दस्त की भी शिकायत कर सकते हैं। हालांकि कई संक्रमित मरीजों को कोई भी लक्षण नहीं होता।
प्रश्नः-2 क्या यह अन्य वायरल या फ्लू बुखार से भिन्न है ?
उत्तरः- मौसमी जुकाम (कॉमन कोल्ड ), , स्वाइन फ्लू व विभिन्न प्रकार के एलर्जी वाले मरीज एक समान लक्षणो ं से आ सकते हैं । अतः चिकित्सक की मदद लके र इन का निदान अति आवश्यक है | कामन कोल्ड व एलर्जी में जहाँ मरीज सिर्फ गला खराब एवं नाक बंद होने की शिकायत ही करते हैं व बुखार उनमें नाम मात्र मरीजों में ही होता है। दूसरी तरफ फ्लू, स्वाइन फ्लू व कोविड के मरीज अधिकांश रूप से बुखार के साथ हस्पताल में आते हैं इन सभी में बाकी सभी लक्षण भी हो सकते हैं। फ्लू या इन्फ्लूजा बुखार मियादी तौर पर हर वर्ष मौसम के साथ आता है। संक्रमण के 3 दिन बाद लक्षण आ जाते हैं जबकि कोविड -19 में 5 -6 दिन बाद शुरू होते हैं | कोविड -1 9 में रिप्रोडक्टिव नम्बर भी 2 से 2 . 5 के बीच है जो इन्फ्लुएंजा से ज्यादा है | अन्य वायरल या फ्लू बुखार के मरीजों को कोरोना मरीजों से सिर्फ लक्षण के आधार पर अलग करना सम्भव नहीं है। स्वाइन फ्लू भी जानवरों से मानव में आया वायरल बुखार है तथा सांस तत्रं को प्रभावित करता है तथा कोरोना वायरस की तरह जानलेवा हो सकता है। कोरोना व स्वाइन फ्लू के फैलने की दर एवं मृत्यु दर अन्य सभी से बहुत ज्यादा है अतः चिकित्सा परामर्श अति आवश्यक है।गंभीर मरीजों का अनुपात कोविड -1 9 में ज्यादा होता है और मृत्यु दर भी कोविड -1 9 में सीजनल इन्फ्लुएंजा से ज्यादा है | इन्फ्लुएंजा में बच्चे ज्यादा कैरियर होते हैं जबकि कोविड -19 में ऐसा नहीं पाया गया है |
प्रश्नः-3 क्या सभी को कोरोना की जांच करवानी चाहिए?
उत्तरः- अभी हमारे देश में गले व नाक से RT -PCR टैस्ट किए जा रहे हैं। यह टैस्ट इस बीमारी के लिए सबसे प्रभावी है परन्तु इसके परिणाम आने में एक दिन लगता है। Rapid Ab Test Kit (जो कि मरीज खून से किया जाता है ) के अब भारत में उपलब्ध होने से Report का समय आधा घंटा रह जाएगा। इसकी लागत भी कम है अतः अधिक से अधिक लोगों का दायरा बढा़या जाएगा। अभी तक सिर्फ उन्हीं लोगों के टैस्ट किए जा रहे है जोकि विदेश यात्रा से आए हों , संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में हों , स्वास्थ्य कर्मी जिसमें कोई लक्षण दिखाई दें या ऐसे लोग जो हस्पताल में बुखार व अन्य लक्षणों के साथ दाखिल हों व चिकित्सक को मरीज को कोरोना बीमारी होने का अंदेशा हो।टेस्ट बढाकर जनता में बिना लक्षण के मरीजों का पता लगाना भी जरूरी है | ICMR के अनुसार Rapid Ab Test बेशक पॉजिटिव हो मगर RT -PCR टेस्ट confirm करने के लिए किया जाना चाहिए |
प्रश्नः-4 किन-किन लोगो में कोरोना बीमारी का खतरा अधिक है?
उत्तरः- यूं तो कोरोना वायरस किसी को भी अपनी चपेट में ले सकता है परंतु अगर किसी को पहले कोई सांस की बीमारी हो, मधुमेह, उच्च रक्त चाप अथवा कैंसर हो तो संक्रमण का खतरा व मृत्यु दर कई गुना बढ़ जाते है। 60 वर्ष से अधिक आयु में भी संक्रमण दर अधिक है। अतः इन सब का विशेष ध्यान रखना चाहिए। दूसरे देशों में बच्चों में बहुत कम पाई गई है यह बीमारी |
प्रश्नः-5 क्या कोरोना वायरस से मौत तय है?
