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13 Jun 2018, 09:04
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बच्चे बारे कुछ जानकारियां
गर्भ काल में निम्नलिखित हालातों का बच्चे के उप्पर बुरा प्रभाव पड़ता है :-
1. मां की खुराक में पोषक तत्वों की कमी।
2. गिर जाने अथवा किसी दुर्घटना के कारण पेट पर चोट लग जाना , जिससे समय से पूर्व ही दर्दों के कारण शिशु का पैदा हो जाना ।
3. गर्भाधान के प्रथम तीन महीनों में वायरल इंफेक्शन होने के कारण।
4. गर्भाधान के प्रथम तीन महीनों में एक्स-रे करवाने के कारण ।
5. गर्भाधान के अंतिम महीनों में सिफिलिस का होना
6. गर्भाधान में मधुमेह अथवा टॉक्सीमिया का होना
7. आँवल (Placenta) की उचित वृद्धि न होने के कारण भ्रूण तक पूरी मात्रा में ऑक्सीजन के न पहुंच पाने के कारण भी शिशु की वृद्धि में अवरोध उतपन हो सकता है ।
8. खुराकी कारक
यदि गर्भकाल में जननी की खुराक अपूर्ण हो तो कम भार वाले बच्चे पैदा होते हैं , जो जन्म के बाद शीघ्र ही रोगी हो जाते हैं और कई बार मर भी जाते हैं।
इसके अलावा
1.कद में वृद्धि: प्रथम वर्ष में 25 सैं मी कद बढ़ता है ।
2. बाजू का मध्य घेरा- प्रथम वर्ष में बाजू का ऊपरी मध्य घेरा 11 सेंटीमीटर से बढ़कर 16 सेंटीमीटर हो जाता है।
3. सिर का घेरा: जन्म के समय 35 सैं मी. होता है और प्रथम वर्ष में 45 सैंटीमीटर हो जाता है।
4. छाती का घेरा: जन्म के समय शिशु की छाती का घेरा सिर के घेरे से 2 सैंटीमीटर कम होता है। एक वर्ष की आयु में छाती और सिर का घेरा एक समान हो जाते हैं
5. एक वर्ष के शिशु का तापमान : 96.8 डिग्री F से 99 डिग्री F
6. एपिकल पल्स( दिल की धड़कन): 90--130 बीट्स प्रति मिन्ट
7. श्वास गति : 20 से 40 प्रति मिनट
8. रक्त चाप(BP): 90/50 mm Hg
नवजात शिशु(New Born)
नवजात शिशु से तात्पर्य है प्रथम चार सप्ताह। इस आयु में शिशु का शारीरिक , मानसिक और संवेगात्मक स्वास्थ्य माता के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। इस आयु में शिशु की मुख्य आवश्यकताएं निम्नलिखित होती हैं :-
1. सुरक्षित प्रसव(Safe delivery)
2. सुरक्षित एवम प्रेमपूर्वक उठाना
3. स्वच्छता (Cleanliness)
4. संक्रमण से बचाव (Prevention from infection)
5. गर्माइश(Warmth)
6. आराम और नींद(Rest and sleep)
7.खुराक- मां का दूध या कृत्रिम पोषक आहार(Nutrition)
शिशु(Infant)
चार सप्ताह से एक वर्ष के बच्चे को शिशु (Infant) कहा जाता है। इस आयु में शरीर,बाजू,और टांगों में तेजी से वृद्धि होती है, परन्तु सिर की वृद्धि तेजी से नहीं होती । मांसपेशियों की ताकत बढ़ती है और तीन महीने की आयु में शिशु सिर को उठाना आरम्भ कर देता है।
1. शारीरिक विकास ( Physical growth)
जन्म से प्रथम सप्ताह तक शिशु का जन्म भार से 10 प्रतिशत भार कम हो जाता है और दसवें दिन से दोबारा बढ़ना शुरू हो जाता है, जो नियमानुसार है:
1-3 महीने : 200 ग्राम प्रति सप्ताह या 800 ग्राम प्रति महीना
4-6 महीने : 150 ग्राम प्रति सप्ताह या 600 ग्राम प्रति महीना
7-9 महीने : 100 ग्राम प्रति सप्ताह या 400 ग्राम प्रति महीना
10-12 महीने : 50-70 ग्राम प्रति सप्ताह या 200-300 ग्राम प्रति महीना
