Sunday, 1 January 2023

PGIMS Aurte Haal

 PGIMS , Rohtak Surte Haal....

Orthopedics Deptt.
Sanctioned consultant posts 19
Filled at present 13
Vacant..6
Senior Residents sanctioned posts 20
Filled at present 8
Vacant 12
People should demand that Govt Of Haryana should fill vacant posts urgently so that patients care can be improved.
JSA

PGIMS , Rohtak Surte Haal....
Surgery Deptt.
Sanctioned consultant posts 26
Filled at present 16
Vacant..10
Senior Residents sanctioned posts 30
Filled at present 16
Vacant 14
People should demand that Govt Of Haryana should fill vacant posts urgently so that patients care can be improved.
JSA

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Situation in Radio diagnosis department  PGIMS, Rohtak.
30.08.2022 workload details in Radio Diagnosis Deptt.
MRI...........41
CT Scan....85
USG...........560
Plain xray..975
IVP.............03
Mammography..04
CT guided FNAC..01
USG guided fnac..02
रेडियो डायग्नोसिस विभाग में कितने Consultant सैंक्सन हैं और कितने काम कर रहे हैं और कितनी पोस्ट खाली हैं यह भी लिखा जाना चाहिए था। 11 पोस्ट में से 8 खाली हैं। सीनियर रेसिडेंट्स की 13 पोस्ट सैंक्शन हैं और 8 भरी हैं और 5 खाली हैं तो लाइन तो लंबी रहेगी। लाइन में खड़े लोगों को सरकार से मांग करनी चाहिए कि खाली सीट पर भरती करें।
******
PGIMS , Rohtak Surte Haal....
ANAESTHESIA Department ..
Sanctioned consultant post are 54
Filled ...42
Vacant..12
Sanctioned SR post are 50
Filled..27
Vacant..23
The department which gives anaesthesia to the patients of 6..7 departments , is itself in miserable state.
      People should demand that Govt Of Haryana should fill vacant posts urgently so that patients care can be improved.
JSA

