बुखार से संबंधित जानकारियां
बुखार क्या है ?
मनुष्य का सामान्य तापमान 36 . 8 प्लस माइनस 0 . 4 या 98 . 4 प्लस माइनस 0 . 7 डिग्री f होता है | इससे ऊपर मुँह के अंदर का तापमान बुखार माना जायेगा |
सामान्य तापमान क्या है ? और यह क्यों है ?
* जैविक प्रक्रियाएं सबसे जटिल रसायनिक प्रक्रियाएं होती हैं |
* ज्यादा विकसित जीवों में ( जैसे की स्तनधारी जीव ) ये ज्यादा जटिल होती हैं |
* सभी प्रकार की रसायनिक प्रक्रियाओं के इष्टतम रूप के लिए एक उचित वातावरण जरूरी है |
* तापमान इन रसायनिक प्रक्रियाओं के लिए वातावरण का सबसे महत्व पूर्ण हिस्सा है |
* ये इष्टतम तापमान ही इन रसायनिक प्रक्रियाओं के लिए सबसे उचित है -सामान्य तापमान माना जायेगा | मनुष्य का सामान्य तापमान 36 . 8 प्लस माइनस 0 . 4 डिग्री सेंटीग्रेड या 98 . 4 प्लस माइनस 0 . 7 डिग्री f होता है |
मनुष्य तापमान को सामान्य कैसे रखता है ?
*मानव मष्तिष्क का एक हिस्सा जिसे हाईपोथैलेमस कहते हैं -- थर्मोस्टैट के रूप में काम करता है , यानि कि एक सामान्य तापमान को बनाये रखना |
* यह कार्य वह शरीर द्वारा ऊष्मा उत्पादन तथा ऊष्मा निकासी के संतुलन को बना कर करता है |
* शरीर में ऊष्मा उत्पादन मुख्य रूप से मांसपेशियों के काम के दौरान एवं जिगर द्वारा होती है |
* ऊष्मा निकासी त्वचा द्वारा सतह से सीधी एवं पसीने से होती है |
* कुछ ऊष्मा हम साँस द्वारा भी शरीर से निकालते हैं |
* इसी ऊष्मा का उत्पादन व निकासी का संतुलन ही तापमान को सामान्य बनाये रखता है |
शरीर के तापमान मापने का सही तरीका क्या है ?
* शरीर का तापमान थर्मामीटर द्वारा ही नापा जाता है|
* थर्मामीटर को हमेशा धो कर ही प्रयोग करें |
* तापमान नापने से पहले थर्मामीटर के पारे को झटका देकर नीचे उतार लें |
* फिर थर्मामीटर को कम से कम दो से तक जीभ के नीचे रखें |
* और बुखार देख लें |
* बच्चों एवं बेहोश मरीजों में बगल में भी बुखार देखा जा सकता है एवं जो तापमान आये उसमें एक डिग्री फारंहाईट जोड़ लें |
* आजकल डिजिटल थर्मामीटर ज्यादा प्रयोग में होते हैं | जिसमें पारा नहीं होता सीधा इस्तेमाल किया जा सकता है |
बुखार क्यों होता है ?
* बुखार कई प्रकार के हानिकारक उत्तेजक के खिलाफ शरीर की एक प्रक्रिया है |
* हानिकारक तत्वों से हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली उत्तेजित हो जाती है ताकि उसके दुष्प्रभाव को दूर किया जा सके |
* बुखार भी उसी प्रतिरक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण काम है -- उस हानिकारक तत्व को ख़त्म करने के लिए |
* परन्तु कई बार यह संतुलन नहीं बन पाता एवं बुखार ही स्वयं के शरीर पर दुष्प्रभाव डाल देता है |
बुखार क्या है ?
मनुष्य का सामान्य तापमान 36 . 8 प्लस माइनस 0 . 4 या 98 . 4 प्लस माइनस 0 . 7 डिग्री f होता है | इससे ऊपर मुँह के अंदर का तापमान बुखार माना जायेगा |
सामान्य तापमान क्या है ? और यह क्यों है ?
* जैविक प्रक्रियाएं सबसे जटिल रसायनिक प्रक्रियाएं होती हैं |
* ज्यादा विकसित जीवों में ( जैसे की स्तनधारी जीव ) ये ज्यादा जटिल होती हैं |
* सभी प्रकार की रसायनिक प्रक्रियाओं के इष्टतम रूप के लिए एक उचित वातावरण जरूरी है |
* तापमान इन रसायनिक प्रक्रियाओं के लिए वातावरण का सबसे महत्व पूर्ण हिस्सा है |
* ये इष्टतम तापमान ही इन रसायनिक प्रक्रियाओं के लिए सबसे उचित है -सामान्य तापमान माना जायेगा | मनुष्य का सामान्य तापमान 36 . 8 प्लस माइनस 0 . 4 डिग्री सेंटीग्रेड या 98 . 4 प्लस माइनस 0 . 7 डिग्री f होता है |
मनुष्य तापमान को सामान्य कैसे रखता है ?
*मानव मष्तिष्क का एक हिस्सा जिसे हाईपोथैलेमस कहते हैं -- थर्मोस्टैट के रूप में काम करता है , यानि कि एक सामान्य तापमान को बनाये रखना |
* यह कार्य वह शरीर द्वारा ऊष्मा उत्पादन तथा ऊष्मा निकासी के संतुलन को बना कर करता है |
* शरीर में ऊष्मा उत्पादन मुख्य रूप से मांसपेशियों के काम के दौरान एवं जिगर द्वारा होती है |
* ऊष्मा निकासी त्वचा द्वारा सतह से सीधी एवं पसीने से होती है |
* कुछ ऊष्मा हम साँस द्वारा भी शरीर से निकालते हैं |
* इसी ऊष्मा का उत्पादन व निकासी का संतुलन ही तापमान को सामान्य बनाये रखता है |
शरीर के तापमान मापने का सही तरीका क्या है ?
* शरीर का तापमान थर्मामीटर द्वारा ही नापा जाता है|
* थर्मामीटर को हमेशा धो कर ही प्रयोग करें |
* तापमान नापने से पहले थर्मामीटर के पारे को झटका देकर नीचे उतार लें |
* फिर थर्मामीटर को कम से कम दो से तक जीभ के नीचे रखें |
* और बुखार देख लें |
* बच्चों एवं बेहोश मरीजों में बगल में भी बुखार देखा जा सकता है एवं जो तापमान आये उसमें एक डिग्री फारंहाईट जोड़ लें |
* आजकल डिजिटल थर्मामीटर ज्यादा प्रयोग में होते हैं | जिसमें पारा नहीं होता सीधा इस्तेमाल किया जा सकता है |
बुखार क्यों होता है ?
* बुखार कई प्रकार के हानिकारक उत्तेजक के खिलाफ शरीर की एक प्रक्रिया है |
* हानिकारक तत्वों से हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली उत्तेजित हो जाती है ताकि उसके दुष्प्रभाव को दूर किया जा सके |
* बुखार भी उसी प्रतिरक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण काम है -- उस हानिकारक तत्व को ख़त्म करने के लिए |
* परन्तु कई बार यह संतुलन नहीं बन पाता एवं बुखार ही स्वयं के शरीर पर दुष्प्रभाव डाल देता है |
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