Sunday, 6 February 2022

JSA

 The COVID-19 pandemic brought a complex array of challenges which had mental health repercussions for everyone, including children and adolescents. Grief, fear, uncertainty, social isolation, increased screen time, and parental fatigue have negatively affected the mental health of children.

Sunday, 16 January 2022

टिकरी बॉर्डर हेल्थ कैम्प

 


  ***टिकरी बॉर्डर पिलर 795 पर**
   जन स्वास्थ्य अभियान का एक वर्ष का नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर* "तन मन धन" के साथ काम करने वाली टीम *डॉक्टर:* 1.डॉ ओपी लठवाल सेवानिवृत्त चिकित्सा अधीक्षक, पीजीआईएमएस, रोहतक। 2. डॉ. बलराम कादियान, सेवानिवृत्त जिला स्वास्थ्य अधिकारी। 3.डॉ आरएस दहिया, जनरल सर्जरी, पीजीआईएमएस, रोहतक के सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रोफेसर। 4. डॉ रणबीर सिंह खासा, जनरल सर्जन, सेवानिवृत्त एसएमओ।

*सेवानिवृत्त फार्मासिस्ट:*
1 आजाद सिंह सिवाच
2. रणबीर सिंह कादियान
3. प्रेम सिंह जून
4. बलवान
5. धर्मवीर राठी
6.मोहिंदर सिंह सिवाच
7.वीरेंद्र सहारन
8. सी पी वत्स
*जेएसए कार्यकर्ता:* 1. मधु मेहरा
2. सौमेश शर्मा
3. करण सिंह
4. डॉ सतनाम सिंह संयोजक जेएसए हरयाणा
5. सुरेश कुमार सह संयोजक जेएसए हरियाणा 6.ड्राइवर महावीर करौंथा का विशेष योगदान जो हमेशा हमारी साथ रहे ।

*स्थान :* अखिल भारतीय किसान सभा हरियाणा का 795 पिल्लर पर टेंट
शुरू करने की तिथि -
2 दिसंबर, 2020 प्रतिदिन और फिर अगस्त 2021 से सप्ताह में 3 दिन (सोमवार, बुधवार और शनिवार) 9 दिसम्बर तक।
2 दिसंबर से 31 दिसंबर, 2020 तक---
2130 मरीज
1 जनवरी 2021 से अब तक 9 दिसम्बर तक देखे गए  मरीज: 15440
कुल मरीज :17570
*दवाइयाँ*
असोसिएशनों , कई ग्राम वासियों , व्यक्तियों और मेडिकल स्टोरज द्वारा दान किये गए 350000 रुपये के मूल्य की दवाएं लगी।

*कई प्रकार के मरीज*
यूआरसी, खांसी-जुकाम, पीयूओ, जोड़ों का दर्द, पीठ दर्द, शरीर के सामान्य दर्द, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, चिंता, गुम चोट आदि। *विशेष स्थितियां:*
इस अवधि के दौरान तीन मरीज ऐसे थे जिनका रक्तचाप बहुत अधिक था। जो सेरेब्रल स्ट्रोक के लिए उत्तरदायी हो सकता था । तुरंत सबलिंगुअल निफेडिपिन की गोली दी गई और 1 घंटे के लिए  लेट कर आराम करने की सलाह दी गई। रक्तचाप कम हो गया और उन्हें विशेषज्ञ से मिलने की सलाह दी गई।
*एक और मामला* एक महिला का था । 795 पिल्लर पर एक स्कूटी का कार से एक्सीडेंट हो गया और स्कूटी चला रही महिला सुरक्षित थी लेकिन पीछे की सीट पर बैठी महिला नीचे गिर गई और उसे कई खरोंच और गुम चोट लगी। वह सदमे में चली गई। मैंने देखा और तुरंत महिला के पास गया और उसे एक सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित कर दिया। प्राथमिक उपचार किया। उसके दोनों टांगें ऊपर उठाकर रखी और  मैसाज किया। दूसरी महिला से उसे सिविल अस्पताल में शिफ्ट करने का अनुरोध किया। वह परिवार के किसी सदस्य के आने का इंतजार करने लगी। इस बीच मैंने देखा कि घायल महिला ठीक हो रही है। उसकी पल्स रेट को महसूस किया जा सकता था। सांस लेने में भी सुधार हुआ। इसी बीच कार वाला लड़का आया और उसे शिफ्ट कर दिया गया।