इसका मतलब यह है कि 5-6 महीने की आयु तक शिशु अपने जन्म-भार से दोगुणा और एक वर्ष की आयु तक तीन गुणा हो जाता है ।
कद में वृद्धि: प्रथम वर्ष में 25 सैं.मी. कद बढ़ता है।
बाजु का घेरा - प्रथम वर्ष में बाजु का ऊपरी मध्य घेरा 11 सैंटीमीटर से बढ़कर 16 सैंटीमीटर हो जाता है ।
सिर का घेरा --
जन्म के समय 35 सैं.मी. होता है और प्रथम वर्ष में 45 सैं.मी. हो जाता है ।
छाती का घेरा -
जन्म के समय शिशु की छाती का घेरा सिर के घेरे से 2 सैंटीमीटर कम होता है । एक वर्ष की आयु में छाती और सिर का घेरा एक समान हो जाता है।
2 . महत्वपूर्ण चिन्ह-(Vital Signs)-
* एक वर्ष के शिशु का तापमान :96डिग्री फॉरनहाइट से 99 डिग्री फॉरनहाइट
* अपीकल पल्स (दिल की धड़कन )--90 -130
श्वास गति --20 -40 प्रति मिनट
रक्तचाप (BP) ---90 /50 Hg
3 . महत्वपूर्ण घटनाएं (Mile Stones )-------
इस समय में शारीरिक वृद्धि के साथ साथ सामाजिक और मानसिक विकास भी होता है |
वृद्धि दोनों साथ साथ होते हैं
शिशु के मील पत्थर ---Mile Stones)--
दूसरा --तीसरा महीना --(Second-Third Month)--
-- शिशु अपने आप मुस्कुराता है
--गले में से आवाज पैदा करता है
--सिर को दाएं बाएं दोनों और मोड़ता है
--चिल्लाने की कोशिश करता है
चौथा और पांचवां महीना (Fourth and Fifth Month)----
--वस्तुओं को पकड़ता है
--करवट लेता है
-- अपने आस पास के लोगों को पहचानता है
-- आवाज को ध्यान से सुनता है
--टाँगें ऊपर निचे करके हिलाता है
छठा महीना (Sixth Month )---
--सहारा लेकर बैठ जाता है
--मां और परिवार के सदस्यों को अच्छी तरह पहचानता है
--दूध पिने का समय होने पर बोतल पर हाथ रखता है
--नक़ल उतारने की कोशिश करता है
--4 -6 महीने में निचे के दांत निकालता है
--अपरिचित लोगों से डरता है
सातवें से नौवें महीने (Seventh to Nineth Month )
--रेंगना शुरू कर देता है
--पैर मुँह में डालता है
-- अधिक समय तक अकेला बैठ सकता है
--करवट लेता है
--अपने आप से बातें करता है
--खिलौनों के साथ खेलता है
--डा डा ,मा मा , बा बा कहना शुरू करता है
दसवें से बारहवें महीने (Tenth to Twelfth Month )
--6 -8 दांत निकल आते हैं
--खिलौने फैंकता है
--एक खिलौने को दूसरे में डालता है
--ईर्ष्या, प्रेम ,और क्रोध की भावनाओं को प्रकट करता है
-- अपने आप खड़ा हो जाता है
--कोई वस्तु अथवा ऊगली पकड़ कर चल सकता है
--सीढ़ियों पर चढ़ने का यत्न करता है
4 . खेल
शिशु इस समय में स्पर्श ,देखने और बोलने वाले तथा उत्तेजित करने वाले कारकों को पहचान ना आरम्भ कर देता है | शिशु कोमल खिलौनों से खेलना आरम्भ कर देता है | चलना शुरू करने के बाद शिशु चित्रों वाली पुस्तकों और खिलौनों को फेंकना आरम्भ कर देता है
बच्चे की खुराक (Diet)
1 साल से 3 साल के बच्चे को 1240 किलो कैलोरी की आवश्यकता होती है। जबकि 4 से 6 साल के बच्चे को 1690 किलो कैलोरी की आवश्यकता होती है ।
2 प्रोटीन :: (Protein)
1 से 3 साल के बच्चे को 22 ग्राम प्रोटीन और 4 से 6 साल के बच्चे को 30 ग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है ।
3 चर्बी:: (Fat)
भोजन की स्वादिष्टता और भरपूर ऊर्जा की प्राप्ति के लिए 25 ग्राम चर्बी तत्व प्रतिदिन देने चाहिए ।