कोविड की वापसी या इसकी राजनीति की

 वापसी कोविड के खतरे की हुई है या

उसके राजनीतिक इस्तेमाल की ?
आपकी राय???
0 राजेंद्र शर्मा
क्या भारत में कोविड की वापसी हो गयी है? इस सवाल का जवाब तो बिना किसी अगर-मगर के देना  अभी मुश्किल होगा, पर एक बात पूरे विश्वास के साथ कही जा सकती है-भारत में कोविड की राजनीति या कोविड के राजनीतिक इस्तेमाल की वापसी हो गयी है। राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के पूर्वाद्र्ध के छोर पर राजधानी दिल्ली में प्रवेश करने से पहले ही जिस तरह से यकायक नरेंद्र मोदी की सरकार ने कोविड के खतरे की चिंता का प्रदर्शन शुरू कर दिया; जैसे धड़ाधड़ राज्यों के उच्चाधिकारियों के साथ बैठकें करने से लेकर, एडवाइजरियां जारी करने तक के कदम उठाए गए; जैसे संसद के एक बार फिर समय से पहले ही खत्म कर दिए गए सत्र के आखिरी दो दिनों में, एक दिन मं़ित्रगण बिना मास्क के और दूसरे दिन मास्क से सज्जित नजर आए; उससे सरकार समर्थकों को छोडक़र आम लोगों के बीच इसका खास भरोसा नहीं पैदा हुआ है कि यह सारी कवायद वाकई, कोविड-19 के एक और धावे से देश को बचाने के लिए ही है, न कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को लेकर लोगों के मन में आशंकाएं पैदा करने के लिए।
हैरानी की बात नहीं है कि कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, मनसुख मंडाविया की राजस्थान के मुख्यमं़त्री गहलोत तथा राहुल गंाधी को इस या़त्रा के सिलसिले में लिखी गयी इस आशय की एक प्रकार से मीडिया के माध्यम से भेजी गयी चि_ी को नामंजूर कर दिया है कि कोरोना के खतरे को देखते, या तो यात्रा में कोरोना प्रोटोकॉलों का पालन सुनिश्चित करें या फिर देश के हित में या़़त्रा को ही रोक दें! कांग्रेस का स्पष्ट रूप से यही कहना था कि सरकार, उनकी यात्रा के असर से घबराकर, उसे रुकवाने के लिए ही इस समय कोरोना के खतरे का हौवा खड़ा कर रही थी। वैसे इस सिलसिले में एक और नोट करने वाला दिलचस्प तथ्य यह भी है कि कोविड के संभावित खतरे की गंभीरता साबित करने के लिए, केंद्र सरकार द्वारा संसद के शीतकालीन सत्र के छोर पर उठाए गए कदमों को देखते, भाजपा की राजस्थान इकाई ने अपने चुनाव अभियान के हिस्से के तौर पर प्रस्तावित ‘जनाक्रोष यात्रा’ कार्यक्रम को स्थगित करने का एलान भी कर दिया था, लेकिन चंद घंटों में ही इस स्थगन के ही वापस लिए जाने का एलान आ गया! जाहिर है कि भाजपा, चुनाव प्रचार का कोई भी मौका तब तो हर्गिज नहीं छोडऩे वाली है, जब मुख्य विपक्षी पार्टी अपनी कोई गतिविधि जारी रखे रहे, भले ही उस गतिविधि का संबंध सीधे किसी चुनाव या चुनावी राजनीति से नहीं हो।
पर कोविड संबंधी कदमों तथा पाबंदियों का अपने फौरी राजनीतिक नफा-नुकसान के हिसाब से उपयोग करने का वर्तमान सत्ताधारी पार्टी का पिछले करीब तीन साल का जो रिकार्ड रहा है, उसे देखते हुए कोविड की नयी लहर के खतरे को लेकर उसकी गंभीरता पर संदेह होना स्वाभाविक है। यहां यह याद दिला दें कि 2020 के आरंभ में भारत में कोविड-19 की पहली लहर के आरंभ में, पहले दिल्ली के विधानसभाई चुनावों में धुंआधार चुनाव प्रचार और उसके बाद, फरवरी के मध्य में गुजरात में ‘नमस्ते ट्रम्प’ प्रचार के बाद, मोदी सरकार ने लॉकडाउन समेत प्रमुख पाबंदियों के कदम मार्च के तीसरे हफ्ते के बाद, यह सुनिश्चित करने के बाद ही उठाए थे कि मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने पर दलबदल के जरिए, कांग्रेस की सरकार गिराने के बाद, दलबदलुओं को संतुष्ट करने वाले फार्मूले के साथ, वहां भाजपा की सरकार का शपथग्रहण कार्यक्रम जो जाए।
इसी प्रकार, 2021 के पूर्वाद्र्ध में, कोरोना की दूसरी भयंकर लहर के बीच, खासतौर प0 बंगाल में चले सबसे लंबे चुनाव में, प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने, अपनी रैलियों में कोरोना की रत्तीभर परवाह नहीं की थी और पहले वाम मोर्चा व कांग्रेस और उसके बाद तृणमूल कांग्रेस द्वारा बड़ी चुनावी सभाएं न करने की घोषणा किए जाने के बाद, आखिरी चरणों में ही कहीं जाकर प्रधानमंत्री की सभाएं भी न करने का एलान किया गया था। और यह सब कोरोना के लिए सहायता के ज्यादा से ज्यादा स्रोत तथा नीतिगत व टीकाकरण आदि के निर्णय केंद्र सरकार द्वारा अपने हाथों में ही केंद्रित करने के जरिए, सारा श्रेय खुद लेने तथा सारी कमजोरियों का दोष विशेष रूप से विपक्षी सरकारों पर डालने के मोदी सरकार के आम खेल के अतिरिक्त था। इस सब को देखते हुए, यह आशंका होना अस्वाभाविक नहीं था कि ऐन क्रिसमस-नव वर्ष की पूर्व-संध्या में कोविड की वापसी का हल्ला, वास्तव में राजनीतिक खेल ही ज्याद लगता है।
फिर भी इन संदेहों के पीछे सिर्फ  भाजपा के राजनीतिक खेल का आशंका ही नहीं है। इसका संबंध, कोरोना की नयी और संभावित रूप से बहुत भयावह लहर के आ रहे होने की अफवाहों के विपरीत, अब तक सामने आये तथ्यों और उनके आधार पर महामारी विशेषज्ञों द्वारा अब तक लगाए गए कच्चे मोटे-मोटे अनुमानों से भी है। वैसे यहां इसका जिक्र करना भी अप्रासांगिक नहीं होगा कि कोविड की नयी भयावह लहर के अनुमानों के पीछे, सिर्फ  मोदी राज के राजनीतिक स्वार्थों का ही नहीं, पश्चिमी शक्तियों तथा उनके प्रचार माध्यमों का खेल भी नजर आता है। दरअस्ल, भारत में नयी जबर्दस्त कोविड लहर के खतरे का प्रचार, दिसंबर के मध्य तक खूब जोर पकड़ चुके पश्चिमी मीडिया के इसके अतिरंजित प्रचार से सीधे जुड़ा हुआ है कि चीन मेें, कोरोना के विस्फोट से हालात बेकाबू हो चुके हैं। दिलचस्प है कि वही पश्चिमी प्रचार माध्यम इससे चंद रोज पहले तक, चीन की कोविड रोक-थाम की पाबंदियों को अतिवादी, दमनकारी, तानाशाहीपूर्ण आदि, आदि बताकर, इन पाबंदियों के खिलाफ  जहां-तहां हुए विरोध प्रदर्शनों का चीन की समाजवादी व्यवस्था के खिलाफ  प्रचार के लिए इस्तेमाल कर रहे थे।
इसी बीच भारत-चीन के बीच सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हुई अपेक्षाकृत मामूली झड़प के संबंध में विशेष रूप से संसद में जवाबदेही से मोदी सरकार को बचाने के लिए, कोविड के खतरे का तो इस्तेमाल किया ही गया, इसके साथ ही चीन में कोरोना के विस्फोट के अतिरंजित आख्यानों ने, चीन-विरोधीभावनाओं के प्रदर्शन के लिए एक वैकल्पिक मोर्चे का भी काम किया। हैरानी नहीं कि इसने सिर्फ चीन में कोरोना के वर्तमान विस्प ोट की घातकता को बढ़ाकर चित्रित करने का ही काम नहीं किया है, खुद भारत के लिए इसके खतरे को बढ़ाकर दिखाने का भी काम किया है।
लेकिन, सचाई यह है कि चीन की वास्तविक स्थिति की बात अगर हम फिलहाल छोड़ भी दें तो, क्योंकि पश्चिमी मीडिया के प्रचार के सामने, चीन द्वारा आधिकारिक रूप से दी जाने वाली जानकारियों को बहुत विश्वास के साथ आधार बनाना मुश्किल है और पश्चिमी मीडिया की खबरों पर भी ज्यों का त्यों विश्वास करना संभव नहीं है, भारत में कम से कम फिलहाल कोविड की किसी भयंकर लहर के आसार नहीं हैं। संक्षेप में इसके कारण तीन हैं। पहला यह कि चीन, जापान तथा अन्य पूर्वी देशों में कोविड वाइरस का जो वैरिएंट इस समय अपेक्षाकृत बड़ी संख्या में लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है, वह कोरोना का कोई नया वैरिएंट नहीं है बल्कि अब चल रहे वैरिएंट का ही कुछ और परिवर्तित उपरूप है। इसका अर्थ यह है कि 2021 में आयी भयंकर डेल्टा लहर जैसी किसी लहर के दुहराए जाने की कम से कम अब तक कोई वजह नहीं है।
दूसरे, भारत में और वास्तव मेें चीन में भी, बड़े पैमाने पर आबादी का टीकाकरण दो-खुराकों के साथ हो चुका है और यह टीकाकरण, जैसाकि हमने पिछली लहर में देखा था, वाइरस के संक्रमण से उतना बचाव मुहैया नहीं कराता है, जितना बचाव संक्रमण से गंभीर रूप से रोगग्रसित होने से मुहैया कराता है। चीन के कोविड के टीकों के प्रभावीपन के संबंध में मीडिया में आयीं अनेक अधकचरी टिप्पणियों में अगर सचाई का जरा सा अंश मान भी लिया जाए तब भी, भारत में हुए बड़े पैमाने पर टीकाकरण से, जो प्रमुखत: ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के टीके, कोवीशील्ड पर पर आधारित रहा है, हमारा देश कोविड की किसी नयी घातक लहर की तबाही से और भी सुरक्षित है।
  तीसरे, और यहीं चीन की स्थिति भारत से काफी भिन्न है, पिछली लहर के दौरान भारत में, आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा, कुछ अनुमानों के अनुसार 80 फीसद तक या उससे भी ज्यादा, इस संक्रमण के असर में आने के चलते, इस वाइरस के प्रति प्राकृतिक रोग प्रतिरोधकता विकसित कर चुका है। चीन में चूंकि पिछली डेल्टा वैरिएंट की लहर के दौरान सफलता के साथ आबादी को संक्रमण से बचाया जा सका था, यह प्राकृतिक प्रतिरोधकता वहां आबादी के अपेक्षाकृत कम हिस्से को ही हासिल हुई है और इसलिए मौजूदा लहर में चीन ही नहीं जापान आदि में भी, भारत के मुकाबले बहुत बड़ी संख्या में लोग इस बार की लहर में संक्रमित हो रहे हैं। और जाहिर है कि इस लहर में अस्पताल में भर्ती होने वालों और यहां तक मौतों की संख्या भी, चीन के रिकार्ड के लिहाज से कहीं ज्यादा है। लेकिन, भारत में और चीन में भी, कोविड की नयी लहर की भीषण तबाही की, आशंकाएं कम से कम अब तक के लक्षणों के हिसाब से निराधार हैं।
फिर भी, महामारी के वाइरस के मामले में जोखिम नहीं लिया जा सकता है। सबसे बड़ी बात यह कि वाइरस जब तक बना हुआ है, उसके किसी नये वैरिएंट के आने और तबाही मचाने की संभावना हमेशा ही रहेगी। इसीलिए, टीकाकरण तथा टीकों के बूस्टर के अलावा भीड़-भाड़ की जगहों पर मास्क या अन्य रोगों से पहले ही पीडि़त लोगों के लिए अतिरिक्त बचाव जैसे न्यूनतम बचाव उपाय हमेशा जरूरी हैं। लेकिन, न्यूनतम बचाव उपाय ही, न कि लॉकडाउन जैसे अधिकतम बचाव के उपाय। और सत्ताधारियों के राजनीतिक फायदे के लिए ऐसे राजनीतिक बचाव उपायों की तो हर्गिज जरूरत नहीं है।                 0
देशबंधु अखबार से साभार

