रोग उत्पति की विचारधाराएं
1 पाश्चर का जीवाणु सिद्धान्त
पासवर्ड ने जवानों सिद्धांत प्रतिपादित किया जिसके अनुसार किसी रोग की उत्पत्ति का कारण सुख समझे होते हैं जो किसी दूसरे जीव या माध्यम से व्यक्ति में प्रवेश कर जाते हैं एवं रोग उत्पन्न करते हैं जैसे प्रोटोजोआ जवानों का वक्त वायरस इत्यादि इसी दांत ने अन्य सभी सिद्धांतों की तुलना में मेडिसन के विकास में बहुत अधिक योगदान दिया है इसी कारण स्वच्छता का उपचार में समावेश किया गया एवं तीता एसएक्सेस का विकास हुआ यह ही वह मुख्य विंडो था जिसके कारण हम आगे बढ़ पाए।
2 दैवीय प्रकोप विचार धारा
इस विचारधारा अनुसार रोग या बीमारी मनुष्य को प्रकृति या दैवीय शक्तियों द्वारा दिया गया दंड है जो कि उसके गलत कर्मों के कारण उसे दिया गया है । इसके उदाहरण मिश्र की मेसोपोटामिया एवं भारत की मोहनजोदड़ो हड़प्पा सभ्यता में मिलते हैं जहां विभिन्न पूजा एवं बली स्थल इस विचारधारा के पक्ष में प्रमाण प्रस्तुत करते हैं ।
आज भी आदिम कबीलों में यहां तक कि गांव में किसी रोग के उपचार के लिए रोगी को स्थानीय देवी या देवता के पास ले जाया जाता है। एवं झाड़ा फूंक से उसका उपचार किया जाता है ।
जैसे आज भी जैसे सांप के काटने पर स्थानीय देव के मंदिर में जाना । घर में गंभीर बीमारी होने पर पारिवारिक पूर्वजों को बुलाना एवं पूजा करना इत्यादि।
3 जैव चिकित्सीय विचार धारा:-
जीव विज्ञान में सूक्ष्मदर्शी का आविष्कार ,हार्मोन ,एंजाइम कार्बोहाइड्रेट , प्रोटीन की खोज ने जैव - रासायनिक क्रियाओं को समझने में सहायता की। इन क्रियाओं को समझने के साथ-साथ यह भी ज्ञात हुआ कि इनकी कमी या अधिकता के कारण भी रोग उत्पन्न होते हैं ।
*कार्बोहाइड्रेट की कमी से हाइपोग्लाइसीमिया और अधिकता से हाइपोग्लाइसीमिया, (डायबिटीज)।
*प्रोटीन की कमी की वजह से क्वाशियोरकर ,मेरास्मस,इत्यादि।
*एंजॉइम विकार की वजह से पाचन में दूध जन्या पदार्थों से एलर्जी होना ।
*हार्मोन विकार से कुशिंग सिंड्रोम, हाइपो या हाइपर थाइरॉएडिज्म आदि
4 बहु कारण विचारधारा:-
उपरोक्त विचारधारा के एकीकरण के परिणाम स्वरूप इस विचारधारा का विकास हुआ एवं यह माना गया कि रोग उत्पत्ति का कोई निश्चित कारण नहीं होता है। रोग अनेक प्रकार के होते हैं। उसी प्रकार उनके कारण भी अलग-अलग होते हैं । एवमं रोग उत्पत्ति का कोई सर्वमान्य एकल कारण नहीं है बल्कि रोग उत्पत्ति के अनेक कारण हो सकते हैं यहां तक कि एक ही रोग उत्पन्न होने के कई कारण एक साथ जिम्मेदार हो सकते हैं उदाहरणार्थ पीलिया होने के कारण अमन हो सकते हैं:-
* हेपेटाइटिस
*एनीमिया
*एंजॉइम विकार
*विषाक्तता
*पोषण संबंधी कारण
5 मनो- सामाजिक विचारधारा:-
जब 'स्वास्थ्य ' में सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक की स्वस्थता को शामिल किया जाने लगा तो इनसे संबंधित कारण या परिस्थितियां भी रोग उत्पत्ति का कारण मानी गई । एवं उन्माद अवसाद या सिजोफ्रेनिया जैसे रोगों का कारण पारिवारिक कलह , विषाद, हीन भावना ,गरीबी ,लांछन ,सही देखभाल या लालन पालन न होना माने गए।
वर्तमान में 'स्वास्थ्य ' की अवधारणा के बहुआयामी होने के कारण इन सभी को रोगों की उत्पत्ति का कारण माना जाता है। इसे 'आधुनिक विचारधारा' भी कहा जा सकता है।
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