4 लौह (Iron):: बचपन में लौह की कमी को पूरा करने के लिए आहार में लौह तत्वों का होना अत्यंत आवश्यक होता है। 1से 3 साल के बच्चे को 12 मिलीग्राम प्रतिदिन और 4-6 साल के बच्चे को 18 मिलीग्राम प्रतिदिन लौह की आवश्यकता होती है।
5 विटामिन(Vitamin)::भारत में विटामिन ए की कमी के कारण रतौंधी (अंधता) आदि जैसे अनेक रोग उन बच्चों में पाए जाते हैं जिनकी खुराक में 100 माइक्रोग्राम प्रतिदिन से भी कम होती है । बच्चे की खुराक में 400 माइक्रोग्राम विटामिन ए की मात्रा शामिल होनी चाहिए । इसी प्रकार विटामिन सी की खुराक में मात्रा 40 मिलीग्राम प्रतिदिन होनी चाहिए ।
5. बच्चों में मोटापे के परिणाम
* बच्चे आजकल बहुत तेजी से शारीरिक स्तर पर निष्क्रिय जीवन शैली को अपना रहे हैं ।
* अधिक मात्रा में ऊर्जा-घनित, पोषण-रहित खाना खा रहे हैं ।
* जिसकी वजह से आजकल बच्चों में मस्तिष्क वाहिकीय रोगों(स्ट्रोक्स) के अलावा कैंसर, टाइप-2 मधुमेह, आस्टिओर्थ्रिटिस,हैपेरटेंशन और हाई कोलोस्ट्रॉल जैसी बीमारियां पाई जा रही हैं । भारतीय बच्चे अपने दैनिक भोजन में उचित मात्रा में फल या सब्जियां नहीं खाते हैं, जितनी उन्हें उनकी उम्र के अनुसार खानी चाहिए । ये सभी कारक उनके जीवन स्तर और भविष्य के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं ।
बच्चों की सेहत बारे
6. वातावरण( environment)
वातावरण बच्चे की वृद्धि और विकास को अत्यधिक प्रभावित करता है ,इसमें
1. ऋतु, धुप और प्रकाश
2. साफ हवा ,साफ पाणी और पौष्टिक भोजन
3. घर की स्वच्छता
4. बच्चे को दी गयी खुराक की गुणवत्ता और मात्रा
5. व्यायाम, आराम और मनोरंजन
6. इंफेक्शन और चोट आदि।
7. हवा , पानी और खाद्य पदार्थों में मिलावट और प्रदूषण
8. वातावरण के प्रति समाज की संवेदनशीलता ।
9. सामाजिक-आर्थिक स्थितियां(Socio-economic Conditions)
पारिवारिक जीवन पद्धति का भी वृद्धि और विकास पर बहुत प्रभाव होता है। अमीर घरों के बच्चों का शारीरिक भार और कद सामान्य होता है , क्योंकि उन्हें संतुलित खुराक मिलती है , जबकि गरीब परिवारों के बच्चों की मुख्य जरूरतें रोटी, कपड़ा आदि भी ठीक ढंग से पूरी नहीं हो पाती।
10. बदहाली और गरीबी के सामाजिक और आर्थिक हालात के कारण बच्चों में अनेक रोग पैदा हो जाते हैं और कई बार तो मृत्यु तक हो जाती है।
7. स्कूल अवस्था
यह आयु 6-12 साल की होती है । इस आयु में शारीरिक विकास तेजी से होता है ।
1 शारीरिक विकास ::(physical development )
* 6 से 12 वर्ष की आयु के मध्य बच्चे की लगभग 5 सेंटीमीटर तक वृद्धि होती है।
* 6 वर्ष की आयु में बच्चे का कद 115 सैं. मी. और 12 वर्ष की आयु में 150 सैं.मी. तक हो जाता है ।
* प्रत्येक वर्ष बच्चे का भार 2-3 किलो ग्राम तक बढ़ता है। 6 वर्ष की आयु में भार लगभग 20 किलोग्राम और 12 वर्ष की आयु में 40 किलोग्राम तक बढ़ता है ।
* दूध के दांत धीरे धीरे टूटने लगते हैं और पक्के दांत आने शुरू हो जाते हैं।
* रात के समय बच्चा लगभग 10 से 12 घण्टे तक सोता है।
* लड़कों की अपेक्षा लड़कियों में वृद्धि जल्दी होती है।
स्रोत --बच्चे की स्वास्थय परिचर्चा --लोटस पब्लिशर्स
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