Wednesday, 31 May 2017

बेहतर प्रावधान (दैनिक जागरण) January 2, 2017

बेहतर प्रावधान (दैनिक जागरण)


राज्य सरकार ने मेडिकल प्रोटेक्शन बिल में नए प्रावधान जोड़े हैं। जिसके तहत निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम को आकस्मिक स्थिति में बिना शुल्क लिए मरीजों का इलाज शुरू करना होगा। अगर कोई मरीज आकस्मिक स्थिति में इलाज के लिए निजी अस्पताल या नर्सिंग होम में आता है और उस वक्त उसके पास पैसे नहीं है तो अस्पताल उसे किसी स्थिति में वापस नहीं लौटा सकेगा। अस्पताल को उसका इलाज हर हाल में शुरू करना होगा। यही नहीं, निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम को अपने परिसर में बड़ा सा बोर्ड लगाकर विभिन्न प्रकार की जांच व इलाज के लिए निर्धारित शुल्क की स्पष्ट जानकारी देनी होगी। दरअसल लंबी कवायद के बाद भी मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट को विधानसभा से मंजूरी नहीं मिलने के पीछे कुछ इसी प्रकार की तकनीकी बाधाएं है। इस पेशे से जुड़े लोग तत्काल इसे लागू करने की मांग कर रहे हैं लेकिन विधेयक लोगों के हित में हो और मरीज को इसका फायदा ज्यादा से ज्यादा मिले, इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने कभी हड़बड़ी नहीं दिखाई। निजी अस्पतालों व नर्सिंग होम में इलाज के मद में लिए जाने वाले पैसे को लेकर अक्सर विवाद उत्पन्न होता है। कई बार तोडफ़ोड़ की भी घटनाएं होती है और पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ता है। प्रस्तावित विधेयक इन तमाम कठिनाइयों के समाधान की दिशा में एक बेहतर प्रयास है। राज्य मंत्रिपरिषद की पिछली बैठक में इसे कैबिनेट की स्वीकृति के लिए भेजा गया था लेकिन स्वीकृति नहीं मिल पाई। जिच इस प्रावधान पर भी है जिसमें अस्पतालों द्वारा किसी हाल में शव नहीं रोके जाने की बात कही गई थी। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने इन दो नए प्रावधानों को जोड़कर फिर से प्रस्ताव विभागीय मंत्री की स्वीकृति के लिए बढ़ाया है। दो नए प्रावधान को जोडऩे के बाद स्वास्थ्य विभाग को इस प्रस्ताव पर फिर से विधि और वित्त विभाग की स्वीकृति लेनी होगी। तमाम प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद यह विधानसभा के पटल पर मंजूरी के लिए रखा जाएगा। दो वर्ष पूर्व भी यह विधेयक विधानसभा के पटल पर रखा गया था, लेकिन विधायकों के जबर्दस्त विरोध के बाद इसे विधानसभा की प्रवर समिति को भेज दिया गया था। प्रवर समिति ने इसमें कई संशोधन की अनुशंसा की थी। इसे ध्यान में रखते हुए प्रावधान किए जा रहे हैं। विधेयक में मरीजों के हित का ध्यान सर्वोपरि है। इसके साथ-साथ पेशे से जुड़े लोगों की सुविधाओं का भी ख्याल रखना होगा ताकि विवाद की स्थिति को हर हाल में टाला जा सके।
[ स्थानीय संपादकीय : झारखंड ]
सौजन्य – दैनिक जागरण।

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