*सीमा पर किसान:* सीमा पर लोग बहुत सहयोगी थे और दृढ़ निश्चय के साथ शांति से रह रहे थे। हमारे चाय पानी का पूरा खयाल रखते थे। 800 के लगभग किसानों ने शहादत दी एक साल के आंदोलन में।
महिलाओं की भागीदारी:-
किसान आंदोलन में महिलाओं की भारी भागीदारी रही है।
*दवाओं से मदद :* दवाओं की मदद भी आई हुड्डा मेडिकोज शीला बायपास प्रदीप बूरा PMJAY दुकान पालिका बाजार रोड। सतेंदर दलाल मेडिकोज नेशनल मेडिकोज डॉ राजेश मेडिकोज जोगिंदर साहिल मालिक ओम मेडिकल स्टोर रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन, सेक्टर, 4 एक्सटेंशन, रोहतक एसोसिएशन ने आज टिकरी बॉर्डर पर जन स्वास्थ्य अभियान हरियाणा के मुफ्त चिकित्सा शिविर के लिए 5060 रुपये की दवाओं का योगदान दिया। किसान आंदोलन की शुरुआत से ही एसोसिएशन जेएसए की मदद कर रही है। इंद्रप्रस्थ कॉलोनी एसोसिएशन ने दिए 7000 रुपये इसी तरह व्यक्ति और अन्य संगठन समर्थन के लिए आ रहे हैं। कई डॉक्टरों ने हमारे इस कदम का तहे दिल से समर्थन किया है। डॉ. आर.एस.दहिया
राज्य कोर सदस्य जेएसए, हरियाणा

वर्तमान ग्रामीण स्वास्थ्य ढांचे की जर्जर हालत :-

 वर्तमान ग्रामीण स्वास्थ्य ढांचे की जर्जर हालत :-

हरियाणा में ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति सरकार के मानकों के अनुसार बहुत दयनीय है। भारत की । 5000 की आबादी पर एक उप स्वास्थ्य केंद्र होना चाहिए। 30,000 की आबादी के लिए एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) की आवश्यकता है ।
यह अनुशंसा की जाती है कि एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) होना चाहिए (80000 पहाड़ों के लिए और 1,20000 मैदानों के लिए )
    वर्तमान में हरियाणा ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा मार्च जून 2020 के अनुसार  जितना होना चाहिए उतना नहीं है और जितना है उसमें भी स्पेशलिस्ट डाकटरों , मेडिकल अफसरों , नर्सों , रेडियोग्राफरों, फार्मासिस्टों तथा लैब तकनीशियों की भारी कमी है। आज  2667 उप स्वास्थ्य केंद्र हैं ,532 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं और 119 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं।
आज की जन संख्या की जरूरतों के हिसाब से हमारे पास 972 उप स्वास्थ्य केंद्रों की कमी है, 74 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की कमी है और 32 सामुदायिक केंद्रों की कमी है।
    इसी प्रकार से स्टाफ के बारे में देखें तो वर्तमान ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 491 मेडिकल अफसर हैं जबकि होने 1064 मेडिकल अफसर चाहियें ।
     एक ग्रामीण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 6 विशेषज्ञ (एक सर्जन, एक स्त्री रोग विशेषज्ञ, एक फिजिशियन, एक शिशु रोग विशेषज्ञ, एक हड्डी रोग विशेषज्ञ और एक बेहोशी देने वाला विशेषज्ञ ) होने चाहिए। इसके हिसाब से आज वर्तमान सामुदायिक केंद्रों में 714 स्पेशलिस्ट होने चाहिए जबकि आज के दिन 27 स्पेशलिस्ट ही मौजूद हैं ।
     पीएचसी और सीएचसी में नर्सिंग स्टाफ:
इसी तरह पीएचसी और सीएचसी में नर्सिंग स्टाफ की हालत ज्यादा बेहतर नहीं है। हरियाणा की 1.65 करोड़ (2011 सेंसेस) ग्रामीण जनसंख्या  के अनुसार पीएचसी और सीएचसी में स्टाफ नर्सों की संख्या 2333 होनी चाहिए। जबकि मार्च/जून 2020 के उपलब्ध आंकड़ों अनुसार स्टाफ नर्सों की वर्तमान/वास्तविक स्थिति 2193 है। *यानी 140 नर्सों की कमी है।*

