Sunday, 5 July 2020

MAIN ARTICLE

FOUR MODELS
1.Beveridge Model
Health care is provided and financed by the government  through tax payments just like police or public library. U K
2 . The Bismark model Insurance system Germany
3 .National Health Insurance model single payer national health insurance - canada, taiwan
Mix of two .Sweden
Uses private sector providers but payment comes from a govt run insurance programme.
4 .The out of pocket model
Purchase health .
HealthStatus
At least half of the world’s people is currently unable to obtain essential health services.
Almost 100 million people are being pushed into extreme poverty, forced to survive on just $1.90 or less a day, because they have to pay for health services out of their own pockets.
Over 800 million people (almost 12 percent of the world’s population) spend at least 10 percent of their household budgets on health expenses for themselves, a sick child or other family member. They incur so-called “catastrophic expenditures”.
Incurring catastrophic expenses for health care is a global problem. In richer countries in Europe, Latin America and parts of Asia, which have achieved high levels of access to health services, increasing numbers of people are spending at least 10 percent of their household budgets on out-of-pocket health expenses.

Medical Poverty Trap and Privatised Health care
~~Private sector provides 80% of out patient services and 60% of inpatient services .
~~77%(in rural ) and 70%in (urban) out of pocket expenses is spent on medicines alone
~~ " With out of pocket expenditure (pop) at 65.06% of total health expenses "
5.5 crore Indians fell below poverty line last year .
हरियाणा की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं
हरयाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज
सिविल अस्पताल --68---100 से 500 बिस्तर हो सकते हैं |
29 +3 , 34 +3 , 50 , 58 , 68
सब सेंटर--2650(3440 )  , प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र--531(573 )  , सामुदायिक केंद्र--128(143 )
पोली क्लिनिक्स --11 ,अर्बन हेल्थ सेंटर्स --11 , डिस्पेंसरीज --4
ESIC डिस्पेंसरीज --67
तथाकथित RMP ग्रामीण इलाकों में जो अलोपैथी की प्रैक्टिस करते हैं
11 सरकारी या प्राइवेट मेडिकल कॉलेज
1. PBDS Rohtak
2. BPS Khanpur
3. Gold Field MC Balabgarh
4. Aggarwal Agroha
5. Kalpana Chawla Karnal
6. SHKM Nuh
7. Jhajjar
8. Ishrana
9. Adesh MC KUK
10. GTB Gurgaon
11.MULLANA  Ambala
12 ESIC MC Faridabad

पीजीआइएमएस रोहतक--2050 बिस्तर के साथ
In CM's dist,Karnal hospitals make do with half doctor strength
Health institutions in Karnal
1 Civil Hospital
2 Subdivisional hospitals
5 CHCs
14 PHCs
3 Dispensaries
1 in jail
1 Polyclinic
Sanctioned posts of doctors 154
Vacancies 87
Health Centres without doctors:
Taraori, Uplana,Padhana,Samana bahu,Gularpur,Padha,Gagsina,Gudha,Kunj pura,Ramba.,Mirghan,Biana
Postpartam unit of Civil Hospital
Civil Hospital has 42 sanctioned posts
Only 22 doctors are there
Nilokheri subdivisional hospital four of the 11 posts are vacant.
In Gharaunda 5 of the 6 sanctioned posts are vacant.
Source (The Tribune, dated 25 Nov.2019).
Hisar Health Scenario
*187 sanctioned posts of medical officers
*89 posts filled
*98 vacant in the district
*Of 55 sanctioned posts medical officer in Hisar Civil Hospital, 16 are vacant.
* Just one of the 11 posts is filled in Barwala CHC
*Sisai CHC too has just one MO.
** Lacks ventilator facilities.
**Ultrasound facility has not been available for 4 months.
** Specialists posts of radiologist, burn specialist,onco specialist,neurosurgeon,and gastroenterologist are lying vacant.
** Space problem is there because of which infrastructure cannot be expanded .
सिविल अस्पताल फरीदाबाद
1.डॉक्टर--63%
2.ओपीडी --2200 के लगभग मरीज रोजाना आते हैं
3.90 नर्सिस की पोस्ट हैं जिनमें से 24 कार्यरत हैं।
4.पैथोलोजिस्ट नहीं है
5.एक रेडियोलाजिस्ट जो 40 से 50 मरीजों को देखता है। इसके इलावा मेडिकोलीगल केस और दूसरे काम।
6. 2 पोस्ट Dietician की खाली पड़ी हैं
7.14 लेबोरेटरी असिस्टेंट की पोस्ट कार्यरत हैं 5
8.आपरेशन थिएटर असिस्टेंट की 10 पोस्ट हैं कार्यरत हैं 3
9.ECG टेक्नीशियन की 3 पोस्ट हैं कार्यरत सिर्फ 1 है।
Source: The Tribune, 15 july, 2019
देखना आपके एरिया के phc के स्टाफ की क्या पोजीशन है जी
Type A -- PHC--
PHC with delivery load of less than 20 deliveries in a month
Type B --PHC
PHC with delivery load of 20 or more deliveries in a month
Type B PHC staff
Medical officer..1essential 1 desirable
Medical officer Ayush..Desirable 1
Staff nurse-- essential 4 desirable 1
Pharmacist--essential..1
Pharmacist Ayush..Desirable 1
Health Worker female..Essential 1
Health Assistant Male..Essential 1
Health Assistant (Lady Health Visitor) essential 1
Health Educator ..Desirable 1
Laboratory technician..Essential..1
Cold chain & Vaccine Logistic Assistant...Desirable 1
Multi skilled Group D worker..Essential 2
Sanitary worker cum watchman..Essential 1 desirable 1
Total..Essential 14 desirable 21