795 Tikri Boarder

 ***टिकरी बॉर्डर पिलर 795 पर**

   जन स्वास्थ्य अभियान का एक वर्ष का नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर* "तन मन धन" के साथ काम करने वाली टीम *डॉक्टर:* 1.डॉ ओपी लठवाल सेवानिवृत्त चिकित्सा अधीक्षक, पीजीआईएमएस, रोहतक। 2. डॉ. बलराम कादियान, सेवानिवृत्त जिला स्वास्थ्य अधिकारी। 3.डॉ आरएस दहिया, जनरल सर्जरी, पीजीआईएमएस, रोहतक के सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रोफेसर। 4. डॉ रणबीर सिंह खासा, जनरल सर्जन, सेवानिवृत्त एसएमओ।

*सेवानिवृत्त फार्मासिस्ट:*
1 आजाद सिंह सिवाच
2. रणबीर सिंह कादियान
3. प्रेम सिंह जून
4. बलवान
5. धर्मवीर राठी
6.मोहिंदर सिंह सिवाच
7.वीरेंद्र सहारन
8. सी पी वत्स
*जेएसए कार्यकर्ता:*
1. मधु मेहरा
2. करण सिंह
3. डॉ सतनाम सिंह संयोजक जेएसए हरयाणा
4. सुरेश कुमार सह संयोजक जेएसए हरियाणा 6.ड्राइवर महावीर करौंथा का विशेष योगदान जो हमेशा हमारी साथ रहे ।

*स्थान :* अखिल भारतीय किसान सभा हरियाणा का 795 पिल्लर पर टेंट
शुरू करने की तिथि -
2 दिसंबर, 2020 प्रतिदिन और फिर अगस्त 2021 से सप्ताह में 3 दिन (सोमवार, बुधवार और शनिवार) 9 दिसम्बर तक।
2 दिसंबर से 31 दिसंबर, 2020 तक---
2130 मरीज
1 जनवरी 2021 से अब तक 9 दिसम्बर तक देखे गए  मरीज: 15440
कुल मरीज :17570
*दवाइयाँ*
असोसिएशनों , कई ग्राम वासियों , व्यक्तियों और मेडिकल स्टोरज द्वारा दान किये गए 350000 रुपये के मूल्य की दवाएं लगी।

*कई प्रकार के मरीज*
यूआरसी, खांसी-जुकाम, पीयूओ, जोड़ों का दर्द, पीठ दर्द, शरीर के सामान्य दर्द, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, चिंता, गुम चोट आदि। *विशेष स्थितियां:*
इस अवधि के दौरान तीन मरीज ऐसे थे जिनका रक्तचाप बहुत अधिक था। जो सेरेब्रल स्ट्रोक के लिए उत्तरदायी हो सकता था । तुरंत सबलिंगुअल निफेडिपिन की गोली दी गई और 1 घंटे के लिए  लेट कर आराम करने की सलाह दी गई। रक्तचाप कम हो गया और उन्हें विशेषज्ञ से मिलने की सलाह दी गई।
*एक और मामला* एक महिला का था । 795 पिल्लर पर एक स्कूटी का कार से एक्सीडेंट हो गया और स्कूटी चला रही महिला सुरक्षित थी लेकिन पीछे की सीट पर बैठी महिला नीचे गिर गई और उसे कई खरोंच और गुम चोट लगी। वह सदमे में चली गई। मैंने देखा और तुरंत महिला के पास गया और उसे एक सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित कर दिया। प्राथमिक उपचार किया। उसके दोनों टांगें ऊपर उठाकर रखी और  मैसाज किया। दूसरी महिला से उसे सिविल अस्पताल में शिफ्ट करने का अनुरोध किया। वह परिवार के किसी सदस्य के आने का इंतजार करने लगी। इस बीच मैंने देखा कि घायल महिला ठीक हो रही है। उसकी पल्स रेट को महसूस किया जा सकता था। सांस लेने में भी सुधार हुआ। इसी बीच कार वाला लड़का आया और उसे शिफ्ट कर दिया गया।

*सीमा पर किसान:* सीमा पर लोग बहुत सहयोगी थे और दृढ़ निश्चय के साथ शांति से रह रहे थे। हमारे चाय पानी का पूरा खयाल रखते थे। 800 के लगभग किसानों ने शहादत दी एक साल के आंदोलन में।
महिलाओं की भागीदारी:-
किसान आंदोलन में महिलाओं की भारी भागीदारी रही है।
*दवाओं से मदद :* दवाओं की मदद भी आई
--हुड्डा मेडिकोज शीला बायपास
--प्रदीप बूरा PMJAY दुकान पालिका बाजार रोड।
--सतेंदर दलाल मेडिकोज --नेशनल मेडिकोज
--डॉ राजेश मेडिकोज --जोगिंदर साहिल मलिक ओम मेडिकल स्टोर
--रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन, सेक्टर, 4 एक्सटेंशन, रोहतक एसोसिएशन ने टिकरी बॉर्डर पर जाकर भी जन स्वास्थ्य अभियान हरियाणा के मुफ्त चिकित्सा शिविर के लिए 5060 रुपये की दवाओं का योगदान दिया। किसान आंदोलन की शुरुआत से ही एसोसिएशन जेएसए की मदद कर रही थी। इंद्रप्रस्थ कॉलोनी एसोसिएशन ने दिए 7000 रुपये
इसी तरह व्यक्ति और अन्य संगठन समर्थन के लिए आगे आये।
बहोत से डॉक्टरों ने हमारे इस कदम का तहे दिल से आर्थिक सहयोग और समर्थन किया है। डॉ. आर.एस.दहिया
राज्य कोर सदस्य जेएसए, हरियाणा.

