Tuesday, 25 May 2021

वैक्सीन लगने के बाद भी

 

क्यों कुछ लोगों में वैक्सीन लगने के बाद भी नहीं होती एंटीबॉडी विकसित, वैज्ञानिकों ने लगाया पता

अध्ययन के अनुसार शरीर में मेटाबॉलिक हार्मोन 'लेप्टिन' की कमी इसके लिए जिम्मेवार है

By Lalit Maurya

On: Tuesday 25 May 2021

आखिर क्यों कुछ लोगों में वैक्सीन लगने के बाद भी एंटीबॉडी विकसित नहीं होती है, वैज्ञानिकों ने इस पहेली को सुलझा लिया है। उन्होंने इसके लिए मेटाबॉलिक हार्मोन 'लेप्टिन' की कमी को जिम्मेवार माना है। यह जानकारी यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड द्वारा किए एक शोध में सामने आई है जोकि जर्नल नेचर कम्युनिकेशन्स में प्रकाशित हुआ है।

शोधकर्ताओं ने यह खोज इन्फ्लूएंजा और हेपेटाइटिस बी वैक्सीन की प्रतिक्रियाओं की जांच करते हुए की है। यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड के प्रोफेसर डि यू ने मेटाबॉलिक और इम्यून सिस्टम के बीच की इस कड़ी का पता लगाया है। इसका उपयोग कमजोर प्रतिरक्षा वाली आबादी के लिए रणनीति विकसित करने के लिए किया जा सकता है, जिससे वैक्सीन उनपर बेहतर तरीके से काम करे।

प्रोफेसर यू ने जानकारी दी है कि इस अध्ययन में इम्म्यूनोलॉजी, जेनेटिक्स और बायोकेमिस्ट्री की उन्नत तकनीकों का उपयोग किया गया है। इस शोध से पता चला है कि लेप्टिन ने सीधे तौर पर कोशिकाओं के विकास और कार्य को बढ़ावा दिया है जो किसी एंटीबॉडी प्रतिक्रिया को शुरू करने में मददगार होता है।

उनके अनुसार अंतराष्ट्रीय शोधकर्ताओं के एक दल की मदद से हमने इस लेप्टिन नामक एक आवश्यक मेटाबॉलिक हार्मोन की पहचान की है जो वृद्ध और जवान दोनों में वैक्सीन की प्रतिक्रियाओं से जुड़ा था।

शरीर में फैट सेल्स से बनता है हार्मोन लेप्टिन

इसकी मदद से हम उन लोगों की पहचान कर सकते हैं जिनमें टीकाकरण के बाद भी एंटीबॉडी प्रतिक्रिया उत्पन्न नहीं होने का जोखिम सबसे ज्यादा होता है। यू ने बताया कि लेप्टिन नामक यह हार्मोन शरीर में मुख्य तौर पर वसा ऊतकों (फैट सेल्स) द्वारा बनता है। यह बात पहले से ही साबित है कि वैक्सीन अलग-अलग लोगों पर अलग मात्रा में असर करती है।

इसके साथ ही हमारी जेनेटिक्स भी इसपर आंशिक रूप से असर डालती है। इसके साथ ही अन्य कारक भी मायने रखते हैं। लेकिन इतना जरूर है जब हम फिट और स्वस्थ होते हैं, तो वैक्सीन कहीं बेहतर तरीके से असर करती है।

यू के अनुसार जब हम हम स्वस्थ होते हैं तो हमारा मेटाबॉलिस्म अच्छा रहता है और लेप्टिन का स्तर सामान्य रहता है। वहीं यदि कोई व्यक्ति कुपोषण या किसी अन्य बीमारी से ग्रस्त होता है तो उसमें लेप्टिन का स्तर घट सकता है, जो वैक्सीन की प्रतिक्रिया और इम्यून सिस्टम की सुरक्षा को सीमित कर सकता है।

उनके अनुसार कुछ लोग मोटापे से ग्रस्त होते हैं जिनमें लेप्टिन का स्तर सामान्य से ज्यादा होता है। जिस कारण लेप्टिन के कारण पैदा होने वाला प्रतिरोध, वैक्सीन के असर को प्रभावित कर सकता है। इस पर ध्यान देना जरुरी है। आने वाले समय में शोधकर्ता कोविड-19 वैक्सीन की प्रतिक्रियाओं का परीक्षण करने के इच्छुक हैं जिससे उन लोगों की पहचान की जा सके, जिनके शरीर में यह वैक्सीन  ठीक से असर नहीं कर रही है, इसकी मदद से बायोमार्कर निर्धारित किए जा सके।

उनके अनुसार कोरोना महामारी के इस दौर में सार्स-कोव-2 का सफल टीकाकरण ही समाज को सामान्य स्थिति में लाने की सबसे बड़ी उम्मीद है। ऐसे में बड़े पैमाने पर चलाए जा रहे टीकाकरण कार्यक्रमों में अलग-अलग लोगों में वैक्सीन की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं अड़चन पैदा कर सकती हैं।

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