पीजीआईएमएस रोहतक के रेडियो डाइग्नोसिस विभाग में

18.8.2018 को 150 xray दाखिल मरीजों के और 863 ओपीडी के मरीजों के किये गए।

19.8.2018 को एतवार के दिन 34 दाखिल मरीजों के और 228 ओपीडी मरीजों के किये गए।

20.8.2018 को 168 दाखिल मरीजों के और 992 ओपीडी मरीजों के xray किये गए।

21.8.2018 को 128 xray दाखिल मरीजों के और 997 ओपीडी मरीजों के किये गए।

इसके अलावा सीटी स्कैन और mri और अल्ट्रासाउंड अलग।

फैकल्टी बहुत कम

आज के दिन 7 हैं 3..4 महीने पहले तक 5 ही थी

जब mri , ct स्कैन , अल्ट्रासाउंड नहीं आये थे तब विभाग में फैकल्टी 9 थी

वर्कलोड बहुत ज्यादा है फैकल्टी बहुत कम है



मरीजों की परेशानियां तो बढ़ेंगी ही।



पीजीआईएमएस रोहतक के रेडियो डाइग्नोसिस विभाग में

18.8.2018 को 15 अल्ट्रासाउंड दाखिल मरीजों के और 428 ओपीडी के मरीजों के किये गए।

19.8.2018 को एतवार के दिन 18 दाखिल मरीजों के और 166 ओपीडी मरीजों के किये गए।

20.8.2018 को 77 दाखिल मरीजों के और 672 ओपीडी मरीजों के  अल्ट्रासाउंड किये गए।

21.8.2018 को 35 अल्ट्रासाउंड दाखिल मरीजों के और 521ओपीडी मरीजों के किये गए।

इसके अलावा सीटी स्कैन और mri और xray अलग।

फैकल्टी बहुत कम

आज के दिन 7 हैं 3..4 महीने पहले तक 5 ही थी

जब mri , ct स्कैन , अल्ट्रासाउंड नहीं आये थे तब विभाग में फैकल्टी 9 थी

वर्कलोड बहुत ज्यादा है फैकल्टी बहुत कम है

इसमें स्त्री रोग विभाग में किये जाने वाले अल्ट्रासाउंड शामिल नहीं हैं

20 अल्ट्रासाउंड स्त्री रोग विभाग की ओपीडी में रोजाना किये जाते हैं वह अलग

4..4 घंटे से भी ज्यादा का इंतजार करना पड़ता है। स्त्री रोग के दाखिल मरीजों को।

यहाँ अल्ट्रसाउंड 50 रूपये में हो जाता है जबकि बाहर प्राइवेट में 700 से कम में नहीं होता।

मरीजों की परेशानियां तो बढ़ेंगी ही।

मशीनें तो और भी आने की बात कही जा रही है मगर फैकल्टी की संख्या क्यों नहीं बढ़ाई जा रही ?? बड़ा सवाल है