उत्तरः- अलग अलग देशों से मृत्यु दर के आंकड़े आ रहे हैं और इनके ट्रेंड्ज बता रहे हैं कि मृत्यु दर औसतन 3 -5 % है | परन्तु उपर बताए गए लोगों में कोरोना मृत्यु दर अधिक हो सकती है अतः विशेष सावधानी की आवश्यकता है।
प्रश्नः-6 कोरोना फैलता कैसे है?
उत्तरः- कुछ घंटों से 2-3 दिन तक यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में छींक या खांसी से निकलने वाली महीन बूंदों (Fomite - फोमाईट) के या संक्रमित व्यक्ति से नजदीकी सम्पर्क के द्वारा फैलता है। ये कण किसी भी सतह पर कई समय के लिए रह सकता है। दूसरा व्यक्ति अगर उस सतह को छुए के बाद फिर हाथ अपने नाक या मुहँ पर लगाए तो वायरस से प्रभावित हो सकता है। बाहर जाने पर इन सतहों को नहीं छूना चाहिए और न ही अपने चेहरे को बार बार नहीं छूना चाहिए | घर में हाथ साबुन से बार धोएं या सेनेटाइजर से जर्रोर साफ करें | वायु संक्रमण होने का अभी कोई निश्चित प्रमाण नहीं है। कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग यानी दो लोगों के बीच कम से कम एक मीटर का फासला होना जरूरी है।
प्रश्नः-7 क्या पानी, खून या दस्त से इसका संक्रमण हो सकता है?
उत्तरः- हालांकि, कुछ मरीजों के दस्त में इस वायरस को पाया गया है परन्तु इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि यह पानी या दस्त से एक मरीज से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। इस बात का भी कोई प्रमाण नहीं है कि माँ से बच्चे में यह कोरोना बीमारी हो सकती है। परन्तु अगर माँ प्रभावित है तो खांसी या छींकने से fomite (बूंदों) के कारण बच्चा संक्रमित हो सकता है। इसी प्रकार कोरोना मच्छर के काटने या पालतु जानवर से नहीं फैलता है।
प्रश्नः-8 क्या बिना लक्ष्ण का व्यक्ति भी दूसरों को संक्रमित कर सकता है?
उत्तरः- अधिकांश 90% से अधिक मरीजों में 5 से 14 दिन के भीतर बीमारी के लक्ष्ण आ सकते हैं परन्तु काफी लोगों में ये लक्ष्ण देर से या बिल्कुल नहीं आते पर ये भी किसी दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर सकते हैं। इसलिए किसी भी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले परिजनों व व्यक्तियों को 14 दिन क्वारनटाइन निरिक्षण में रखा जाता है।बिना लक्षण के मरीजों में टेस्ट करने पर काफी केस पॉजिटिव पाए गए हैं अत : इनसे भी बीमारी फ़ैल सकती है | इसलिए टेस्टिंग की संख्या ज्यादा होनी चाहिए |
प्रश्नः-9 क्म्युनिटी स्पै्रड क्या है व इसका क्या प्रभाव हो सकता है?
उत्तरः- जब कोरोना संक्रमित मरीज का कोई स्त्रोत न मिले जैसे कोरोना संक्रमित व्यक्ति से सम्पर्क, विदेश यात्रा,खेलों में या ब्याह शादियों में इकठ्ठे होनाया भीड़ की जगह जाने में भागीदारी, तो कहा जा सकता है कि आम जनता में यह महामारी फैल चुकी है। अभी तक भारत सरकार के अनुसार भारत में इक्का दुक्का घटनाओं को छोड़कर ऐसा प्रतीत नहीं होता कि यह बीमारी क्म्युनिटी स्प्रैड की तरफ बढ गई है। हालाँकि ISMR ने कम्युनिटी स्प्रैड की संभावना जताई है |
प्रश्नः-10 क्या कोरोना बीमारी का इलाज सम्भव है?