Jan Sawasthaya Abhiyan Haryana started free health check up clinic at Kishan Pura Chaupal in 2014 for three days Tuesday, Friday and Sunday . After some time we kept two days Tuesday and Friday from 9AM-12 AM . BP chek up, Blood Sugar and Hb testing is being done,along with medical consultation .  Distribution of some common medicines is also being done free of cost.
Dr O.P Lathwal Retd Deputy Director Health , Sevices Haryana, Dr R.S.Dahiya read.Sr professor Sirgery PGIMS Rohtak and Mr Ajad Singh Siwach retired pharmacist from HCMS cadre are  regularly running the clinic.
  Since 2015   same type of free health check up clinic is being held in Humayunpur on every Tuesday from 1 pm to 3 pm. It is possible with kind support of Sh.Raj Singh Dhankhar ex vice chancellor of MDU, belonging to Humayunpur Village, in his house itself. Madhu Mehra is helping there and in health Camps  as health activist.
During this period we are organising free health Camps in villages also with help of more doctors and paramedics.
   Dr Ranbir Khasa Surgeon , Dr Ritu Phogat Dentist, Dr Sonia Dahiya Gynaecologist, Dr Poonam, and other doctors are giving their services in these camps. 4 or 5 free health camps yearly are being organised.
The brief details of number of pts who attended in clinics and camps is as follows :
Humayoonpur free health  consultation clinic every Tuesday from 1 pm to 3 pm
2015...486
2016...533
2017...842
2018 -- 1065
2019--1261
2020--227
2021--351
2022--382

Kishan Pura Chaupal free health consumption clinic ..Tuesday, Friday 9 am. to 12 am.
2014. ..204
2015...875
2016. .1372
2017...1145
2018..1887
2019..1682
2020...2606
2021...3615
2022...2950
Health  Camps
1.18.1.2017...Bhiwani Chungi Rohtak..72 pts.
2. 23.4.2017...Sunaria village..115 pts
3. 30.7.2017...Bohar village..189 pts
4. 17.9.2017...Kharak Jatan...134 pts
5. 3-5.10.2017..Hisar...525
6. 22.10.2017...Makdauli kalan
7.16.11.2017...Rainak pura Rohtak...294
Total pts in camps..1587

Our Free Health Services in Historical Kisan Andolan


*One year of Jan Swasthya Abhiyan free health camp at tikri Border Pillar 795.*
Team which is working with "Tan Man Dhan"
*Doctors:*
1.Dr O .P .Lathwal retired Medical Suprintendant,PGIMS , Rohtak.
2. Dr Balram Kadian , retired District Health Officer.
3.Dr R.S.Dahiya, retired Senior Professor of General Surgery,PGIMS ,Rohtak.
4. Dr Ranbir Singh Khasa , General Surgeon , retired SMO.
*Other Dr Visitors for support:*
Dr Amrinder Singh
Dr Vijeta Grewal from Safadarajng
Hospital
*Retired Pharmacists :*
1 Ajad Singh Siwach
2. Ranbir Singh Kadian
3. Prem Singh Zoon
4. Balwan
5. Dharamvir Rathee
6.Mohinder Singh Siwach
7.Virender Saharan
8. C P Vats
*JSA activists :*
1. Madhu Mehra
2. Saumesh
3. Karan Singh
4. Dr Satnam Singh convenor JSA
Haryana
5. Suresh Kumar co-convener JSA Haryana
*Location :*
795 pillar Tent of All India Kisan Sabga Haryana
Starting date :
From 2nd December ,2020 daily and then three days a week from August 2021 three days week (Monday,Wednesday,and Saturday) up to 9 Dec 2021
Patients details:-
2nd December, 2020-31 December 2020
2130 patients.
From 1st January 2021 to 9th December--15440
Total patients :-17570
Medicines :-
Many associations,Medical Stores donated Medicines worth Rs 350000.
*Types of pts :*
URC, Cough-Cold, PUO, Joint pains, Back ache, General Body pains, High Blood Pressure, Diabetes, Anxiety, blunt injury etc.
*Special cases:*
There were three pts during this period who had very high blood pressure. Liable for cerebral stroke. Immediately given sublingual Nifedipine tab was given and adv rest for 1 hr . The blood pressure came down and they were advised specialist advise.
   *Another case* was a lady
On 795 pillar a scooty had accident with a car and the lady who was driving was safe but the lady sitting on back seat fell down and had multiple scratches and blunt injury .She went in to shock. I saw and immediately went to lady and shifted her to a side by safe place. Did first aid. Raised her both legs and messaged. Requested the other lady to shift her to civil hospital. She waited for family member to come. In the meantime I could see that injured lady is recovering . Her pulse rate could be felt. Respiration also improved. In the meantime boy with car came and shifted her.
     *Peasants at border:*
The people at border are very co operative and living with peace with a firm determination .

*Drugs help :*
The drugs help also came from
Hooda Medicos Sheela Byepas
Pardeep Boora
PMJAY shop palika bajar road.
Satender Dalal Medicos
National Medicos
Dr Rajesh Medicos
Joginder Sahil owner Om Medical Store

Resident Welfare Association , Sector , 4 Extension ,Rohtak
The association  contributed medicines worth Rs 5060 for Jan Swasthay Abhiyan Haryana free medical camp at Tikri Border. The association is helping JSA since begining of Kisan Andolan .
Indraprastha colony Association donated Rs 7000
Similarly individuals and other organisations are coming to support.
Many doctors have whole hearted supported our move.
Dr R.S.Dahiya
State Core Member
JSA , Haryana


Free opd data

 Humayoonpur free health  consultation clinic every Tuesday from 1 pm to 3 pm

2015...486
2016...533
2017...842
2018 -- 1065
2019--1261
2020--227
2021--351
2022--382

Kishan Pura Chaupal free health consumption clinic ..Tuesday, Friday 9 am. to 12 am.
2014. ..204
2015...875
2016. .1372
2017...1145
2018..1887
2019..1682
2020...2606
2021...3615
2022...2964

स्वास्थ्य सेवाएं ग्रामीण हरियाणा*

 


स्वास्थ्य सेवाएं ग्रामीण हरियाणा*
हरियाणा में ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति सरकार के मानकों के अनुसार बहुत दयनीय है। भारत की । 5000 की आबादी पर एक उप स्वास्थ्य केंद्र होना चाहिए। 30,000 की आबादी के लिए एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) की आवश्यकता है ।
यह अनुशंसा की जाती है कि एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) होना चाहिए (80000 पहाड़ों के लिए और 1,20000 मैदानों के लिए )
   भारत सरकार के मानदंडों के अनुसार, हरियाणा में प्रत्येक उप स्वास्थ्य केंद्र ,पीएचसी और सीएचसी के लिए निम्नलिखित स्टाफ की आवश्यकताओं की सिफारिश की जाती है।

ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के आवश्यक कर्मचारी इस प्रकार से होने चाहिएं।
उप स्वास्थ्य केंद्र:-
---1 महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता
--- 1 पुरुष स्वास्थ्य कार्यकर्ता
      ( एमपीएचडब्ल्यू )
--- 1 स्वयंसेवी कार्यकर्ता FHW की मदद करने के लिए
*पीएचसी के लिए आवश्यक स्टाफ :-*
टाइप ए
-- 1. चिकित्सा अधिकारी..1 अनिवार्य 2. चिकित्सा अधिकारी आयुष..1 वांछनीय।
3. डाटा ऑपरेटर..1
4. फार्मासिस्ट ..1 फार्मासिस्ट आयुष..1 वांछनीय
5. नर्स-मिड वाइफ (स्टाफ नर्स) ..3 +1 वांछनीय
6. स्वास्थ्य कार्यकर्ता महिला..1*
7. स्वास्थ्य सहायक पुरुष..1
8. स्वास्थ्य सहायक महिला..1
9. स्वास्थ्य शिक्षक ..1 वांछनीय
10. लैब तकनीशियन..1
11.कोल्ड चेन असिस्टेंट..1 वांछनीय 12. मुक्ति कुशल समूह डी कार्यकर्ता..2 13. स्वच्छता कार्यकर्ता..1
कुल स्टाफ--
.. आवश्यक..13 वांछनीय..18