पी जी आई चंडीगढ़ और पी जी आई रोहतक के दो हजार चौदह - दो हजार पन्द्रह के कुछ मशलों पर देखने पर कुछ सवाल उठते हैं किसी के भी मन में कि पी जी आई रोहतक का वर्क लोड ज्यादा मगर यहाँ की स्टाफ की संख्या कम और फैकल्टी के ग्रेड्स भी कम। सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए। पिछले 3 साल में वर्क लोड और भी बढ़ा है।

2014--15 के कुछ आंकड़े***

1..दाखिल मरीज

रोहतक .107383                 चंडीगढ़ .82184

2..कुल डिलीवरी

रोहतक *9683                  चंडीगढ़ *5824

3..ऑपेरशन

रोहतक पी जी आई एम एस ..195355       पी जी आई चंडीगढ़ ..190404

 4..कुल बिस्तर

रोहतक पी जी आई एम एस --1710       चंडीगढ़  पी जी आई1948

MBBS 250 STUDENTS                              NO

PGIMS के लिए सुझाव

1 मूलभूत जरूरतों पर ज्यादा धयान देने की जरूरत है --पट्टी ,सुईं , कॉटन , दवाई , आदि आदि

2. इलाज की गुणवत्ता पर ज्यादा धयान दिए जाने की जरूरत है।

3. यह जनरल अस्पताल होकर एक रेफेरल अस्पताल हो aiims की  तरह

4. 250 ऍम बी बी एस की कक्षा के लिए उचित इंफ्रास्ट्रक्चर और टीचिंग फैकल्टी की जरूरत है।

5. यह सब करने के लिए बजट का बढ़ाया जाना बहुत जरूरी है।

6. Ambitious होना तो ठीक है मगर over ambitious होना ठीक नहीं है।

7 कार्यरत फैकल्टी में सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाने की जरूरत है।  राज्य की राजनीती से मेडिकल हमेशा से ही प्रभावित रहा है।

8. पैरामेडिकल स्टाफ और  नर्सिस की संख्या जरूरत के हिसाब से काफी कम है।  3100 नर्सिस की जरूरत है मगर हैं 1000 के लगभग

9.  PPE मोड को बंद करके सीधा सरकारी कंट्रोल से चलें विभाग और लैब।

10. ज्यादा पारदर्शिता के साथ काम किये जायेंगे तभी जनता का विश्वास फिर से जीता जा सकता है। 
CERTAIN POINTS WHICH EMERGE IN COMMON
कुछ बिंदु जो निकल कर आये हैं
1 . स्वास्थ्य पर कम खर्च
2  स्वास्थ्य का ढांचा कमजोर है
3 स्वास्थ्य के लिए आउट ऑफ पॉकेट खर्च बहुत ज्यादा है
4 आसानी से और सामर्थ्य के अनुसार स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं
5 अर्बन रूरल डिवाइड बहुत ज्यादा है
6 अमीर और गरीब का डिवाइड मौजूद है
7 जेंडर डिवाइड भी बहुत है
8 हेल्थ वर्कर्स कैपेसिटी बिल्डिंग की प्रक्रिया काफी कमजोर है
9 जन में जन स्वास्थ्य के बारे वैज्ञानिक समझ के हिसाब से  जानकारी बहुत कम है
10 प्रद्योगिकी उन्नयन की कमी है
11प्रदूषण के मामले

