Friday, 17 February 2023

तबसे चीन पर इस को फैलाने का इल्जाम

 जब से कोविड - 19 महामारी की शुरुआत हुयी है, तबसे चीन पर इस को फैलाने का इल्जाम लगाने की व्यापक मुहिम जारी है, जिसके तहत चीन पर अपनी गलती स्वीकार कर लेने तथा क्षतिपूर्ति के लिए दवाब बनाया जा रहा है. 


अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प ने तो इस बीमारी के वायरस को ‘चीनी वायरस’ की संज्ञा दे डाली थी, जिसका आशय था कि बीमारी फैलाने के लिए चीन जिम्मेदार था. अगर इस तर्क को स्वीकार कर लिया जाए कि जहां से किसी वायरस की पहले पहल जानकारी मिलेगी, उसी देश को बीमारी फैलाने के लिए जिम्मेदार माना जाएगा, तब तो एच. आई. वी. के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए था. जब एच. आई. वी. सारी दुनिया में फ़ैल रहा था, तब क्या किसी ने अमेरिका को दोष दिया था? 


अमेरिकी विदेश सचिव माइक पोम्पो पर तो नॉवेल कोरोनावायरस की उत्पत्ति की बात को राजनैतिक तूल देने का जुनून इस कदर सवार रहा कि चीन के वुहान की विरोलोजी इंस्टिट्यूट से इस वायरस के फैलने का दावा कर दिया गया था. बहरहाल, चीन के ऊपर जिस किसी ने यह आरोप लगाया है, उसने कोई वैज्ञानिक आधार स्पष्ट नहीं किया है. विडम्बना ये है कि अमेरिका के नेशनल इंटेलिजेंस के डायरेक्टर के कार्यालय ने तथा अन्थोनी फौसी ने, जो अमेरिका की एलर्जी एवम इनफेक्सियस डिजीज की नेशनल इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर हैं, ने बयान दिया है कि इस वायरस को कृत्रिम रूप से तथा इरादतन नहीं फैलाया जा सकता है. 


इसलिए, उपरोक्त से यही निष्कर्ष निकलता है कि जब अमेरिकी जनता ने महामारी को हैंडल करने के सरकारी तौर तरीकों पर सवाल उठाना शुरू किया, तो वहां की सरकार ने चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन के सिर संकट की जिम्मेदारी डालकर अपनी जनता को बेवकूफ बनाने की कोशिश की. 

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