उत्तरः- अभी कोरोना वायरस के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है तथा उपचार की विभिन्न दवाईयों पर शोध चल रहा है परन्तु अब तक कोई प्रामाणिक इलाज सम्भव नहीं हो पाया है। हालांकि यह भी बताना आवश्यक है कि 80% मरीजों को इलाज की आवश्यकता नहीं पड़ती व शरीर की प्रतिरोधक क्षमता के चलते वायरस शरीर में प्रभावी नहीं हो पाता। अतः हमें जहाँ तक हो सके बचाव में ही बचाव है के सिद्धांत पर चलना चाहिए व अच्छे खान पान से अपने शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाना चाहिए। यहां यह बताना भी आवश्यक है कि अनेक भ्रान्तियों जैसे शराब या ऐल्कोहल सेवन अथवा विभिन्न देसी दवाईयों या जडी बूटी से इस का बचाव या इलाज हो सकता है का कोई तर्क हमें ऐसी आधारहीन बातों से बचना चाहिए। बार-बार गरारे करने, चाय, लहसून या विटामिन की गोली आदि से भी कोरोना का संक्रमण नहीं रोका जा सकता। ये चीजे अच्छे जीवन शैली के साथ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा कोरोना से लडने में मदद जरूर कर सकती है। हाथ धोने व शारीरिक दूरी रख कर ही इस महामारी पर विजय प्राप्त की जा सकती है।दुनिया के स्तर पर औसतन 80 % पूर्ण रूप से ठीक हो रहे हैं , 20 % को अस्पताल में दाखिल होना पड़ा है और इनमें से 5 % का ICU में इलाज किया गया है |
प्रश्नः-11 कोरोना से बचाव कैसे किया जा सकता है?
उत्तरः- खांसते या छींकते समय मुहँ को ढ़के ताकि फोमाईट आगे न पहुंचे और दूसरों का संक्रमण न हो। मुहँ पर मास्क लगाने से फोमाईट किसी भी सतह पर कम पहुंच पाएंगे अतः यह बीमारी का फैलना कम करने में कारगर होगा। सोशल डीसटेंसीग अर्थात एक दूसरे से एक मीटर की दूरी बनाए रखने से संक्रमण का खतरा काफी कम हो जाता है। इसके लिए सरकार ने भी लगभग 40 दिन का लाक डाउन किया है हमें उस का ईमानदारी से पालन करना चाहिए।अलग अलग सतहों को छूने के बाद साबुन से हाथ धोना भी इस बीमारी के संक्रमण को रोकने का वैज्ञानिक प्रामाणिक तरीका है। शौच जाने के बाद, खाना खाने से पहले व बाद अपितु दिन में कई बार ठीक से हाथ धोने पर कोरोना का संक्रमण कम किया जा सकता है। सैनेटाइजर, जोकि 70% ऐलकाहल बेस्ड है, भी हाथ साफ करने के लिए प्रयोग में लाए जा सकते हैं।
प्रश्नः-12 क्या बाजार में मिलने वाले सर्जिकल या छ.95 मास्क बेहतर है?
उत्तरः- एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए घर में बने, सूती कपड़े़ से तैयार मास्क पर्याप्त है। इस का उद्देश्य खांसी या छींक से महीन बूंदों के साथ होने वाले वायरस का संक्रमण रोकना है। मास्क को बार-बार छूने से बचना चाहिए(क्योंकि बार बार छोटे वक्त हम नाक आँख या मुँह को भी छू सकते हैं जिससे संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है ) व उस का सही से प्रयोग करना चाहिए। मास्क को गर्म पानी से डिटर्जेंट के साथ धोने का ध्यान रखना चाहिए। स्वास्थ्य कर्मचारी व चिकित्सक के लिए आवश्यकता अनुसार N -95 या FFP 2 संलमत मास्क का प्रयोग करना चाहिए।
प्रश्नः-13 क्या कोरोना वायरस कपडों पर भी देर तक रह सकता है?
उत्तरः- अगर कोई आप के पास जोर से खांसता है तो वायरस छोटी बूंदों के रूप में कपड़े पर आ सकता है। ऐरोडायनामिस्क की वजह से उसके कपड़ो पर जमने की सम्भावना ना के बराबर है फिर भी सोशल डिस्टेस्गि बनाकर रखना ही बेहतर है। यदि हम बहार भीड़ वाले क्षेत्र में गए हैं या संभावित संक्रमित क्षेत्र जैसे अस्पताल , सब्जी मंडी आदि तो घर आकर तुरंत पहने कपड़ों को गर्म पानी और डिटेरजेंट से धोएं |
प्रश्नः-14 क्या डिब्बा बंद या बाजार का खाना मंगाया जा सकता है?
