Tuesday 19 March 2024

**कुछ जानकारी**

 

**कुछ जानकारी**

जनवरी 2022 में ऑक्सफैम इंडिया ने 'इनिक्वालिटी किल्स'शीर्षक से जो रिपोर्ट प्रकाशित की, उसने यह हैरतअंगेज  उद्घाटन किया कि महामारी के दौरान ( मार्च 2020 से नवंबर 2021) के बीच जहां देश के 84% परिवारों की आमदनी में गिरावट आई वहीं बिलियनेयरज (खरबपतियों) की संख्या 102 से बढ़कर 142 हो गई और उनकी कुल संपत्ति 23.14  लाख करोड़ से बढ़कर 53.16 लाख करोड तक जा पहुंची। 'सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी' के अध्ययन के अनुसार, बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों ने 2021 के अप्रैल महीने से 2022 के मार्च महीने तक सम्मिलित रूप से 9.3 लाख करोड का मुनाफा कमाया। यह उसे पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले 70 फीसद से भी ज्यादा है और महामारी से पहले के एक पूरे दशक (2010-11 से 2019 तक) के सालाना औसत मुनाफे से

3 गुना अधिक।  महामारी के पहले वर्ष यानी 2020 -21 में भी यह मुनाफा  ठीक पिछले साल के मुकाबले दोगुना था। महामारी के दूसरे वर्ष में तो एक नया रिकॉर्ड कायम हो गया।

      2014 -15 से 2020-21 के बीच इस सरकार ने टैक्स इंसेंटिव्स (प्रोत्साहन) के नाम पर कारपोरेट करदाताओं को 6.15 लाख करोड़ की छूट दी और बैंकों ने 10 लाख 72 हजार करोड़ के कर्जों को बट्टा खाते में डाल कर एक नई मिसाल कायम की 2019 में मोदी सरकार ने कारपोरेट टैक्स दर  को 30 फीसद से घटाकर 22 फीसद कर दिया। इससे कारपोरेट क्षेत्र को 1.45 लाख करोड का तोहफा मिला सरकार का तर्क था कि इससे निवेश बढ़ेगा, निवेश बढ़ने से रोजगार मिलेंगे और कुल मांग बढ़ेगी ; यानी अर्थव्यवस्था को आगे की ओर धक्का मिलेगा ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। बेरोजगारी में कोई फर्क नहीं पड़ा और निवेश भी जैसा था वैसा  ही रहा यानी कुल मिलाकर, पूंजीपतियों की जेबें भर गई और देश के आमजन की बदहाली बरकरार रही।

        सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त में हरियाणा राज्य की बेरोजगारी दर 37.3% है, जो राष्ट्रीय औसत (8.3%) से लगभग चार गुना है।

एनसीआरबी 2021

--1144 हत्याएं,

राज्य में हर दिन 3-4 लोगों की मौत

2021 में दहेज हत्या के 275 मामले, देश में सबसे ज्यादा दर

नाबालिग लड़कियों की खरीद के 992 मामले 2021 में दर्ज हुए

महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 16658 मामले, 2020 से 28.1% की वृद्धि

एक तरफ जहां हरियाणा 37.3 फीसदी की बेरोजगारी दर का सामना कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ सरकारी विभागों में 1.82 लाख पद खाली हैं।

टैगोर--" संस्कृति खूबसूरत व्यवहार है"

बंधुतव, मानवता , स्वतंत्रता, समानता वैज्ञानिक सोच संवैधानिक मूल्य हैं। बाबा अम्बेडकर की देन हैं

संस्कृति दो तरह की हो सकती है

भौतिक संस्कृति

और बौद्धिक संस्कृति

अपराध बीमार समाज का प्रतीक है

हरियाणा बना तब 82 प्रतिशत लोग गांव में रहते थे 18% शहर में

विलेज इकोनामी रही है बहुत पहले के  हरियाणा में

"सब्र का फल मीठा"

"उतने पैर पसारिये  जितनी चादर तोर"

बेल की खेती-- गाय --दूध

"काम प्यारा है चाम प्यारा नहीं है" काम सर्वोत्तम था, श्रम का महत्व था।

"सबर का धन सबसे बड़ा धन "अभाव को डील करने का साधन

"करकै खा लिया, लेकर दे दिया " मुफ्तखोरे नहीं हैं।

"पहले मारै सो जीतै"

" दाबा करै खराबा " दबाव नहीं मानते थे. मुहावरे ,लोकगीत और खंगालने की जरूरत है हरियाणा की संस्कृति  जानने समझने  के लिए। (असमानता घटाना उस वक्त के विकास का उद्देश्य था)

1990 के बाद असमानताएं बढ़ाना विकास का उद्देश्य हो गया।

तब से उपभोक्ता संस्कृति की मुख्य भूमि बननी शुरू होती है

संस्कृति के नाम पर मैदान खाली हो जाता है पुरानी आउटडेटेड हो गई

पीछे रह गया हरियाणा

 

एक आगे बढ़ता हरियाणा

एक मस्त हरियाणा

एक बेलगाम हरियाणा समाज से कटा हुआ है और सरकार से मिला हुआ है

-आगे बढ़ता हरियाणा शहरी क्षेत्रों में है तेज गति से शहरीकरण की बात चल रही है

-अब ज्यादा विवेकशील है शहरी हरियाणा

मस्त हरियाणा मतलब लाचार हरियाणा

कृषि क्षेत्र के साथ सौतेला व्यवहार किया गया मझोले बड़े किसान शहरों में गए

छोटे किसान गांव में रह गए

कृषक समाज एक तनाव की स्थिति से गुजर रहा है इसलिए यह है लाचार हरियाणा

उड़ता हरियाणा

चिटॉ, दारू मोबाइल का नशा युवाओं पर भारी है मां-बाप के पास कोई वकत नहीं है। पहले जैसे बच्चों को सुलाने के लिए अफीम देते थे आज मोबाइल बच्चों के हाथ में दे दिए गए हैं। युवा वर्ग अपनी भाषा ही खो चुका है जिसके पास कुछ नहीं है वह नशा कर लेता है। खेत में सामानों की चोरी हो रही है इसके लिए ऑनलाइन संवाद स्थाई संवाद नहीं

वन टू वन संवाद  बहुत कम रह गया है। जातिवाद और बढ़ा है खत्म होने की बजाय राजनीति का जातिकरण हुआ है।

जाति और सांप्रदायिकता ने मिलकर आम जन की सोच को बुरी तरह से प्रभावित किया है। महिलाओं के साथ भी ऐसा ही हुआ है वैज्ञानिक सोच -शिक्षा के प्रसार के साथ-साथ विवेकशील सोच   तार्किकता नहीं बढ़ी। अपराध बढ़ गया है --गोहाना, दुलिना, मिर्चपुर कांड दलितों पर अत्याचार की क्रूरतम घटनाएं हैं

समाज को मानवीय चेहरा नहीं दे पाए।

क्या किया जाय?

सामाजिक सांस्कृतिक बदलाव नवजागरण के लिए मिलजुल कर प्रयास किए जाएं। स्वतंत्रता समानता और बंधुत्व के मूल्यों को साकार करने के लिए विचार विमर्श की प्रक्रिया को तेज किया जाए।

रणबीर   ------ 9812139001 ------dahiyars@rediffmail.com

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