*स्वास्थ्य की परिभाषा:*
ऐसे में स्वास्थ्य सिर्फ बीमारियों की अनुपस्थिति का नाम नहीं है। दैहिक, मानसिक और सामाजिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ होना (समस्या-विहीन होना) ही स्वास्थ्य की
परिभाषा है। किसी व्यक्ति की मानसिक, शारीरिक और सामाजिक रुप से अच्छे होने की स्थिति को स्वास्थ्य कहते हैं। हमें सर्वांगीण स्वास्थ्य के बारे में जानकारी होना बहुत आवश्यक है। तीन डी (डिजीज, डॉक्टर और दवाई) के अलावा हमारे स्वास्थ्य के सामाजिक कारक भी हैं जिन पर सरकार का बहुत कम ध्यान है। चूँकि हम सामाजिक जीव हैं, अतः संतोषजनक रिश्ते का निर्माण करना और उसे बनाए रखना हमें स्वाभाविक रूप से आता है। सामाजिक रूप से सबके द्वारा स्वीकार किया जाना हमारे भावनात्मक खुशहाली के लिए और स्वास्थ्य के लिए अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। हमारे स्वास्थ्य के निम्नलिखित सामाजिक कारक हैं जो हम सबके स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।
1. प्रदूषणमुक्त वातावरण हो।
2. शुद्व पेयजल एवं पानी की टंकियों का प्रबंध हो।
3. मल-मूत्र एवं अपशिष्ट पदार्थों के निकासी की योजना हो।
4. सुलभ शैचालय हो।
5. समाज अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रहमचर्य एवं अपरिग्रही स्वभाव वाला हो।
6. वृक्षारोपण का अधिकाधिक कार्य हो।
7. सार्वजनिक स्थलों पर पूर्ण स्वच्छता हो।
8. जंनसंख्यानुसार पर्याप्त चिकित्सालय हों।
9.संक्रमण-रोधी व्यवस्था हो।
10.उचित शिक्षा की व्यवस्था हो।
11. भय एवं भ्रममुक्त समाज हो।
12. मानव कल्याण के हितों वाला समाज हो।
13.अपनी व्यक्तिगत क्षमता के अनुसार समाज के कल्याण के लिए कार्य करना।
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