उत्तरः- डिब्बा बंद या आयतित खाने से संक्रमण की संभावना काफी कम है क्योंकि यह विभिन्न तापमान को सहता हुआ आप तक पहुंचता है। परन्तु बाजार का खाने या डिब्बा बंद सामान को देने आने वाले संक्रमित के संपर्क में आने पर आप भी इसके शिकार हो सकते है तथा बाहर पैकट की सतह पर भी वायरस की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। अतः बाहरी एवं पैकट वाले खाने की बजाए घर के बने स्वास्थ्य वर्धक खाने को प्राथमिकता दें। ये आपकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी मददगार होगा। हम पैकेट की बाहरी सतह को सेनिटाईजर से रब करें और इसे सूखने दें | अपने हाथ भी कम से कम 20 सेकेण्ड के लिए धोएं और खाने को खाने से पहले गर्म करें |
प्रश्नः-15 क्या गर्मी अधिक होने पर कोरोना का प्रकोप खत्म हो जाएगा?
उत्तरः- कोरोना से गर्म देश भी प्रभावित है। अभी इस बात का कोई ठोस प्रमाण नहीं है कि गर्म मौसम में इसका प्रकोप समाप्त हो जाएगा ।
प्रश्नः-16 क्या एयर कंडिशनर का प्रयोग नहीं करना चाहिए?
उत्तरः- अगर एयर कंडीशनर खिडकी में लगा है तो दिन में एक दो बार दरवाजे खिडकी आदि खोलकर इसका प्रयोग किया जा सकता है ताकि बाहर की वायु की आवा-जाही बनी रहे परन्तु केंद्रीय एयर कंडीशन की पाइप से इस वायरस के सारे भवन या क्षेत्र में फैलने की संभावना हो सकती है, अतः यह वर्जित है।
प्रश्नः-17 क्या लाक डाउन में रियायते देने पर ये बीमारी बढ़ नहीं जाएगी?
उत्तरः- यह बीमारी कब खत्म होगी यह चिकित्सा के शोध, कई दवाईयों के प्रयोग एवं वैक्सीन की उपलब्धता के साथ-साथ हमारे व्यवहार पर भी निर्भर करेगी। यह भी तर्क संगत है कि हमारा आधारभूत स्वास्थ्य ढांचा पश्चिम की तरह मजबूत नहीं है। चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों की कमी अपने आप में एक बड़ी समस्या है। इसके अतिरिक्त अभी हमारे देश में होने वाले टैस्ट की संख्या भी काफी कम है। परन्तु इन सब मुश्किलों के बावजूद भारत इस महामारी का सामना बेहतर ढ़ंग से करने की कोशिश में है। लाक डाउन होने से कोरोना वायरस को कंट्रोल करने में एक हद तक सफलता मिली है। परन्तु भारत जैसे विकासशील देश में लाक डाउन की वजह से काफी आर्थिक परेशानियां गरीब वर्ग को झेलनी पड़ रही है। और भी बहुत कुछ किया जाना था | यह सही है कि रियायते देने पर संक्रमण का खतरा कुछ हद तक बढ़ सकता है परन्तु अगर हम सरकार एवं चिकित्सकों द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का पालन करे, मुहँ पर मास्क लगाए, सोशल डिस्टेंसिंग बना कर रखें व बार-बार हाथ धोएं तो काफी हद तक इस से बचाव किया जा सकता है।
Dr Deepak Jain
Deptt of Medicine
Pt B.D.Sharma , PGIMS Rohtak
दिसम्बर 2019 में पाया गया और उस के तीन महीने के छोटे से समय में इस वायरस ने पूरी दुनिया को अपने
शिकंजे में जकड़ लिया है। विश्व स्वास्थ्य संघ ने इसको विश्व स्वास्थ्य आपदा घोषित करते हुए इसके लिए पूरे
विश्व को एक जुट हो इसकी रोकथाम व उपचार का मार्ग खोजने को कहा है। इस की भयावक्ता का अंदाजा इस
बात से लगाया जा सकता है कि 28 अप्रैल तक विश्व भर में ---- लाख से अधिक लोगो को कोरोना वायरस का
सक्रमण हो चुका है व ------ से अधिक लोग मौत का ग्रास बन चुके हैं। चीन, अमेरिका व यूरोप जैसे
शक्ति सम्पन्न राष्ट्र इस छोटे से वायरस के आगे घुटने टेकते नजर आ रहे हैं। भारत वर्ष में भी कोरोना वायरस का
आतकं जारी है। 29 हजार से अधिक संक्रमित लोगों के साथ-साथ यह 900 से अधिक लोगों के प्राण ले चुका है
इस तरह की अबूझ बीमारी के बारे में आमजन में कई सवाल व भ्रांति होना स्वाभाविक है। यह इस बीमारी से जुडे कुछ आम सवालों को सरल भाषा में हल करने का प्रयास है |
प्रश्नः-1 कोविड बीमारी क्या है व इसके लक्ष्ण क्या है?
