Friday, 30 September 2016

NHRM HARYANA

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन


राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन-दिशा निर्देश

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन ग्रामीण आबादी के लिए प्रभावी स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के उद्देश्य से 12 अप्रैल, 2005 में हमारे माननीय प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किया गया था और महिलाओं और उनके स्वास्थ्य में सुधार सहित बच्चों के स्वास्थ्य के लिए वंचित समूहों, सार्वजनिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाने में सामुदायिक स्वास्थ्य को सक्षम बनाने में सेवा वितरण की कुशलता को बढाने के लिए किया गया था। इसके साथ इक्विटी और जवाबदेही को बढ़ावा देने के विकेन्द्रीकरण के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन गरीब सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए और इस तरह प्रमुख स्वास्थ्य संकेतकों में सुधार की चुनौती सबसे बड़ी है जहां 18 राज्यों पर विशेष ध्यान देने के साथ पूरे देश को शामिल किया गया |

विशेष केन्द्रित राज्य

अरुणाचल प्रदेश, असोम, बिहार, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, जम्मू कश्मीर, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, मध्य प्रदेश, नागालैण्ड, उड़ीसा, राजस्थान, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश।

लक्ष्य

  • बाल मृत्यु दर एवं मातृत्व मृत्यु दर में कमी लाना।
  • महिला स्वास्थ्य, बाल स्वास्थ्य, जल, शौचालय व स्वच्छता, प्रतिरक्षण एवं पोषाहार जैसे सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं तक सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करना।
  • स्थानीय स्थानिक बीमारी के साथ संचरणीय एवं गैर संचरणीय बीमारी की रोकथाम एवं नियंत्रण।
  • एकीकृत वृहद् प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधा को सुलभ बनाना।
  • जनसंख्या स्थिरीकरण एवं लैंगिक तथा जनसांख्यिकी संतुलन।
  • स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं मुख्यधारा आयुष को पुनर्जीवित करना।
  • स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देना।

रणनीति

(क) मुख्य रणनीति
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं का स्वामित्व प्राप्त करने, नियंत्रण करने एवं देखभाल करने के लिए पंचायती राज संस्थाओं को प्रशिक्षित कर उसकी क्षमता बढ़ाना।
  • महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा) के माध्यम से उन्नत स्वास्थ्य सुविधाओं का, परिवार स्तर पर लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित करना।
  • पंचायत के ग्राम स्वास्थ्य समिति के माध्यम से प्रत्येक गाँव के लिए स्वास्थ्य योजना।
  • स्थानीय आयोजना व कार्यवाही एवं बहु-उद्देशीय कार्यकर्ता को सशक्त बनाने के लिए शर्त रहित सहायता के माध्यम से उप केन्द्र को मजबूत बनाना।
  • वर्तमान में कार्यरत सार्वजनिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं सामुदायिक स्वास्थ्य  केन्द्र को सशक्त बनाना एवं  स्वास्थ्य देखभाल को सामान्य स्तर तक लाने के लिए प्रत्येक 1 लाख की आबादी पर 30-50 बिस्तर वाला सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का प्रावधान (भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य स्तर व्यैक्तिक, उकरणीय एवं प्रबंधकीय स्तर को परिभाषित करता है)।
  • जिला स्वास्थ्य मिशन द्वारा पेयजल, शौचालय व स्वच्छता एवं पोषाहार सहित निर्मित अंतर क्षेत्रीय जिला स्वास्थ्य योजना का निर्माण एवं क्रियान्वयन।
  • राष्ट्रीय, राज्य, प्रखंड एवं जिला स्तर पर  स्वास्थ्य क्षेत्र एवं परिवार कल्याण कार्यक्रम को एकीकृत करना।
  • लोक-स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय, राज्य एवं जिला स्वास्थ्य मिशन को तकनीकी समर्थन।
  • साक्ष्य आधारित आयोजना, संचालन एवं निरीक्षण के लिए डाटा संग्रहण, मूल्याँकन एवं पुनरीक्षण कार्य के लिए क्षमता बढ़ाना।
  • विकास के लिए पारदर्शी नीति का निरूपण एवं स्वास्थ्य के लिए मानव संसाधन कैरियर का विकास।
  • खैनी या तम्बाकू, शराब आदि हानिकारक पदार्थों के सेवन में कमी लाकर स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने के लिए सभी स्तर पर निवारक स्वास्थ्य देखभाल के लिए क्षमता विकसित करना।
  • इन क्षेत्रों में गैर लाभकारी क्षेत्रों को बढ़ावा देना।
(ख) सहायक रणनीतियाँ:
  • अनौपचारिक ग्रामीण वैद्यों या डॉक्टरों सहित निजी क्षेत्र का विनियमन ताकि नागरिकों को उचित मूल्य पर उच्च गुणवत्तायुक्त सेवा प्राप्त हो सके।
  • लोक-स्वास्थ्य के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निजी क्षेत्र एवं सार्वजनिक क्षेत्र की सहभागिता को बढ़ावा देना।
  • आयुष को मुख्यधारा में लाकर स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा को शक्ति प्रदान करना।
  • चिकित्सा सुविधा एवं चिकित्सा आचार नीति सहित ग्रामीण स्वास्थ्य मुद्दे को सहायता पहुँचाने के लिए चिकित्सा शिक्षा को पुनर्नवीकरण करना।

