Monday 18 March 2024

यूनडीपी

 यूनडीपी के अनुसार भारत में 22.8 प्रतिशत लोग गरीब हैं , मापने का पैमाना शहरी प्रति व्यक्ति 1286 रुपये माह , ग्रामीण 1089 रुपये है , 50 प्रतिशत नीचली आबादी 3 प्रतिशत सम्पति , राष्ट्रीय आय का 13 प्रतिशत है । इस वर्ग में 32.1 प्रतिशत बच्चे कम वजन के हैं , 19.3 प्रतिशत कमजोर , 35.5 प्रतिशत बोने हैं , 15 से 49 आयु वर्ग की 50 प्रतिशत महिलाओं में खून की कमी है , एनिमिया है , अगले पांच वर्ष तक 81 करोड़ लोगों अर्थात 57 प्रतिशत आबादी को 5 किलो अनाज मुफ्त मिलेगा , देश में बड़े पैमाने पर कुपोषण और भूखमरी है , स्टेट आफ वर्किग इन्डिया रिपोर्ट 2023 और आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के अनुसार 2017-18 और 2022-23 के बीच तीन प्रकार के श्रमिकों की मासिक आय स्थिर है , मात्र 16 प्रतिशत आबादी को गरीब आंकना गलत है ।

युवा
आधा भारत 28 वर्ष औसत आयु से कम का है , पीएलएफ एस जुलाई , 2022_ जून ,2023 के अनुसार 15 से 29 वर्ष की आयु के लोगों की बेरोजगारी दर 10 प्रतिशत , ग्रामीण 8.3, शहरी 13 .8 है , स्टेट आफ वर्किंग इन्डिया रिपोर्ट 2023 के अनुसार 25 वर्ष से कम आयु वाले स्नातकों में बेरोजगारी दर 42.3 प्रतिशत है , 30- 34 वर्ष स्नातकों में बेरोजगारी दर 9.8 प्रतिशत है , परिणाम अपराध , हिंसा , नशे में बढोतरी है , प्रति वर्ष 2 करोड़ की बात की थी ,मार्च , 2022 में संसद में बताया था कि सरकारी महकमों में 964359 पद खाली थे , बेरोजगारी एक ज्वालामुखी हो गई है ।
महिलाएं
आबादी का आधा हिस्सा , पितृसत्ता , कम शिक्षा , कम संपति , उच्च बेरोजगारी , लैगिंक भेदभाव , महिलाओं के खिलाफ अपराध मुख्य हैं , एनएस आर बी रिपोर्ट दिसम्बर , 2023 के अनुसार 2021 की तुलना में 2022 में महिलाओं के विरुद्ध अपराध के मामले में चार प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है और 2022 में महिलाओं के खिलाफ 445000 अपराध दर्ज किए गए हैं , परिवारों द्वारा . घरेलु हिंसा , यौन उत्पीड़न , बलात्कार , और दहेज की मांग के थे , आय के मामले में अनौपचारिक क्षेत्र में पुरुष कामगार महिला श्रमिकों की तुलना में 48 प्रतिशत अधिक कमाते हैं , नियमित वेतन वाले पुरुष महिलाओं की तुलना में 24 प्रतिशत अधिक कमाते हैं , महिलाओं में आबादी का श्रमिक अनुपात 21.9 प्रतिशत है , पुरुषो में 69.4 प्रतिशत है , शहरी महिलाओं की श्रम बल में भागीदारी 24 प्रतिशत है, जबकि पुरुषों की 73.8 प्रतिशत है , विश्व बैंक के अनुसार वर्ष 2004-05 से 2011-12 के बीच 1 .96 करोड़ महिलाओं ने काम छोड़ दिया। भंयकर असमानता है ।
किसान
एनसी आर बी के अनुसार 2014 और 2022 में आत्म हत्या करने वाले किसानों की संख्या अधिक रही है , इसमें कृषि मजदूरों की संख्या जोड़ दी जाए तो 2020 में 10600 , 2021 में 10881 , 2022 में 11290 रही , हर साल किसान कड़ी मेहनत करके गेहूं चावल की रिकार्ड पैदावार करता है , केन्द्रीय पूल में भंडार भरा है , इसके बाद भी किसान गरीब है , भाजपा की गलत नीतियों से किसान को लाभकारी दाम नहीं मिलता , प्राकृतिक आपदाओं ने उसकी कमर तोड़ दी है , खेती की लागत बहुत बढ़ गई है , आए दिन मंहगी खाद , बीज , डीजल , दवाईयों ने किसान को कर्ज के दलदल में फंसा दिया है , इसलिए युवा , गरीब , महिलाओं व किसानों को कारपोरेट की नीतियों ने बर्बाद कर दिया है , मोदी सरकार की शह पर साम्प्रदायिक ताकतें हमारे भाईचारे को तोड़कर देश के धर्म निरपेक्ष लोक तान्त्रिक गणराज्य व उसके संविधान को चुनौती पेश कर रही हैं , देश में फासीवाद व तानाशाही स्थापित की जा रही है । इसलिए हमें हमारे महान नेता व स्वतन्त्रता सेनानी चौधरी चरण सिंह के जन्म दिन के अवसर पर उनके सपनों का भारत बनाने वास्ते कारपोरेट व साम्प्रदायिक गठजोड़ तथा उसके दलालों को आगामी लोकसभा चुनावों में एकता बनाकर धूल चटानी है , यही चौधरी चरण सिंह के प्रति सच्ची श्रद्धाजलि होगी तथा आज की महापंचायत का उदेश्य पूरा होगा ।
कामरेड ओम प्रकाश
किसान सभा भिवानी ।

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