   रेडियोग्राफर आज के दिन सीएचसी में एक रेडियोग्राफर की पोस्ट है। आज इनकी संख्या 38 हैं जबकि जरूरत 119 की है। 81 रेडियोग्राफर्स की कमी है।       
                  इसी प्रकार आज के दिन पीएचसी में एक और सीएचसी दो फार्मासिस्ट्स की पोस्ट हैं । आज जरूरत है 770 फार्मासिस्ट्स कि जबकि मौजूद हैं 405 फार्मासिस्ट। आज की जरूरत के हिसाब से 365 फार्मासिस्ट्स की कमी है।
   यदि लैब टेक्नीशियन का जायजा लें तो 770 लैब तकनीशियन की जरूरत है जबकि वर्तमान में 400 फार्मासिस्ट ही हैं। 370 फार्मासिस्ट आज कम हैं ।

हरियाणा ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के इन हालातों को देखते हुए, जन स्वास्थ्य अभियान हरियाणा के सुझाव और मांग इस प्रकार हैं :
1. हरियाणा के नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं प्रदान करने के लिए और कोविड की पहली लहर के दौर की कमजोरियों के चलते दूसरी लहर के गम्भीर परिणामों के समाधान के लिए और कोविड महामारी की संभावित तीसरी लहर का सामना करने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं के सरकारी  बुनियादी ढांचे को तुरंत मजबूत किया जाना चाहिए ।
2. स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए तत्काल अधिक धनराशि आवंटित करें।
3. सभी, कोविड और गैर-कोविड रोगियों के लिए व्यापक, सुलभ, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की गारंटी करे सरकार। 4. इसके साथ ही कोविड 19 मानदंड और पोस्ट कोविड 19 स्थितियों का सामना करने के लिए स्वास्थ्य कार्यबल का ऑनलाइन या अन्यथा उचित और तत्काल प्रशिक्षण होना चाहिए।
5.  सरकार को स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारकों पर काम करना चाहिए जिसमें शामिल हैं :
ए) सार्वजनिक वितरण प्रणाली के सार्वभौमिकरण और विस्तार द्वारा खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देना।
बी) सभी के लिए सुरक्षित पेयजल की व्यवस्था करना।
सी) शैचालय और स्वच्छता सुविधाएं सभी के लिए
डी) सभी को पूर्ण रोजगार
ई) सभी के लिए शिक्षा
एफ) सभ्य और पर्याप्त आवास का प्रबंध करे सरकार।
छ) स्वास्थ्य के लिंग आयामों को भी पर्याप्त रूप से संबोधित किया जाना चाहिए।
6. सभी महिलाओं को उनकी सभी स्वास्थ्य जरूरतों के लिए व्यापक, सुलभ, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की गारंटी दें जिसमें मातृ देखभाल शामिल है लेकिन यहीं तक सीमित नहीं है।
7. नवीनतम जनसंख्या आवश्यकताओं के अनुसार सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में स्वास्थ्य कर्मियों की पूरी श्रृंखला के लिए और अधिक पद सृजित करें।
8. स्वास्थ्य विभाग के सभी संविदा कर्मचारियों को नियमित करना और आशा एएनएम और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के सभी स्तरों के कर्मचारियों को पर्याप्त कौशल, वेतन और काम करने की अच्छी स्थिति प्रदान करना।
     स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तक पहुंच में अत्यधिक असमानता और लोगों की रहने की खराब स्थिति भारत और हरियाणा में भी स्वास्थ्य की खराब स्थितियों के लिए जिम्मेदार है। इसी कारण  जो लोग भुगतान कर सकते हैं वे विश्व स्तरीय उपचार सुविधाएं प्राप्त करने में सक्षम हैं। दूसरी तरफ राज्य में अधिकांश लोगों के लिए परिवार में बस एक बड़ी बीमारी परिवार ही अत्यधिक गरीबी और अभाव में डुबो देती है। कोरोना महामारी के कोविड मामलों के प्रबंधन में इस अमीर गरीब का अंतर और भी दिखाई देता  है जब अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है।
     सरकार को इन असमानताओं के समाधान के लिए भी उपाय देखना चाहिए।
     जन स्वास्थ्य अभियान हरियाणा का यह ईमानदार प्रयास है कि लोगों को इन मुद्दों के बारे में जागरूक किया जाए ताकि लोग स्वास्थ्य को अभियान का एजेंडा बनाएं और इसके लिए सामूहिक रूप से संघर्ष करें और हरियाणा सरकार पर दबाव बनाएं ताकि सरकार तत्काल उपचारात्मक उपाय करने को तैयार हो।