संस्थागत व्यवस्था

  • ग्रामीण स्वास्थ्य एवं शौचालय समिति (गाँव स्तर पर इसमें पंचायत प्रतिनिधि/ ए.एन.एम/ एम.पी.डब्ल्यू, आँगनवाड़ी सेविका, शिक्षक, आशा, सामुदायिक स्वास्थ्य स्वयंसेवी)।
  • सार्वजनिक अस्पताल के सामुदायिक प्रबंधन के लिए रोगी कल्याण समिति (या समकक्ष)।
  • जिला स्वास्थ्य प्रमुख- संयोजक एवं सभी संबंधित विभाग सहित जिला परिषद के नेतृत्व में जिला स्वास्थ्य मिशन।
  • राज्य स्वास्थ्य मिशन - मुख्यमंत्री अध्यक्ष, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री- सह अध्यक्ष, एवं राज्य के स्वास्थ्य सचिव - संयोजक एवं अन्य संबंधित विभागों, गैर सरकारी संस्थाओं, निजी विशेषज्ञों आदि को प्रतिनिधित्व प्रदान किया जाएगा।
  • राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग का एकीकरण।
  • राष्ट्रीय मिशन संचालन समूह - केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री- अध्यक्ष, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, पंचायती राज, ग्रामीण विकास एवं मानव संसाधन विकास विभाग के मंत्री एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ सदस्य के रूप में मिशन को नीतिगत सहायता एवं निर्देशन प्रदान करेंगे।
  • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण समिति की अध्यक्षता में अधिकार संपन्न कार्यक्रम समिति, मिशन की कार्यकारिणी निकाय होगी।
  • स्थायी संचालन समूह आशा पहल के क्रियान्वयन की देखरेख एवं उसे निर्देशन प्रदान करेंगे।
  • चयनित कार्य के लिए कार्य समूह (समयबद्ध)

निधि व्यवस्था


  • राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन को प्रमुख कार्यक्रम माना गया है जिसमें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के सभी वर्तमान कार्यक्रम जैसे- आर.सी.एच-2, राष्ट्रीय मलेरिया रोग नियंत्रण कार्यक्रम, टीबी/यक्ष्मा, कालाजार, फाइलेरिया, अंधता एवं आयोडिन अल्पता एवं एकीकृत रोग निगरानी को, इस मिशन योजना में शामिल किया जाएगा।
  • राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के लिए वर्ष 2005-06 में व्यय 6700 करोड़ रुपये था। मिशन प्रत्येक वर्ष निर्धारित वार्षिक बजट के अलावे 30 प्रतिशत अतिरिक्त खर्च करने की अपेक्षा रखती है ताकि राष्ट्रीय न्यूनतम साझा कार्यक्रम के लक्ष्य, लोक स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च को सकल घरेलू उत्पाद के 0.9 प्रतिशत से बढ़ाकर 2-3 प्रतिशत तक ले जाया जाए, को प्राप्त किया जा सके।
  • राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के लिए व्यय का निर्धारण वार्षिक बजट में तदनुसार किया जाएगा।
  • मिशन की गतिविधियों को सहायता प्रदान करने के लिए राज्यों से आशा की जाती है कि वे प्रतिवर्ष  कम से कम 10 प्रतिशत की दर से लोक स्वास्थ्य बजट में बढ़ोत्तरी करे।
  • राज्यों को स्कोवा (SCOVA) के माध्यम से  वित्तीय  शीर्षक के नाम से निधि जारी किया जाएगा। इसमें 18 विशेष राज्यों को प्राथमिकता दिया जाएगा।

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