12 भ्रष्टाचार

13 वर्तमान योजनाओं की कमजोरियां
जननी सुरक्षा योजना
जन औषधि योजना
आयुष्मान योजना
ppe मोड में नए 3 मेडिकल खोलना
ppe मोड में कार्डियक कैथ लैब और mri जिला स्तर पर शुरू करने की योजना 
           जन स्वास्थ्य घोषणा पत्र के मुख्य सूचक:
1. स्वास्थ्य के अधिकार को देश के हर व्यक्ति के लिए न्यायोचित अधिकार बनाया जाए , केंद्र और राज्य स्तर पर उपयुक्त कानून सुनिश्चित करके
2. एक सार्वभौमिक स्वास्थ्य प्रणाली (यूनिवर्सल हेल्थ केयर) की स्थापना हो जो ना केवल स्वास्थ्य सेवाओं को व्यापित करे बल्कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को सभी स्तरों पर विस्तृत और सशक्त किया जाए अंतरिम तंत्र के रूप में निजी प्रदाताओं को कुछ जिम्मेदारियां दी जाएं ताकि स्वास्थ्य रक्षा में वर्तमान कमियों को भरा जा सके यह सार्वभौमिक स्वास्थ्य प्रणाली (यूनिवर्सल हेल्थ केयर ) लोगों को पूर्ण रूप से निशुल्क और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करेगी, बिना किसी निजी जेब खर्च के के।
3. स्वास्थ्य प्रणाली के लिए आवश्यक बजट आवंटन, मानव संसाधन और इंफ्रास्ट्रक्चर सुनिश्चित किया जाए :
सामान्य कराधान के जरिए वित्त पोषण से स्वास्थ्य पर सरकारी व्यय में भारी वृद्धि की जाए , जो तुरंत जीडीपी के 3.5% के बराबर हो। (यह वर्तमान दरों पर पर वार्षिक रूप से प्रति व्यक्ति ₹4000 हो, जैसा कि 2017 की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति में सिफारिश की गई है ) और कुछ वर्षों में में में जीडीपी के 5% के बराबर हो। और यह स्वास्थ्य के कुल व्यय का का एक चौथाई से भी कम किया जाए।
4.. हर व्यक्ति के लिए यह अधिकार सुनिश्चित किया जाए कि वह सभी आवश्यक औषधियों एवम जांच सेवाओं को निशुल्क किसी भी सरकारी अस्पतालों से प्राप्त कर पाए। इसकी व्यापकता दूसरे राज्यों जैसे तमिल नाडू , दिल्ली एवम राजस्थान में चल रही योजनाओं समान होंगी, जिससे लोगों को पूर्ण रूप से निशुल्क आवश्यक औषधियां एवं सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के सभी स्तरों पर मिलें।
5. आयुष्मान भारत के तहत ' प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना ' या 'राष्ट्रीय स्वास्थ्य रक्षा मिशन ' की योजना को त्याग दिया जाए , जो बदनाम बीमा मॉडल पर आधारित है। इसके बजाय वर्तमान सरकारी स्वास्थ्य बीमा योजनाओं को एक विस्तारित और मजबूत सार्व जनिक प्रणाली में समाहित किया जाए।
6. स्वास्थ्य सेवाओं का परिचालन इस प्रकार होना चाहिए कि कुछ चुनिंदा सेवाओं के लिए ही निजी स्वास्थ्य प्रदय कर्ताओं का उपयोग किया जाए ताकि सार्वजनिक प्रणाली को मजबूत किया जाए परंतु इसकी दिशा प्रस्तावित आयुष्मान भारत कार्यक्रम की रणनीति जैसी नहीं होगी, जिसमें सार्व जणिक संसाधनों को अंधाधुंध तरीके से निजी स्वास्थ्य क्षेत्र को सौंपा जा रहा है
7. जन स्वास्थ्य सेवाओं के निजीकरण के सभी रूपों को रोका जाएगा और विभिन्न प्रकार के सरकारी निजी -साझेदारियों ( पब्लिक प्राइवेट पार्टनरसिप )- जो सार्वजनिक प्रणाली को कमजोर कर रही है, उसे खारिज किया जाएगा। जो संसाधन निजी संस्थाओं को मजबूत करने के लिए प्रयोग किए जा रहे हैं , उन्हें सार्वजनिक सेवाओं को बढ़ाने और स्थाई रूप से सार्वजनिक पूंजी का निर्माण करने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
-- सार्वजनिक सेवाओं को कमजोर बनाने वाली सरकारी -निजी भागीदारी यों को समाप्त किया जाए ऐसी योजनाओं में खर्च होने वाले पैसों को सरकारी स्वास्थ्य तंत्र के विस्तार और स्थाई सार्वजनिक सं पती के सृजन में निवेश किया जाए, जिससे इन पैसों का बेहतर उपयोग होगा।
8. निजी मेडिकल क्षेत्र और कारपोरेट अस्पताल का नियंत्रण और राष्ट्रीय नैदानिक प्रतिष्ठान अधिनियम ( किलिनिकल एसटाबिलिस्मेंट एक्ट ) के द्वारा किया जाए , ताकि मरीजों के अधिकारों का अनुपालन हो सके , विभिन्न सेवाओं की दरों एवं उनकी गुणवत्ता के विनियमन हों , डाक्टरों द्वारा निदानन और रेफरल में घूसखोरी को रोकने और मरीजों की शिकायतों का निपटारा सुनिश्चित किया जाए सभी राज्यों द्वारा राष्ट्रीय अधिनियम या राज्य विशेष अधिनियम को अपनाया जाए।
9. सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के समुदाय आधारित नियोजन - एवं निगरानी :
सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की जवाबदेही और अनुकूलता को सुनिश्चित करने के लिए सभी स्तरों पर सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के समुदाय आधारित नियोजन -एवं निगरानी को सार्वभौमिक बनाया जाए , जिससे एक लोकतंत्रिकृत , समुदाय संचालित स्वास्थ्य प्रणाली और एक स्वास्थ्य देखभाल की रूपरेखा की तरफ कदम बढ़ाया जाए।
10. सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में भ्रष्टाचार की समाप्ति के लिए पारदर्शिता अधिनियम के जरिए नियुक्ति, पदोन्नति , स्थानांतरण , वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास किए जाएं
11. सभी कर्मचारियों को जो ठेके (कांट्रेक्ट ) पर कार्यरत हैं जैसे कि आशा , आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका सहित सभी कर्मचारियों को नियमित किया जाए और सुनिश्चित किया जाए कि उन्हें श्रम कानूनों से संरक्षण प्राप्त हो सरकार द्वारा संचालित कालेजों में क्षमता निर्माण के लिए सभी तरह के स्वास्थ्यकर्मियों की शिक्षा और प्रशिक्षण में सार्वजनिक निवेश की वृद्धि सुनिश्चित की जाए पर्याप्त संख्या में स्थाई पदों का सृजन कर सुप्रशासित और पर्याप्त जन स्वास्थ्य कर्मियों का बल स्थापित किया जाए। सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के सभी स्तरों के स्टाफ को पर्याप्त कौशल प्रशिक्षण , समुचित वेतन और स्थान नियोजन देने की व्यवस्था की जाए एवं कार्यस्थल में समुचित परिस्थितियां उपलब्ध हों।
12. सरकार को वैज्ञानिक रूप से जन हितैषी औषधीय नीति अपनानी होगी जिसमें औषधियों , टीकों, निदानों और मेडिकल उपकरण शामिल होंगे , इसमें निर्माण लागत पर आधारित मूल्य निर्धारण प्रणाली के जरिए सभी आवश्यक औषधियों और उनके अनुरूप पों ( एनोलोग्स) के साथ मेडिकल उपकरणों को मूल्य नियंत्रण के अन्तर्गत लाया जाएगा। सभी युक्तिसंगत हीन औषधियों और युक्तिसंगत हीन नियत खुराक औषधि सम्मिश्रर्णों ( फिक्स्ड डोज ड्रग कॉम्बिनेशन ) पर प्रतिबन्ध लगाना , अनैतिक मार्केटिंग को असरदार ढ़ंग से विनियमित और उन्मूलन करना जिसके लिए औषधीय मार्केटिंग के तौर तरीकों के बारे में समान कानू नी आचार संहिता (युनिफोर्म कोड़ फॉर फार्मास्युटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिसेस) को अपनाया जाएगा ।सरकार को एक जेनेरिक औषधि नीति तैयार करनी चाहिए और जेनेरिक औषधियों की आसान उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए डाक्टरी नुस्खे में जेनेरिक नाम लिखने को अनिवार्य बनाना होगा, औषधियों तक पहुंच को बढ़ावा देने के लिए भारतीय पेटेंट अधिनियम में सार्वजनिक स्वास्थ्य सम्बन्धी उपायों को स्थान देना। पेटेंट के दुरूपयोग के खिलाफ सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए और आवश्यक औषधियों के निर्माण के लिए स्थानीय निर्माताओं को अनिवार्य लाइसेंस दिए जाएं
13. कमजोर वर्गों और विशेष जरूरतों वाले समूहों के लिए स्वास्थ्य तक पहुंच में विशेष उपाय किए जाएं :
इन वर्गों की कमजोरी का कारण सामाजिक स्थिति ( जैसे महिलाएं, दलित, आदिवासी) , स्वास्थ्य स्थिति (जैसे एच आई वी से पीड़ित), पेशा( शारीरिक रूप से मैला ढोने वाले), सक्षमता, उम्र या कोई अन्य हो सकता है सभी महिलाओं , बेघरों , सड़कों पर भटकने वाले बच्चों , विशेषकर कमजोर आदिवासी समूहों, शरणार्थियों , प्रवासी लोगों तथा ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को स्वास्थ्य सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति की गारंटी दी जाए जाति और समुदाय /धर्म -आधारित भेदभाव के सभी रूपों का उन्मूलन किया जाए। स्वास्थ्य सेवाओं या स्वास्थ्य से सम्बन्धित सार्वजनिक किसी भी सेवा या योजना तक पहुंच के लिए आधार लिंक की अनिवार्यता को समाप्त किया जाए