  इस महामारी के दौर में जनता के स्वास्थ्य का संकट और इन सेवाओं में कार्यरत डॉक्टरों , नर्सों , पैरामेडिकल्स की कमी के चलते लोगों के इलाज की अपेक्षाओं पर खरा न उतर पाने की सीमाएं समझ आ सकती हैं ।
जन स्वास्थ्य अभियान हरियाणा का यह ईमानदार प्रयास है कि लोगों को इन मुद्दों के बारे में जागरूक किया जाए ताकि लोग स्वास्थ्य को संघर्ष का एजेंडा बना सकें।
प्रोफेसर सतनाम सिंह संयोजक
+91 94662 90728
सुरेश कुमार सह संयोजक
+91 94162 32339
श्रीमती सविता जेएमएस
+91 94169 74185
श्रीमती सुरेखा सीटू
+91 97283 51260
श्री वीरेंद्र मलिक सीटू
+91 94163 51090 प्रमोद गौरी HGVS +91 98120 44915 डॉ. आर.एस.दहिया HGVS
+91 9812139001
प्रोफेसर श्रीमती अमिता
+91 94163 80762
संदीप कुमार डीवाईएफआई
+91 94673 38550

Data Source :
Rural Health Statistics 2019-20)
And
http://haryanahealth.nic.in/Documents/CHC.pdf
Documents/PHCsubcenter.pdf
http://haryanahealth.nic.in/infrastructure.htm/
Mission https://ejalshakti.gov.in

