विश्व डोपिंग विरोधी संस्था (अंग्रेज़ी:वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी, फ्रेंच:Agence mondiale antidopage, वाडा) अंतरराष्ट्रीय खेलों में ड्रग्स के बढ़ते चलन को रोकने के लिए बनाई गयी एक विश्वस्तरीय स्वतंत्र संस्था है। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा वाडा की स्थापना १० नवंबर, १९९९को स्विट्जरलैंड के लुसेन शहर में की गई थी। वर्तमान में वाडा का मुख्यालय कनाडा के मॉन्ट्रियल शहर में है। वाडा के वर्तमान अध्यक्ष ऑस्ट्रेलिया के पूर्व वित्तमंत्री जॉन फाहे हैं। यह संस्था विश्व भर में वैज्ञानिक शोध, एंटीडोपिंग के विकास की क्षमता में वृद्धि और दुनिया भर में वर्ल्ड एंटी डोपिंग कोड पर अपनी निगाह रखती है। वाडा हर साल प्रतिबंधित दवाओं की सूची जारी करता है, जिनके विश्व के तमाम देशों में खेलों के दौरान प्रयोग पर रोक होती है। पहली जांच में ही दोषी पाये जाने पर खिलाड़ी पर वाडा सभी खेल प्रतियोगिता में दो वर्षो तक भाग लेने पर प्रतिबंध लगा सकता है। हाल के वर्षो में वाडा खेलों में ड्रग्स के बढ़ते इस्तेमाल को लेकर काफी सक्रिय है।
वर्ल्ड एंटी डोपिंग कोड का अनुपालन पहली बार २००४ के एथेंस ओलंपिक में किया गया था। विश्व के लगभग ६०० खेल संस्थाओं ने ड्रग्स से जुड़ी संहिता को स्वीकार किया है। अभी दुनिया में वाडा से मान्यता प्राप्त ३५ प्रयोगशालाएं हैं, जहां ड्रग्स लेने वाले के नमूनों की जांच और इसे रोकने के लिए अनुसंधान होते हैं। दिल्ली में भी वाडा से मान्यता प्राप्त एक प्रयोगशाला है। यह विश्व की ३४वां प्रयोगशाला है। वाडा के १जनवरी, २००९ से लागू नए नियम ने कई बार विवाद को भी जन्म दिया है। इसके सख्त नियमों पर विश्व के कई बड़े खिलाड़ियों ने सवाल भी उठाए हैं। हाल में वाडा का नया नियम, जिसमें कहा गया है कि मैच के आलावा अन्य समय में डोप टेस्ट के लिए खिलाड़ियों को ये बताना पड़ेगा कि वे कहां हैं, काफी विवाद में है।[1]
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