टाइप बी--

1. चिकित्सा अधिकारी..1 अनिवार्य वांछनीय ..1
2. चिकित्सा अधिकारी आयुष..1 वांछनीय।
3. डाटा ऑपरेटर..1
4. फार्मासिस्ट ..1 फार्मासिस्ट आयुष..1 वांछनीय
5. नर्स-मिड वाइफ (स्टाफ नर्स.)..4 +1 वांछनीय
6. स्वास्थ्य कार्यकर्ता महिला..1*
7. स्वास्थ्य सहायक पुरुष..1
8. स्वास्थ्य सहायक महिला..1
9. स्वास्थ्य शिक्षक ..1 वांछनीय
10. लैब तकनीशियन..1
11.कोल्ड चेन असिस्टेंट..1
वांछनीय
12. मुक्ति कुशल समूह डी कार्यकर्ता..2 वांछनीय..2
13. स्वच्छता कार्यकर्ता..1 वांछनीय..1
कुल स्टाफ
.. आवश्यक..14
वांछनीय..21

*सीएचसी के लिए आवश्यक कर्मचारी:-*
1. प्रखंड चिकित्सा अधिकारी/चिकित्सा अधीक्षक..1
2. जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ..1
3. सार्वजनिक स्वास्थ्य नर्स (PHN)..1 वांछनीय..+1
4. जनरल सर्जन ..1
5. फिजिशियन..1
6. प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ..1
7. बाल रोग विशेषज्ञ ..1
8. एनेस्थेटिस्ट..1
9. डेंटल सर्जन.. 1
10. सामान्य ड्यूटी चिकित्सा अधिकारी..2
11.चिकित्सा अधिकारी आयुष ..1
12. स्टाफ नर्स..10
13. फार्मासिस्ट..1 वांछनीय..1 14.फार्मासिस्ट आयुष..1
15. लैब तकनीशियन..2
16. रेडियोग्राफर..1
17.आहार विशेषज्ञ ..1 वांछनीय
18. नेत्र सहायक..1
19.दंत सहायक..1
20. कोल्ड चेन और वैक्सीन लॉजिस्टिक असिस्टेंट..1
21. ओटी तकनीशियन..1
22. बहु पुनर्वास/समुदाय आधारित पुनर्वास कार्यकर्ता..1 वांछनीय ..+1
23. काउंसलर..1
24. पंजीकरण लिपिक..2
25. सांख्यिकीय सहायक /डाटा एंट्री ऑपरेटर ..2
26. खाता सहायक..1
27. प्रशासनिक सहायक..1
28. ड्रेसर/ रेड क्रॉस द्वारा प्रमाणित..1 29. वार्ड बॉय/नर्सिंग अर्दली..5
30. ड्राइवर* ..*1 आउट सोर्स किया जा सकता है। वांछनीय..3
टोटल
..आवश्यक..46
वांछनीय..52
वर्तमान ढांचे की जर्जर हालत :-
वर्तमान में हरियाणा ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा मार्च जून 2020 के अनुसार  जितना होना चाहिए उतना नहीं है और जितना है उसमें भी स्पेशलिस्ट डाकटरों , मेडिकल अफसरों , नर्सों , रेडियोग्राफरों, फार्मासिस्टों तथा लैब तकनीशियों की भारी कमी है। आज  2667 उप स्वास्थ्य केंद्र हैं ,532 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं और 119 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं।
आज की जन संख्या की जरूरतों के हिसाब से हमारे पास 972 उप स्वास्थ्य केंद्रों की कमी है, 74 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की कमी है और 32 सामुदायिक केंद्रों की कमी है।
    इसी प्रकार से स्टाफ के बारे में देखें तो वर्तमान ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 491 मेडिकल अफसर हैं जबकि होने 1064 मेडिकल अफसर चाहियें ।
     एक ग्रामीण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 6 विशेषज्ञ (एक सर्जन, एक स्त्री रोग विशेषज्ञ, एक फिजिशियन, एक शिशु रोग विशेषज्ञ, एक हड्डी रोग विशेषज्ञ और एक बेहोशी देने वाला विशेषज्ञ ) होने चाहिए। इसके हिसाब से आज वर्तमान सामुदायिक केंद्रों में 714 स्पेशलिस्ट होने चाहिए जबकि आज के दिन 27 स्पेशलिस्ट ही मौजूद हैं ।
     पीएचसी और सीएचसी में नर्सिंग स्टाफ:
इसी तरह पीएचसी और सीएचसी में नर्सिंग स्टाफ की हालत ज्यादा बेहतर नहीं है। हरियाणा की 1.65 करोड़ (2011 सेंसेस) ग्रामीण जनसंख्या  के अनुसार पीएचसी और सीएचसी में स्टाफ नर्सों की संख्या 2333 होनी चाहिए। जबकि मार्च/जून 2020 के उपलब्ध आंकड़ों अनुसार स्टाफ नर्सों की वर्तमान/वास्तविक स्थिति 2193 है। *यानी 140 नर्सों की कमी है।*

   रेडियोग्राफर आज के दिन सीएचसी में एक रेडियोग्राफर की पोस्ट है। आज इनकी संख्या 38 हैं जबकि जरूरत 119 की है। 81 रेडियोग्राफर्स की कमी है।       
                  इसी प्रकार आज के दिन पीएचसी में एक और सीएचसी दो फार्मासिस्ट्स की पोस्ट हैं । आज जरूरत है 770 फार्मासिस्ट्स कि जबकि मौजूद हैं 405 फार्मासिस्ट। आज की जरूरत के हिसाब से 365 फार्मासिस्ट्स की कमी है।
   यदि लैब टेक्नीशियन का जायजा लें तो 770 लैब तकनीशियन की जरूरत है जबकि वर्तमान में 400 फार्मासिस्ट ही हैं। 370 फार्मासिस्ट आज कम हैं ।