Tuesday, 20 July 2021

मोदी सरकार की कोविड टीकाकरण नीति

 जेएस मजूमदार 


केंद्र सरकार की कोविड टीकाकरण नीति को उसकी स्वास्थ्य रक्षा नीति की पृष्ठभूमि  में ही देखा जाना चाहिए , जो मुख्यतः राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति तथा दवा नीति समेत , संपूर्ण स्वास्थ्य रक्षा प्रणाली के निजीकरण की ही नीति है।
दवा नीति
सार्वजनिक क्षेत्र की दवा कंपनियों की स्थापना 1970 के पेटेंट कानून और 1979 का दवा मूल्य(नियंत्रण) आदेश, तीन ऐसे उपकरण थे  जिनके बूते भारत आर्थिक रूप से वहनीय कीमतों पर, टीकों समेत तकरीबन सभी चिकित्सा उत्पादों  में आत्मनिर्भर बन सकता था और दुनिया के विभिन्न देशों के लिए जेनेरिक(गैर पेटेंटेड) दवाओं का प्रमुख आपूर्तिकर्ता हो सकता था।
      लेकिन नव उदारवादी नीति के साथ दवा नीति को भी इन तीनों क्षेत्रों में व्यवस्थित ढंग से कमजोर किया गया और अंततः मोदी सरकार द्वारा सभी सार्वजनिक क्षेत्र की दवा कंपनियों को बेचा जा रहा है।
स्वास्थ्य नीति
१)पंचवर्षीय योजनाओं के साथ स्वास्थ्य की योजना को त्याग कर ,
२) वर्ष 2017 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति को अपनाकर, जिसमें सरकारी स्वास्थ्य रक्षा प्रणाली की अगल-बगल निजी स्वास्थ्य रक्षा प्रणाली भी साथ साथ चल रही है,
३) आयुष्मान भारत राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण मिशन ( एबी-- एएनएचपीएम) के प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम --जेएवाई ) के रूप में नामांतरण, जिसकी 1 फरवरी 2018 के बजट भाषण में घोषणा की गई और जो निजी स्वास्थ्य रक्षा नेटवर्क की भागीदारी के साथ एक बीमा संचालित नीति है और
४) वर्ष 2020 में निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ टेलीमेडिसिन तथा ई-- फार्मेसी को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य रक्षा मिशन( एनडीएचएम) के नाम से एक सरकारी मंच शुरू करने के जरिए, मोदी सरकार ने संपूर्ण स्वास्थ्य रक्षा प्रणाली के निजीकरण को एक जबरदस्त उछाल दिए दी है।
        मोदी सरकार को कोविड टीका नीति को, महामारी की स्थिति में मुफ्त सार्वजनिक सरभौम टीकाकरण की जरूरत के विपरीत उपरोक्त स्वास्थ्य तथा दवा नीतियों के अनुरूप ही तैयार किया गया है।
महामारी प्रबंधन में विफलता तथा टीकाकरण नीति:-
मोदी सरकार चौतरफा ढंग से महामारी से निपटने मैं यानी सार्वजनिक स्वास्थ्य रक्षा क्षमता, चिकित्सा उपकरण, ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ाने और चिकित्सा कर्मियों तथा पैरामेडिकल कर्मियों आदि को उपकरणों से लैस किए जाने को संगठित तथा निर्मित करने में विफल रही । टीके के मोर्चे पर उसकी विफलता तो बहुत ही बड़ी है ।
  कोविड की पहली लहर के बाद मोदी सरकार इस निष्कर्ष पर पहुंची थी कि कोविड-19 का हमला खत्म हो गया है और इसके आगे के हमले के खिलाफ रक्षात्मक कदम उठाने की अब कोई जरूरत नहीं है।
विफलता का निर्माण:-
      कोविड-19 महामारी की पहली लहर के दौरान, जनवरी 2020 से ही कोविड के टीके के विकास , उसके उत्पादन, खरीद, वितरण तथा टीकाकरण के लिए, एक रोडमैप तैयार किया जाना चाहिए था।
       सरकार ने
१) एडवांस आर्डर देकर
२)उत्पादन की क्षमता का विस्तार करने के लिए बैंक ऋण की सुविधाएं देकर
३) सार्वजनिक क्षेत्र के उत्पादन के लिए पहल करके और
४) कोवैक्सीन की तकनीक तकनीक को कोविड टीकों के दूसरे उत्पादकों से साझा करने के जरिए, टीका उत्पादन की घरेलू क्षमता बढ़ाने के लिए कोई भी फल नहीं की।
     कोवैक्सीन तकनीक, केंद्र सरकार के पास उपलब्ध है और यह निष्क्रिय वायरस से इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर ) और नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी ( एनआईवी) द्वारा भारत में विकसित की गई और हैदराबाद में भारत बायोटेक इंडिया लिमिटेड (बीबीआईएल) द्वारा उत्पादित एकमात्र उपलब्ध टीका तकनीक  है ।
          हाल ही में सरकार ने कहा था कि वह कोविड सुरक्षा मिशन के तहत कोवैक्सीन की निर्माण क्षमता को बढ़ाने के लिए , सार्वजनिक क्षेत्र के तीन उद्यमों का इस्तेमाल करेगी। सार्वजनिक क्षेत्र के ये उद्यम हैं--
१)हाफकिन बायोफर्मास्युटिकल कार्पोरेशन लिमिटिड, जो महाराष्ट्र सरकार का एक सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है।
२) हैदराबाद स्थित नेशनल डेयरी डेवलेपमेंट बोर्ड का इंडियन इम्युनोलॉजिकल  लिमिटेड और
३) बियोटेक्नॉलॉजी विभाग के तहत चलनेवाला बुलन्दशहर स्थित सार्वजनिक क्षेत्र का केंद्रीय , उद्यम भारत इम्युनोलॉजिकल्स कार्पोरेशन लिमिटिड।
उत्पादन का विविधीकरण नहीं किया गया --
सरकार ने भौगोलिक रूप से कोवैक्सीन के उत्पादन का विविधीकरण नहीं किया और न ही उसने सार्वजनिक क्षेत्र की और कम्पनियों और साथ ही साथ छोटे बॉयोलॉजीकल उत्पादकों को शामिल किया। अगर ऐसा किया गया होता तो कोवीशील्ड की मालिक एस्ट्राजेनेका जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनी और उसकी एसआइआइ से सौदेबाजी करने में सरकार का पलड़ा भारी रहता
    इसके ठीक उलट स्पूतनिक टीके के मालिक रूसी डायरेक्ट इंवेन्स्टमेंट  फ़ंड (आरडीआईएफ) का उत्पादन मॉडल रहा , जो भारत में करीब 10 विभिन्न कंपनियों तक फैला हुआ है और इसमें ज्यादातर छोटे तथा मध्यम दर्जे के बायोलॉजिकल उत्पादक हैं। उसने ऐसा तकनीक के आसान हस्तांतरण के जरिये किया। डॉ रेड्डीज लेबोरटरी (डी आर एल) इसमें फैसेलिटेटर की भूमिका में है और वह इन कंपनियों के उत्पादन को समन्वित कर रही है ।