उत्तरः- कोविड-19 बीमारी SARS -Cov -2 वायरस के संक्रमण से होती है | यह माना गया है कि मनुष्यों में कोरोना का यह रूप चमगादड़ों से आया है। हालांकि इस पर शोध हो रहा है कि इसका वर्तमान स्वरूप इतना भयावह रूप कैसे ले रहा है।संक्रमित होने का समय आमतौर पर 14 दिन है मगर भारत में पाया गया है कि लक्षण 14 दिन के बाद भी आ सकते हैं |
संक्रमित होने के पांच दिन के भीतर ही लक्षण दिखाई देने लगते हैं। कोरोना वायरस के अधिकांश संक्रमित लोग
बुखार, लगातार खांसी , साँस लेने में कष्ट तथा गला खराब होने की शिकायत से प्रस्तुत होते हैं। इसके अतिरिक्त कुछ लोग सिरदर्द, शारीरिक पीडा, मुंह से खून आना, सांस फूलना या दस्त की भी शिकायत कर सकते हैं। हालांकि कई संक्रमित मरीजों को कोई भी लक्षण नहीं होता।
प्रश्नः-2 क्या यह अन्य वायरल या फ्लू बुखार से भिन्न है ?
उत्तरः- मौसमी जुकाम (कॉमन कोल्ड ), , स्वाइन फ्लू व विभिन्न प्रकार के एलर्जी वाले मरीज एक समान लक्षणो ं से आ सकते हैं । अतः चिकित्सक की मदद लके र इन का निदान अति आवश्यक है | कामन कोल्ड व एलर्जी में जहाँ मरीज सिर्फ गला खराब एवं नाक बंद होने की शिकायत ही करते हैं व बुखार उनमें नाम मात्र मरीजों में ही होता है। दूसरी तरफ फ्लू, स्वाइन फ्लू व कोविड के मरीज अधिकांश रूप से बुखार के साथ हस्पताल में आते हैं इन सभी में बाकी सभी लक्षण भी हो सकते हैं। फ्लू या इन्फ्लूजा बुखार मियादी तौर पर हर वर्ष मौसम के साथ आता है। संक्रमण के 3 दिन बाद लक्षण आ जाते हैं जबकि कोविड -19 में 5 -6 दिन बाद शुरू होते हैं | कोविड -1 9 में रिप्रोडक्टिव नम्बर भी 2 से 2 . 5 के बीच है जो इन्फ्लुएंजा से ज्यादा है | अन्य वायरल या फ्लू बुखार के मरीजों को कोरोना मरीजों से सिर्फ लक्षण के आधार पर अलग करना सम्भव नहीं है। स्वाइन फ्लू भी जानवरों से मानव में आया वायरल बुखार है तथा सांस तत्रं को प्रभावित करता है तथा कोरोना वायरस की तरह जानलेवा हो सकता है। कोरोना व स्वाइन फ्लू के फैलने की दर एवं मृत्यु दर अन्य सभी से बहुत ज्यादा है अतः चिकित्सा परामर्श अति आवश्यक है।गंभीर मरीजों का अनुपात कोविड -1 9 में ज्यादा होता है और मृत्यु दर भी कोविड -1 9 में सीजनल इन्फ्लुएंजा से ज्यादा है | इन्फ्लुएंजा में बच्चे ज्यादा कैरियर होते हैं जबकि कोविड -19 में ऐसा नहीं पाया गया है |
प्रश्नः-3 क्या सभी को कोरोना की जांच करवानी चाहिए?
उत्तरः- अभी हमारे देश में गले व नाक से RT -PCR टैस्ट किए जा रहे हैं। यह टैस्ट इस बीमारी के लिए सबसे प्रभावी है परन्तु इसके परिणाम आने में एक दिन लगता है। Rapid Ab Test Kit (जो कि मरीज खून से किया जाता है ) के अब भारत में उपलब्ध होने से Report का समय आधा घंटा रह जाएगा। इसकी लागत भी कम है अतः अधिक से अधिक लोगों का दायरा बढा़या जाएगा। अभी तक सिर्फ उन्हीं लोगों के टैस्ट किए जा रहे है जोकि विदेश यात्रा से आए हों , संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में हों , स्वास्थ्य कर्मी जिसमें कोई लक्षण दिखाई दें या ऐसे लोग जो हस्पताल में बुखार व अन्य लक्षणों के साथ दाखिल हों व चिकित्सक को मरीज को कोरोना बीमारी होने का अंदेशा हो।टेस्ट बढाकर जनता में बिना लक्षण के मरीजों का पता लगाना भी जरूरी है | ICMR के अनुसार Rapid Ab Test बेशक पॉजिटिव हो मगर RT -PCR टेस्ट confirm करने के लिए किया जाना चाहिए |
प्रश्नः-4 किन-किन लोगो में कोरोना बीमारी का खतरा अधिक है?