हरियाणा ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के इन हालातों को देखते हुए, जन स्वास्थ्य अभियान हरियाणा के सुझाव और मांग इस प्रकार हैं :
1. हरियाणा के नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं प्रदान करने के लिए और कोविड की पहली लहर के दौर की कमजोरियों के चलते दूसरी लहर के गम्भीर परिणामों के समाधान के लिए और कोविड महामारी की संभावित तीसरी लहर का सामना करने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं के सरकारी  बुनियादी ढांचे को तुरंत मजबूत किया जाना चाहिए ।
2. स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए तत्काल अधिक धनराशि आवंटित करें।
3. सभी, कोविड और गैर-कोविड रोगियों के लिए व्यापक, सुलभ, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की गारंटी करे सरकार। 4. इसके साथ ही कोविड 19 मानदंड और पोस्ट कोविड 19 स्थितियों का सामना करने के लिए स्वास्थ्य कार्यबल का ऑनलाइन या अन्यथा उचित और तत्काल प्रशिक्षण होना चाहिए।
5.  सरकार को स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारकों पर काम करना चाहिए जिसमें शामिल हैं :
ए) सार्वजनिक वितरण प्रणाली के सार्वभौमिकरण और विस्तार द्वारा खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देना।
बी) सभी के लिए सुरक्षित पेयजल की व्यवस्था करना।
सी) शैचालय और स्वच्छता सुविधाएं सभी के लिए
डी) सभी को पूर्ण रोजगार
ई) सभी के लिए शिक्षा
एफ) सभ्य और पर्याप्त आवास का प्रबंध करे सरकार।
छ) स्वास्थ्य के लिंग आयामों को भी पर्याप्त रूप से संबोधित किया जाना चाहिए।
6. सभी महिलाओं को उनकी सभी स्वास्थ्य जरूरतों के लिए व्यापक, सुलभ, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की गारंटी दें जिसमें मातृ देखभाल शामिल है लेकिन यहीं तक सीमित नहीं है।
7. नवीनतम जनसंख्या आवश्यकताओं के अनुसार सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में स्वास्थ्य कर्मियों की पूरी श्रृंखला के लिए और अधिक पद सृजित करें।
8. स्वास्थ्य विभाग के सभी संविदा कर्मचारियों को नियमित करना और आशा एएनएम और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के सभी स्तरों के कर्मचारियों को पर्याप्त कौशल, वेतन और काम करने की अच्छी स्थिति प्रदान करना।
     स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तक पहुंच में अत्यधिक असमानता और लोगों की रहने की खराब स्थिति भारत और हरियाणा में भी स्वास्थ्य की खराब स्थितियों के लिए जिम्मेदार है। इसी कारण  जो लोग भुगतान कर सकते हैं वे विश्व स्तरीय उपचार सुविधाएं प्राप्त करने में सक्षम हैं। दूसरी तरफ राज्य में अधिकांश लोगों के लिए परिवार में बस एक बड़ी बीमारी परिवार ही अत्यधिक गरीबी और अभाव में डुबो देती है। कोरोना महामारी के कोविड मामलों के प्रबंधन में इस अमीर गरीब का अंतर और भी दिखाई देता  है जब अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है।
     सरकार को इन असमानताओं के समाधान के लिए भी उपाय देखना चाहिए।
     जन स्वास्थ्य अभियान हरियाणा का यह ईमानदार प्रयास है कि लोगों को इन मुद्दों के बारे में जागरूक किया जाए ताकि लोग स्वास्थ्य को अभियान का एजेंडा बनाएं और इसके लिए सामूहिक रूप से संघर्ष करें और हरियाणा सरकार पर दबाव बनाएं ताकि सरकार तत्काल उपचारात्मक उपाय करने को तैयार हो।

  इस महामारी के दौर में जनता के स्वास्थ्य का संकट और इन सेवाओं में कार्यरत डॉक्टरों , नर्सों , पैरामेडिकल्स की कमी के चलते लोगों के इलाज की अपेक्षाओं पर खरा न उतर पाने की सीमाएं समझ आ सकती हैं ।
जन स्वास्थ्य अभियान हरियाणा का यह ईमानदार प्रयास है कि लोगों को इन मुद्दों के बारे में जागरूक किया जाए ताकि लोग स्वास्थ्य को संघर्ष का एजेंडा बना सकें।
प्रोफेसर सतनाम सिंह संयोजक
+91 94662 90728
सुरेश कुमार सह संयोजक
+91 94162 32339
श्रीमती सविता जेएमएस
+91 94169 74185
श्रीमती सुरेखा सीटू
+91 97283 51260
श्री वीरेंद्र मलिक सीटू
+91 94163 51090 प्रमोद गौरी HGVS +91 98120 44915 डॉ. आर.एस.दहिया HGVS
+91 9812139001
प्रोफेसर श्रीमती अमिता
+91 94163 80762
संदीप कुमार डीवाईएफआई
+91 94673 38550

Data Source :
Rural Health Statistics 2019-20)
And
http://haryanahealth.nic.in/Documents/CHC.pdf
Documents/PHCsubcenter.pdf
http://haryanahealth.nic.in/infrastructure.htm/
Mission https://ejalshakti.gov.in

Malnutrition in India

 Malnutrition in India

Dr R.S.Dahiya
There are two thoughts regarding malnutrition in India.
1.
One way  of thinking regarding malnutrition in India is a medical emergency which may result in fatality. It is because of this that it requires specialised treatment under expert care. The treatment of 'uncomplicated' cases is provided through specially designed products called "Ready to use Therapeutic  Foods"(RUTF), which are standardized in their composition and include essential micronutrients.
This view is one which is promoted largely by experts in clinical management of malnutrition.
2.
The other way of thinking is that the malnutrition is the outcome of social economic and political inequalities. Malnutrition has to be managed in all its stages and manifestations , with a strong focus on the ' root causes'. The process and products used to address malnutrition need to reflect this overall approach. This view is largely promoted by public health experts.
     
    However the first approach has come to be regarded as the principal stress the in managing my location the alarming situation of malnutrition in India demand a comprehensive approach that address the needs both of those children who are malnourished and require treatment, as well as preventing much larger numbers with moderate malnutrition from deteriorating further.(Prasad and Sinha 2005)
   Unfortunately, the approach followed has been informed by a biomedical rather than public health perspective, where malnutrition is often treated without considering its broader social determinants , amongst which household food insecurity dominates.
    Efforts to mitigate food insecurity for children in India are primarily channelled through the Integrated Child Development Scheme (ICDS),under the Ministry of Women and Child Development. As part of the scheme , an 'Anganwadi' or child care centre is established for every 1000 children between the age of 0 and 3 years. The Anganwadi provides nutritional supplements and pre school education. However the programme has been unable to reach children under the age of 2 years even though it is widely recognised that this is the age group most critical for intervention.(Prasad and Sinha 2015).
  National Rehabilation Centre (NRCs) have been established after the rolling out of the National Rural Health Mission(NRHM ,2005) to treat children with Severe Acute Malnutrition(SAM). Experience , however has shown that NRCs are unable to cope with the large numbers of children suffering from malnutrition and are largely ineffective in addressing the problem. There are serious discrepancies in protocols in the management of SAM between NRCs and ICDS(Prasad, Sinha and Shridhar, 2012) creating operational problems. Families are also unwilling to admit children in the NRCs(often situated far from their homes) for prolonged periods of time. The NRCs treat the children as medical emergencies and donot offer any comprehensive system of prevention or continuity of care .

Haryana -- Some Health Indicators as per NFHS-5(2019-21)
1. Sex Ratio of the total population
(Females per 1000 males) -
Urban- 911, Rural-933, Total-926
2. Sex ratio at birth for children in the last 5 years(females per 1000 males)-
Urban-943, Rural-873, Total -893
3. Infant Mortality Rate-(IMR)--
Urban--28.6%, Rural--35.3%, Total-33.3% .It was total 32.8% in NFHS--4. Increased now.
4. Average out of pocket expenditure per delivery in a public health facility (Rs)--
Urban--1,766, Rural--1631, Total--1666, NFHS-4 it was 1569 total which was less.
5. Children with age of 3 years breastfed within one hour of birth(%)
Urban--37.7, Rural--43.3 Total--41.6

6. Children under 5 years who are Stunted(height for age)(%)
Urban--26.1, Rural--28.1, Total--27.5

7. Children under 5 years who are wasted(weight for height)(%)
Urban--10.8, Rural--11.8, Total--11.5

8. Children under 5 years who are under weight(weight for age)(%)
Urban--20.5, Rural--21.8, Total--21.5

9. Children age 6--59 months who are anaemic( less than 11.o g/dl(%)
Urban--68.1, Rural--71.5, Total--70.4

10. Pregnant women age 15--49 years who are anaemic(less than 11.0 g/dl(%)
Urban--54.6, Rural--57.2, Total--56.5

It was more than survey 4
11. All women age 15--19 years who are anaemic  (%)
Urban--59.3, Rural--63.5,Total--62.3

12. Men age 15--19 years who are anaemic(less than 13.0g/dl)(%)
Urban--26.7,Rural--31.5,Total--29.9
NFHS 4 --29.7
It is more than NFHS 4 data.
13. Ever married women age 18--49 years who have ever experienced spouse violence (%)
Urban--18.0, Rural--18.2 Total--18.2

14. Maternal Mortality Rate shot up 101 per lakh live birthday to 110 in 2018--2020
Times of India 1st Dec , 22


These parameters also indicate the malnutrition situation in one way or the other.