आर्थिक रूढ़िवाद की दरिद्रता 

 आर्थिक रूढ़िवाद की दरिद्रता 

एफिडेविट में सरकार ने कहा है कि कोविड-19 से हुई मौतों के लिए अनुकंपा भुगतान करने के लिए उसके पास पैसे ही नहीं हैं। अगर हम केंद्र सरकार के आंकड़ों से ही चलें और इन आंकड़ों को अपडेट भी कर लें तब भी कोविड- 19 के चलते जान गंवाने वालों की संख्या चार लाख से ज्यादा नहीं बैठेगी। 4 लाख प्रति व्यक्ति के हिसाब से हुई मौतों का कुल मुआवजा 16,000 करोड़ रुपये बैठता है। जो सरकार , सेंट्रल विस्टा जैसी आडंबरपूर्ण और गैरजरूरी तथा घोर कलाभजंक  परियोजना पर 20,000  करोड़ रुपये खर्च करने के लिए तैयार है,  उसके पास कोविड के शिकार हुए लोगों के परिवारों को देने के लिए कोई पैसा ही नहीं है -- इससे इस सरकार की नैतिक प्राथमिकताओं के बारे में बहुत कुछ पता चल जाता है।

किशन पुरा चौपाल

 आज 20 जुलाई 2021 मंगलवार किशनपुरा चौपाल में 9 से 12 बजे तक जन स्वास्थ्य अभियान हरियाणा द्वारा आयोजित फ्री हेल्थ परामर्श क्लिनिक में 7 मरीजों को फ्री परामर्श दिया गया और दवाएं भी दी गयी और बीपी और शुगर चेक अप किया गया ।

Monday, 19 July 2021

सार्वजनिक स्वास्थ्य* 

 *सार्वजनिक स्वास्थ्य* 

*"मनुष्य अपनी शुरुआत की आधी जिंदगी  में दौलत कमाने के लिए "स्वास्थ्य" खर्च करता है; परंतु बाद की आधी जिंदगी में अपना स्वास्थ्य दोबारा पाने हेतु अपनी सारी दौलत खर्च करता है।"*    *मनुष्य प्राणी का यह तात्विक विचार इस बात पर जोर देता है कि स्वास्थ्य , अर्थपूर्ण  जीवन बसर करने का एक महत्वपूर्ण घटक है* । *यह भी एक सामान्य अनुभव है कि जब भी हमारा स्वास्थ्य बिगड़ता है तो व्यक्तिगत स्तर पर, हमारा दैनिक कार्य और दैनंदिन कार्य और जीवन स्तर प्रभावित होता है।* *महामारी के दौरान बड़ी संख्या में लोग बीमार पड़ सकते हैं ,अत: पूरे जन समूह का या समुदाय का जीवन स्तर, बड़े पैमाने पर घट सकता है । उसी तरह, अस्वास्थ्य या बीमारी का बारंबार सामना करने से भी समुदाय या जनसमूह का जीवन स्तर बड़े पैमाने पर घट सकता है । गरीबी, भीड़, स्वच्छ पेयजल की कमी,  उचित स्वच्छता का अभाव, निजी स्वच्छता के प्रति लापरवाही आदि इसके कारण हो सकते हैं। यह बातें शायद व्यक्ति के नियंत्रण से परे हों परंतु संगठित प्रयास और वैज्ञानिक तकनीक के उपयोग के जरिए हम इसे बड़े पैमाने पर कम कर सकते हैं।*      *इसलिए वैज्ञानिक अर्थ में स्वास्थ्य की संकल्पना को समझना आवश्यक है।*