उत्तरः- यूं तो कोरोना वायरस किसी को भी अपनी चपेट में ले सकता है परंतु अगर किसी को पहले कोई सांस की बीमारी हो, मधुमेह, उच्च रक्त चाप अथवा कैंसर हो तो संक्रमण का खतरा व मृत्यु दर कई गुना बढ़ जाते है। 60 वर्ष से अधिक आयु में भी संक्रमण दर अधिक है। अतः इन सब का विशेष ध्यान रखना चाहिए। दूसरे देशों में बच्चों में बहुत कम पाई गई है यह बीमारी |
प्रश्नः-5 क्या कोरोना वायरस से मौत तय है?
उत्तरः- अलग अलग देशों से मृत्यु दर के आंकड़े आ रहे हैं और इनके ट्रेंड्ज बता रहे हैं कि मृत्यु दर औसतन 3 -5 % है | परन्तु उपर बताए गए लोगों में कोरोना मृत्यु दर अधिक हो सकती है अतः विशेष सावधानी की आवश्यकता है।
प्रश्नः-6 कोरोना फैलता कैसे है?
उत्तरः- कुछ घंटों से 2-3 दिन तक यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में छींक या खांसी से निकलने वाली महीन बूंदों (Fomite - फोमाईट) के या संक्रमित व्यक्ति से नजदीकी सम्पर्क के द्वारा फैलता है। ये कण किसी भी सतह पर कई समय के लिए रह सकता है। दूसरा व्यक्ति अगर उस सतह को छुए के बाद फिर हाथ अपने नाक या मुहँ पर लगाए तो वायरस से प्रभावित हो सकता है। बाहर जाने पर इन सतहों को नहीं छूना चाहिए और न ही अपने चेहरे को बार बार नहीं छूना चाहिए | घर में हाथ साबुन से बार धोएं या सेनेटाइजर से जर्रोर साफ करें | वायु संक्रमण होने का अभी कोई निश्चित प्रमाण नहीं है। कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग यानी दो लोगों के बीच कम से कम एक मीटर का फासला होना जरूरी है।
प्रश्नः-7 क्या पानी, खून या दस्त से इसका संक्रमण हो सकता है?
उत्तरः- हालांकि, कुछ मरीजों के दस्त में इस वायरस को पाया गया है परन्तु इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि यह पानी या दस्त से एक मरीज से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। इस बात का भी कोई प्रमाण नहीं है कि माँ से बच्चे में यह कोरोना बीमारी हो सकती है। परन्तु अगर माँ प्रभावित है तो खांसी या छींकने से fomite (बूंदों) के कारण बच्चा संक्रमित हो सकता है। इसी प्रकार कोरोना मच्छर के काटने या पालतु जानवर से नहीं फैलता है।
प्रश्नः-8 क्या बिना लक्ष्ण का व्यक्ति भी दूसरों को संक्रमित कर सकता है?
उत्तरः- अधिकांश 90% से अधिक मरीजों में 5 से 14 दिन के भीतर बीमारी के लक्ष्ण आ सकते हैं परन्तु काफी लोगों में ये लक्ष्ण देर से या बिल्कुल नहीं आते पर ये भी किसी दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर सकते हैं। इसलिए किसी भी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले परिजनों व व्यक्तियों को 14 दिन क्वारनटाइन निरिक्षण में रखा जाता है।बिना लक्षण के मरीजों में टेस्ट करने पर काफी केस पॉजिटिव पाए गए हैं अत : इनसे भी बीमारी फ़ैल सकती है | इसलिए टेस्टिंग की संख्या ज्यादा होनी चाहिए |
प्रश्नः-9 क्म्युनिटी स्पै्रड क्या है व इसका क्या प्रभाव हो सकता है?