बच्चे बारे कुछ जानकारियां

 जन स्वास्थ्य अभियान हरियाणा 

बच्चे बारे कुछ जानकारियां

Dr. Ranbir Singh Dahiya

 

बच्चे बारे कुछ जानकारियां

गर्भ काल में निम्नलिखित हालातों का बच्चे के उप्पर बुरा प्रभाव पड़ता है :-

1. मां की खुराक में पोषक तत्वों की कमी।

2. गिर जाने अथवा किसी दुर्घटना के कारण पेट पर चोट लग जाना , जिससे समय से पूर्व ही दर्दों के कारण शिशु का पैदा हो जाना ।

3. गर्भाधान के प्रथम तीन महीनों में वायरल इंफेक्शन होने के कारण।

4. गर्भाधान के प्रथम तीन महीनों में एक्स-रे करवाने के कारण ।

5. गर्भाधान के अंतिम महीनों में सिफिलिस का होना

6. गर्भाधान में मधुमेह अथवा टॉक्सीमिया का होना

7. आँवल (Placenta)  की उचित वृद्धि न होने के कारण भ्रूण तक पूरी मात्रा में ऑक्सीजन के न पहुंच पाने के कारण भी शिशु की वृद्धि में अवरोध उतपन हो सकता है ।

8. खुराकी कारक

यदि गर्भकाल में जननी की खुराक अपूर्ण हो तो कम भार वाले बच्चे पैदा होते हैं , जो जन्म के बाद शीघ्र ही रोगी हो जाते हैं और कई बार मर भी जाते हैं।

इसके अलावा

1.कद में वृद्धि: प्रथम वर्ष में 25 सैं मी कद बढ़ता है ।

2. बाजू का मध्य घेरा- प्रथम वर्ष में बाजू का ऊपरी मध्य घेरा 11 सेंटीमीटर से बढ़कर 16 सेंटीमीटर हो जाता है। 

3. सिर का घेरा: जन्म के समय 35 सैं मी. होता है और प्रथम वर्ष में 45 सैंटीमीटर हो जाता है।

4. छाती का घेरा: जन्म के समय शिशु की छाती का घेरा सिर के घेरे से 2 सैंटीमीटर कम होता है। एक वर्ष की आयु में छाती और सिर का घेरा एक समान हो जाते हैं 

5. एक वर्ष के शिशु का तापमान : 96.8  डिग्री F से 99 डिग्री F

6. एपिकल पल्स( दिल की धड़कन): 90--130 बीट्स प्रति मिन्ट

7. श्वास गति : 20 से 40 प्रति मिनट

8. रक्त चाप(BP): 90/50 mm Hg

नवजात शिशु(New Born)

नवजात शिशु से तात्पर्य है प्रथम चार सप्ताह। इस आयु में शिशु का शारीरिक , मानसिक और संवेगात्मक स्वास्थ्य माता के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। इस आयु में शिशु की मुख्य आवश्यकताएं निम्नलिखित होती हैं :-

1. सुरक्षित प्रसव(Safe delivery)

2. सुरक्षित एवम प्रेमपूर्वक उठाना

3. स्वच्छता (Cleanliness)

4. संक्रमण से बचाव (Prevention from infection)

5. गर्माइश(Warmth)

6. आराम और नींद(Rest and sleep)

7.खुराक- मां का दूध या कृत्रिम पोषक आहार(Nutrition)

शिशु(Infant)

चार सप्ताह से एक वर्ष के बच्चे को शिशु (Infant) कहा जाता है। इस आयु में शरीर,बाजू,और टांगों में तेजी से वृद्धि होती है, परन्तु सिर की वृद्धि तेजी से नहीं होती । मांसपेशियों की ताकत बढ़ती है और तीन महीने की आयु में शिशु सिर को उठाना आरम्भ कर देता है।

1. शारीरिक विकास ( Physical growth)

जन्म से प्रथम सप्ताह तक शिशु का जन्म भार से 10 प्रतिशत भार कम हो जाता है और दसवें दिन से दोबारा बढ़ना शुरू हो जाता है, जो नियमानुसार है:

1-3 महीने   : 200  ग्राम प्रति सप्ताह या 800 ग्राम प्रति महीना

4-6 महीने   : 150 ग्राम प्रति सप्ताह या 600 ग्राम प्रति महीना

7-9  महीने   : 100 ग्राम प्रति सप्ताह या 400 ग्राम प्रति महीना

10-12 महीने : 50-70 ग्राम प्रति सप्ताह या 200-300 ग्राम प्रति महीना

  इसका मतलब यह है कि 5-6 महीने की आयु तक शिशु अपने जन्म-भार से दोगुणा और एक वर्ष की आयु तक तीन गुणा हो जाता है ।

   कद में वृद्धि: प्रथम वर्ष में 25 सैं.मी. कद बढ़ता है।

बाजु का घेरा - प्रथम वर्ष में बाजु का ऊपरी मध्य घेरा 11 सैंटीमीटर से बढ़कर 16 सैंटीमीटर हो जाता है ।

सिर का घेरा -- 

जन्म के समय 35 सैं.मी. होता है और प्रथम वर्ष में 45 सैं.मी. हो जाता है ।

छाती का घेरा -

जन्म के समय शिशु की छाती का घेरा सिर के घेरे से 2 सैंटीमीटर कम होता है । एक वर्ष की आयु में छाती और सिर का घेरा एक समान हो जाता है। 

2 . महत्वपूर्ण चिन्ह-(Vital Signs)-

* एक वर्ष के शिशु का तापमान :96डिग्री फॉरनहाइट से 99 डिग्री फॉरनहाइट

* अपीकल पल्स (दिल की धड़कन )--90 -130 

श्वास गति --20 -40 प्रति मिनट 

रक्तचाप (BP) ---90 /50 Hg

3 . महत्वपूर्ण घटनाएं (Mile Stones )-------

इस समय में शारीरिक वृद्धि  के साथ साथ सामाजिक और मानसिक विकास भी होता है  | 

वृद्धि दोनों साथ साथ होते हैं 

शिशु के मील पत्थर ---Mile Stones)--

दूसरा --तीसरा महीना --(Second-Third Month)--

-- शिशु अपने आप मुस्कुराता है 

--गले में से आवाज पैदा करता है 

--सिर को दाएं बाएं दोनों और मोड़ता है 

--चिल्लाने की कोशिश करता है 

चौथा और पांचवां महीना (Fourth and Fifth Month)----

--वस्तुओं को पकड़ता है 

--करवट लेता है 

-- अपने आस पास के लोगों को पहचानता है 

-- आवाज को ध्यान से सुनता है 

--टाँगें ऊपर निचे करके हिलाता है

छठा महीना (Sixth Month )---

--सहारा लेकर बैठ जाता है 

--मां और परिवार के सदस्यों को अच्छी तरह पहचानता है 

--दूध पिने का समय होने पर बोतल पर हाथ रखता है 

--नक़ल उतारने की कोशिश करता है 

--4 -6 महीने में निचे के दांत निकालता है 

--अपरिचित लोगों से डरता है 

सातवें से नौवें महीने (Seventh to Nineth Month )