14. जेंडर आधारित हिंसा को एक जन स्वास्थ्य सम्बन्धी मुद्दा माना जाए और आवश्यकता पड़ने पर शीघ्र बचाव एवं स्वास्थ्य देखभाल, व्यापक मेडिकल देखभाल और पीड़ितों को लगातार सहायता सुनिश्चित की जाए
15. सभी गर्भवती और धात्री माताओं के लिए मातृत्व भत्ता सार्वभौमिक बनाया जाएगा।
16. आई. सी. डी. एस. कार्यक्रम को सार्वभौमिक बनाया जाए और इसमें तीन साल से कम उम्र के बच्चों को खास तौर से असरदार ढ़ंग से शामिल किया जाए , जिसमें कुपोषण का समुदाय आधारित प्रबन्धन और दिन में देखभाल करने की सेवाएं हों।
17. व्यवसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा पर व्यापक नीति निर्माण और अमल हो एवं असंगठित एवं कृषि क्षेत्रों में कार्यरत कर्मियों के लिए कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम (. एस.आई . ),1948 को विस्तारित और सशक्त किया जाए
18. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में संशोधित जिला कार्यक्रम और समुचित कार्यान्वयन के जरिए मानसिक स्वास्थ्य के मसलों से सम्बन्धित व्यक्तियों के व्यापक इलाज और देखभाल को सुनिश्चित किया जाए
19. मेडिकल बहुलता को समर्थन हो ताकि लोगों के पास गैर एलोपैथिक चिकित्सा का विकल्प उपलब्ध रहे , जिसमें घर प्रसूति सम्बन्धी सुरक्षित तरीका भी शामिल है गैर एलोपैथिक प्रणालियों से सम्बन्धित अनुसंधान और दस्तावेजीकरण को भारी बढ़ावा दिया जाए
20. बहुपक्षीय और द्विपक्षीय वितपोषण एजेंसियों तथा कारपोरेट कंसलटेंसी संगठनों
( जैसे-विश्व बैंक, यू. एस. .आई . डी.,गेट्स फाउंडेशन , डिलोइट और मैकिंजी आदि) का सभी राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति निर्माण और रणनीति विकास में हस्तक्षेप समाप्त किया जाए
21. नैदानिक परीक्षणों के अनुमोदन और आयोजन के लिए कड़े विनियमन पर अमल किया जाए , जिसमें निष्पक्ष और परीक्षण के उन प्रतिभागियों को समय पर प्रतिपूर्ति सुनिश्चित की जाए जो प्रतिकूल प्रभावों से पीड़ित होते हैं एवं परीक्षण स्थलों पर नैदानिक परीक्षणों के आयोजन पर सी. डी. एस.सी..(CDSCO) कड़ी निगरानी रखे
22. सभी के लिए स्वास्थ्य का अधिकार की पूर्ति की ओर बढ़ने के लिए स्वास्थ्य के सामाजिक कारकों को व्यवस्थित ढंग से संबोधित करना जिसमें खाद्य सुरक्षा , पोषण एवं स्वच्छता के साथ पर्यावरणीय प्रदूषण , तनावपूर्ण कार्य परिस्थितियों , सड़क सुरक्षा की अपेक्षा , तम्बाकू, अल्कोहल आदि जैसे व्यसंकारी पदार्थों और जेंडर आधारित हिंसा सहित अन्य प्रकार की हिंसा पर ध्यान दिया जाए। जन स्वास्थ्य के कार्यों का एकीकरण सभी स्तरों पर लोकतांत्रिक समावेशन , धर्मनिरपेक्षता , मानवता एवं क्षेत्रीय स्तर पर शांति के साथ किया जाए।
जन स्वास्थ्य अभियान, जन स्वास्थ्य आंदोलन का भारतीय इकाई है, जो व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य सुरक्षा एवं स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारकों पर कार्य करते हुए स्वास्थ्य और न्याय संगत विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता ओंं के रूप में स्थापित करने के लिए एक विश्वव्यापी आंदोलन है और इसमें 20 से अधिक नेटवर्क और 1000 संगठन और बड़ी संख्या में व्यक्ति भी शामिल हैं
जन स्वास्थ्य अभियान की ओर से
अभय शुक्ला
सरोजिनी नदिंपल्ली
सुलक्षणा नंदी

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