उत्तरः- जब कोरोना संक्रमित मरीज का कोई स्त्रोत न मिले जैसे कोरोना संक्रमित व्यक्ति से सम्पर्क, विदेश यात्रा,खेलों में या ब्याह शादियों में इकठ्ठे होनाया भीड़ की जगह जाने में भागीदारी, तो कहा जा सकता है कि आम जनता में यह महामारी फैल चुकी है। अभी तक भारत सरकार के अनुसार भारत में इक्का दुक्का घटनाओं को छोड़कर ऐसा प्रतीत नहीं होता कि यह बीमारी क्म्युनिटी स्प्रैड की तरफ बढ गई है। हालाँकि ISMR ने कम्युनिटी स्प्रैड की संभावना जताई है |
प्रश्नः-10 क्या कोरोना बीमारी का इलाज सम्भव है?
उत्तरः- अभी कोरोना वायरस के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है तथा उपचार की विभिन्न दवाईयों पर शोध चल रहा है परन्तु अब तक कोई प्रामाणिक इलाज सम्भव नहीं हो पाया है। हालांकि यह भी बताना आवश्यक है कि 80% मरीजों को इलाज की आवश्यकता नहीं पड़ती व शरीर की प्रतिरोधक क्षमता के चलते वायरस शरीर में प्रभावी नहीं हो पाता। अतः हमें जहाँ तक हो सके बचाव में ही बचाव है के सिद्धांत पर चलना चाहिए व अच्छे खान पान से अपने शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाना चाहिए। यहां यह बताना भी आवश्यक है कि अनेक भ्रान्तियों जैसे शराब या ऐल्कोहल सेवन अथवा विभिन्न देसी दवाईयों या जडी बूटी से इस का बचाव या इलाज हो सकता है का कोई तर्क हमें ऐसी आधारहीन बातों से बचना चाहिए। बार-बार गरारे करने, चाय, लहसून या विटामिन की गोली आदि से भी कोरोना का संक्रमण नहीं रोका जा सकता। ये चीजे अच्छे जीवन शैली के साथ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा कोरोना से लडने में मदद जरूर कर सकती है। हाथ धोने व शारीरिक दूरी रख कर ही इस महामारी पर विजय प्राप्त की जा सकती है।दुनिया के स्तर पर औसतन 80 % पूर्ण रूप से ठीक हो रहे हैं , 20 % को अस्पताल में दाखिल होना पड़ा है और इनमें से 5 % का ICU में इलाज किया गया है |
प्रश्नः-11 कोरोना से बचाव कैसे किया जा सकता है?
उत्तरः- खांसते या छींकते समय मुहँ को ढ़के ताकि फोमाईट आगे न पहुंचे और दूसरों का संक्रमण न हो। मुहँ पर मास्क लगाने से फोमाईट किसी भी सतह पर कम पहुंच पाएंगे अतः यह बीमारी का फैलना कम करने में कारगर होगा। सोशल डीसटेंसीग अर्थात एक दूसरे से एक मीटर की दूरी बनाए रखने से संक्रमण का खतरा काफी कम हो जाता है। इसके लिए सरकार ने भी लगभग 40 दिन का लाक डाउन किया है हमें उस का ईमानदारी से पालन करना चाहिए।अलग अलग सतहों को छूने के बाद साबुन से हाथ धोना भी इस बीमारी के संक्रमण को रोकने का वैज्ञानिक प्रामाणिक तरीका है। शौच जाने के बाद, खाना खाने से पहले व बाद अपितु दिन में कई बार ठीक से हाथ धोने पर कोरोना का संक्रमण कम किया जा सकता है। सैनेटाइजर, जोकि 70% ऐलकाहल बेस्ड है, भी हाथ साफ करने के लिए प्रयोग में लाए जा सकते हैं।
प्रश्नः-12 क्या बाजार में मिलने वाले सर्जिकल या छ.95 मास्क बेहतर है?
उत्तरः- एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए घर में बने, सूती कपड़े़ से तैयार मास्क पर्याप्त है। इस का उद्देश्य खांसी या छींक से महीन बूंदों के साथ होने वाले वायरस का संक्रमण रोकना है। मास्क को बार-बार छूने से बचना चाहिए(क्योंकि बार बार छोटे वक्त हम नाक आँख या मुँह को भी छू सकते हैं जिससे संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है ) व उस का सही से प्रयोग करना चाहिए। मास्क को गर्म पानी से डिटर्जेंट के साथ धोने का ध्यान रखना चाहिए। स्वास्थ्य कर्मचारी व चिकित्सक के लिए आवश्यकता अनुसार N -95 या FFP 2 संलमत मास्क का प्रयोग करना चाहिए।
प्रश्नः-13 क्या कोरोना वायरस कपडों पर भी देर तक रह सकता है?
