*कोरोना की दूसरी लहर और हरियाणा*
एक नजर डालने पर 22 मई तक के कोरोना अपडेट से मालूम होता है कि अब तक कोरोना वायरस 216 देशों को प्रभावित कर चुका है। 16,51,58,285 लोगों को संक्रिमित कर चुका है । कोरोना से दुनिया के स्तर पर अब तक 34,25,017 मौतें हो चुकी हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित देश हैं अमेरिका, भारत, ब्राज़ील, फ्रांस , टर्की, रसियन फेडरेसन आदि। भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर है ।भारत में अब तक 2,62,89,290 लोग संक्रमित हो चुके हैं जिनमें से 2,95,525 लोगों की मौत हो चुकी हैं।
आज के दिन हमारा देश पूरी तरह से कोविड-19 महामारी की भयानक दूसरी लहर की चपेट में दिखाई दे रहा है। कोविड-19 के मामले रोज़ नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं। सभी देशों की तुलना में भारत में कोविड के काफी मामले देखने को मिल रहे हैं। जबकि कुल मामलों के हिसाब से हम केवल अमरीका से ही पीछे हैं।
22 मई को हरियाणा का कोरोना का स्टेटस क्या है यह देखते हैं तो पता चलता है कि बेशक नए कोरोना केसों की संख्या कुछ कम हुई है परंतु फैटेलिटी रेट या
--मृत्यु दर 1.01% है, जो पहले से ज्यादा है।
23.5.2021 को यह फैटेलिटी रेट बढ़कर 1.02% हो गयी है, जो काफी चिंताजनक बात है।
हरियाणे के आंकड़े भी परेशान करने वाले हैं ।
तीसरी लहर के बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है। इसमें कोई शक नहीं कि यदि तत्काल रूप से कोई मज़बूत और प्रभावी क़दम नहीं उठाए गए तो यह हालात लम्बे समय तक जारी रह सकते हैं। देश के कुछ हिस्सों में मृत्यु और अस्पताल में भर्ती होने की दर भयावह रूप से बढ़ रही है जो एक चिंताजनक स्थिति को ओर इशारा करती हैं।
जन स्वास्थ्य अभियान का मानना है कि सरकार अपनी ज़िम्मेदारी को स्वीकार करे और जनता और राज्यों को दोष देना बंद करे।
एक सामान्य व्यक्ति को भी यह स्पष्ट है कि देशभर के लोगों का एक व्यापक वर्ग मास्क का उपयोग करने, शारीरिक दूरी का पालन करने और विशेष रूप से बंद स्थानों में भीड़ लगाने से बचने में काफी लापरवाह हो गया था। हालांकि, इससे एक सवाल सामने आता है: सरकार इससे निपटने और दूसरी लहर के निश्चित परिणामों को रोकने के लिए क्या कर रही थी, और क्या सरकार ने खुद इस लापरवाही को प्रोत्साहित नहीं किया?
विभिन्न देशों का अनुभव बताते हैं कि लगातार मामलों में कमी के समय भी निरंतर सतर्कता और कोविड से बचाव के अनुकूल व्यवहार को सुनिश्चित करना काफी महत्वपूर्ण रहा है। इसी दौर , इस खतरनाक दूसरी लहर के दौरान भी महाकुंभ मेले जैसे सुपर-स्प्रेडर घटनाएं देखी जा सकती हैं। इसके अलावा राज्य चुनावों में बड़ी-बड़ी रैलियों और रोड शो को अक्सर शीर्ष सरकारी नेताओं द्वारा संबोधित किया जा रहा है जिनके ऊपर खुद कोविड-19 को नियंत्रित करने की ज़िम्मेदारी है। न तो कोई दिशानिर्देश जारी किए गए हैं, और न ही कोविड मानदंडों को लागू करने का कोई प्रयास किया जा रहा है। केवल औपचारिकता के लिए जनता से मामूली अपील की जा रही हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि भारत में कोई महामारी ही नहीं है!
राज्य सरकारों द्वारा टीकों की कमी और केंद्र द्वारा समय पर टीकों की आपूर्ति न कर करने की शिकायतों के अलवा इन टीकों की संख्या से पता चलता है कि वर्तमान में टीकों की आवश्यकता आपूर्ति से अधिक है और आने वाले महीनों में भी ऐसी स्थिति बनी रहने की संभावना है। इस पर गौर करने की जरूरत है।
टीकाकरण अभियान में शहरों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी वर्ग विभाजन जैसे हालात उभर रहे हैं। टीकाकरण से छूट गए लोगों का कहना है कि न तो उन्हें यह मालूम है कि टीकाकरण कहां हो रहा है, टीकाकरण कैसे करवाना है, टीकाकरण के लिए कैसे नामांकन करना है और न ही उनके पास इसके लिए स्मार्टफ़ोन, आदि है। टीके को सामुदायिक स्तर पर उपयुक्त आबादी तक ले जाते हुए टीकाकरण के व्यापक अभियानों के माध्यम से इन कमियों को टीकाकरण रणनीति में उपयुक्त संशोधनों के साथ तत्काल सुधारने की आवश्यकता है। टीकाकरण में निरंतर असमंजस की स्थिति को भी दूर करना आवश्यक है। टीका उत्पादन और उपलब्धता में तेज़ी लाना भी आवश्यक है।
इन सब बातों को देखते हुए हमें पूरी सावधानियां बरतने की जरूरत हैं और साथ ही हम सबको अपना वैक्सीनेशन करवाने की जरूरत है। सरकार से भी अपील है कि सबके लिये मुफ्त वैक्सीनेशन की जिम्मेदारी सफलता पूर्वक निभाये।
प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की डॉक्टरों की और बाकी स्टाफ की कमी को शीघ्र दूर करें और कोरोना केयर केंद्र के लिये जरूरी सब बातों को पूरा करे तभी हम इस महामारी का सामना ठीक से कर सकेंगे।
हम आप सब मिलकर ही इस पैन्डेमिक का सामना कर सकते हैं । भ्रांतियों से दूर रहें । वैज्ञानिक तौर तरीकों पर आधारित इलाज और सावधानियां बरतें ।
डॉ रणबीर सिंह दहिया
जन स्वास्थ्य अभियान हरियाणा
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