--रेंगना शुरू कर देता है 

--पैर मुँह में डालता है 

-- अधिक समय तक अकेला बैठ सकता है 

--करवट लेता है 

--अपने आप से बातें करता है 

--खिलौनों के साथ खेलता है 

--डा डा ,मा मा , बा बा कहना शुरू करता है 

दसवें से बारहवें महीने (Tenth to Twelfth Month )

--6 -8 दांत निकल आते हैं 

--खिलौने फैंकता है 

--एक खिलौने को दूसरे में डालता है 

--ईर्ष्या, प्रेम ,और क्रोध की भावनाओं को प्रकट करता है 

-- अपने आप खड़ा हो जाता है 

--कोई वस्तु अथवा ऊगली पकड़ कर चल सकता है 

--सीढ़ियों पर चढ़ने का यत्न करता है 

4 . खेल 

शिशु इस समय में स्पर्श ,देखने और बोलने वाले तथा उत्तेजित करने वाले कारकों को पहचान ना आरम्भ कर देता है |  शिशु कोमल खिलौनों से खेलना आरम्भ कर देता है |  चलना शुरू करने के बाद शिशु चित्रों वाली पुस्तकों और खिलौनों को फेंकना आरम्भ कर देता है 

बच्चे की खुराक (Diet)

1 साल से 3 साल के बच्चे को 1240 किलो कैलोरी की आवश्यकता होती है। जबकि 4 से 6 साल के बच्चे को 1690 किलो कैलोरी की आवश्यकता होती है ।

2 प्रोटीन :: (Protein)

1 से 3 साल के बच्चे को 22 ग्राम प्रोटीन और 4 से 6 साल के बच्चे को 30 ग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है ।

3 चर्बी:: (Fat)

भोजन की स्वादिष्टता और भरपूर ऊर्जा की प्राप्ति के लिए 25 ग्राम चर्बी तत्व प्रतिदिन देने चाहिए ।

4 लौह (Iron):: बचपन में लौह की कमी को पूरा करने के लिए आहार में लौह तत्वों का होना अत्यंत आवश्यक होता है। 1से 3 साल के बच्चे को 12 मिलीग्राम प्रतिदिन और 4-6 साल के बच्चे को 18 मिलीग्राम प्रतिदिन लौह की आवश्यकता होती है। 

5 विटामिन(Vitamin)::भारत में विटामिन ए की कमी के कारण रतौंधी (अंधता) आदि जैसे अनेक रोग उन बच्चों में पाए जाते हैं जिनकी खुराक में 100 माइक्रोग्राम प्रतिदिन से भी कम होती है । बच्चे की खुराक में 400 माइक्रोग्राम  विटामिन ए की मात्रा शामिल होनी चाहिए । इसी प्रकार विटामिन सी की खुराक में मात्रा 40 मिलीग्राम प्रतिदिन होनी चाहिए ।

5. बच्चों में मोटापे के परिणाम 

* बच्चे आजकल बहुत तेजी से शारीरिक स्तर पर निष्क्रिय जीवन शैली को अपना रहे हैं । 

* अधिक मात्रा में ऊर्जा-घनित, पोषण-रहित खाना खा रहे हैं ।

* जिसकी वजह से आजकल बच्चों में मस्तिष्क वाहिकीय रोगों(स्ट्रोक्स) के अलावा कैंसर, टाइप-2 मधुमेह, आस्टिओर्थ्रिटिस,हैपेरटेंशन और हाई कोलोस्ट्रॉल जैसी बीमारियां पाई जा रही हैं । भारतीय बच्चे अपने दैनिक भोजन में उचित मात्रा में फल या सब्जियां नहीं खाते हैं, जितनी उन्हें उनकी उम्र के अनुसार खानी चाहिए । ये सभी कारक उनके जीवन स्तर और भविष्य के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं ।

बच्चों की सेहत बारे

6. वातावरण( environment)

वातावरण बच्चे की वृद्धि और विकास को अत्यधिक प्रभावित करता है ,इसमें

1. ऋतु, धुप और प्रकाश 

2. साफ हवा ,साफ पाणी और पौष्टिक भोजन

3. घर की स्वच्छता

4. बच्चे को दी गयी खुराक की गुणवत्ता और मात्रा

5. व्यायाम, आराम और मनोरंजन

6. इंफेक्शन और चोट आदि।

7. हवा , पानी और खाद्य पदार्थों में मिलावट और प्रदूषण 

8. वातावरण के प्रति समाज की संवेदनशीलता ।

9. सामाजिक-आर्थिक स्थितियां(Socio-economic Conditions)

पारिवारिक जीवन पद्धति का भी वृद्धि और विकास पर बहुत प्रभाव होता है। अमीर घरों के बच्चों का शारीरिक भार और कद सामान्य होता है , क्योंकि उन्हें संतुलित खुराक मिलती है , जबकि गरीब परिवारों के बच्चों की मुख्य जरूरतें रोटी, कपड़ा आदि भी ठीक ढंग से पूरी नहीं हो पाती।

10. बदहाली और गरीबी के सामाजिक और आर्थिक हालात के कारण बच्चों में अनेक रोग पैदा हो जाते हैं और कई बार तो मृत्यु तक हो जाती है।


7. स्कूल अवस्था 

यह आयु 6-12 साल की होती है । इस आयु में शारीरिक विकास तेजी से होता है ।

1 शारीरिक विकास ::(physical development )

* 6 से 12 वर्ष की आयु के मध्य बच्चे की लगभग 5 सेंटीमीटर तक वृद्धि होती है।

* 6 वर्ष की आयु में बच्चे का कद 115 सैं. मी.  और 12 वर्ष की आयु में 150 सैं.मी. तक हो जाता है ।

* प्रत्येक वर्ष बच्चे का भार 2-3 किलो ग्राम तक बढ़ता है। 6 वर्ष की आयु में भार लगभग 20 किलोग्राम और 12 वर्ष की आयु में 40 किलोग्राम तक बढ़ता है । 

* दूध के दांत धीरे धीरे टूटने लगते हैं और पक्के दांत आने शुरू हो जाते हैं।

* रात के समय बच्चा लगभग 10 से 12 घण्टे तक सोता है।

* लड़कों की अपेक्षा लड़कियों में वृद्धि जल्दी होती है।

स्रोत --बच्चे की स्वास्थय परिचर्चा --लोटस पब्लिशर्स