उत्तरः- अगर कोई आप के पास जोर से खांसता है तो वायरस छोटी बूंदों के रूप में कपड़े पर आ सकता है। ऐरोडायनामिस्क की वजह से उसके कपड़ो पर जमने की सम्भावना ना के बराबर है फिर भी सोशल डिस्टेस्गि बनाकर रखना ही बेहतर है। यदि हम बहार भीड़ वाले क्षेत्र में गए हैं या संभावित संक्रमित क्षेत्र जैसे अस्पताल , सब्जी मंडी आदि तो घर आकर तुरंत पहने कपड़ों को गर्म पानी और डिटेरजेंट से धोएं |
प्रश्नः-14 क्या डिब्बा बंद या बाजार का खाना मंगाया जा सकता है?
उत्तरः- डिब्बा बंद या आयतित खाने से संक्रमण की संभावना काफी कम है क्योंकि यह विभिन्न तापमान को सहता हुआ आप तक पहुंचता है। परन्तु बाजार का खाने या डिब्बा बंद सामान को देने आने वाले संक्रमित के संपर्क में आने पर आप भी इसके शिकार हो सकते है तथा बाहर पैकट की सतह पर भी वायरस की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। अतः बाहरी एवं पैकट वाले खाने की बजाए घर के बने स्वास्थ्य वर्धक खाने को प्राथमिकता दें। ये आपकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी मददगार होगा। हम पैकेट की बाहरी सतह को सेनिटाईजर से रब करें और इसे सूखने दें | अपने हाथ भी कम से कम 20 सेकेण्ड के लिए धोएं और खाने को खाने से पहले गर्म करें |
प्रश्नः-15 क्या गर्मी अधिक होने पर कोरोना का प्रकोप खत्म हो जाएगा?
उत्तरः- कोरोना से गर्म देश भी प्रभावित है। अभी इस बात का कोई ठोस प्रमाण नहीं है कि गर्म मौसम में इसका प्रकोप समाप्त हो जाएगा ।
प्रश्नः-16 क्या एयर कंडिशनर का प्रयोग नहीं करना चाहिए?
उत्तरः- अगर एयर कंडीशनर खिडकी में लगा है तो दिन में एक दो बार दरवाजे खिडकी आदि खोलकर इसका प्रयोग किया जा सकता है ताकि बाहर की वायु की आवा-जाही बनी रहे परन्तु केंद्रीय एयर कंडीशन की पाइप से इस वायरस के सारे भवन या क्षेत्र में फैलने की संभावना हो सकती है, अतः यह वर्जित है।
प्रश्नः-17 क्या लाक डाउन में रियायते देने पर ये बीमारी बढ़ नहीं जाएगी?
उत्तरः- यह बीमारी कब खत्म होगी यह चिकित्सा के शोध, कई दवाईयों के प्रयोग एवं वैक्सीन की उपलब्धता के साथ-साथ हमारे व्यवहार पर भी निर्भर करेगी। यह भी तर्क संगत है कि हमारा आधारभूत स्वास्थ्य ढांचा पश्चिम की तरह मजबूत नहीं है। चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों की कमी अपने आप में एक बड़ी समस्या है। इसके अतिरिक्त अभी हमारे देश में होने वाले टैस्ट की संख्या भी काफी कम है। परन्तु इन सब मुश्किलों के बावजूद भारत इस महामारी का सामना बेहतर ढ़ंग से करने की कोशिश में है। लाक डाउन होने से कोरोना वायरस को कंट्रोल करने में एक हद तक सफलता मिली है। परन्तु भारत जैसे विकासशील देश में लाक डाउन की वजह से काफी आर्थिक परेशानियां गरीब वर्ग को झेलनी पड़ रही है। और भी बहुत कुछ किया जाना था | यह सही है कि रियायते देने पर संक्रमण का खतरा कुछ हद तक बढ़ सकता है परन्तु अगर हम सरकार एवं चिकित्सकों द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का पालन करे, मुहँ पर मास्क लगाए, सोशल डिस्टेंसिंग बना कर रखें व बार-बार हाथ धोएं तो काफी हद तक इस से बचाव किया जा सकता है।
Dr Deepak Jain
Deptt of Medicine
Pt B.D.Sharma , PGIMS Rohtak
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