Tuesday 14 February 2023

बढ़िया ब्यौंत, घटिया सेहत

 बढ़िया ब्यौंत, घटिया सेहत

भारत देश में दुनियां मैं सबतै फालतू मैडीकल कालेज सैं। विकासशील देशां मैं भारत सबतै फालतू डाक्टर तैयार करै। इन डाक्टरां का निर्यात कर्या जावै सै कई देशां मैं अर हुनर के हिसाब तै भी ये डाक्टर ‘बेस्ट’ माने जावैं सैं दुनियां मैं। भारत देश मैं ‘मैडीकल टूरिज्म’ का व्यापार बढ़ता आवै सै। दूसरे देशां के लोग आड़ै अपणा इलाज करवावण की खातर आवैं सैं। इसका मतलब आड़ै की स्वास्थ्य सेवाएं घाट नहीं सैं किसे तै। दूसरे देशां के लोग जिन अस्पतालां मैं इलाज करवावैं सैं इनका मुकाबला दुनिया के ‘बेस्ट’ अस्पतालां तै कर्या जा सकै सै। म्हारा भारत देश महान दवाई बणावन मैं चौथे देश के नम्बर पै आवै सै अर आड़ै बणे औड़ दवाइयां का बी बड़े पैमाने पै निर्यात कर्या जावै सै। एड्स की दवाई तो विकसित देशां के मुकाबले मैं बहोतै सस्ती बनावै सै भारत देश की सिपला कम्पनी। कड़ थेपड़ण की खातर बहोत सैं इतनी काम्मल काम्मल बात। बाहर आले लोगां के स्वास्थ्य की तो जिम्मेदारी ठाली फेर भारत देश की जनता के स्वास्थ्य की के हालत सै? इसमैं कोए शक की बात नहीं सै अक ये सारे काम करने की खातर ‘रिसोरसिज’ की जरूरत तो होए सै। पीस्यां की बी अर माणसां की बी।
इसमैं बी कोए शक नहीं सै अक लोग स्वास्थ्य के ऊपर खर्च करने में वार कोनी लान्ते अर दूसरे विकासशील देशां के मुकाबले मैं फालतू खर्च करैं सैं। म्हारे धोरै इस क्षेत्र में इतने मार्के के ‘रिसोरसिज’ होन्ते होए भी जब कई गामां मैं अर शहरां मैं जाकै जनता के स्वास्थ्य के बारे मैं जानना चाह्या तो बहोत ताज्जुब हुया जब न्यों देख्या अक इन सबके बावजूद बड़ी तादाद मैं जनता की पहुंच तै दूर सैं ये क्वालिटी स्वास्थ्य सेवाएं। इसे करके स्वास्थ्य के क्षेत्र के आंकड़े भी बढ़िया कोन्या भारत देश के दूसरे देशां के मुकाबले मैं। टीकाकरण का स्तर घणा ए नीचै सै। हांगा लाकै 50 प्रतिशत तै भी कम बालकां का पूरा टीकाकरण हो पाया सै। इसे तरियां गर्भवती महिला के तीन चैक-अप होने चाहिये। फेर 50 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं के न्यूनतम चैक-अप बी कोन्या होन्ते। जो स्वास्थ्य सेवाएं म्हारे धौरे सैं भी उनकी ‘असैस’ उपलब्धता मैं भारी असमानता पाई जा सै। जो जितना अमीर सै उस खातर उतनी बढ़िया अर खर्चीली स्वास्थ्य सेवाएं हाजिर सैं। फेर ग्रामीण क्षेत्रां मैं तो बची खुची खुरचन के हिसाब की रूडिमैंटरी स्वास्थ्य सेवाएं भी उपलब्ध कोन्या। दाखिल होवण आले मरीजां मैं अमीरां की संख्या कम तै कम छह गुणा फालतू सै गरीबां के मुकाबले मैं। देखी म्हारी ‘क्वालिटी’ स्वास्थ्य सेवाएं?
इतना भारी भरकम दवा उद्योग भारत देश मैं जो पूरी दुनिया के कई देशां मैं इन दवाइयां का निर्यात करण लागर्या जबकि भारत की दो तिहाई जनता नै आवश्यक ‘एसैनसियल’ दवाइयां का बी टोटा सै। भारत देश ‘पैरोडोक्सिज’ का अद्भुत देश सै। एक कान्हीं तो अमीर घरां की औरत ‘अननैसेसरी सिजेरियन’ आपरेशनां ते दुखी। शहरां में आधी ‘डेलिवरी’ जाप्पा आपरेशन तै होवै सैं जबकि ग्रामीण क्षेत्रां की गरीब महिलाएं बच्चे नै जन्म देवण के बख्त बहोत बर मरज्यां सैं, इसे सिजेरियन आपरेशन की सुविधा उड़ै ना होवण करकै। हालांकि जनता स्वास्थ्य पै बहोत खर्च करै सैं। गरीब तै गरीब परिवार भी अपनी कुल आमदनी का आठवां हिस्सा स्वास्थ्य पै खर्च करै सै अर सरकार जनता के स्वास्थ्य पै तो बहोत कम खर्च करै सै। भारत देश मैं स्वास्थ्य पै कुल खर्च का हर स्तर की सरकार पांचवां हिस्सा खर्च करै सै फेर बाकी का सारा का सारा खर्च बीमार की जेब तै होवै सै। इसतै या बात साफ सै अक भारत देश का स्वास्थ्य ढांचा दुनियां का सबतै ज्यादा ‘प्राइवेटाज्ड’ ढांचा सै। इस ढाल कह्या जा सकै सै अक भारत देश बहोत पैराडोक्सिस आला देश सै। साइनिंग इंडिया अर सफरिंग इंडिया साफ-साफ नजर आवै सै आज के दिन। सफरिंग इंडिया का ख्याल करनिया बहोत थौड़े लोग सैं। फेर एक बात साफ सै अक यो मैडीकल टूरिज्म अर ये अपोलो अर फोरटिस बरगे अस्पताल सरकारी अस्पताल का सत्यानाश करण लागरे सैं अर वो दिन दूर नहीं जिब लोग अपने स्वास्थ्य की देखभाल की खातर सड़कां पै उतरैंगे अपनी बढ़िया सेहत की मांग की खातर। अर ले कै मानैंगे।

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